2007-08 की चौथी तिमाही (अर्थात् जनवरी - मार्च 2008) तथा अप्रैल-मार्च 2007-08 के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधियां - आरबीआई - Reserve Bank of India
2007-08 की चौथी तिमाही (अर्थात् जनवरी - मार्च 2008) तथा अप्रैल-मार्च 2007-08 के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधियां
30 जून 2008
2007-08 की चौथी तिमाही (अर्थात् जनवरी - मार्च 2008) तथा अप्रैल-मार्च 2007-08
के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधियां
वित्तीय वर्ष 2007-08 की चौथी तिमाही अर्थात जनवरी - मार्च 2008 से संबंधित भारत के भुगतान संतुलन के प्रारंभिक आंकड़े अब उपलब्ध हैं। पहली तीन तिमाहियों अर्थात अप्रैल-जून 2007, जुलाई-सितंबर 2007 और अक्तूबर-दिसंबर 2007 के आंशिक रूप से संशोधित आंकड़ों को मिलाकर ये प्रारंभिक आंकड़े वित्तीय वर्ष 2007-08 के लिए भुगतान संतुलन का मूल्यांकन प्रस्तुत करते हैं। इन आंकड़ों का संपूर्ण ब्यौरा विवरण I और II में भुगतान संतुलन प्रस्तुतीकरण के मानक फार्मेट में दिया गया है।
जनवरी-मार्च 2008
ति.1, ति.2 और ति.3 के साथ 2007-08 की चौथी तिमाही के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें सारणी-1 में दी गई हैं।
(मिलियन अमरीकी डॉलर) |
|||||||||
मदें |
जनवरी-मार्च |
अक्तूबर-दिसंबर |
जुलाई-सितंबर |
अप्रैल-जूर |
|||||
|
2008 |
2007 |
2007 |
2006 |
2007 |
2006 |
2007 |
2006 |
|
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
8 |
9 |
|
1. निर्यात |
42,830 |
35,700 |
42,284 |
30,933 |
37,595 |
31,836 |
35,752 |
29,614 |
|
2.आयात |
66,623 |
48,570 |
67,376 |
47,460 |
58,069 |
48,593 |
56,453 |
46,631 |
|
3. व्यापार संतुलन (1-2) |
-23,793 |
-12,870 |
-25,092 |
-16,527 |
-20,474 |
-16,757 |
-20,701 |
-17,017 |
|
4. अदृश्य मदें, निवल |
22,752 |
17,122 |
19,975 |
12,849 |
15,530 |
10,482 |
14,400 |
12,952 |
|
5. चालू खाता शेष (3+4) |
-1,041 |
4,252 |
-5,117 |
-3,678 |
-4,944 |
-6,275 |
-6,301 |
-4,065 |
|
6. पूँजी खाता * |
26,031 |
16,200 |
31,855 |
11,183 |
34,180 |
8,545 |
17,501 |
10,444 |
|
7. प्रारक्षित भंडार में परिवर्तन # |
-24,990 |
-20,452 |
-26,738 |
-7,505 |
-29,236 |
-2,270 |
-11,200 |
-6,379 |
|
(- चिन्ह वृद्धि दर्शाता है ) |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
*: भूल चूक सहित. #: मूल्यन परिवर्तन को छोड़कर. प्रा : प्रारंभिक आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित |
पण्य व्यापार
- भुगतान संतुलन आधार पर, भारत के पण्य निर्यात में 2006-07 की चौथी तिमाही के 16.7 प्रतिशत की तुलना में 2007-08 की चौथी तिमाही में 20.0 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
- भुगतान संतुलन आधार पर आयात भुगतानों में 2006-07 की चौथी तिमाही के 14.7 प्रतिशत की वृद्धि के सामने 2007-08 की चौथी तिमाही में 37.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
- वाणिज्यिक आसूचना और अंक संकलन महानिदेशालय (डीजीसीआइ एंड एस) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 2007-08 की चौथी तिमाही में तेल के आयात में 88.9 प्रतिशत की महत्वपूर्ण वृद्धि हुई (2006-07 की चौथी तिमाही में 5.3 प्रतिशत), तेल से इतर आयातों में 30.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई (2006-07 की चौथी तिमाही में 21.4 प्रतिशत की वृद्धि)। तेल से इतर आयातों में वृद्धि के मुख्य वाहक पूंजीगत माल, कोयला और कोक, रसायन तथा उर्वरक थे।
- अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल के भारतीय समूह (ओमन,दुबई और ब्रेंट की किस्मों का मिश्रण) के बढ़ते तेल मूल्यों का प्रभाव तेल आयातों में हुई तेज वृद्धि में परिलक्षित हुआ। ये मूल्य पिछले वर्ष की संबंधित तिमाही के 56.4 अमरीकी डालर प्रति बैरल से बढ़कर 2007-08 की चौथी तिमाही में 93.9 अमरीकी डालर प्रति बैरल हो गए।
व्यापार घाटा
- भुगतान संतुलन आधार पर व्यापार घाटा मुख्यत: कच्चे तेल के आयातों में उच्च वृद्धि के कारण 2007-08 की चौथी तिमाही में 23.8 बिलियन अमरीकी डालर (2006-07 की चौथी तिमाही में 12.9 बिलियन अमरीकी डालर) हो गया।
अदृश्य मदें
- अदृश्य प्राप्तियों की मदों में 2007-08 की चौथी तिमाही में 26.2 प्रतिशत की वृद्धि दिखाई दी (2006-07 की चौथी तिमाही में 25.6 प्रतिशत की वृद्धि), जबकि भुगतानों में 2007-08 की चौथी तिमाही में 20.0 प्रतिशत (2006-07 की चौथी तिमाही में 52.7 प्रतिशत) की वृद्धि दर्ज की गई।
