29 जून 2007 2006-07 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2007) और अप्रैल-मार्च 2006-07 के दौरान भारत की भुगतान संतुलन संबंधी गतिविधियां वित्तीय वर्ष 2006-07 की चौथी तिमाही अर्थात जनवरी-मार्च 2007 के भारत के भुगतान संतुलन के प्रारंभिक आंकड़े अब उपलब्ध हैं। ये प्रारंभिक आंकड़े, पहली तीन तिमाहियों (अर्थात अप्रैल-जून 2006 और जुलाई-सितंबर 2006 और अक्तूबर-दिसंबर 2006) के आंशिक रूप से संशोधित आंकड़ों के साथ वित्तीय वर्ष 2006-07 के भुगतान संतुलन का मूल्यांकन प्रस्तुत करते हैं। भुगतान संतुलन के संपूर्ण आंकड़े विवरण 1 और 2 में मानक फाम&ज्i्ा;ट में दिए गए हैं। जनवरी-मार्च 2007 2006-07 की चौथी तिमाही के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें सारणी 1 और ब्योरा विवरण 1 में दिया गया है।
सारणी 1 : भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें - जनवरी-मार्च 2007 (मिलियन अमरीकी डॉलर) |
मदें |
अप्रैल- जून 2006 आं.सं. |
जुलाई- सितंबर 2006 आं.सं. |
अक्तूबर- दिसंबर 2006 प्रा. |
जनवरी- मार्च 2007 प्रा. |
जनवरी- मार्च 2006 आं.सं. |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
निर्यात |
29,674 |
32,700 |
30,664 |
34,052 |
30,579 |
आयात |
46,620 |
48,562 |
47,529 |
49,284 |
42,331 |
व्यापार संतुलन |
-16,946 |
-15,862 |
-16,865 |
-15,232 |
-11,752 |
अदृश्य मदें, निवल |
12,379 |
11,032 |
14,090 |
17,795 |
14,508 |
चालू खाता शेष |
-4,567 |
-4,830 |
-2,775 |
2,563 |
2,756 |
पूँजी खाता* |
10,946 |
7,100 |
10,280 |
17,889 |
10,465 |
निधि भंडार में परिवर्तन (- निहन वृद्धि दर्शाता है)# |
-6,379 |
-2,270 |
-7,505 |
-20,452 |
-13,221 |
*: भूल चूक सहित #: मूल्यन परिवर्तन को छोड़कर, भुगतान संतुलन के आधार पर प्रा : प्रारंभिक आं.सं. : आंशिक रूप से संशोधित |
वाणिज्यिक माल व्यापार
- भुगतान संतुलन के आधार पर, भारत के वाणिज्यिक माल निर्यात में 2005-06 की चौथी तिमाही के 10.8 प्रतिशत की तुलना में 2006-07 की चौथी तिमाही में 11.4 प्रतिशत वृद्धि हुई।
- भुगतान संतुलन के आधार पर, आयात भुगतान में 2006-07 की चौथी तिमाही में 16.4 प्रतिशत वृद्धि हुई, जबकि 2005-06 की चौथी तिमाही में 21.9 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।
- वाणिज्यिक आसूचना और अंक संकलन महानिदेशालय (डीजीसीआईएण्डएस) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, तेल आयात में 2006-07 की चौथी तिमाही में 7.6 प्रतिशत (2005-06 की चौथी तिमाही में 48.3 प्रतिशत) की गिरावट हुई, वहीं तेल से इतर के आयात में 29.2 प्रतिशत (2005-06 की चौथी तिमाही में 3.7 प्रतिशत की ऋणात्मक वृद्धि) की सुदृढ़ वृद्धि हुई।
- तेल आयात में अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के भारतीय समूह (दुबई और ब्रेंट किस्मों का मिश्रण) के मूल्य कम करने का प्रभाव परिलक्षित हुआ, जो पिछले वर्ष की तदनुरूपी तिमाही के प्रति बैरल 59.6 अमरीकी डॉलर से घटकर 2006-07 की चौथी तिमाही में प्रति बैरल 56.6 अमरीकी डॉलर हो गया।
- पूंजीगत सामान में लगातार वृद्धि के अतिरिक्त तेल से भिन्न आयात में तेजी देखी गई जिसका कारण सोने और चाँदी की मांग में सुधार तथा धातुमय अयस्क और धात्विक कबाड़, लोहा और इस्पात में तेजी थी।
