तिमाही के मध्य में मौद्रिक नीति की समीक्षा : जून 2011 - आरबीआई - Reserve Bank of India
तिमाही के मध्य में मौद्रिक नीति की समीक्षा : जून 2011
16 जून 2011 तिमाही के मध्य में मौद्रिक नीति की समीक्षा : जून 2011 मौद्रिक उपाय वर्तमान समष्टि आर्थिक आकलन के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि :
रिपो दर में उपर्युक्त वृद्धि के परिणाम स्वरूप चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत प्रत्यावर्तनीय रिपो दर स्वत: 6.5 प्रतिशत तक समायोजित मानी जाएगी तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर तत्काल प्रभाव से 8.5 प्रतिशत हो जाएगी। परिचय रिज़र्व बैंक के 3 मई के वार्षिक नीति वक्तव्य के बाद से वैश्विक वातावरण और खराब स्थिति में बदल गया है जबकि घरेलू स्थितियॉं व्यापक रूप से वक्तव्य के अनुमानों के अनुरूप हैं। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि प्रत्याशाएं प्रत्यक्ष रूप में सुधर रही हैं तथापि मुद्रास्फीतिकारी दबाव प्राथमिक रूप से पण्य वस्तुओं की ओर से बढ़ गए हैं। पारंपरिक नीति प्रतिक्रियाओं की क्षमता कई देशों में बढ़ते हुए सरकारी ऋण जोखिमों के मध्य राजकोषीय समेकन के प्रति पहले ही अपनाई गई प्रतिबद्धता के साथ सीमित दिखाई दे रही है। हमारी मौदिक्र नीति परिप्रेक्ष्य में वैश्विक पण्य वस्तु कीमतें अभी भी मुख्य बाह्य जोखिम बनी हुई हैं यद्यपि सुधार के कुछ संकेत दिखाई देने लगे हैं। घरेलू स्तर पर मुद्रास्फीति असहज स्तरों पर बनी हुई है। इसके अतिरिक्त हेडलाइन संख्याएं दबावों का जिक्र कर रही हैं क्योंकि तेल कीमतों को अभी भी वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में प्रतिबिंबित होना है। सुधार के संकेत दिखाई देने के बाद भी वृद्धि के समक्ष कुछ क्षेत्रों में वर्ष 2010-11 की चौथी तिमाही में लाभ वृद्धि और मार्जिन तथा ऋण वृद्धि की गतिविधियों के व्यापक संकेतक एक तीव्र अथवा व्यापक आधार पर गिरावट का प्रस्ताव नहीं करते हैं। आगे जाकर पण्य वस्तु कीमतों में सुधार के संकेतकों और वृद्धि में कुछ ह्रास के संकेत के होते हुए भी घरेलू मुद्रास्फीति जोखिमें उच्चतर बनी हुई हैं। इस पृष्ठभूमि के विपरीत मौद्रिक नीति रूझान यह पहचान करते हुए दृढ़तापूर्णक मुद्रास्फीति-प्रतिरोधक बना हुआ है कि वर्तमान परिस्थितियों में वृद्धि में कुछ अल्पकालिक गिरावट मुद्रास्फीति को नियंत्रण में लाते समय अपरिहार्य हो जाएगी। वैश्विक अर्थव्यवस्था वैश्विक अर्थव्यवस्था वर्ष 2011 की दूसरी तिमाही में कमज़ोर हो गई। अग्रणी संकेतक यह प्रस्तावित करते हैं कि उच्चतर तेल और अन्य पण्य वस्तु कीमतों के प्रभाव के अंतर्गत उन्नत अर्थव्यवस्थाओं और उभरती हुई बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं (इएमई) दोंनों में वृद्धि सुधरी है, जिससे जापानी प्राकृतिक आपदा का भारी प्रभाव और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में मौद्रिक कड़ाई से मुद्रास्फीतिकारी दबावों को रोका जा सका है। यूरो क्षेत्र में सरकारी ऋण समस्या के समाधान के बारे में अनिश्चितता बढ़ गई है। अंतर्राष्ट्रीय पण्य वस्तुओं और तेल कीमतों ने सप्ताहितक आर्थिक