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गवर्नर का वक्तव्य: 6 जून 2025

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की 55वीं बैठक मानसून ऋतु की शीघ्र और आशाजनक शुरुआत, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, की पृष्ठभूमि में आयोजित की गई। इसके विपरीत, वैश्विक पृष्ठभूमि कमजोर और अत्यधिक अस्थिर बनी हुई है। अप्रैल में एमपीसी की बैठक के बाद से वैश्विक आर्थिक संभावना के संबंध में अनिश्चितता कुछ हद तक कम हुई है, जो अस्थायी टैरिफ राहत और व्यापार वार्ता के बारे में आशावाद के कारण हुई। तथापि, मनोभावों को कमजोर करने और वैश्विक संवृद्धि की संभावनाओं को कम करने के लिए यह अभी भी उच्च है। तदनुसार, बहुपक्षीय एजेंसियों द्वारा वैश्विक संवृद्धि और व्यापार अनुमानों को अधोगामी संशोधित किया गया है।1 इसके अलावा, अवस्फीति का अंतिम मील अधिक लंबा होता जा रहा है। चूंकि संवृद्धि-मुद्रास्फीति ट्रेड-ऑफ अधिक चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है, मौद्रिक प्राधिकरण अधिक सतर्क और सावधानीपूर्वक सुविचारित नीति प्रक्षेपवक्र तैयार कर रहे हैं।

2. निकट भविष्य से परे देखें तो, बढ़ता आर्थिक और वित्तीय विखंडन वैश्विक अर्थव्यवस्था को नया आकार दे रहा है। इसके अलावा, वित्तीय प्रणाली के भीतर जटिल अंतर्संबंध, ऋणों के उच्च स्तर और अग्रणी प्रौद्योगिकियों का बढ़ता प्रभाव वित्तीय स्थिरता की चिंताओं को बढ़ा रहा है। पूंजी प्रवाह और विनिमय दरों में बढ़ती अस्थिरता के साथ-साथ सीमित नीतिगत गुंजाइश के कारण, उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों के लिए वैश्विक प्रभाव-विस्तार के विरुद्ध अपनी अर्थव्यवस्थाओं को स्थिर करना एक कठिन कार्य है।

3. इस वैश्विक परिस्थिति में, भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती, स्थिरता और अवसर की तस्वीर प्रस्तुत कर रही है। सबसे पहले, मजबूती पाँच प्रमुख क्षेत्रों - कॉर्पोरेट, बैंक, परिवारों, सरकार और बाह्य क्षेत्र के मजबूत तुलन-पत्र से आती है। दूसरा, तीनों क्षेत्रों - मूल्य, वित्त और राजनीति – में स्थिरता है जो इस गतिशील रूप से उभरती वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में नीतिगत और आर्थिक निश्चितता प्रदान करती है। तीसरा, भारतीय अर्थव्यवस्था 3D – जनसांख्यिकी (demography), डिजिटलीकरण (digitalisation) और घरेलू मांग (domestic demand) के माध्यम से निवेशकों को अपार अवसर प्रदान करती है।2 आधार तंत्र का यह 5x3x3 मैट्रिक्स भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक प्रभाव-विस्तार के विरुद्ध समर्थन प्रदान करने तथा इसे तेज़ गति से बढ़ने हेतु प्रेरित करने के लिए आवश्यक मूलभूत मजबूती प्रदान करता है।

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के निर्णय

4. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 4, 5 और 6 जून को संपन्न हुई, जिसमें नीतिगत रेपो दर पर विचार-विमर्श किया गया और निर्णय लिया गया। उभरती समष्टि-आर्थिक और वित्तीय गतिविधियों तथा संभावना के विस्तृत मूल्यांकन के बाद, एमपीसी ने चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत नीतिगत रेपो दर को तत्काल प्रभाव से 50 आधार अंक घटाकर 5.50 प्रतिशत करने का निर्णय लिया; परिणामस्वरूप, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 5.25 प्रतिशत तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 5.75 प्रतिशत पर समायोजित हो जाएगी।

5. अब मैं इन निर्णयों के औचित्य को संक्षेप में प्रस्तुत करूंगा। पिछले छह महीनों में मुद्रास्फीति में काफी नरमी आई है, जो अक्तूबर 2024 में सहन-सीमा बैंड से ऊपर थी, अब यह व्यापक आधार पर नरमी के संकेत के साथ लक्ष्य से काफी नीचे आ गई है। निकट अवधि और मध्यम अवधि की संभावना से अब हमें न केवल पिछली बैठक में व्यक्त किए गए 4 प्रतिशत के लक्ष्य के साथ हेडलाइन मुद्रास्फीति के टिकाऊ संरेखण का विश्वास प्राप्त होता है, बल्कि यह विश्वास भी है कि वर्ष के दौरान, इसके लक्ष्य से कुछ हद तक कम रहने की संभावना है। जबकि खाद्य मुद्रास्फीति की संभावना सौम्य बनी हुई है, वैश्विक संवृद्धि में प्रत्याशित मंदी के अनुरूप अंतर्राष्ट्रीय पण्य कीमतों में कमी के कारण मूल मुद्रास्फीति के सौम्य बने रहने की आशा है। वर्ष के लिए मुद्रास्फीति की संभावना को 4.0 प्रतिशत के पिछले पूर्वानुमान से घटाकर 3.7 प्रतिशत किया जा रहा है। दूसरी ओर, चुनौतीपूर्ण वैश्विक वातावरण और बढ़ी हुई अनिश्चितता के बीच संवृद्धि हमारी आकांक्षाओं से कम रही है।