व्यापार घाटा
- भुगतान संतुलन आधार पर, मुख्य रूप से तेल से इतर आयात में उच्चतर वृद्धि के कारण व्यापार घाटे में 2006-07 की चौथी तिमाही में 15.2 बिलियन अमरीकी डॉलर (2005-06 की चौथी तिमाही में 11.8 बिलियन अमरीकी डॉलर) की वृद्धि हुई।
अदृश्य मदें
- 2006-07 की चौथी तिमाही में अदृश्य मदों की प्राप्तियों में निरंतर वृद्धि (29.8 प्रतिशत) दिखी, जबकि भुगतानों में मामूली वृद्धि हुई।
- अदृश्य मदों में निरंतर वृद्धि परिलक्षित हुई जिससे मुख्य रूप से वाणिज्यिक सेवाओं जैसे सॉफ्टवेयर, पेशेवर सेवाओं, यात्रा तथा विदेश में रहने वाले भारतीयों के प्रेषणों में वृद्धि दिखाई दी।
चालू खाता अधिशेष
- चालू खाता में 2005-06 की चौथी तिमाही में 2.8 बिलियन अमरीकी डालर के अधिशेष के विपरीत 2006-07 की चौथी तिमाही में 2.6 बिलियन अमरीकी डालर का अधिशेष दर्ज हुआ।
- 2006-07 की चौथी तिमाही में चालू खाते में अधिशेष मुख्य रूप से निम्न कारणों से था:
- 2005-06 की चौथी तिमाही की तुलना में 2006-07 की चौथी तिमाही के दौरान अदृश्य मदों में अत्यधिक वृद्धि साफ्टवेयर सेवाओं के निर्यात (29.9 प्रतिशत), यात्रा प्राप्तियों (19.5 प्रतिशत) और निजी अंतरणों (19.1 प्रतिशत) के कारण थी।
- वणिज्यिक वस्तुओं की वृद्धि 2005-06 की चौथी तिमाही में 21.9 प्रतिशत से 2006-07 की चौथी तिमाही में 16.4 प्रतिशत कम हुई। डीजीसीआइ एंड एस आंकड़ों के अनुसार, यह कमी मुख्य रूप से तेल निर्यात वृद्धि (2006-07 की चौथी तिमाही में 7.6 प्रतिशत) में उल्लेखनीय गिरावट के कारण थी।
- 2005-06 की चौथी तिमाही में 10.8 प्रतिशत से तुलना करने पर 2006-07 की चौथी तिमाही में निर्यात में 11.4 प्रतिशत की उच्चतर वृद्धि हुई।
पूंजी खाता और विदेशी मुद्रा भंडार
- निवल पूंजी अंतर्वाह 2005-06 की चौथी तिमाही के 10.0 बिलियन अमरीकी डॉलर से 2006-07 की चौथी तिमाही में 17.1 बिलियन अमरीकी डॉलर बढ़े। पूंजी अंतर्वाह के प्रमुख स्रोत बाह्य वाणिज्यिक उधार, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, अमरीकन निक्षेपागार प्राप्तियां / वैश्विक निक्षेपागार प्राप्तियां, बैंकों के निर्गम और विदेशी उधार क्षेत्र थे।
- पूंजी खाते के अंतर्गत, प्रत्यक्ष निवेश में मजबूत द्विमार्गी गतिविधि देखी गई जो विदेशी कंपनियों द्वारा भारत में उच्च एफडीआई और विदेशी निवेश को दर्शाती है।
- वैश्विक गतिविधियों जैसे बड़े शेयर बाजारों में अस्थिरता और कमजोरी तथा उभरते बाजारों से निधियों के आहरण की पृष्ठभूमि में दिखे बर्हिवाह के कारण पूर्व वर्ष की तदनुरूपी अवधि की तुलना में 2006-07 की चौथी तिमाही में विदेशी संस्थागत निवेशकों के किए गए पोर्टफोलियो इक्विटी अंतर्वाह कम थे।
- भुगतान संतुलन आधार पर विदेशी मुद्रा भंडार (मूल्यन को छोड़कर) में 2006-07 की चौथी तिमाही में 20.5 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि 2005-06 की चौथी तिमाही की 13.2 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि की तुलना में काफी अधिक थी (सारणी-2)—
सारणी 2 : जनवरी-मार्च 2007 में विदेशी मुद्रा भंडार में (भुगतान संतुलन आधार पर) वृद्धि के स्रोत (मिलियन अमरीकी डॉलर) |