- 2007-08 की चौथी तिमाही में 22.8 बिलियन अमरीकी डालर के अदृश्य अधिशेषों में स्थिर विस्तार (2006-07 की चौथी तिमाही में 17.1 बिलियन अमरीकी डालर) ने मुख्यत: साफ्टवेयर सेवाओं के निर्यात और पर्यटन प्राप्तियों एवं विदेश में रहनेवाले भारतीयों द्वारा परिवार निर्वाह के लिए भेजे जानेवाले विप्रेषणों में वृद्धि दर्शाई।
चालू खाता
- मुख्यत: कच्चे तेल की आयात में वृद्धि के चलते 2006-07 की चौथी तिमाही के अधिशेष (4.3 बिलियन अमरीकी डालर) के मुकाबले 2007-08 की चौथी तिमाही में चालू खाता शेष घाटे(1 बिलियन अमरीकी डालर) में चला गया।
पूंजी खाता और प्रारक्षित निधियां
- निवल पूंजी अंतर्वाह 2006-07 की चौथी तिमाही के 15.6 बिलियन अमरीकी डालर से काफी बढ़कर 2007-08 की चौथी तिमाही में 25.4 बिलियन अमरीकी डालर हो गए। पूंजी अंतर्वाहों के प्रमुख स्रोत बाह्य वाणिज्यिक उधार (इसीबी), विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआइ), अल्पावधि व्यापार ऋण और बैंकों द्वारा विदेश से लिए गए उधार थे।
- विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआइ) ने जबर्दस्त द्विमार्गी चाल दर्शाई जो उंचे अंतर्वाही विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के साथ-साथ भारतीय कंपनियों द्वारा बाह्य किए गए विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को दर्शाता है।
- प्रमुख शेयर बाजारों में अस्थिरता और कमजोरी तथा उभरते बाजारों से निधियों के आहरण जैसी वैश्विक गतिविधियों की पृष्ठ पर निवेश संविभाग इक्विटी में पिछले वर्ष की तद्नुरूप अवधि के निवल अंतर्वाह की तुलना में 2007-08 की चौथी तिमाही में निवल बहिर्वाह दिखाई दिया।
- भुगतान संतुलन आधार पर 2007-08 की पहली तिमाही में विदेशी मुद्रा आरक्षितों (मूल्यन छोड़कर) में 25.0 बिलियन अमरीकी डालर की वृद्धि 2006-07 की चौथी तिमाही के 20.5 बिलियन अमरीकी डालर की वृद्धि की तुलना में अधिक थी (सारणी 2)।
सारणी 2: जनवरी-मार्च 2008 में आरक्षितों में (भुगतान संतुलन आधार पर) वृद्धि के स्रोत |
|||
(मिलियन अमरीकी डॉलर) |
|||
मदें |
2008 प्रा. |
2007 आं.सं. |
2006 सं. |
1 |
2 |
3 |
4 |
क. चालून खाता शेष राशियाँ |
-1,041 |
4,252 |
4,489 |
ख. पूँजी खाता * |
26,031 |
16,200 |
8,732 |
जिसमें से : |
|
|
|
विदेशी प्रत्यक्ष निवेश |
6,350 |
899 |
-760 |
संविभाग निवेश |
-3,735 |
1,849 |
4,333 |
बाह्य वाणिज्यिक उधार |
4,827 |
6,343 |
3,645 |
बैंकिंग पूँजी |
5,826 |
1,683 |
-427 |
अल्पावधि व्यापार ऋण |
6,302 |
934 |
-15 |
ग. आरक्षित निधियों में परिवर्तन |
-24,990 |
-20,452 |
-13,221 |
*: भूल चूक सहित #: मूल्यन परिवर्तन को छोड़कर, भुगतान संतुलन के आधार पर प्रा: प्रारंभिक |
अंत में, भारत के भुगतान संतुलन की मुख्य बातें जो 2007-08 की चौथी तिमाही में उभरी वे थीं : (i) कच्चे तेल के आयात में वृद्धि के चलते व्यापर घाटे में तेज वृद्धि, (ii) अदृश्य मदों के अधिशेषों के स्थिर कदम जिनमें मुख्यत: विदेश में रहने वाले भारतीयों द्वारा भेजे जानेवाले विप्रेषण और साफ्टवेयर सेवाएं, (iii) चालू खाता शेष की स्थिति 2006-07 की चौथी तिमाही की अधिशेष स्थिति से पलटकर 2007-08 की चौथी तिमाही में घाटे की स्थिति हो जाना तथा (iv) विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, अल्पावधि ऋण और बैंकों द्वारा विदेश से लिए गए उधार से प्रेरित पूंजी प्रवाहों में काफी वृद्धि से आरक्षितों में भारी वृद्धि।
2007-08(अप्रैल -मार्च)
2007-08 की पहली तीन तिमाहियों के आंशिक रूप से संशोधित आंकड़ें और 2007-08 की चौथी तिमाही के लिए संकलित प्रारंभिक आंकड़ें को ध्यान में रखते हुए पूरे वित्तीय वर्ष 2007-08 की भुगतान संतुलन की स्थिति की गणना की गई है। विस्तृत आंकड़े भुगतान संतुलन प्रस्तुतीकरण के मानक फार्मेट में विवरण II में दिए गए हैं, जबकि मुख्य मदें सारणी 3 में दी गई हैं।
(मिलियन अमरीकी डालर) |
||||||
मदें |
2007-08 प्रा. |
2006-07आं.सं. |
2005-06आं.सं. |
|||
1 |
2 |
3 |
4 |
|||
1. निर्यात |
158,461 |
128,083 |
105,152 |
|||
2. आयात |
248,521 |
191,254 |
157,056 |
|||
3. व्यापार शेष (1-2) |
-90,060 |
-63,171 |
-51,904 |
|||
4. अदृश्य मदें, निवल |
72,657 |
53,405 |
42,002 |
|||