6. अतः, संवृद्धि की गति को बढ़ाने के लिए नीतिगत उपायों के माध्यम से घरेलू निजी खपत और निवेश को प्रोत्साहित करना जारी रखना अनिवार्य है। इस बदली हुई संवृद्धि-मुद्रास्फीति गतिकी के लिए न केवल नीतिगत नरमी जारी रखना आवश्यक है, बल्कि संवृद्धि को समर्थन प्रदान करने के लिए दरों में कटौती को भी आगे बढ़ाना होगा। तदनुसार, एमपीसी ने नीतिगत रेपो दर को 50 आधार अंक घटाकर 5.50 प्रतिशत करने के लिए वोट किया।

7. फरवरी 2025 से लगातार नीतिगत रेपो दर में 100 आधार अंकों की कटौती करने के बाद, मौजूदा परिस्थितियों में, मौद्रिक नीति के पास संवृद्धि को समर्थन प्रदान करने के लिए बहुत सीमित गुंजाइश बची है। अतः, एमपीसी ने रुख को निभावकारी से बदलकर तटस्थ करने का भी निर्णय लिया। इसके बाद, एमपीसी प्राप्त आंकड़ों और उभरती संभावना का सावधानीपूर्वक आकलन करेगी ताकि सटीक संवृद्धि-मुद्रास्फीति संतुलन बनाने के लिए मौद्रिक नीति के भविष्य के मार्ग को तैयार किया जा सके। तेजी से बदलती वैश्विक आर्थिक स्थिति भी उभरती समष्टि आर्थिक संभावना की निरंतर निगरानी और आकलन को आवश्यक बनाती है।

संवृद्धि और मुद्रास्फीति का आकलन

संवृद्धि

8. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी अनंतिम अनुमानों में 2024-25 में भारत की वास्तविक जीडीपी संवृद्धि 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।3 2025-26 के दौरान अब तक घरेलू आर्थिक गतिविधियों में आघात-सहनीयता दिखी है। कृषि क्षेत्र मजबूत बना हुआ है। खरीफ और रबी दोनों ही मौसमों में बहुत अच्छी फसल के कारण, प्रमुख खाद्य फसलों की आपूर्ति पर्याप्त है।4 जलाशय का स्तर अच्छा बना हुआ है।5 पिछले चार वर्षों में गेहूं की सबसे अधिक खरीद6 एक पर्याप्त स्टॉक स्थिति प्रदान करती है।7 औद्योगिक गतिविधि धीरे-धीरे बढ़ रही है, भले ही बहाली की गति असमान हो।8 सेवा क्षेत्र में गति बने रहने की आशा है।9 मई 2025 में पीएमआई सेवाएं 58.8 पर मजबूत रहीं, जो गतिविधि में मजबूत विस्तार का संकेत देती हैं।10

9. मांग के संबंध में, निजी खपत, जो कुल मांग का मुख्य आधार है, विवेकाधीन व्यय में क्रमिक वृद्धि के साथ मजबूत बनी हुई है।11 ग्रामीण मांग12 स्थिर बनी हुई है, जबकि शहरी मांग13 में सुधार हो रहा है। उच्च आवृत्ति संकेतकों से पता चलता है कि निवेश गतिविधि में बहाली हो रही है।14 हाल के दिनों में सुस्त निष्पादन के बाद अप्रैल 2025 में पण्य निर्यात में मजबूत वृद्धि दर्ज की गई।15 तेल से इतर, स्वर्ण से इतर आयात में दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज की गई, जो घरेलू मांग की अच्छी स्थिति को दर्शाता है।16 सेवाओं का निर्यात मजबूत संवृद्धि पथ पर जारी है।17

10. आगे चलकर, दक्षिण-पश्चिम मानसून की सामान्य से अधिक बारिश के अनुमान से कृषि क्षेत्र और ग्रामीण मांग के लिए संभावना को और बढ़ावा मिलने की आशा है।18 दूसरी ओर, सेवा गतिविधि में निरंतर उछाल से शहरी खपत में बहाली को बढ़ावा मिलेगा। बैंकों और कॉरपोरेट्स के मजबूत तुलन-पत्र; पूंजीगत व्यय पर सरकार के निरंतर जोर;19 उच्च क्षमता उपयोग;20 कारोबारी आशावाद में सुधार21 और वित्तीय स्थितियों में सुगमता से निवेश गतिविधि की और बहाली में मदद मिलेगी। तथापि व्यापार नीति अनिश्चितता, वस्तु निर्यात की संभावनाओं पर भारी पड़ रही है, जबकि यूनाइटेड किंगडम22 के साथ मुक्त व्यापार करार (एफ़टीए) के निष्कर्ष और अन्य देशों के साथ प्रगति से वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार को बढ़ावा मिलना चाहिए। दीर्घकालिक भू-राजनीतिक तनाव तथा वैश्विक व्यापार और मौसम संबंधी अनिश्चितताओं से उत्पन्न होने वाले प्रभाव विस्तार संवृद्धि के लिए अधोगामी जोखिम उत्पन्न कर रहे हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2025-26 के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो पहली तिमाही में 6.5, दूसरी तिमाही में 6.7, तीसरी तिमाही में 6.6 और चौथी तिमाही में 6.3 प्रतिशत रहेगी। होगी। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।