मदें |
जनवरी-मार्च 2007्रख्र्. |
जनवरी-मार्च 2006आं.सं. |
1 |
2 |
3 |
क. चालू खाता अधिशेष |
2,563 |
2,756 |
ख. पूँजी खाता* |
17,889 |
10,465 |
जिसमें |
|
|
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश |
2,037 |
1,383 |
पोर्टफोलियो निवेश |
1,846 |
4,333 |
बाह्य वाणिज्यिक उधार |
6,673 |
3,934 |
बैंकिंग पूँजी |
2,265 |
-427 |
अल्पकालिक व्यापार ऋण |
1,620 |
-23 |
ग. विदेशी मुद्रा भंडार में परिवर्तन (- चिहन वृद्धि को दर्शाता है)# |
-20,452 |
-13,221 |
* भूल-चूक सहित #: मूल्यन को छोड़कर भुगतान संतुलन के आधार पर प्रा. : प्राथमिक आं.सं. आंशिक रूप से संशोधित |
2006-07(अप्रैल-मार्च) पूरे वित्तीय वर्ष 2006-07 के भुगतान संतुलन की स्थिति का आकलन 2006-07 की पहली तीन तिमाहियों के आंशिक तौर पर संशोधित आंकड़ों और 2006-07 की चौथी तिमाही के प्रारंभिक आंकड़ों को हिसाब में लेते हुए किया गया है। जबकि विस्तृत आंकड़े प्रस्तुतीकरण के मानक फाम&ज्i्ा;ट में विररण-2 में दिए गए हैं, प्रमुख मदें सारणी 3 में दी गई हैं।
सारणी 3 : भारत का भुगतान संतुलन : 2006-07 (अप्रैल-मार्च) (मिलियन अमरीकी डॉलर) |
मदें |
2006-07 प्रा. |
2005-06 आ.सं. |
1 |
2 |
3 |
निर्यात |
127,090 |
105,152 |
आयात |
191,995 |
156,993 |
व्यापार संतुलन |
-64,905 |
-51,841 |
अदृश्य मदें, निवल |
55,296 |
42,655 |
चालू खाता शेष |
-9,609 |
-9,186 |
पूँजी खाता * |
46,215 |
24,238 |
विदेशी मुद्रा भंडार में घटबढ़ (- चिहन दर्शाता है) # |
-36,606 |
-15,052 |
*: भूल चूक सहित. #: मूल्यन को छोड़कर भुगतान संतुलन पर आधारित प्रा. प्राथमिक आं.सं. : आंशिक रूप से संशोधित |
पण्य व्यापार
- भुगतान संतुलन के आधार पर पण्य निर्यातों में 2006-07 के दौरान 20.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई (पिछले वर्ष में 23.4 प्रतिशत)—
- पण्य आयात भुगतानों ने भुगतान संतुलन आधार पर वृद्धि में 2006-07 में 22.3 प्रतिशत की कमी दिखाई (2005-06 में 32.0 प्रतिशत) पड़ी।
- वाणिज्यिक आसूचना और अंक संकलन महानिदेशालय द्वारा जारी पण्यवार आंकड़ों के अनुसार प्राथमिक वस्तुओं और सामान्य रूप में विनिर्मित उत्पादों के निर्यात वृद्धि में गिरावट आई। प्राथमिक उत्पादों के अंतर्गत चाय और मसाले, विनिर्मित उत्पादों के अंतर्गत अभियांत्रिकी वस्तुं तथा पेट्रोलियम उत्पाद वृद्धि के प्रेरक बने रहे।
- वाणिज्यिक आसूचना और अंक संकलन महानिदेशालय के अनुसार तेल से इतर आयात में 2006-07 में 24.7 प्रतिशत (2005-06 में 21.8 प्रतिशत) की वृद्धि हुई। तेल से इतर आयात में वृद्धि के प्रमुख अंशकर्ता पूंजीगत वस्तुं, धात्विक अयस्क, धातुकबाड़ और स्वर्ण तथा चाँदी थे।
- 2006-07 के दौरान कच्चे तेल के आयात की 30.4 प्रतिशत की (2005-06 में 47.3 प्रतिशत ) वृद्धि में कुछ गिरावट आई।
- कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय भारतीय बास्केट (दुबई और ब्रेंट किस्मों का मिश्रण) का औसत मूल्य 2005-06 के दौरान प्रति बैरल 55.4 अमरीकी डालर से तुलना करने पर 2006-07 के दौरान प्रति बैरल 62.4 अमरीकी डालर था। तेल के मूल्यों में वृद्धि के अलावा, परिमाण में तेल के निर्यात की मांग 2005-06 के 7.8 प्रतिशत से 2006-07 में 13.3 प्रतिशत बढ़ी, जो घरेलू औद्योगिक गतिविधि की उच्च गति को दर्शाता है।