5. चालू खाता शेष (3+4) |
-17,403 |
-9,766 |
-9,902 |
|||
6. पूँजी खाता * |
109,567 |
46,372 |
24,954 |
|||
7. प्रारक्षित भंडार में परिवर्तन # |
-92,164 |
-36,606 |
-15,052 |
|||
*: भूल चूक सहित #: मूल्यन परिवर्तन को छोड़कर, भुगतान संतुलन के आधार पर |
माल व्यापार
- भुगतान संतुलन आधार पर, माल निर्यात में 2007-08 के दौरान 23.7 प्रतिशत (पिछले वर्ष 21.8 प्रतिशत)की वृद्धि दर्ज की गई।
- भुगतान संतुलन आधार पर माल के आयात भुगतान में 2007-08 में 29.9 प्रतिशत (2006-07 में 21.8 प्रतिशत) की वृद्धि हुई।
- डीजीसीआइएंडएस द्वारा जारी (अप्रैल-फरवरी 2007-08) वस्तुवार आंकड़े दर्शाते हैं कि प्राथमिक उत्पादों की वृद्धि में तेजी आई जबकि विनिर्मित उत्पादों के निर्यात की वृद्धि में कुछ मंदी दिखाई दी। कृषि और संबद्ध उत्पाद, इंजीनियरिडग माल, रत्न और आभूषण तथा पेटोलियम उत्पाद निर्यात की प्रमुख मदें रहीं क्योंकि इन मदों ने अप्रैल-फरवरी 2007-08 के दौरान निर्यात वृद्धि में लगभग 72 प्रतिशत का योगदान दिया।
- डीजीसीआइएंडएस द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 2007-08 में 76.9 बिलियन अमरीकी डालर के पीओएल आयात ने 34.6 प्रतिशत (2006-07 में 30 प्रतिशत) की वृद्धि दर्ज की जो मुख्यत: कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय मूल्यों में तेज वृद्धि से प्रेरित रही जबकि मात्रात्मक अर्थ में आयातों की वृद्धि मंद रही।अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल के भारतीय समूह (ओमान,दुबई और ब्रेंट की किस्मों का मिश्रण) की औसत आयात कीमतें 2007-08 के दौरान 79.5 अमरीकी डालर प्रति बैरल रहीं (65.5 अमरीकी डालर - 99.8 अमरीकी डालर प्रति बैरल) जो 2006-07 में 62.4 अमरीकी डालर प्रति बैरल के औसत मूल्य (52.4 अमरीकी डालर- 71.3 अमरीकी डालर प्रति बैरल) से 27.3 प्रतिशत अधिक था (चार्ट 1)। 2007-08 के दौरान 11.8 प्रतिशत पर पीओएल आयात की मात्रा में वृद्धि पिछले वर्ष ( 14.5 प्रतिशत) की तुलना में कम थी।
- वाणिज्यिक आसूचना और अंक संकलन महानिदेशालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार यद्यपि 2007-08 (2006-07 में 22.2 प्रतिशत) में तेल से इतर आयात 23.5 प्रतिशत बढ़े जिनमें पूंजीगत माल और स्वर्ण तथा चांदी के आयात अग्रणी थे।
- अप्रैल-फरवरी 2007-08 में स्वर्ण और चांदी का आयात 24.9 प्रतिशत (पिछले वर्ष की इसी अवधि में 29.2 प्रतिशत) बढ़ा। स्वर्ण और चांदी को छोड़कर तेल से इतर आयात एक वर्ष पहले के 22.3 प्रतिशत की तुलना में 32.1 प्रतिशत बढ़े। स्वर्ण और चांदी को छोड़कर तेल से इतर आयातों में पूंजीगत माल का हिस्सा 40 प्रतिशत रहा।
- तेल से इतर अन्य प्रमुख उत्पाद जिनके आयात में अवधि के दौरान तेज वृद्धि हुई खाद्य तेल, उर्वरक, लोहा और इस्पात, मोती और मूल्यवान और कम मूल्यवान रत्न, रसायन, वॉा, कोयला और कोक थे।
व्यापार घाटा
- निर्यात वृद्धि से आयातों के आगे निकल जाने से भुगतान संतुलन के आधार पर व्यापार घाटा बढ़कर 2007-08 में 90.1 बिलियन अमरीकी डालर (जीडीपी का 7.7 प्रतिशत) हो गया जोकि 2006-07 में 63.2 बिलियन अमरीकी डालर (जीडीपी का 6.9 प्रतिशत) था (चार्ट 2)।
अदृश्य मद खाता
प्राप्तियां
- अदृश्य प्राप्तियां, जिनमें सेवाएं, चालू अंतरण और आय शामिल होती है, 2007-08 के दौरान बढ़कर 26.2 प्रतिशत (2006-07 में 28.3 प्रतिशत) हो गईं जिसका मुख्य कारण विदेश स्थित भारतीयों से विप्रेषण के लगातार अंतर्वाह के साथ ही सॉफ्टवेयर सेवा निर्यात, यात्रा, परिवहन वृद्धि की गति बनी रहना था (सारणी 4 और चार्ट 3)।
(मिलियन अमरीकी डॉलर) |
||||||||||
मद
|
अदृश्य मदों की प्राप्तियाँ |
अदृश्य मदों के भुगतान |
||||||||
|
2007-08 प्रा |
2006-07 |
2005-06 |
2007-08 |
2006-07 |
2005-06 |
||||
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
||||
1.यात्रा |
11,349 |
9,123 |
7,853 |
9,231 |
6,685 |
6,638 |
||||
2.परिवहन |
9,503 |
8,050 |
6,325 |
11,610 |
8,068 |
8,337 |
||||
3.बीमा |
1,585 |
1,202 |
1,062 |
1,042 |
642 |
1,116 |
||||
4.सरकारी, अन्यत्र शामिल न किए गए |
331 |
250 |
314 |
382 |
403 |
529 |
||||
5.अंतरण |
43,343 |
29,589 |
25,620 |
2,326 |
1,421 |
933 |
||||
6.आाय |
14,227 |
9,304 |
6,408 |
20,137 |
15,877 |
12,263 |
||||
निवेश आय |
13,799 |
8,908 |
6,229 |
19,038 |
14,926 |
11,491 |
||||
कर्मचारियों को क्षतिपूर्ति |