मुद्रास्फ़ीति

11. सीपीआई हेडलाइन मुद्रास्फीति में मार्च-अप्रैल के दौरान गिरावट जारी रही, अप्रैल 2025 में हेडलाइन सीपीआई मुद्रास्फीति लगभग छह वर्ष के निचले स्तर 3.2 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) पर आ गई। इसका मुख्य कारण खाद्य मुद्रास्फीति थी, जिसने लगातार छठी मासिक गिरावट दर्ज की। ईंधन समूह ने अपस्फीति की स्थिति में बदलाव देखा तथा मार्च और अप्रैल के दौरान सकारात्मक मुद्रास्फीति प्रिंट दर्ज किए गए, जो आंशिक रूप से एलपीजी की कीमतों में वृद्धि को दर्शाता है। सोने की कीमतों में वृद्धि के कारण ऊर्ध्वगामी दबाव के बावजूद, मार्च-अप्रैल के दौरान मूल23 मुद्रास्फीति काफी हद तक स्थिर और नियंत्रित रही।24

12. मुद्रास्फीति की संभावना प्रमुख घटकों में सौम्य कीमतों की ओर इशारा करती है। गेहूं के रिकॉर्ड उत्पादन और रबी फसल के मौसम में प्रमुख दालों के उच्च उत्पादन से प्रमुख खाद्य वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित होनी चाहिए। आगे चलकर, मानसून के जल्दी आने के साथ-साथ इसके सामान्य से बेहतर होने की उम्मीद, खरीफ फसल की संभावनाओं के लिए शुभ संकेत है। इसे दर्शाते हुए, मुद्रास्फीति की प्रत्याशाएँ, खासकर ग्रामीण परिवारों के लिए एक मंद प्रवृत्ति दिखा रही हैं।25 अधिकांश अनुमान, कच्चे तेल सहित प्रमुख वस्तुओं की कीमतों में निरंतर कमी का संकेत दे रहे हैं। इन अनुकूल पूर्वानुमानों के बावजूद, हमें मौसम संबंधी अनिश्चितताओं और अभी भी उभर रही टैरिफ संबंधी समस्याओं के साथ वैश्विक कमोडिटी कीमतों पर उनके प्रभाव पर भी नजर रखनी होगी। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए और सामान्य मानसून को मानते हुए, वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति अब 3.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो पहली तिमाही में 2.9 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 3.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 3.9 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.4 प्रतिशत रहेगी। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।

बाह्य क्षेत्र

13. मजबूत सेवा निर्यात26 और विप्रेषण प्राप्तियों के साथ-साथ 2024-25 की चौथी तिमाही में व्यापार घाटे में कमी के कारण, 2024-25 के लिए चालू खाता घाटा (सीएडी) कम रहने की उम्मीद है।27 इसके अलावा, बढ़ती भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और व्यापार संबंधी तनावों के बावजूद, अप्रैल 2025 में भारत का पण्य व्यापार मजबूत बना रहा। चूंकि, निर्यात की तुलना में आयात तेज़ी से बढ़ा, इसलिए महीने के दौरान व्यापार घाटा बढ़ गया।28 आगे चलकर, निवल सेवाएँ और विप्रेषण प्राप्तियाँ अधिशेष में रहने की संभावना है, जो व्यापार घाटे में वृद्धि को संतुलित करेगी। 2025-26 के लिए सीएडी के धारणीय स्तर के भीतर रहने की उम्मीद है।

14. 2024-25 में वित्तपोषण के मामले में, भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) तेजी से घटकर 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया, क्योंकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इक्विटी में मुनाफावसूली की।29 निवल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई)30 में भी कमी आई। यह बताना उचित है कि यह कमी, प्रत्यावर्तन और निवल जावक एफडीआई में वृद्धि के कारण है, जबकि सकल एफडीआई में वास्तव में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रत्यावर्तन में वृद्धि एक परिपक्व बाजार का संकेत है जहां विदेशी निवेशक आसानी से प्रवेश और निकास कर सकते हैं, जबकि उच्च सकल एफडीआई यह दर्शाता है कि भारत, निवेश के लिए एक आकर्षक गंतव्य बना हुआ है। दूसरी ओर, बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) और अनिवासी जमाराशियों में पिछले वर्ष की तुलना में अधिक निवल अंतर्वाह देखा गया।31 30 मई 2025 तक भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि 691.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। ये 11 महीने से अधिक के वस्तु आयात32 को वित्तपोषित करने और लगभग 96 प्रतिशत बकाया बाह्य ऋण के लिए पर्याप्त हैं।33 कुल मिलाकर, भारत का बाह्य क्षेत्र आघात-सह बना हुआ है क्योंकि बाह्य क्षेत्र से संबंधित प्रमुख भेद्यता संकेतक लगातार बेहतर हो रहे हैं।34 हम अपनी बाहरी वित्तपोषण आवश्यकताओं को पूरा करने के प्रति आश्वस्त हैं।