चार्ट 1 : भारत का पीओएल आयात और कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय मूल्य  व्यापार घाटा
- भुगतान संतुलन आधार पर आयात निर्यात से अधिक होने के साथ, व्यापार घाटा 2005-06 में 51.8 बिलियन अमरीकी डॉलर (अथवा जीडीपी का 6.4 प्रतिशत) से 64.9 बिलियन अमरीकी डॉलर (जीडीपी का 7.1 प्रतिशत )बढ़ा (चार्ट-2)—
चार्ट-2 : व्यापार संतुलन में त्रैमासिक उतार-चढ़ाव  अदृश्य प्राप्तियां
- विदेश में रहनेवाले भारतीयों द्वारा भेजे गये विप्रेषणों के स्थिर अंतर्वाह सहित मुख्यत: सॉफ्टवेयर सेवा निर्यात, अन्य प्रोफेशनल तथा कारोबारी सेवाओं एवं यात्रा में वृद्धि के रुख के चलते 2006-07 के दौरान अदृश्य प्राप्तियों जिनमें सेवाएं, चालू अंतरण तथा आय शामिल हैं, में 29.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई (सारणी 4 तथा चार्ट 3)—
सारणी 4 : अदृश्य मदों संबंधी सकल प्राप्तियाँ और भुगतान - अप्रैल-दिसंबर 2006 (मिलियन अमरीकी डॉलर) |
मदें |
अदृष्य प्राप्तियाँ |
अदृश्य भुगतान |
|
2006-07्र. |
2005-06 आं.सं. |
2006-07्रख्र्. |
2005-06 आं.सं. |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
यात्रा |
9,423 |
7,853 |
7,235 |
6,464 |
परिवहन |
8,069 |
6,291 |
8,857 |
7,841 |
बीमा |
1,200 |
1050 |
641 |
1,028 |
सरकारी, अन्यत्र न शामिल किए गए |
273 |
309 |
417 |
506 |
अंतरण |
28,861 |
25,228 |
1,446 |
944 |
आय : |
8,972 |
5,662 |
13,818 |
11,172 |
निवेश आय |
8,574 |
5,486 |
12,856 |
10,407 |
कर्मचारियों को वेतन |
398 |
176 |
962 |
765 |
विविध |
62,365 |
45,901 |
31,453 |
21,684 |
जिसमें से : सॉफ्टवेयर |
31,300 |
23,600 |
2,502 |
1,338 |
कुल |
119,163 |
92,294 |
63,867 |
49,639 |
प्रा. : प्राथमिक आं.सं. : आंशिक रूप से संशोधित |
- निजी अंतरण प्राप्तियां जिनमें मूलत: विदेश में कार्य करने वाले भारतीयों से प्राप्त होनेवाले विप्रेषणों का समावेश रहता है, वर्ष 2005-06 के 24.6 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में वर्ष 2006-07 में 28.2 बिलियन अमरीकी डॉलर पर स्थिर रहीं।
चार्ट -3 : अदृश्य प्राप्तियों के महत्वपूर्ण घटक 
- अदृश्य भुगतानों में बाहर जानेवाले पर्यटकों की संख्या में तेज वृद्धि, कारोबारी तथा प्रबंधन परामर्शी सेवाओं, इंजीनियरी तथा तकनीकी सेवाएं तथा लाभांश और लाभ अदायगियों के चलते 28.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
- सॉफ्टवेयर से इतर विविध प्राप्तियां 2005-06 के 22.3 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2006-07 में 31.1 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गईं (सारणी-5)—
सारणी 5 : सॉफ्टवेयर से इतर विविध प्राप्तियां और भुगतान (मिलियन अमरीकी डॉलर) |
मदें |
प्राप्तियाँ |
भुगतान |
|
2006-07 प्रा. |
2005-06आं.सं. |
2006-07 प्रा. |
2005-06आं.सं. |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
संचार सेवाएं |
2,068 |
2,182 |
719 |
808 |
भवन निर्माण |
397 |
916 |
807 |
853 |
वित्तीय |
3,213 |
1,704 |
1,832 |
