भारत की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति: जून 2013 तिमाही - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारत की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति: जून 2013 तिमाही
30 सितंबर 2013 भारत की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति: जून 2013 तिमाही अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति, एक सांख्यिकीय विवरण है जो एक कालावधि के अंत तक, किसी अर्थव्यवस्था के (i) निवासियों की वित्तीय आस्तियों का, जो अनिवासियों पर दावे होते हैं, तथा आरक्षित आस्तियों के रूप में धारित स्वर्ण बुलियन का और (ii) निवासियों की अनिवासियों के प्रति वित्तीय देयताओं के मूल्य और संरचना बताता है। किसी अर्थव्यवस्था की बाह्य वित्तीय आस्तियों और देयताओं के बीच का अंतर उस अर्थव्यवस्था की शुद्ध अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति होती है। इस प्रकार का अंतर्राष्ट्रीय लेखों का तुलन पत्र विश्लेषण, अर्थव्यवस्था के बाह्य क्षेत्र के टिकने की क्षमताओं और दुर्बलताओं को समझने में मदद करता है। जून 2013 को समाप्त तिमाही की भारत की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति के मुख्य अंश नीचे प्रस्तुत हैं: अनिवासियों के भारत पर शुद्ध दावे (जो शुद्ध अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति दर्शाते हैं), पिछली तिमाही से 12.5 बिलियन अमरीकी डॉलर कम होकर जून 2013 अंत तक 296.9 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गए। शुद्ध स्थिति में 12.5 बिलियन अमरीकी डॉलर का परिवर्तन, भारतीय निवासियों की विदेश में वित्तीय आस्तियों के मूल्य में 13.2 बिलियन अमरीकी डॉलर की क्षति की तुलना में, भारत में विदेशी-स्वाधिकृत आस्तियों के मूल्य में 25.7 बिलियन अमरीकी डॉलर की गिरावट को प्रतिबिंबित करता है (तालिका 1)। भारतीय निवासियों की विदेश में वित्तीय आस्तियाँ, जून 2013 के अंत तक, पिछली तिमाही से 13.2 बिलियन अमरीकी डॉलर की गिरावट से 434.6 बिलियन अमरीकी डॉलर रहीं। आरक्षित आस्तियाँ जून 2013 अंत तक 9.6 बिलियन अमरीकी डॉलर की क्षति से 282.5 बिलियन अमरीकी डॉलर हुईं। विदेश में प्रत्यक्ष निवेश और संविभाग निवेश, पूर्व तिमाही से अधिकतर अपरिवर्तित रहे, और विदेश में अन्य निवेश, ऋण और मुद्रा और जमा राशियों में कमी होने के कारण 3.6 बिलियन अमरीकी डॉलर कम हुआ। भारत में विदेशी-स्वाधिकृत आस्तियों में पिछली तिमाही से 25.7 बिलियन अमरीकी डॉलर की कमी होकर जून 2013 के अंत तक 731.5 बिलियन अमरीकी डॉलर हुईं। भारत में प्रत्यक्ष निवेश और संविभाग निवेश में क्रमश: 13.8 और 13.7 बिलियन अमरीकी डॉलर की कमी हुई। अन्य निवेश देयताओं में, व्यापार ऋण 2.4 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़ा। रुपया अवमूल्यन के प्रभाव: रुपये के अवमूल्यन के परिणामस्वरूप मूल्यांकन के प्रभाव के कारण, इक्विटी देयताओं में अमरीकी डॉलर के संदर्भ में, मार्च 2013 अंत तक 362.6 बिलियन अमरीकी डॉलर से जून 2013 अंत तक 340.7 बिलियन अमरीकी डॉलर पर, 21.9 बिलियन अमरीकी डॉलर की गिरावट हुई यद्यपि भारतीय अर्थव्यवस्था में 11.0 बिलियन अमरीकी डॉलर का सकारात्मक प्रवाह था। बाह्य वित्तीय आस्तियों और देयताओं की रचना: भारत की अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय आस्तियों में जून 2013 में, आरक्षित आस्तियों का प्रमुख भाग (65.0 प्रतिशत) बना रहा, जिसके बाद विदेश में प्रत्यक्ष निवेश का हिस्सा (27.5 प्रतिशत) रहा। प्रत्यक्ष निवेश (30.1 प्रतिशत भाग के साथ), संविभाग निवेश (23.3 प्रतिशत), ऋण [मुख्यत: ईसीबी] (22.8 प्रतिशत) देश की वित्तीय देयताओं के प्रमुख घटक थे। देयताओं का अन्य निवेश घटक अर्थात व्यापार ऋण तथा मुद्रा और जमा राशियों का देश की वित्तीय देयताओं में क्रमश: 12.5 और 9.8 प्रतिशत योगदान रहा (तालिका 2)। बाह्य ऋण देयताओं की तुलना में बाह्य ऋणेतर देयताएँ: ऋणेतर देयताओं का भाग जून 2013 अंत में 46.6 प्रतिशत पर, मार्च 2013 अंत के 47.9 प्रतिशत से कम हुआ (तालिका 3)।
संगीता दास प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/679 |