चलनिधि और वित्तीय बाज़ार की स्थितियाँ

15. जनवरी से बैंकिंग प्रणाली में कुल 9.5 लाख करोड़ की टिकाऊ चलनिधि बढ़ाई गई।35 परिणामस्वरूप, दिसंबर के मध्य से घाटे में रहने के बाद, मार्च के अंत में चलनिधि की स्थिति अधिशेष में बदल गई। यह दैनिक वीआरआर नीलामी के प्रति धीमी प्रतिक्रिया36 और उच्च एसडीएफ शेष राशि- अप्रैल-मई के दौरान औसत दैनिक शेष राशि 2.0 लाख करोड़ थी, से भी स्पष्ट है।

16. चलनिधि की स्थिति में सुधार को दर्शाते हुए, भारित औसत मांग दर (डब्ल्यूएसीआर) - मौद्रिक नीति का परिचालन लक्ष्य - पिछली नीति के बाद से एलएएफ़ कॉरीडोर के निचले स्तर पर रहा है।37 बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त चलनिधि अधिशेष ने नीतिगत रेपो दर में कटौती के संचरण को अल्पकालिक दरों में अंतरित किया है।38 तथापि, हमें अभी भी ऋण बाजार के क्षेत्र में एक प्रत्यक्ष संचरण देखना बाकी है, यद्यपि हमें यह ध्यान में रखना होगा कि यह थोड़ी देरी से होता है।39

17. रिज़र्व बैंक बैंकिंग प्रणाली को पर्याप्त चलनिधि प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। आगे भी टिकाऊ चलनिधि प्रदान करने के लिए, वर्ष के दौरान चरणबद्ध तरीके से आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) को 100 आधार अंक (बीपीएस) घटाकर निवल मांग और मियादी देयताओं (एनडीटीएल) के 3.0 प्रतिशत तक कम करने का निर्णय लिया गया है। यह कटौती 6 सितंबर, 4 अक्टूबर, 1 नवंबर और 29 नवंबर 2025 से शुरू होने वाले पखवाड़े से 25 बीपीएस की चार बराबर किस्तों में की जाएगी। सीआरआर में कटौती से दिसंबर 2025 तक बैंकिंग प्रणाली में लगभग 2.5 लाख करोड़ की प्राथमिक चलनिधि बढ़ जाएगी। टिकाऊ चलनिधि प्रदान करने के अलावा, यह बैंकों के वित्त पोषण की लागत को कम करेगा, जिससे ऋण बाजार में मौद्रिक नीति के संचरण में मदद मिलेगी। मैं दोहराना चाहूंगा कि हम चलनिधि और वित्तीय बाजार की उभरती स्थितियों की निगरानी करना जारी रखेंगे और आवश्यकतानुसार आगे सक्रिय कार्रवाई करेंगे।

वित्तीय स्थिरता

18. अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) के प्रणाली-स्तरीय वित्तीय मापदंड मजबूत बने हुए हैं।40 आस्ति गुणवत्ता मापदंड, चलनिधि बफर और लाभप्रदता मापदंड में और सुधार हुआ है। दिसंबर 2024 के अंत में बैंकिंग प्रणाली के लिए ऋण जमा अनुपात 81.84 प्रतिशत था, जो मोटे तौर पर एक वर्ष पहले के समान था। इसी तरह, एनबीएफसी के प्रणाली-स्तरीय मापदंड भी पर्याप्त पूंजी स्थिति और बेहतर जीएनपीए अनुपात के साथ सुदृढ़ हैं।41

19. अरक्षित व्यक्तिगत ऋण और क्रेडिट कार्ड प्राप्तियों के पोर्टफोलियो जैसे खुदरा क्षेत्रों में पहले देखा गया तनाव कम हो गया है, जबकि लघु-वित्त क्षेत्र का तनाव बना हुआ है। इन क्षेत्रों में सक्रिय बैंक और एनबीएफसी पहले से ही अपने व्यवसाय मॉडल को पुनः समायोजित कर रहे हैं, अपनी ऋण हामीदारी पद्धतियों को मजबूत कर रहे हैं और भविष्य में इस स्तर पर किसी भी तरह के अत्यधिक जोखिम से बचने के लिए अपने वसूली प्रयासों को बढ़ा रहे हैं।

समापन टिप्पणी

20. मुद्रास्फीति और संवृद्धि दोनों स्तरों पर, भारतीय अर्थव्यवस्था सुव्यवस्थित रूप से और मोटे तौर पर अपेक्षा के अनुसार आगे बढ़ रही है। मजबूत समष्टि-आर्थिक मूल तत्व और सौम्य मुद्रास्फीति की संभावना, मूल्य स्थिरता के लक्ष्य के अनुरूप बने रहते हुए मौद्रिक नीति को संवृद्धि का समर्थन करने का अवसर प्रदान करते हैं। चूंकि वैश्विक वातावरण अनिश्चित बना हुआ है, इसलिए सतत मूल्य स्थिरता के बीच घरेलू संवृद्धि पर ध्यान केंद्रित करना और भी महत्वपूर्ण हो गया है। तदनुसार, आज की मौद्रिक नीति कार्रवाइयों को संवृद्धि को एक उच्च आकांक्षात्मक प्रक्षेपवक्र पर ले जाने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जाना चाहिए।