428 |
396 |
179 |
1,099 |
951 |
772 |
||||
7.विविध |
64,919 |
57,556 |
42,105 |
27,872 |
28,573 |
17,869 |
||||
जिसमें से : सॉफ्टवेअर |
40,300 |
31,300 |
23,600 |
3,249 |
2,267 |
1,338 |
||||
सॉफ्टवेयर से भिन्न |
24,619 |
26,256 |
18,505 |
24,623 |
26,306 |
16,531 |
||||
कुल (1 to 7) |
145,257 |
115,074 |
89,687 |
72,600 |
61,669 |
47,685 |
||||
*: भूल चूक सहित #: मूल्यन परिवर्तन को छोड़कर, भुगतान संतुलन के आधार पर |
- निजी अंतरण प्राप्तियां, जिनमें मुख्यत: विदेश में कार्यरत भारतीयों से प्राप्त विप्रेषण होते हैं, 2006-07 के 29.0 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में 2007-08 में 42.6 बिलियन अमरीकी डॉलर थे।
- सारणी 5 में दिए अनुसार निजी अंतरण मुख्यत: निम्न के रूप में हैं :
(i) विदेश स्थित भारतीय कामगारों द्वारा उनके परिवार के भरणपोषण के लिए भेजे गए अंतर्वाही विप्रेषण,
(ii) अनिवासी भारतीय रुपया जमाराशि से स्थानीय आहरण, यात्री सामान के माध्यम से लाया गया सोना और चांदी, और
(iii) धर्मार्थ/धार्मिक संस्थाओं को निजी उपहार/दान।
(iv) निजी अंतरण के तहत, 2007-08 में परिवार के भरणपोषण संबंधी अंतर्वाही विप्रेषण कुल निजी अंतरण की प्राप्तियों में लगभग 49 प्रतिशत थे जबकि स्थानीय आहरण लगभग 45 प्रतिशत थे (सारणी 5)।
- देशी तौर पर आहरित अनिवासी भारतीय जमाराशि निजी अंतरण का भाग बन जाती है क्योंकि स्थानीय उपयोग के लिए एक बार आहरित करने पर ये एकपक्षीय अंतरण बन जाते हैं और उनमें कोई प्रतिकर अर्थात अनुदान, उपहार और परिवार के भरणपोषण संबंधी विप्रेषणों के माध्यम से स्थलांतरितों के अंतरण, बचतों का प्रत्यावर्तन और स्थलांतरितों की निवासी स्थिति में परिवर्तन से संबंधित वास्तविक संसाधन और वित्तीय अंतरण नहीं होते हैं।
सारणी 5 : भारत को निजी अंतरण का ब्योरा (मिलियन अमरीकी डॉलर ) |
||||
वर्ष |
कुल |
जिसमें से : |
||
|
|
परिवार के भरण पोषण संबंधी अंतर्वाही विप्रेषण |
अनवासी भारतीय |
|
1 |
2 |
3 |
4 |
|
2005-06सं. |
24,951 |
10,455 |
12,454 |
|
2006-07आं.सं. |
28,951 |
13,561 |
13,208 |
|
2007-08 प्रा |
42,589 |
20,950 |
19,019 |
|
प्रा. : प्रारंभिक आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित सं.: संशोधित |
- हाल की अवधि में, अनिवासी जमाराशि के तहत निरंतर अंतर्वाह हुआ है (सारणी 6)।किंतु, उसी समय, बहिर्वाह भी बढ़े हैं। अनिवासी जमाराशियों से बहिर्वाहों का एक बड़ा भाग स्थानीय आहरणों के रूप में होता है। किंतु, ये आहरण वास्तव में प्रत्यावर्तित नहीं किए जाते बल्कि देशी तौर पर उपयोग में लाए जाते हैं। किंतु, अनिवासी जमाराशि से कुल बहिर्वाह में स्थानीय आहरणों का हिस्सा राजकोषीय वर्ष 2005-06 के 83 प्रतिशत और 2006-07 के 85 प्रतिशत से कम होकर 2007-08 में 65 प्रतिशत रह गया।
सारणी 6: अनिवासी भारतीय जमाराशि से अंतर्वाह और बहिर्वाह तथा स्थानीय आहरण |
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|
|
|
(मिलियन अमरीकी डॉलर ) |
वर्ष |
अंतर्वाह |
बहिर्वाह |
स्थानीय आहरण |
1 |
2 |
3 |
4 |
2005-06सं. |
17,835 |
15,046 |
12,454 |
2006-07आं.सं. |
19,914 |
15,593 |
13,208 |
2007-08 प्रा |
29,321 |
29,142 |
19,019 |
प्रा. : प्रारंभिक आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित सं.: संशोधित |
- आरक्षित निधि वृद्धि में उल्लेखनीय बढ़त दर्शाते हुए निवेश आय प्राप्तियां 2006-07 के 43.0 प्रतिशत की तुलना में 2007-08 में 54.9 प्रतिशत बढ़ी।
- विविध प्राप्तियां, सॉफ्टवेयर निर्यात छोड़कर, 2007-08 में 24.6 बिलियन अमरीकी डॉलर थीं (2006-07 में 26.3 बिलियन अमरीकी डॉलर)। इन आंकड़ों का ब्योरा सारणी 7 में दिया गया है।
- 2007-08 में 40.3 बिलियन अमरीकी डॉलर के सॉफ्टवेयर सेवा निर्यात (2006-07 में 31.3 बिलियन अमरीकी डॉलर) ने 28.8 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की (2006-07 में 32.6 प्रतिशत)।
सारणी 7 : सॉफ्टवेअर से भिन्न विविध प्राप्तियों और भुगतानों का ब्यौरा |
||||||||
( मिलियन अमरीकी डॉलर ) |
||||||||
मदें |
प्राप्तियाँ |
भुगतान |
||||||
|
2007-08 |
2006-07 |
2005-06 |
2007-08 |
2006-07 |
2005-06 |
||
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
||
1.संप्रेषण सेवाएं |
2,436 |
2,099 |
1,575 |
837 |
659 |
289 |
||
2.निर्माण |
780 |
332 |
242 |
693 |
737 |
724 |
||
