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मार्च 2025 के अंत में भारत का बाह्य ऋण

मार्च 2025 के अंत में बाह्य ऋण संबंधी स्थिति तथा पहले की तिमाहियों के संशोधित आंकड़े विवरण I (आईएमएफ फार्मेट1) और II (पुराना फार्मेट) में दिए गए हैं। मार्च 2025 के अंत में भारत के बाह्य ऋण से संबंधित प्रमुख गतिविधियां नीचे प्रस्तुत हैं।

मुख्य बातें

  • मार्च 2025 के अंत में, भारत का बाह्य ऋण 736.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जिसमें मार्च 2024 के अंत में इसके स्तर से 67.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई (सारणी 1)।    
  • सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में बाह्य ऋण का अनुपात मार्च 2024 के अंत में 18.5 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2025 के अंत में 19.1 प्रतिशत हो गया।  
  • भारतीय रुपया और अन्य प्रमुख मुद्राओं की तुलना में अमेरिकी डॉलर की मूल्यवृद्धि के कारण मूल्यन प्रभाव 5.3 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया। मूल्यन प्रभाव को छोड़कर, बाह्य ऋण में मार्च 2024 के अंत में 67.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में मार्च 2025 के अंत में 72.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई।     
  • मार्च 2025 के अंत में, दीर्घावधि ऋण (एक वर्ष से अधिक की मूल परिपक्वता वाली) 601.9 बिलियन अमरीकी डॉलर था, जिसमें मार्च 2024 के अंत में इसके स्तर से 60.6 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई थी।    
  • कुल बाह्य ऋण में अल्पावधि ऋण (एक वर्ष तक की मूल परिपक्वता वाली) की हिस्सेदारी मार्च 2024 के अंत में 19.1 प्रतिशत से घटकर मार्च 2025 के अंत में 18.3 प्रतिशत रह गई। तथापि, विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि की तुलना में अल्पावधि ऋण (मूल परिपक्वता) का अनुपात मार्च 2025 के अंत में बढ़कर 20.1 प्रतिशत (मार्च 2024 के अंत में 19.7 प्रतिशत) हो गया।    
  • अवशिष्ट परिपक्वता के आधार पर अल्पावधि ऋण (अर्थात्, ऋण चुकौती दायित्व, जिसमें मूल परिपक्वता तक दीर्घकालिक ऋण, जो अगले बारह महीनों में देय है, और मूल परिपक्वता तक अल्पावधि ऋण को शामिल किया जाता है) मार्च 2025 के अंत में कुल बाह्य ऋण का 41.2 प्रतिशत (मार्च 2024 के अंत में 43.4 प्रतिशत) और विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि का 45.4 प्रतिशत (मार्च 2024 के अंत में 44.9 प्रतिशत) रहा (तालिका 2)।   
  • अमेरिकी डॉलर मूल्यवर्गित ऋण भारत के बाह्य ऋण का सबसे बड़ा घटक रहा, जिसकी मार्च 2025 के अंत में 54.2 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी, इसके बाद भारतीय रुपया (31.1 प्रतिशत), येन (6.2 प्रतिशत), एसडीआर2 (4.6 प्रतिशत) और यूरो (3.2 प्रतिशत) में ऋण मूल्यवर्ग की हिस्सेदारी रही।
  • एक वर्ष पहले के स्तर की तुलना में मार्च 2025 के अंत में सरकारी और गैर-सरकारी दोनों क्षेत्रों के बकाया ऋण में वृद्धि हुई (तालिका 3)।   
  • कुल बाह्य ऋण में गैर-वित्तीय निगमों के बकाया ऋण का हिस्सा सबसे अधिक 35.5 प्रतिशत था, इसके बाद जमा स्वीकार करने वाले निगम (केंद्रीय बैंक को छोड़कर) (27.5 प्रतिशत), सामान्य सरकार (22.9 प्रतिशत) और अन्य वित्तीय निगम (9.4 प्रतिशत) का हिस्सा रहा।
  • 34.0 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ ऋण, बाह्य ऋण का सबसे बड़ा घटक रहा, इसके बाद मुद्रा और जमाराशियां (22.8 प्रतिशत), व्यापार ऋण और अग्रिम (17.8 प्रतिशत) तथा ऋण प्रतिभूतियों (17.7 प्रतिशत) की हिस्सेदारी रही (तालिका 4)।
  • ऋण चुकौती (अर्थात्, मूल चुकौती और ब्याज भुगतान) में थोड़ी गिरावट आई, जो मार्च 2024 के अंत में चालू प्राप्तियों के 6.7 प्रतिशत की तुलना में घटकर मार्च 2025 के अंत में 6.6 प्रतिशत हो गई (तालिका 5)।

 

(पुनीत पंचोली)  
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2025-2026/614


       

1 आईएमएफ की 2013 के बाह्य ऋण सांख्यिकी (ईडीएस) गाइड में निर्धारित अवधारणाएं, राष्ट्रीय लेखा प्रणाली (एसएनए) 2008 और आईएमएफ के भुगतान संतुलन और अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति मैनुअल (बीपीएम 6) के छठे संस्करण, जो 2009 में प्रकाशित हुई थी, के अनुरूप हैं।

2 एसडीआर: विशेष आहरण अधिकार।

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