21. यहाँ, मैं इस बात पर प्रकाश डालना चाहूँगा कि मध्यम और दीर्घ अवधि में मूल्य स्थिरता और संवृद्धि के बीच कोई संघर्ष नहीं है। मूल्य स्थिरता क्रय शक्ति को संरक्षित करती है, परिवारों और व्यवसायों को उनकी बचत और निवेश निर्णयों में निश्चितता प्रदान करती है तथा अनुकूल ब्याज दर और वित्तीय स्थितियाँ सुनिश्चित करती है और ये सभी, उपभोग, निवेश और समग्र गतिविधि को बढ़ावा देती हैं। इसके अलावा, यह न्यायसंगत संवृद्धि और साझा संपन्नता के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसकी अनुपस्थिति गरीबों पर असमान रूप से बोझ डालती है।

22. मुझे यह भी कहना चाहिए कि मूल्य स्थिरता एक आवश्यक शर्त है, लेकिन यह संवृद्धि को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। एक सहायक नीतिगत माहौल बहुत महत्वपूर्ण है। यह वर्तमान समय जैसे उच्च अनिश्चितताओं की अवधि के दौरान और भी अधिक महत्वपूर्ण है। इसलिए, रिज़र्व बैंक में, जबकि मूल्य स्थिरता मौद्रिक नीति का केंद्र बनी हुई है, हम समृद्धि और संपन्नता का समर्थन करने वाली पूरक मौद्रिक और ऋण नीतियों तथा विनियमों को लागू करने के प्रति उदासीन नहीं हैं।

धन्यवाद, नमस्कार और जय हिंद

(पुनीत पंचोली) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/490


1 जून 2025 में जारी अपने इकनोमिक आउटलुक में ओईसीडी ने 2025 के लिए वैश्विक संवृद्धि पूर्वानुमान को 20 आधार अंक घटाकर 2.9 प्रतिशत कर दिया, जबकि आईएमएफ़ ने अपने अप्रैल वर्ल्ड इकनोमिक आउटलुक में वैश्विक संवृद्धि अनुमान को घटाकर 2025 के लिए 2.8 प्रतिशत और 2026 के लिए 3.0 प्रतिशत कर दिया - जो 2000 और 2019 के बीच दर्ज किए गए 3.7 प्रतिशत के ऐतिहासिक औसत से काफी नीचे है। इसके अलावा, डब्ल्यूटीओ का अनुमान है कि 2025 में विश्व पण्य व्यापार की मात्रा 0.2 प्रतिशत घटेगी, जो पहले के पूर्वानुमानों से लगभग 3 प्रतिशत अंकों की उल्लेखनीय गिरावट है।

2 भारत: प्रगति और समृद्धि में भागीदार; श्री संजय मल्होत्रा, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक का 25 अप्रैल 2025 को वाशिंगटन डीसी में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम (यूएसआईएसपीएफ) द्वारा आयोजित यूएस-इंडिया इकोनॉमिक फोरम में मुख्य भाषण

3 2024-25 की चौथी तिमाही में वास्तविक जीडीपी में 7.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 2024-25 की चौथी तिमाही में निजी खपत और सकल स्थिर पूंजी निर्माण (जीएफ़सीएफ़) में क्रमशः 6.0 प्रतिशत और 9.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 2024-25 में पूरे वर्ष के लिए, निजी खपत और जीएफ़सीएफ़ में क्रमशः 7.2 प्रतिशत और 7.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई। आपूर्ति पक्ष पर, 2024-25 की चौथी तिमाही में योजित सकल मूल्य (जीवीए) में 6.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई। चौथी तिमाही में विनिर्माण में 4.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई और सेवाओं में 7.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। 2024-25 के लिए, जीवीए में 6.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 2024-25 में विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में क्रमशः 4.5 प्रतिशत और 7.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

4 तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, 2024-25 में 354.0 मिलियन टन का खरीफ और रबी का संयुक्त खाद्यान्न उत्पादन एक वर्ष पहले की तुलना में 6.5 प्रतिशत अधिक है।

5 5 जून 2025 तक जलाशय का स्तर पूर्ण क्षमता के 31.1 प्रतिशत पर था, जो पिछले वर्ष के 22.5 प्रतिशत के स्तर से ऊपर और दशकीय औसत 24.2 प्रतिशत से अधिक था।

6 1 जून 2025 तक 298.8 लाख टन गेहूं की खरीद हुई जो पिछले वर्ष की तुलना में 13.3 प्रतिशत अधिक है।

7 16 मई 2025 तक, भारतीय खाद्य निगम के पास गेहूं का स्टॉक बफर मानदंडों से 5.1 गुना (4 वर्षों में उच्चतम) और चावल का स्टॉक बफर मानदंडों से 4.4 गुना है।