3.वित्तीय |
3,085 |
2,913 |
1,209 |
2,847 |
2,087 |
965 |
||
4.समाचार एजेंसी |
643 |
334 |
185 |
413 |
219 |
130 |
||
5.रॉयल्टी, कॉपी राईट और लाइसेन्स फीस |
157 |
97 |
191 |
1,038 |
1,038 |
594 |
||
6.कारोबारी सेवाएं |
16,624 |
19,266 |
9,307 |
16,668 |
17,093 |
7,748 |
||
7.निजी, सांस्कृतिक, मनोरंजक |
559 |
173 |
189 |
174 |
116 |
84 |
||
8.अन्य |
335 |
1,042 |
5,607 |
1,953 |
4,357 |
5,997 |
||
कुल(1 to 8) |
24,619 |
26,256 |
18,505 |
24,623 |
26,306 |
16,531 |
||
टिप्पणी : कारोबारी सेवाओं का ब्यौरा (मद 6) सारणी 8 में दिया गया है। |
- कारोबार सेवा प्राप्तियां मुख्यत: व्यापार संबंधी सेवाओं, कारोबार और प्रबंधन परामर्शी सेवाओं, वास्तुशाॉााय और अभियांत्रिकी सेवाओं तथा अन्य तकनीकी सेवाओं और कार्यालय रखरखाव सेवाओं से प्रेरित थीं। ये व्यावसायिक और प्रौद्योगिकी से संबंधित सेवाओं के व्यापार में निहित गति दर्शाती है(सारणी 8)।
( मिलियन अमरीकी डॉलर) |
||||||||
मद |
प्राप्तियाँ |
भुगतान |
||||||
|
2007-08 |
2006-07 |
2005-06 |
2007-08 |
2006-07 |
2005-06 |
||
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
||
1. व्यापार संबंधी |
2,223 |
939 |
521 |
2,258 |
1,655 |
1,206 |
||
2. कारोबार और प्रबंधन परामर्श |
4,215 |
7,346 |
2,320 |
3,400 |
5,027 |
1,806 |
||
3. वास्तुशाॉााय, अभियांत्रिकी और अन्य तकनीकी |
3,287 |
6,134 |
3,193 |
3,235 |
3,673 |
1,414 |
||
4. कार्यालयों का रखरखाव |
2,867 |
2,334 |
1,577 |
2,827 |
3,424 |
2,074 |
||
5. अन्य |
4,032 |
2,513 |
1,696 |
4,947 |
3,314 |
1,248 |
||
कुल (1 to 5) |
16,624 |
19,266 |
9,307 |
16,668 |
17,093 |
7,748 |
||
प्रा. : प्रारंभिक आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित सं.: संशोधित |
भुगतान
- अदृश्य मद भुगतान 2007-08 में 17.7 प्रतिशत बढ़े (2006-07 में 29.3 प्रतिशत)।अदृश्य मद भुगतानों के मुख्य घटक यात्रा भुगतान, परिवहन, कारोबार और प्रबंधन परामर्श, अभियांत्रिकी और अन्य तकनीकी सेवाएं, लाभांश, लाभ और ब्याज भुगतान थे। 2007-08 में अदृश्य मद भुगतान वृद्धि कम रहने का मुख्य कारण अनेक कारोबार और व्यावसायिक सेवाओं संबंधी भुगतानों में कमी था।
- 2006-07 की नगण्य वृद्धि की तुलना में 2007-08 में यात्रा भुगतान में 38.1 प्रतिशत की तेज वृद्धि हुई जो बहिर्गामी पर्यटन यातायात की गति और साथ ही व्यक्तियों संबंधी बहिर्वाही विदेशी मुद्रा विप्रेषणों के उदारीकरण का प्रभाव दर्शाती है।
- 2007-08 के दौरान के उच्च परिवहन भुगतानों (43.9 प्रतिशत ) ने मुख्यत:आयात की मात्रा में वृद्धि की गति दर्शाई। इसके अतिरिक्त, उच्च भुगतानों का कारण अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल मूल्यों में वृद्धि के कारण अंतरराष्ट्रीय शिपिंग के भाड़े की दर में वृद्धि है।
- कारोबारी सेवाओं के भुगतानों ने व्यापार संबंधी सेवाएं, कारोबार तथा प्रबंधन परामर्शी सेवाएं, वास्तुशाॉााय, अभियांत्रिकी और अन्य तकनीकी सेवाएं और कार्यालय रखरखाव संबंधी सेवाएं दर्शाईं (सारणी 8)।
- निवेश आय भुगतान में वृद्धि मुख्यत: भारत में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश कंपनियों की पुनर्निवेशित आय और बाह्य वाणिज्यिक उधारों पर ब्याज भुगतान के कारण हुई। (सारणी 9)
सारणी 9: निवेश आय की प्राप्तियों और भुगतानों का ब्योरा (मिलियन अमरीकी डॉलर) |
|||
मद |
2007-08 |
2006-07 |
2005-06 |
1 |
2 |
3 |
4 |
प्रात्याँ |
13,799 |
8,908 |
6,229 |
1.विदेश में भारतीय निवेश पर पुनर्निवेशित आय |
1,084 |
1,076 |
1,092 |
2. विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि पर ब्याज/बट्टा आय |
10,124 |
6,640 |
4,519 |
भुगतान |
19,038 |
14,926 |
11,491 |
1. अनिवासी भारतीय जमाराशि पर ब्याज भुगतान । |
1,813 |
1,971 |
1,497 |
2. ईसीबी पर ब्याज भुगतान । |
4,202 |
1,685 |
3,148 |
3.बाह्य सहायता पर ब्याज भुगतान । |
1,143 |
982 |
825 |
4. लाभांश और लाभ । |
3,255 |
3,485 |
2,502 |
5. भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कंपनियों की पुनर्निवेशित आय । |
6,885 |
5,091 |
2,760 |
प्रा. : प्रारंभिक आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित सं.: संशोधित |