1,308 |
समाचार एजेंसी |
438 |
339 |
245 |
306 |
रॉयल्टी, कॉपीराइट एवं लाइसेंस शुल्क |
164 |
129 |
1,164 |
729 |
कारोबारी सेवाएं |
23,459 |
12,858 |
20,200 |
10,496 |
निजी, सांस्कृतिक, मनोरंजन |
251 |
128 |
131 |
97 |
अन्य |
1,075 |
4,045 |
3,853 |
5,749 |
जोड़ |
31,065 |
22,301 |
28,951 |
20,346 |
प्रा. : प्राथमिक आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित |
- कारोबारी सेवाओं संबंधी प्राप्तियां और भुगतान मुख्यत: व्यापार संबंधी सेवाओं, कारोबार और प्रबंधन परामर्श सेवाओं आर्किटेक्चर, इंजीनियरी और अन्य तकनीकी सेवाओं तथा कार्यालयों के संचालन से संबंधित सेवाओं द्वारा संचालित रहे। ये व्यावसायिक और प्रौद्योगिकी से संबद्ध सेवाओं में निहित गति को प्रतिबिंबित करते हैं।
चालू खाता घाटा
- 2006-07 की 4 थी तिमाही में पूर्ण वित्तीय वर्ष 2006-07 के लिए चालू खाता घाटा 9.6 बिलियन अमरीकी डॉलर या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.1 प्रतिशत (2005-06 में 9.2 बिलियन अमरीकी डॉलर या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.1 प्रतिशत) रहा (चार्ट 4)—
चार्ट-4: चालू खाता संतुलन में उतार-चढ़ाव 
पूंजी खाता
- भारत में पूंजी प्रवाह उछाल भरा रहा जो देशी आर्थिक गतिविधि और ब्याज दर वातावरण में जारी गतिशिलता को दर्शाता है। निवल पूंजी प्रवाह 2005-06 के 23.4 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2006-07 में 44.9 बिलियन अमरीकी डॉलर होकर लगभग दुगना हो गया।
- पूंजी प्रवाहों में ऋण और ऋणेतर प्रवाह दोनों हावी रहे। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में प्रबल द्विमार्गी उतार-चढ़ाव और बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी), अनिवासी जमा के माध्यम से भारी अंतर्वाह तथा भारतीय कंपनियों द्वारा जारी किए गए एडीआर/जीडीआर के निर्गम (सारणी 6) इस दौरान की उल्लेखनीय गतिविधियाँ थी।
- पूंजी प्रवाहों के घटकों में बाह्य वाणिज्यिक उधारों के अंतर्वाहों का हिस्सा अकेले ही लगभग 36 प्रतिशत था जिसे एक ओर जहां वैश्विक बाजारों में अनुकूल चलनिधि और ब्याज दरों का समर्थन मिला हुआ था वहीं दूसरी ओर देश में क्षमता विस्तार के लिए बढ़ती वित्तीय आवश्यकताओं ने भी इसे समर्थन दिया।
सारणी 6 : निवल पूंजी प्रवाह : 2006-07 (मिलियन अमरीकी डॉलर) |
मदें |
2006-07 प्रा. |
2005-06आं.सं. |
1 |
2 |
3 |
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश |
8,437 |
4,730 |
पोर्टफोलियो निवेश |
7,062 |
12,494 |
बाह्य सहायता |
1,770 |
1,682 |
बाह्य वाणिज्यिक उधार |
16,084 |
2,723* |
अनिवासी जमाराशियाँ |
3,895 |
2,789 |
अल्पावधि ऋण |
3,275 |
1,708 |
अन्य |
4,421 |
-2,726 |
कुल |
44,944 |
23,400 |
*इसमें 5.5 बिलियन अमरीकी डॉलर के इंडिया मिलेनियम डिपॉज़िट (आइएमडी) के माचन का प्रभाव शामिल है। प्रा.: प्राथमिक आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित |
- भारत में निवल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआइ) में निरंतर घरेलू गतिवधि की सुदृढ़ता और सकारात्मक निवेश वातावरण के कारण तेजी आई। ये विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआइ) मुख्य रूप से वित्तीय सेवाओं, विनिर्माण, बैंकिंग सेवाओं, सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं और निर्माण में लगाए गए।