8 अप्रैल 2025 के दौरान आईआईपी में 2.7 प्रतिशत की धीमी दर से वृद्धि हुई, जबकि 2024-25 में 4.0 प्रतिशत की वृद्धि का आधार कम था। जबकि अप्रैल में खनन में 0.2 प्रतिशत की गिरावट आई, विद्युत और विनिर्माण में क्रमशः 1.1 प्रतिशत और 3.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। मई 2025 के लिए विनिर्माण पीएमआई 57.6 पर आ गया, लेकिन यह दीर्घावधि औसत से काफी ऊपर है।

9 अप्रैल 2025 में ई-वे बिल में 23.4 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि हुई, जबकि मई 2025 में टोल संग्रह में 16.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। मई 2025 में सकल जीएसटी संग्रह में 16.4 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि हुई। घरेलू हवाई माल ढुलाई में अप्रैल में 16.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। अप्रैल में घरेलू हवाई यात्री यातायात में 9.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, तथापि मई में इसमें 3.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। अप्रैल-मई 2025 में बंदरगाह माल ढुलाई में 5.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

10 मई 2025 के लिए पीएमआई सेवाएं अप्रैल के 58.7 से बढ़कर 58.8 हो गईं, इसने एक ऐसा स्तर बनाए रखा जो इस क्षेत्र के वर्तमान स्थिर और मजबूत कार्य-निष्पादन को दर्शाता है।

11 अप्रैल 2025 में आईआईपी टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं में 6.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

12 नीलसनआईक्यू की खुदरा लेखा परीक्षा सेवा के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में एफएमसीजी बिक्री की मात्रा वृद्धि मार्च में 8.1 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल 2025 में 8.7 प्रतिशत हो गई।

13 अप्रैल 2025 के दौरान थोक यात्री वाहन बिक्री और एफएमसीजी उत्पादों की बिक्री (शहरी) में क्रमशः 5.5 प्रतिशत और 4.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

14 अप्रैल 2025 में पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन और आयात में क्रमशः 20.3 प्रतिशत और 21.5 प्रतिशत की तीव्र वृद्धि हुई। इस्पात की खपत और सीमेंट उत्पादन में अप्रैल महीने में क्रमशः 6.0 प्रतिशत और 6.7 प्रतिशत तक कम होने से पहले 2024-25 की चौथी तिमाही में दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज की गई।

15 अप्रैल 2025 में वस्तु निर्यात में 9.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि तेल से इतर निर्यात में 10.3 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि हुई।

16 तेल से इतर स्वर्ण से इतर आयात में 17.3 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि देखी गई, जबकि समग्र आयात 19.1 प्रतिशत बढ़ा।

17 मार्च 2025 के दौरान सेवाओं के निर्यात में 18.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो कि मजबूत सॉफ्टवेयर और कारोबारी निर्यात के कारण संभव हुआ। तथापि, अप्रैल 2025 में यह घटकर 8.8 प्रतिशत रह गया।

18 मानसून केरल के तट पर आठ दिन पहले अर्थात 24 मई 2025 को टकराया। आईएमडी के अद्यतन दीर्घावधि पूर्वानुमान के अनुसार, मॉडल त्रुटि ±4 प्रतिशत के साथ मानसून ऋतु की वर्षा दीर्घावधि औसत (एलपीए) की 106 प्रतिशत होने की संभावना है।

19 केंद्रीय बजट 2025-26 के अनुसार, केंद्र सरकार के प्रभावी पूंजीगत व्यय (पूंजीगत आस्तियों के निर्माण के लिए अनुदान सहायता सहित) में 17.4 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।

20 आरबीआई के तिमाही आदेश बहियों, माल-सूचियों और क्षमता उपयोग सर्वेक्षण (ओबीआईसीयूएस) के शुरुआती परिणामों के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र का मौसमी रूप से समायोजित क्षमता उपयोग (सीयू) 2024-25 की चौथी तिमाही में 75.5 प्रतिशत रहेगा, जो दीर्घावधि औसत 73.9 प्रतिशत से अधिक है।

21 मई 2025 में पीएमआई विनिर्माण भावी उत्पादन सूचकांक 63.1 के मजबूत स्तर पर है। अप्रैल 2023 से भावी उत्पादन सूचकांक 60.0 से ऊपर आ गया है। पीएमआई सेवाओं के भावी गतिविधि सूचकांक में अप्रैल में गिरावट के बाद मई में पुनः वृद्धि दर्ज की गई।

22 वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार, इस मुक्त व्यापार करार से यूके को निर्यात करने वाले 99 प्रतिशत भारतीय को लाभ होगा।