- 2007-08 में अदृश्य मद अधिशेष का 72.7 बिलियन अमरीकी डॉलर तक हुए विस्तार (2006-07 में 53.4 बिलियन अमरीकी डॉलर) ने मुख्यत: विदेश स्थित भारतीयों के निरंतर विप्रेषण अंतर्वाह और सॉफ्टवेयर सेवा निर्यात दर्शाए।
चालू खाते का घाटा
- 2007-08 के दौरान, मुख्यत: आयातों के कारण व्यापार घाटे में हुई वृद्धि के कारण चालू खाते का घाटा बढ़कर 17.4 बिलियन अमरीकी डॉलर या जीडीपी के 1.5 प्रतिशत हो गया (2006-07 में 9.8 बिलियन अमरीकी डॉलर या जीडीपी के 1.1 प्रतिशत) (चार्ट 4)।
पूंजी खाता
- भारत में पूंजी अंतर्वाह और भारत से बहिर्वाह की गति 2007-08 के दौरान पूर्ववत तेज बनी रही जो भारत में पूंजी खाते के उदारीकरण में वृद्धि, निवेशकों का आशावाद और वृद्धि की गति में निरंतरता दर्शाती है। भारत में हुए सकल पूंजी अंतर्वाह 2007-08 के दौरान 320.7 बिलियन अमरीकी डॉलर के बहिर्वाह की तुलना में 428.7 बिलियन अमरीकी डॉलर के थे (सारणी 10)।
- 2007-08 में 108.0 बिलियन अमरीकी डॉलर (जीडीपी के 9.2 प्रतिशत) के निवल पूंजी प्रवाह (बहिर्वाह घटाकर अंतर्वाह) 2006-07 (45.8 बिलियन अमरीकी डॉलर या जीडीपी के 5.0 प्रतिशत) की तुलना में 2.4 गुना थे और 2005-06 के निवल प्रवाह (25.5 बिलियन अमरीकी डॉलर या जीडीपी के 3.1 प्रतिशत) की तुलना में 4.2 गुना थे (सारणी 11)।
(मिलियन अमरीकी डॉलर) |
|||||||||
मद |
सकल अंतर्वाह |
सकल बहिर्वाह |
|||||||
|
2007-08 |
2006-07 |
2005-06 |
2007-08 |
2006-07 |
2005-06 |
|||
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
|||
1. विदेशी प्रत्यक्ष निवेश |
34,924 |
22,959 |
9,178 |
19,379 |
14,480 |
6,144 |
|||
2. संविभाग निवेश |
235,630 |
109,622 |
68,120 |
206,369 |
102,560 |
55,626 |
|||
3. बाह्य सहायता |
4,241 |
3,763 |
3,631 |
2,127 |
1,996 |
1,929 |
|||
4. बाह्य वाणिज्यिक उधार |
29,851 |
20,973 |
14,343 |
7,686 |
4,818 |
11,835* |
|||
5. अनिवासी जमाराशि |
29,321 |
19,914 |
17,835 |
29,142 |
15,593 |
15,046 |
|||
6. अनिवासी जमाराशि छोड़कर बैंकिंग पूँजी |
26,412 |
17,295 |
3,823 |
14,834 |
19,703 |
5,239 |
|||
7. अल्पावधि ब्यापार ऋण |
49,411 |
29,992 |
21,505 |
31,728 |
23,380 |
17,806 |
|||
8. रुपया ऋण सेवा |
0 |
0 |
0 |
121 |
162 |
572 |
|||
9. अन्य पूँजी |
18,950 |
7,724 |
5,941 |
9,323 |
3,771 |
4,709 |
|||
कुल (1 to 9) |
428,740 |
232,242 |
144,376 |
320,709 |
186,463 |
118,906 |
|||
*5.5. बिलियन अमरीकी डॉलर के आईएमडी शोधन के प्रभाव सहित. प्रा. : प्रारंभिक आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित सं.: संशोधित |
- पूंजी प्रवाहों में ऋण और ऋणेतर दोनों प्रवाहों की अधिकता थी । पूंजी प्रवाहों के लगभग सभी घटकों में भारी अंतर्वाह और बहिर्वाह दर्ज हुए थे, वहीं अनिवासी भारतीय जमाराशि के घटक में मात्र निम्न निवल अंतर्वाह दर्ज हुए थे।
(मिलियन अमरीकी डॉलर) |
|||
मद |
2007-08्रख्र्. |
2006-07आं.सं. |
2005-06सं. |
1 |
2 |
3 |
4 |
1. विदेशी प्रत्यक्ष निवेश |
15,545 |
8,479 |
3,034 |
2. संविभाग निवेश |
29,261 |
7,062 |
12,494 |
विदेशी निवेश संस्थाएं |
20,328 |
3,225 |
9,926 |
एडीआर/जीडीआर |
8,769 |
3,776 |
2,552 |
3. बाह्य सहायता |
2,114 |
1,767 |
1,702 |
4. बाह्य वाणिज्यिक उधार |
22,165 |
16,155 |
2,508* |
5. अनिवासी जमाराशि |
179 |
4,321 |
2,789 |
6. अनिवासी जमाराशि छोड़कर बैंकिंग पूँजी |
11,578 |
-2,408 |
-1,416 |
7. अल्पावधि व्यापार ऋण |
17,683 |
6,612 |
3,699 |
8. रुपया ऋण सेवा |
-121 |
-162 |
-572 |
9. अन्य पूँजी |
9,627 |
3,953 |
1,232 |
कुल (1 to 9) |
108,031 |
45,779 |
25,470 |
टिप्पणी: अन्य पूँजी (मद 9) का ब्यौरा सारणी 12 में दिया गया है। |
- विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआइ) में बड़े पैमाने पर ईक्विटी, पुनर्निवेश आय और अंतर-कंपनी ऋण शामिल हैं। 2006-07 के 8.5 बिलियन अमरीकी डालर की तुलना में 2006-07 का निवल एफडीआइ प्रवाह (निवल आवक एफडीआइ से घटाया निवल बर्हिवाह एफडीआइ) 15.5 बिलियन अमरीकी डालर था। अन्तर्वाहों के निर्माण, विनिर्माण, कारोबार और कंप्यूटर सेवाओं में लगने के साथ- साथ, 2006-07 के दौरान 32.3 बिलियन अमरीकी डालर( 2006-07 में 22.0 बिलियन अमरीकी डालर) के निवल आवक एफडीआइ ने सुदृढ़ घरेलू गतिविधि की गतिमान शक्ति और धनात्मक निवेश वातावरण को दर्शाया। 2007-08 के दौरान निवल जावक एफडीआइ 16.8 बिलियन अमरीकी डालर (2006-07 में 13.5 बिलियन अमरीकी डालर) थे, जो बाजार और संसाधनों के अर्थ में भारतीय कंपनियों के वैश्विक विस्तार की गति को दर्शाते हैं।