- वैश्विक विस्तार के प्रति भारतीय कंपनियों की आकांक्षाओं के कारण भारत के बाहृय एफडीआइ में महत्वपूर्ण वृद्धि दिखी जो कुछ बड़े-बड़े विदेशी अधिग्रहणों के रूप में परिलक्षित हुई।
- जहां तक पोर्टफोलियो इक्विटी प्रवाहों की बात है, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) ने अगस्त-नवंबर 2006 के दौरान भारतीय शेयर बाजार में भारी खरीद की गईं जो मई-जुलाई 2006 के दौरान दिखे बर्हिवाहों के समंजन करने से अधिक थीं। तथापि, दिसंबर 2006 के दौरान एशियाई इक्विटी बाजार में अस्थिरता के कारण एफआइआइ में बर्हिवाह दिखे। इसके अलावा, मार्च 2007 में विश्व के शेयर बाजारों में दिखी अस्थिरता और उभरते बाजारों से विदेशी निवेशकों द्वारा पैसा निकाल लेने से मार्च 2007 में भारतीय बाजार से महत्वपूर्ण बहिर्वाह हुआ। इस प्रकार निवल विदेशी संस्थागत निवेशकों के अंतर्वाह पिछले वर्ष की तुलना में कम थे। भारतीय कंपनियों द्वारा एडीआर/जीडीआर प्रस्तावों के माध्यम से जुटाए गए संसाधनों में उछाल रहा।
- अन्य पूंजी जिसमें मुख्यत: निर्यात प्राप्तियों में आगा-पीछा (कस्टम आंकड़ों और बैंकिंग चैनल आंकड़ों के बीच अंतर), बाहर रखी गई निधियां, अन्यत्र शामिल न किए गए अन्य पूंजी खाता लेनदेन की अवशिष्ट मदें जैसे कि क्रास-बार्डर फायनांशियल डेरीवेटिव से उत्पन्न प्रवाह और कमोडिटी हेज़िग लेनदेन, प्रवासी अंतरण और पेटेंट, कापीराइट, ट्रेडमार्क आदि जैसी अमूर्त आस्तियों की बिक्री से होनेवाले प्रवाहों की राशि 2006-07 में 6.4 बिलियन अमरीकी डालर रही।
विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि
- 2006-07 में विदेशी मुद्रा भंडार में भुगतान संतुलन आधार पर (अर्थात् मूल्यन छोड़कर) 36.6 बिलियन अमरीकी डॉलर की निवल वृद्धि हुई थी जिसमें मुख्य भूमिका मजबूत पूंजी अंतर्वाहों की थी (चार्ट-5)— 10.9 बिलियन अमरीकी डॉलर के मूल्यन लाभ को ध्यान में रखते हुए, 2006-07 में विदेशी मुद्रा भंडार में 47.5 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई ( 2005-06 में 10.1 बिलियन अमरीकी डॉलर)— (विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत पर प्रेस विज्ञप्ति अलग से जारी की जा रही है)—
चार्ट 5 : भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि 
- मार्च 2007 के अंत में 199.2 बिलियन अमरीकी डॉलर के बकाया विदेशी मुद्रा भंडार के साथ भारत के पास विदेशी मुद्रा भंडार का उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं के बीच पांचवे स्थान का सबसे बड़ा स्टॉक था और विश्व में उसका छठा स्थान था।
2006-07 की पहली तीन तिमाहियों के भुगतान संतुलन के आंकड़ों में संशोधन 30 सितंबर 2004 को घोषित संशोधन नीति के अनुसरण में 2006-07 की पहली तीन तिमाहियों के भुगतान संतुलन के आंकड़े विभिन्न रिपोर्टिंग संस्थाओं द्वारा सूचित अद्यतन सूचना के आधार पर संशोधित किए गए हैं। ये आंकड़े प्रस्तुतीकरण के मानक फाम&ज्i्ा;ट में विवरण 1 और 2 में प्रस्तुत किए गए है। जी. रघुराज उप महाप्रबंधक प्रेस प्रकाशनी : 2006-2007/1815 |