23 खाद्य एवं ईंधन को छोड़कर सीपीआई हेडलाइन।

24 सीपीआई हेडलाइन मुद्रास्फीति मार्च-अप्रैल 2025 के दौरान संचयी 45 आधार अंकों की गिरावट के साथ फरवरी 2025 में 3.6 प्रतिशत से अप्रैल 2025 में 3.2 प्रतिशत के निचले स्तर पर आ गई – जो जुलाई 2019 के बाद से सबसे कम रीडिंग है। चूंकि सब्जियों की कीमतों में लगातार मौसमी करेक्शन दर्ज किया गया, खाद्य मुद्रास्फीति अप्रैल में 42 महीने के निचले स्तर 2.1 प्रतिशत पर आ गई, जो फरवरी 2025 में 3.8 प्रतिशत थी। तथापि, ईंधन समूह अपस्फीति क्षेत्र से बाहर निकल गया, जिसमें मार्च 2025 में वर्ष-दर-वर्ष मुद्रास्फीति 1.4 प्रतिशत दर्ज की गई, तथा अप्रैल 2025 में यह और बढ़कर 2.9 प्रतिशत हो गई। खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई मुद्रास्फीति भी मार्च 2025 में 4.1 प्रतिशत पर स्थिर रहने के बाद अप्रैल 2025 में वर्ष-दर-वर्ष 4.2 प्रतिशत तक बढ़ गई। स्वर्ण, जिसकी खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई में 2.3 प्रतिशत की हिस्सेदारी है, ने अप्रैल 2025 में मूल मुद्रास्फीति में 21.4 प्रतिशत का योगदान दिया।

25 शहरी परिवारों की मौजूदा औसत मुद्रास्फीति की धारणा में 10 आधार अंकों (बीपीएस) की गिरावट आई है और यह 7.7 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जबकि अगले तीन महीनों के लिए उनकी मुद्रास्फीति प्रत्याशा 8.9 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रहीं। इसके अलावा, आने वाले वर्ष के लिए उनकी प्रत्याशाएं 20 बीपीएस घटकर 9.5 प्रतिशत हो गईं। ग्रामीण परिवारों के लिए, मुद्रास्फीति की मौजूदा धारणा पिछले दौर की तुलना में मई 2025 में 30 आधार अंक (बीपीएस) घटकर 6.3 प्रतिशत हो गई। इसके अलावा, नवीनतम सर्वेक्षण में आने वाले वर्ष के लिए उनकी मुद्रास्फीति प्रत्याशा भी 40 बीपीएस घटकर 8.9 प्रतिशत हो गई।

26 अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 के दौरान भारत का सेवा निर्यात 13.6 प्रतिशत बढ़कर 387.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि सेवा आयात में 11.4 प्रतिशत (198.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की वृद्धि दर्ज की गई। 2024-25 के दौरान निवल सेवा प्राप्तियां 188.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गईं। अप्रैल 2025 में, सेवा निर्यात वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 8.8 प्रतिशत बढ़कर 32.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि सेवा आयात में मामूली 0.9 प्रतिशत (16.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की वृद्धि हुई। 15.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर निवल सेवा प्राप्तियों में वर्ष-दर-वर्ष 18.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गईं।

27 भारत के चालू खाता शेष में 2024-25 की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद का 1.1 प्रतिशत घाटा दर्ज किया गया, जो 2024-25 की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद के 1.8 प्रतिशत से कम है।

28 भारत का पण्य निर्यात लगातार दूसरे महीने बढ़ा, जो अप्रैल 2025 में 9.0 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) बढ़कर 38.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। अप्रैल 2025 में पण्य आयात 19.1 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) बढ़कर 64.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। भारत का पण्य व्यापार घाटा एक वर्ष पहले के 19.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर अप्रैल 2025 में 26.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

29 2025-26 के दौरान अब तक (4 जून तक), भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) ने 2.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवल बहिर्वाह दर्ज किया।

30 सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) अंतर्वाह मजबूत रहा, जो एक वर्ष पहले के 71.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से लगभग 14 प्रतिशत बढ़कर 2024-25 में 81.0 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। हालांकि, निवल एफडीआई अंतर्वाह एक वर्ष पहले के 10.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर 2024-25 में 0.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया।

31 भारत में बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) के अंतर्गत निवल अंतर्वाह 2024-25 के दौरान बढ़कर 18.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि एक वर्ष पहले यह 3.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। अप्रैल 2025 में, भारत में निवल ईसीबी एक वर्ष पहले के 0.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। अनिवासी जमाराशियों में 2024-25 में 16.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का उच्च निवल अंतर्वाह दर्ज किया गया, जबकि एक वर्ष पहले यह 14.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

32 चार तिमाहियों (2023-24 की चौथी तिमाही से 2024-25 की तीसरी तिमाही) के दौरान वास्तविक पण्य आयात (बीओपी आधार पर) के आधार पर।

33 दिसंबर 2024 के अंत तक बकाया बाह्य ऋण के आधार पर।

34 2023-24 में भारत का सीएडी सकल घरेलू उत्पाद का 0.7 प्रतिशत और 2024-25 की तीसरी तिमाही के दौरान 1.1 प्रतिशत (2024-25 की पहली तिमाही में 0.9 प्रतिशत और 2024-25 की दूसरी तिमाही में 1.8 प्रतिशत) रहा। जीडीपी की तुलना में भारत का बाह्य ऋण अनुपात दिसंबर 2024 के अंत में 19.1 प्रतिशत रहा, जो मार्च 2024 के अंत में 18.5 प्रतिशत था।

35 जनवरी से अब तक खुले बाजार में खरीद (एनडीएस-ओएम के माध्यम से खरीद सहित) ने 5.2 लाख करोड़ की टिकाऊ चलनिधि बढ़ाई है। इसके अतिरिक्त, मियादी वीआरआर नीलामी और यूएसडी/आईएनआर खरीद-बिक्री स्वैप ने इसी अवधि के दौरान क्रमशः 2.1 लाख करोड़ और 2.2 लाख करोड़ की चलनिधि बढ़ाई है।