- जहाँ तक पोर्टफोलियों ईक्विटी प्रवाह का प्रश्न है, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने अगस्त, नवंबर, फरवरी और मार्च को छोड़कर 2007-08 के पूरे वर्ष के दौरान भारतीय शेयर बाजार में निवल खरीद की। 2006-07 के 3.2 बिलियन अमरीकी डालर की तुलना में 2007-08 में 20.3 बिलियन अमरीकी डालर के भारी एफआइआइ अन्तर्वाहों (निवल) ने प्राथमिक बाजार में एफआइआइ की बढ़ी हुई सहभागिता को दर्शाया क्योंकि कंपनियों ने 85 आरंम्भिक सार्वजनिक प्रस्तावों (आइपीओ) और 7 अनुवर्ती सार्वजनिक प्रस्तावों (एफपीओ) के माध्यम से व्यापक संसाधन जुटाए, जिनकी समग्र राशि 135.4 बिलियन अमरीकी डालर थी। तेज शेयर बाजार को दर्शाते हुए, विदेश में एडीआर/जीडीआर के वैश्विक प्रस्तावों के माध्यम से भारतीय कंपनियों द्वारा जुटाए गए संसाधन भी बहुत अधिक बने रहे जिनकी राशि 2007-08 में 8.8 बिलियन अमरीकी डालर (2006-07 में 3.8 बिलियन अमरीकी डालर थी। एडीआर/जीडीआर के माध्यम से विशाल एफआइआइ प्रवाह और संसाधन संग्रहण के परिणाम के रूप में, निवल पोर्टफोलियो निवेश 2006-07 के 7.1 बिलियन अमरीकी डालर की तुलना में 2007-08 में 29.3बिलियन अमरीकी डालर थे।
- 2007-08 के दौरान 22.2 बिलियन अमरीकी डालर (2006-07 के दौरान 16.2 बिलियन अमरीकी की डालर) के उच्चतर निवल बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) ईसीबी पर उचित स्प्रेड और बढ़ती वित्तीय आवश्यकताओं के कारण थे।
- यह उल्लेख किया जा सकता है कि समीक्षा के आधार पर, बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति 7 अगस्त 2007 को निम्नानुसार आशोधित की गई थी।
(क) स्वचालित रूट के अंतर्गत, अनुमति योग्य अंतिम उपयोग के लिए केवल विदेशी मुद्रा व्ययों हेतु प्रति वित्तीय वर्ष प्रत्येक उधारग्राही कंपनी को 500 मिलियन अमरीकी डॉलर तक के बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने की अनुमति दी गई।
(ख) रुपया व्यय के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार को अनुमति योग्य अंतिम उपयोग के लिए केवल 20 मिलियन अमरीकी डालर तक की अनुमति दी गई और इसके लिए रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन लेना होगा।
- पिछले वर्ष के 6.6 बिलियन अमरीकी डालर की तुलना में राजकोषीय वर्ष 2006-07 के दौरान निवल अल्पावधि व्यापार ऋण 17.7 बिलियन अमरीकी डॉलर था (180 दिन तक के आपूर्तिकर्ता क्रेडिट को मिलाकर)— इस प्रचुर वृद्धि ने कच्चे तेल के मूल्यों के अधिक होने के कारण कच्चे तेल के आयात की बढ़ी हुई वित्तीयन की आवश्यकता को दर्शाया। कुल अल्पावधि व्यापार ऋण में से, 2007-08 के दौरान 180 दिन तक के आपूर्तिकर्ता ऋण 6.8 बिलियन अमरीकी डॉलर के रहे (2006-07 में 3.3 बिलियन अमरीकी डॉलर)।
- ऐसी जमाओं पर वर्तमान ब्याज दरों और घरेलू उपयोग के लिए एनआर(इ)आरए से बड़े आहरणों के कारण 2007-08 के दौरान (2006-07 में 4.3 बिलियन अमरीकी डॉलर के बड़े अन्तर्वाह की तुलना में) अनिवासी भारतीय जमाराशियों में मामूली निवल अंतर्वाह रहा (179 मिलियन अमरीकी डालर)।
- अनिवासी भारतीय जमाराशियों को छोड़कर, बैंकिंग पूंजी में 2007-08 के दौरान 11.6 बिलियन अमरीकी डालर (2006-07 में 2.4 बिलियन अमरीकी डालर) के उच्च अंतर्वाह रहे, जो भारतीय बैंकों द्वारा विदेश में रखी गयी अपनी आस्तियों के आहरण और विदेशी उधारों को भी दर्शाता है।
- अन्य पूंजी में निर्यातों में कमीबेशी (लीड्स एण्ड लैग्स), विदेश में रखी गयी निधियां, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के अंतर्गत शेयरों के निर्गम को लंबित रखते हुए प्राप्त अग्रिम और अन्यत्र शामिल न की गई अन्य पूंजी प्राप्तियां (एन.आइ.ई) रहती हैं (सारणी 12)। निर्यातों में ‘कमीबेशी’ चैनल के माध्यम से रिकार्ड किए गए वणिक निर्यात संबंधी आंकड़ों तथा समय और मूल्यन भिन्नताओं के चलते सीमा शुल्क विभाग के माध्यम से रिकार्ड किए गए आंकड़ों के बीच के अंतर को दर्शाती है। ‘विदेश में धारित निधियां’ बाह्य वाणिज्यिक उधारों और एडीआर/जीडीआर के माध्यम से जुटाई गयी निधियां जो बाहर रखी गई हैं और भारत में प्रत्यावर्तित नहीं की गई हैं, को दर्शाती है। ’विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के अतर्गत शेयरों के निर्गम को लंबित रखते हुए प्राप्त अग्रिम’ में सामान्य बैंकिंग चैनल के माध्यम से अंतर्वाही प्रेषणों द्वारा ऐसे शेयरों के लिए रखी गई राशि शामिल है। हालांकि, शेयरों के वास्तविक निर्गमों के लिए अग्रिमों के विप्रेषणों की समस्त राशि का उपयोग नहीं किया जाता है। इस प्रकार, प्राप्त अग्रिम विप्रेषणों और जारी किए गए वास्तविक शेयरों के बीच का अंतर ‘अन्य पूंजी’ के एक भाग के रूप में माना जाता है।