ऑंकड़ों और वित्तीय स्थितियों के खोले जाने पर सुधार के संकेत दिए हैं। तथापि वर्ष-दर-वर्ष (वाइ-ओ-वाइ) आधार पर पण्य मूल्य मुद्रास्फीति अभी भी उच्चतर है। परिणामत: नकारात्मक उत्पादन अंतरालों के बावजूद प्रमुख उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में हेडलाईन मुद्रास्फीति बढ़ी है। चूँकि उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति उच्चतर पण्य कीमतों और मज़बूत घरेलू मॉंग दोनों के कारण बढ़ी हुई है। कई उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं ने मुद्रास्फीति को रोकने के लिए वर्ष 2011 की दूसरी तिमाही के दौरान मौद्रिक कड़ाई जारी रखी है। घरेलू अर्थव्यवस्था वृद्धि सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि पिछली तिमाही में 8.3 प्रतिशत और एक वर्ष पूर्व की तदनुरूपी तिमाही में 9.4 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2010-11 की चौथी तिमाही में 7.8 प्रतिशत हो गई है। संपूर्ण वर्ष के लिए वर्ष 2010-11 में सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि 8.5 प्रतिशत थी। जबकि निजी उपभोग मज़बूत था निवेश गतिविधि में वर्ष 2010-11 की चौथी तिमाही में नरमी आयी। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने वर्ष 2004-05 को आधार वर्ष मानते हुए औद्योगिक उत्पादन की नई रृंखलाएं जारी की है। नई श्रृंखलाएं देश में औद्योगिक संरचना के बेहतर प्रसार को दर्शाती हैं। नई श्रृंखलाओं द्वारा प्रदर्शित औद्योगिक उत्पादन में प्रवृत्ति उल्लेखनीय रूप से उस प्रवृत्ति से अलग है जो पुरानी श्रृंखलाओं (आधार वर्ष : 1993-94) द्वारा उल्लिखित की गई थीं। जबकि पुरानी श्रृंखलाएं वर्ष 2010-11 की पहली छमाही में 10.4 प्रतिशत से दूसरी छमाही में 5.5 प्रतिशत तक की तेज़ गिरावट प्रस्तावित करती है, नई श्रृंखलाएं व्यापक रूप से वर्ष की दोनों छमाहियों में 8 प्रतिशत से कुछ अधिक की वृद्धि प्रस्तावित करती हैं। जबकि वर्ष-दर-वर्ष आइआइपी वृद्धि अप्रैल 2011 में सुधरकर 6.3 प्रतिशत हो गई पूँजीगत वस्तु उत्पादन में वृद्धि उछलकर 14.5 प्रतिशत तक हो गई। अप्रैल-मई 2011 के दौरान निर्यात और आयात दोनों में तेज़ वृद्धि हुई तथा व्यापार घाटा व्यापक हो गया। दक्षिण-पश्चिमी मानसून 2011 की प्रगति अब तक संतोषप्रद रही हैं जो कृषि उत्पादन के लिए अच्छा संकेत देती है। समग्रत: यद्यपि कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों उल्लेखनीय रूप से एक ब्याज-संवेदनशील क्षेत्र जैसेकि आटोमोबाईल में गिरावट है, किसी तीव्र अथवा व्यापक आधारित मंदी का कोई प्रमाण नहीं है। वर्ष 2010-11 की चौथी तिमाही में कंपनी आय वृद्धि और लाभ मार्जिन व्यापक रूप से यह प्रस्तावित करते हुए पिछली तीन तिमाहियों के दौरान कार्यनिष्पादन के अनुरूप रहे कि मॉंग में तेज़ी रही और इनपूट लागतों में तेज़ वृद्धि के सामने मूल्यांकन ताकद साथ में जुड़ी रही। ऋण में तेज़ वृद्धि हुई (नीचे देखें) जबकि मई 2011 के लिए संयुक्त क्रय प्रबंधकों का सूचकांक (पीएमआइ) विवेकसम्मत ढंग से अच्छी स्थितियों का प्रस्ताव करता है। मुद्रास्फीति हेडलाइन थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति