जून 2010 अंत तक भारत की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति - आरबीआई - Reserve Bank of India
जून 2010 अंत तक भारत की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति
30 सितंबर 2010 जून 2010 अंत तक भारत की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति, एक सांख्यिकीय विवरण है जो एक कालावधि के अंत तक, (अ) किसी अर्थव्यवस्था के निवासियों की वित्तीय आस्तियाँ, जो अनिवासियों पर दावे तथा आरक्षित आस्तियों के रूप में धारित सुवर्ण बुलियन और (ब) निवासियों की अनिवासियों के प्रति वित्तीय देयताओं का मूल्य और संरचना बताती है। एक अर्थव्यवस्था की बाह्य वित्तीय आस्तियों और देयताओं के बीच का अंतर, उस अर्थव्यवस्था की शुद्ध अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति होती है, जो सकारात्मक या नकारात्मक हो सकती है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के विशेष आँकड़ा प्रसार मानक के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति संबंधी आँकड़े, दो तिमाहियों के अंतराल से, जारी करने होते हैं। भारत में अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति, जून 2006 अंत तक से, तिमाही आधार पर, दो तिमाहियों से कम अंतराल से प्रसारित की जा रही थी। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के विशेष आँकड़ा प्रसार मानक के अनुसार, जून 2009 तिमाही से, अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति के आँकड़े एक तिमाही के अन्तराल से प्रकाशित किए जा रहे हैं। मार्च 2010 अंत तक के अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति के नवीनतम आँकड़े भारतीय रिज़र्व बैंक की वेब साइट पर 30 जून 2010 को प्रकाशित किए गये। जून 2010 अंत तक की भारत की त्रैमासिक अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति अब संकलित की गई है और उस की मुख्य बातें नीचे संक्षेप में प्रस्तुत हैं: I. समग्र अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति (क) तिमाही परिवर्तन : • अनिवासियों के भारत पर शुध्द दावे, जो जून 2010 अंत तक की शुद्ध अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति (अंतर्राष्ट्रीय आस्तियाँ - अंतर्राष्ट्रीय देयताएँ) दर्शाती है, मुख्यत:, भारत में, व्यापार ऋण और ऋण के अंतर्वाह के अलावा, प्रत्यक्ष निवेश और संविभाग निवेश के शुध्द अंतर्वाह के बढ़ने के कारण, मार्च 2010 अंत तक के 158.4 बिलियन अमरीकी डॉलर से, 26.7 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर, जून 2010 अंत तक 185.1 बिलियन अमरीकी डॉलर हुए (तालिका I)।
• कुल बाह्य वित्तीय आस्तियाँ, पिछली तिमाही के मुक़ाबले, आरक्षित आस्तियों में गिरावट (3.4 बिलियन अमरीकी डॉलर) के अलावा अन्य निवेश में 4.8 बिलियन अमरीकी डॉलर से कमी के कारण, जून 2010 अंत तक, 5.3 बिलियन अमरीकी डॉलर से घटकर, 373.6 बिलियन अमरीकी डॉलर हुईं। • बाह्य वित्तीय आस्तियों के घटकों में, विदेश में प्रत्यक्ष निवेश, मार्च 2010 अंत तक से, जून 2010 अंत तक 2.8 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 82.1 बिलियन अमरीकी डॉलर पर पहुँचा। • आरक्षित आस्तियाँ यानी सरकारी आरक्षित निधि (विदेशी मुद्रा आस्तियाँ, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष आरक्षित स्थिति, विशेष आहरण अधिकार और सुवर्ण), पिछली तिमाही की तुलना में, जून 2010 अंत तक 3.4 बिलियन अमरीकी डॉलर घटकर, 275.7 बिलियन अमरीकी डॉलर रहीं। • आरक्षित आस्तियाँ जून 2010 अंत में, कुल बाह्य ऋण (273.1 बिलियन अमरीकी डॉलर*) की तुलना में 2.6 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक थीं।