- अन्यत्र शामिल न की गई (एन.आइ.ई) अन्य पूंजी के अंतर्गत वित्तीय डेरिवेटिव और हेजिंग के मार्जिनों, प्रवासी अंतरणों और अन्य पूंजी अंतरणों तथा चूक होने पर वित्तीय गारंटियों की वसूली और जोखिम पूंजी से संबंधित पारदेशीय लेनदेनों का समावेश रहता है। वित्तीय व्युत्पन्नियों और हेजिंग से संबंधित लेनदेन मार्जिनों के भुगतान और ऐसे लेनदेनों के निपटान से संबंधित होते हैं।
(मिलियन अमरीकी डॉलर) |
|||
मद |
2007-08 |
2006-07 |
2005-06 |
1 |
2 |
3 |
4 |
1. निर्यात में कमीबेशी |
1,981 |
773 |
-564 |
2. विदेश में रखी गई निवल निधियाँ |
-4,780 |
496 |
236 |
3. एफडीआइ के अंतर्गत शेयरों के निर्गम को लंबित रखते हुए प्राप्त अग्रिम |
8,700 |
- |
- |
4. अन्यत्र शामिल न की गई (एन.आइ.ई.) अन्य पूँजी |
3,726 |
2,684 |
1,560 |
कुल (1 से 4) |
9,627 |
3,953 |
1,232 |
प्रा. : प्रारंभिक आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित सं.: संशोधित - : कुछ नहीं. |
भंडार में वृद्धि
- 2007-08 के दौरान 92.2 बिलियन अमरीकी डॉलर के भुगतान संतुलन के आधार पर विदेशी मुद्रा भंडार (2006-07 में 36.6 बिलियन अमरीकी डॉलर) में हुई निवल वृद्धि(अर्थात,मूल्यांकन को छोड़कर) मुख्य रूप से सुदृढ़ पूंजी अंतर्वाहों द्वारा संभव हुई (चार्ट 5)। 18.3 बिलियन अमरीकी डॉलर के मूल्यन लाभ (2006-07 में 11.0 बिलियन अमरीकी डॉलर) को हिसाब में लेते हुए, विदेशी मुद्रा भंडार में 2007-08 में 110.5 बिलियन अमरीकी डॉलर (2006-07 में 47.6 बिलियन अमरीकी डॉलर) की वृद्धि हुई। (विदेशी मुद्रा भंडारों के स्रोतों में वृद्धि से संबंधित एक प्रेस विज्ञप्ति अलग से जारी की गयी है)।
- मार्च 2008 के अंत में, 309.7 बिलियन अमरीकी डॉलर के विदेशी मुद्रा भंडार के बकाया होने के कारण, भारत उभरती अर्थव्यवस्थाओं में विदेशी मुद्रा भंडार रखने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश और विश्व में चौथा सबसे बड़ा देश हो गया।
- अंत में, भारत के भुगतान संतुलन के महत्वपूर्ण पहलू जो 2007-08 में उभरे, वे थे : (i) व्यापार घाटे में तेज वृद्धि (2006-07 में 6.9 प्रतिशत से 2007-08 में जीडीपी का 7.7 प्रतिशत) जिसमें मुख्यत: भारी आयात सबसे ज्यादा थे, (ii) अदृश्य अधिशेषों में महत्वपूर्ण वृद्धि जिसमें विदेश स्थित भारतीयों द्वारा भेजे जानेवाले विप्रेषण और साफ्टवेयर सेवाओं का स्थान अग्रणी था, (iii) बढ़ते जा रहे व्यापार घाटे के कारण 2006-07 के 1.1 प्रतिशत की तुलना में 2007-08 में जीडीपी के 1.5 प्रतिशत का उच्च चालू खाता घाटा, (iv) पूंजी प्रवाहों (निवल ) में भारी वृद्धि जो 2006-07 में उसके स्तर की तुलना में 2.4 गुना थी, और जीडीपी का 9.2 प्रतिशत थी (2006-07 में जीडीपी का 5.0 प्रतिशत) (v) भंडार (मूल्यन को छोडकर) में 92.2 बिलियन अमरीकी डॉलर की भारी वृद्धि (2006-07 में 36.6 बिलियन अमरीकी डॉलर ।
2007-08 की पहली तीन तिमाहियों के लिए भुगतान संतुलन के आंकड़ों में संशोधन
30 सितंबर 2004 को घोषित संशोधन नीति के अनुसार 2007-08 की पहली तीन तिमाहियों के आंकड़े विभिन्न इकाइयों द्वारा रिपोर्ट की गई अद्यतन सूचना के आधार पर संशोधित किए गए हैं। विवरण 1 में प्रस्तुत मानक फार्मेट में ये संशोधित आंकड़े दर्शाए गए हैं।
आयात विषयक आंकड़ों का मिलान
2007-08 के दौरान, डीजीसीआइएण्डएस के आयात संबंधी आंकड़ों और भुगतान संतुलन संबंधी वणिक आयातों के आधार पर, इन दो आंकड़ा सेटों के बीच का अंतर 2006-07 के 5.5 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में 12.8 बिलियन अमरीकी डॉलर बैठता है (सारणी 13)।
(मिलियन अमरीकी डॉलर) |
|||
मद |
2007-08 |
2006-07 |
2005-06 |
1 |
2 |
3 |
4 |
1. भुगतान संतुलन आयात |
248,521 |
191,254 |
157,056 |
2. डीजीसीआइएण्डएस आयात |
235,747 |
185,749 |
149,166 |
3. अंतर (1-2) |
12,774 |
5,505 |
7,890 |
प्रा. : प्रारंभिक आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित सं.: संशोधित |
अजीत प्रसाद
प्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2007-2008/1679