36 अप्रैल-जून (4 जून तक) के दौरान दैनिक वीआरआर का औसत बोली कवर अनुपात 0.26 था।

37 अप्रैल-जून (4 जून तक) के दौरान डब्ल्यूएसीआर औसतन नीतिगत रेपो दर से 16 आधार अंक नीचे रही, जबकि फरवरी-मार्च के दौरान यह रेपो दर से 6 आधार अंक ऊपर रही।

38 मौजूदा नरमी चक्र (4 जून तक) में नीतिगत रेपो दर में 50 बीपीएस की कटौती के जवाब में, डब्ल्यूएसीआर में 70 बीपीएस, 3 महीने के खजाना-बिल दर में 88 बीपीएस, एनबीएफसी द्वारा जारी 3 महीने के सीपी में 143 बीपीएस और 3 महीने के सीडी दर में 138 बीपीएस की कमी आई है। सीपी और सीडी स्प्रेड में खजाना-बिल से अधिक कमी से बैंकों और कॉरपोरेट्स के लिए आसान वित्तपोषण की स्थिति के संकेत मिलते हैं। खजाना-बिल पर औसत सीपी और सीडी स्प्रेड मार्च में क्रमशः 134 बीपीएस और 108 बीपीएस से घटकर मई में क्रमशः 82 बीपीएस और 65 बीपीएस हो गया।

39 फरवरी-अप्रैल 2025 के दौरान नए रुपये ऋण और बकाया रुपये ऋण पर भारित औसत उधार दर (डब्ल्यूएएलआर) में क्रमशः 6 बीपीएस और 17 बीपीएस की गिरावट आई, जो उधार दरों पर नीतिगत दर संचरण को दर्शाता है। फरवरी-अप्रैल 2025 के दौरान नई जमाराशियों पर भारित औसत घरेलू मियादी जमा दरों (डब्ल्यूएडीटीडीआर) में 27 बीपीएस की गिरावट आई, जबकि बकाया जमाराशियों पर डब्ल्यूएडीटीडीआरमें 1 बीपीएस की गिरावट आई।

40 अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (एससीबी) मापदंड: मार्च-24 और मार्च-25 के बीच बकाया ऋण और जमा में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर क्रमशः 11.03 प्रतिशत और 10.18 प्रतिशत की वृद्धि हुई। दिसंबर 2024 में जोखिम भारित आस्ति की तुलना में प्रणाली-स्तरीय पूंजी अनुपात (सीआरएआर) 16.43 प्रतिशत था जो न्यूनतम विनियामकीय स्तर से काफी ऊपर था। अनर्जक ऋणों के अनुपात में और सुधार हुआ (दिसंबर 2023 में 2.96 प्रतिशत की तुलना में दिसंबर 2024 में जीएनपीए अनुपात 2.42 प्रतिशत, दिसंबर 2023 में 0.69 प्रतिशत की तुलना में दिसंबर 2024 में एनएनपीए अनुपात 0.55 प्रतिशत)। एसएमए-2 अनुपात, कुल अग्रिमों के हिस्से के रूप में 61-90 दिनों से अधिक समय से बकाया ऋणों का अनुपात - बैंकिंग बही में नए तनाव के निर्माण का एक प्रमुख संकेतक - दिसंबर 2024 में 0.96 प्रतिशत (दिसंबर 2023 में 0.90 प्रतिशत) पर वर्ष-दर-वर्ष आधार पर स्थिर रहा। दिसंबर 2024 के अंत तक 130.21 प्रतिशत के एलसीआर के साथ चलनिधि बफर मजबूत थे। दिसंबर 2024 में आस्तियों पर वार्षिक प्रतिलाभ (आरओए) और इक्विटी पर प्रतिलाभ (आरओई) क्रमशः 1.37 प्रतिशत और 14.14 प्रतिशत रहा। दिसंबर 2024 के लिए निवल ब्याज मार्जिन 3.49 प्रतिशत (दिसंबर 2023 में 3.64 प्रतिशत) था।

41 गैर-बैंक वित्तीय कंपनी (एनबीएफ़सी) मापदंड: दिसंबर 2024 में गैर-बैंक वित्तीय कंपनियों का कुल सीआरएआर 26.22 प्रतिशत और 24.13 प्रतिशत टियर I पूंजी, न्यूनतम विनियामकीय आवश्यकताओं से ऊपर रहे। इस क्षेत्र के लिए आरओए दिसंबर 2023 में 3.11 प्रतिशत से घटकर दिसंबर 2024 में 2.86 प्रतिशत हो गया। जीएनपीए अनुपात में सुधार होकर दिसंबर 2023 में 2.70 प्रतिशत की तुलना में दिसंबर 2024 में 2.53 प्रतिशत हो गया है, जबकि दिसंबर 2024 में 1.11 प्रतिशत का एनएनपीए अनुपात दिसंबर 2023 में 1.11 प्रतिशत की तुलना में लगभग यथावत् रहा।

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