भारत की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति: दिसंबर 2013 तिमाही - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारत की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति: दिसंबर 2013 तिमाही
28 मार्च 2014 भारत की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति: दिसंबर 2013 तिमाही अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति, एक सांख्यिकीय विवरण है जो एक कालावधि के अंत तक, किसी अर्थव्यवस्था के (i) निवासियों की वित्तीय आस्तियों का, जो अनिवासियों पर दावे होते हैं, तथा आरक्षित आस्तियों के रूप में धारित स्वर्ण बुलियन का और (ii) निवासियों की अनिवासियों के प्रति वित्तीय देयताओं के मूल्य और संरचना दर्शाती है। एक अर्थव्यवस्था की बाह्य वित्तीय आस्तियों और देयताओं के बीच का अंतर उस अर्थव्यवस्था की शुद्ध अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति होती है। अंतर्राष्ट्रीय लेखों का इस प्रकार का तुलन पत्र विश्लेषण, अर्थव्यवस्था के बाह्य क्षेत्र के टिकने की क्षमताओं और दुर्बलताओं को समझने में मदद करता है। दिसंबर 2013 को समाप्त तिमाही की भारत की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति के मुख्य अंश नीचे प्रस्तुत हैं: अनिवासियों के भारत पर शुद्ध दावे (जो शुद्ध अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति दर्शाती है), पिछली तिमाही से 17.7 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हो कर दिसंबर 2013 अंत तक 317.2 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गए। शुद्ध स्थिति में यह परिवर्तन, भारत में विदेशी-स्वधिकृत आस्तियों के मूल्य में 39.9 बिलियन अमरीकी डॉलर की बढ़ोतरी की तुलना में, भारतीय निवासियों की विदेश में वित्तीय आस्तियों के मूल्य में 22.2 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि दर्शाता है (तालिका 1)। भारतीय निवासियों की विदेश में वित्तीय आस्तियाँ, दिसंबर 2013 के अंत तक, पिछली तिमाही से 22.2 बिलियन अमरीकी डॉलर की बढ़ोतरी से 458.9 बिलियन अमरीकी डॉलर रहीं, जो मुख्यत: आरक्षित आस्तियों में 16.7 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि और विदेश में अन्य निवेश में 5.8 बिलियन अमरीकी डॉलर, मुख्यत: व्यापार ऋण, मुद्रा और जमा राशियाँ, की वृद्धि के कारण था। विदेशों में प्रत्यक्ष निवेश में 0.3 बिलियन अमरीकी डॉलर की मामूली कमी आई। भारत में विदेशी-स्वधिकृत आस्तियों में पिछली तिमाही से 39.9 बिलियन अमरीकी डॉलर की बढ़ोतरी से ये दिसंबर 2013 के अंत तक 776.1 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गईं जो मुख्यत: अन्य निवेश की मुद्रा और जमा राशि संघटक में 23.6 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि के कारण हुआ। भारत में प्रत्यक्ष निवेश और संविभाग निवेश क्रमश: 8.6 बिलियन अमरीकी डॉलर और 5.6 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़ा। संविभाग निवेश में, इक्विटी निवेश की वृद्धि 8.0 बिलियन अमरीकी डॉलर हुई जबकि ऋण निवेश 2.4 बिलियन अमरीकी डॉलर से कम हुआ। अन्य निवेश देयताओं में, व्यापार ऋण में 1.2 बिलियन अमरीकी डॉलर से गिरावट हुई और ऋण 3.2 बिलियन अमरीकी डॉलर बढ़े। रुपया मुल्यवृद्धि के प्रभाव: रुपये के विनिमय दर में अन्य मुद्राओं की तुलना में परिवर्तन ने देयताओं को अमरीकी डॉलर में मूल्यांकन करने पर, उन में बदलाव को प्रभावित किया। रुपया मुल्यवृद्धि के परिणामस्वरूप स्टॉक मूल्यांकन प्रभाव के कारण, अमरीकी डॉलर में, इक्विटी देयताएँ 16.3 बिलियन अमरीकी डॉलर तक बढ़ी जबकि इस अवधि के दौरान 11.5 बिलियन अमरीकी डॉलर का शुद्ध अंतर्वाह हुआ। बाह्य वित्तीय आस्तियों और देयताओं की संरचना: भारत की अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय आस्तियों में दिसंबर 2013 में, आरक्षित आस्तियों का प्रमुख भाग (64.0 प्रतिशत) बना रहा, जिस के बाद विदेश में प्रत्यक्ष निवेश का हिस्सा (26.1 प्रतिशत) रहा, प्रत्यक्ष निवेश (29.2 प्रतिशत), संविभाग निवेश (22.8 प्रतिशत), ऋण [मुख्यत: ईसीबी] (22.1 प्रतिशत), व्यापार ऋण (11.4 प्रतिशत) और मुद्रा और जमा राशियाँ (12.7 प्रतिशत) देश की वित्तीय देयताओं के प्रमुख घटक थे (तालिका 2)। बाह्य ऋण देयताओं की तुलना में बाह्य ऋणेतर देयताएँ: ऋणेतर देयताओं का भाग सितंबर 2013 के अंत में 45.1 प्रतिशत से थोड़ा कम होकर दिसंबर 2013 में 44.8 प्रतिशत हो गया (तालिका 3)।
अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/1913 |