22 फरवरी, 2013 गैर-सरकारी गैर-वित्तीय बड़ी सार्वजनिक लिमिटेड कम्पनियों का वित्त, 2011-12 भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर गैर-सरकारी गैर-वित्तीय (एनजीएनएफ) बड़ी सरकारी लिमिटेड कम्पनियों के वित्त, 2011-12 से संबंधित आंकड़े जारी किए हैं। ये आंकड़े 1843 बड़ी (प्रत्येक ₹10 मिलियन और उससे अधिक की चुकता पूंजी वाली) गैर-सरकारी गैर-वित्तीय सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों के लेखापरीक्षित वार्षिक लेखे के आधार पर संकलित किए गए हैं। इस विवरण के लिए 'व्याख्यात्मक टिप्पणियां' अलग से अनुलग्न में दी गई हैं। मुख्य निष्कर्ष
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बिक्री वृद्धि में वर्ष 2011-12 के दौरान सुधार हुआ। चूंकि परिचालनात्मक व्ययों में वृद्धि बिक्री वृद्धि दर से अधिक जारी रही, ब्याज पूर्व अर्जन, कर, अवमूल्यन और ऋण परिशोधन (ईबीआईटीडीए) तथा निवल लाभ (पीएटी) में गिरावट आई। परिणामस्वरूप, चयनित कंपनियों की सकल बचतों में भी वर्ष 2011-12 में गिरावट देखी गई। चयनित कंपनियों का लाभ मार्जिन भी वर्ष 2010-11 की तुलना में वर्ष 2011-12 में कम रहा।
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बिक्रियों की आकार-वार अलग-अलग स्थिति ने दर्शाया कि 250 मिलियन रुपये और ₹500 मिलियन – ₹1 बिलियन से कम बिक्री वाली लघु कंपनियों के मामले में वर्ष 2010-11 की तुलना में वर्ष 2011-12 में बिक्रियों में कमी आई। ईबीआईटीडीए मार्जिन वर्ष 2011-12 में सभी बिक्री समूहों में कम हुआ।
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बिक्रियों की वृद्धि में सुधार विनिर्माण क्षेत्र की अपेक्षा सेवा क्षेत्र में अत्यधिक रहा, किंतु सेवा क्षेत्र में मार्जिन में थोड़ी सी कमी आई। ‘परिवहन’ और ‘रियल एस्टेट’ उद्योगों में कंपनियों ने दोनों बिक्रियों और ईबीआईटीडीए में कमजोर कार्यनिष्पादन किया। दूसरी तरफ, ‘रसायन और रसायन उत्पादों’, ‘सिमेंट और सिमेंट उत्पादों’, ‘लोहा और इस्पात’, ‘निर्माण’, ‘कंप्यूटर और संबंधित कार्यकलाप’ उद्योगों से संबंधित कंपनियों ने वर्ष 2011-12 में उच्च बिक्री वृद्धि दर्ज की। ‘सिमेंट और सिमेंट उत्पाद’ उद्योग कंपनियों ने भी वर्ष 2011-12 में सामान्य प्रवृत्ति के विपरीत ईबीआईटीडीए में उच्च वृद्धि दर्ज की।
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वर्ष 2011-12 में कुल उधार वृद्धि दर वर्ष 2010-11 के स्तर के बराबर रही। ₹10 बिलियन से अधिक बिक्री करने वाली बड़ी बिक्री कंपनियों ने उधार में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की जबकि ₹250 मिलियन से कम बिक्री करने वाली लघु कंपनियों ने वर्ष 2011-12 में कम उधार लिया। ‘खाद्य उत्पादों और पेय पदार्थ’ उद्योग कंपनियों ने वर्ष 2010-11 की तरह वर्ष 2011-12 में उच्च वृद्धि दर्ज करते हुए अधिक उधार लेना जारी रखा। इसके अतिरिक्त, ‘मशीनरी और उपस्कर (नॉन-इलेक्ट्रिकल)’, ‘निर्माण’, ‘रसायन और रसायन उत्पाद’ उद्योगों में वर्ष 2011-12 में उच्च उधार वृद्धि देखी गई।
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समग्र स्तर पर कुल निवल आस्तियों की वृद्धि दर भी वर्ष 2010-11 की तुलना में वर्ष 2011-12 में कम रही है। यह प्रवृत्ति अधिकांश बिक्री समूहों और अधिकांश उद्योगों में देखी गई।
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इक्विटी अनुपात ऋण (नेटवर्थ के प्रतिशत के रूप में ऋण) में वर्ष 2010-11 की तुलना में वर्ष 2011-12 में वृद्धि हुई। तथापि, यह ₹5 बिलियन– ₹10 बिलियन वाली बिक्री समूह कंपनियों और ‘खाद्य उत्पादों और पेय पदार्थों’, ‘फार्मास्यूटिकल्स’, ‘इलेक्ट्रिकल मशीनरी’, ‘मोटर वाहनों और अन्य परिवहन उपस्करों’ तथा ‘कंप्यूटर और संबंधित कार्यकलाप’ उद्योग कंपनियों के लिए कम हुआ। इक्विटी अनुपात ऋण ‘परिवहन’, ‘टेक्सटाइल्स’ और ‘लोहा एवं इस्पात’ उद्योगों में उच्च रहा।
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चयनित कंपनियों के लिए वर्ष 2011-12 के दौरान लगभग 60.8 प्रतिशत वृद्धिशील निधियां बाह्य स्रोतों (कंपनियों के अपने स्रोतों से अलग) प्राप्त हुई। निधियों के कुल स्रोतों में उधार हिस्सेदारी में वृद्धि हुई जबकि पूंजी के नए निर्गम में गिरावट आई।
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वर्ष 2010-11 की तुलना में वर्ष 2011-12 के दौरान एकत्र की गई निधियों की अत्यधिक उच्च हिस्सेदारी का उपयोग संयंत्र और मशीनरी का अधिग्रहण करने में किया गया। इसी तरह, वर्ष के दौरान वित्तीय निवेश के लिए उपयोग की गई निधियां पिछले वर्ष की निधियों से अधिक रह
गैर-सरकारी गैर-वित्तीय बड़ी सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों के समग्र स्तर और बिक्री, आकार तथा दीर्घावधि उद्योग पर अधारित कार्यनिष्पादन का विश्लेषण करने वाला आलेख रिज़र्व बैंक बुलेटिन के मार्च 2013 अंक में प्रकाशित किया जा रहा है। अजीत प्रसाद सहायक महाप्रबंधक प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/1418 |