• कुल बाह्य वित्तीय देयताएँ, पिछली तिमाही की तुलना में, जून 2010 अंत तक, 21.4 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृध्दि से, 558.7 बिलियन अमरीकी डॉलर पर पहुँचीं। भारत में प्रत्यक्ष निवेश और संविभाग निवेश पिछली तिमाही की तुलना में, क्रमश: 6.0 बिलियन अमरीकी डॉलर और 4.7 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर, 180.5 बिलियन अमरीकी डॉलर और 138.9 बिलियन अमरीकी डॉलर के स्तर पर पहुँचे। * भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी भारत की बाह्य ऋण सांख्यिकी, जून 2010 में प्रकाशित • अन्य निवेश घटकों में, बकाया व्यापार ऋण और ऋण में, पिछली तिमाही की तुलना में, क्रमश: 5.6 बिलियन अमरीकी डॉलर और 5.2 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हो कर जून 2010 के अंत में 55.2 बिलियन अमरीकी डॉलर और 127.6 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गए। (ख) वार्षिक परिवर्तन: • अनिवासियों के भारत पर शुध्द दावों में, जो जून 2010 अंत तक की शुद्ध अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति दर्शाती है, वर्ष में 98.8 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई। यह मुख्यत:, भारत में संविभाग निवेश और प्रत्यक्ष निवेश के शुध्द अंतर्वाह की वार्षिक वृद्धि को दर्शाते हैं (तालिका I)। • कुल बाह्य वित्तीय आस्तियाँ, जून 2009 अंत तक के मुक़ाबले जून 2010 अंत तक, 16.9 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़ीं। • बाह्य वित्तीय आस्तियों के घटकों में से विदेश में प्रत्यक्ष निवेश में 12.2 बिलियन अमरीकी डॉलर की वार्षिक वृद्धि हुई। आरक्षित आस्तियों में 10.6 बिलियन अमरीकी डॉलर से सुधार हुआ। • आस्तियों में, अन्य निवेश का घटक, मुद्रा और जमा राशियाँ 1.1 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़ा। इस के विपरीत, ऋण में 2.0 बिलियन अमरीकी डॉलर की वार्षिक कमी हुई। • कुल बाह्य वित्तीय देयताएँ, पिछले वर्ष की तुलना में, जून 2010 अंत में 115.7 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 558.7 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुँचीं। • बाह्य वित्तीय देयताओं के घटकों में से, भारत में संविभाग निवेश और प्रत्यक्ष निवेश में, जून 2010 अंत तक, वर्ष में क्रमश: 43.1 बिलियन अमरीकी डॉलर और 38.6 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृध्दि हुई। • भारत में अन्य निवेश 34.1 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक हुआ। इस के घटकों में क्रमश: व्यापार ऋण, ऋण और मुद्रा और जमा राशियों में जून 2010 अंत तक, 14.8 बिलियन अमरीकी डॉलर, 10.9 बिलियन अमरीकी डॉलर और 3.4 बिलियन अमरीकी डॉलर की वार्षिक बढ़ोतरी दर्ज हुई। II. बाह्य वित्तीय आस्तियों और देयताओं की रचना• कुल बाह्य वित्तीय आस्तियों में, आरक्षित आस्तियों का अनुभाग, जून 2010 अंत में, 73.8 प्रतिशत था, जबकि प्रत्यक्ष निवेश और अन्य निवेश, क्रमानुसार 22.0 प्रतिशत और 4.0 प्रतिशत रहे (तालिका II)। • देश की बाह्य वित्तीय देयताओं में 'अन्य निवेश' का अनुभाग, जून 2010 अंत में लगभग 42.8 प्रतिशत रहा तथा ऋण का हिस्सा 22.8 प्रतिशत था। प्रत्यक्ष निवेश और संविभाग निवेश की हिस्सेदारी कुल बाह्य वित्तीय देयताओं में क्रमश: 32.3 प्रतिशत और 24.9 प्रतिशत रही।
III. बाह्य ऋण देयताएँ और बाह्य ऋणेतर देयताएँ • ऋण देयताएँ, कुल बाह्य वित्तीय देयताओं में मार्च 2009 में 55.2 प्रतिशत से मार्च 2010 में 49.0 प्रतिशत तक की कमी से घटने की प्रवृत्ति दर्शाता है जो जून 2010 अंत तक अत्यल्प बढ़ोतरी से 49.1 प्रतिशत हुआ (तालिका III)। तदनुसार ऋणेतर देयताओं का अनुभाग जो मार्च 2010 में बढ़ कर 51.0 प्रतिशत हो गया था, जून 2010 अंत तक 50.9 प्रतिशत रहा।
अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2010-2011/458 |