दर मार्च 2011 में 9.7 प्रतिशत थी। यह अप्रैल 2011 में 8.7 प्रतिशत थी और मई 2011 तक 9.1 प्रतिशत तक बढ़ गई। अप्रैल और मई 2011 की संख्याएं अभी तक अनंतिम हैं और हाल की प्रवृत्ति को देखते हुए इन संख्याओं में संभवत: ऊपर की ओर संशोधन होगा। अत: हेडलाइन थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति दर 3 मई को वार्षिक नीति वक्तव्य में किए गए अनुमानों के अनुरूप उच्च स्तर पर बनी रहेगी। अप्रैल-मई 2011 में थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति के प्रमुख कारक खाद्येतर प्रथमिक वस्तुएं, ईंधन समूह और खाद्येतर विनिर्मित उत्पाद थे। औद्योगिक कामगारों के लिए उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति (सीपीआी-आइडब्ल्यू) मार्च 2011 में 8.8 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल 2011 में 9.4प्रतिशतहोगई। खाद्येतर विनिर्मि उत्पाद मुद्रास्फीति मार्च 2011 में 8.5 प्रतिशत थी। अनंतिम ऑंकड़े यह दर्शाते है कि यह अप्रैल में 6.3 प्रतिशत से बढ़कर मई 2011 में 7.3 प्रतिशत हो गई जो मध्य अवधि की प्रवृत्ति के 4.0 प्रतिशत से काफी अधिक है। खाद्येतर विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति की यह प्रवृत्ति खास चिंता का विषय है। उच्च पण्य मूल्यों को दर्शाने के बावजूद, इसने यह प्रस्तावित भी किया है कि अधिक सामान्यीकृत मुद्रास्फीतिकारी दबाव, पारिश्रमिक में बढ़ोत्तरी तथा सेवा इनपुट की लागतें प्रत्यक्षत: समस्त आपूर्ति श्रृंखला के साथ-साथ उत्पादकों द्वारा लाई जा रही हैं। ऋण परिस्थितियॉं वर्ष-दर-वर्ष खाद्येतर ऋण वद्धि मार्च 2011 में 21.3 प्रतिशत से जून 2011 की शुरूआत में कम होकर 20.6 प्रतिशत हुई किंतु 19 प्रतिशत के सांकेतिक अनुमान के ऊपर बनी रही। वर्ष-दर-वर्ष जमा वृद्धि में मार्च 2011 में 17.0 प्रतिशत से जून 2011 की शुरूआत में 18.2 प्रतिशत की बढोतरी हुई। इसके परिणामस्वरूप वृद्धिगत खाद्येतर ऋण जमा अनुपात मार्च 2011 में 95.3 प्रतिशत से कम होकर जून 2011 की शुरुआत में 80.5 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) हो गया। वर्ष-दर-वर्ष मुद्रा आपूर्ति (एम3) मार्च 2011 में 16.0 प्रतिशत की तुलना में जून 2011 की शुरूआत में 17.3प्रतिशतथी। मौद्रिक अंतरण 3 मई के नीति वक्तव्य के बाद 45 अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा अपने आधार दरों को 25 से 100 आधार अंकों तक बढ़ाने के कारण काफी मज़बूत बना रहा। समग्र रूप से जुलाई 2010 से मई 2011 के दौरान 47 बैंकों ने अपने आधार दरों को 150 से 300 आधार अंकों तक बढ़ाया। ऋण की उच्चतर लागत ऋण वृद्धि को रोक रही है किंतु यह सामान्य रूप से उच्च स्तर पर बनी हुई है और यह प्रस्तावित है कि आर्थिक गतिविधियॉं बढ़ रही है। चलनिधि परिस्थितियॉं चालू वित्तीय वर्ष के दौरान अब तक चलनिधि परिस्थितियॉं मौद्रिक नीति की मुद्रास्फीति विरोधी रूझान के साथ निरंतर बनी हुई है। सरकार का नकदी शेष 2010-11 की चौथी तिमाही के दौरान औसतन₹ 89000 करोड़ रुपये के अधिशेष से घटकर 2011-12 (15 जून 2011 तक) में पहली तिमाही के दौरान ₹ 29000 करोड़ हो गया। इसके परिणामस्वरूप चलनिधि समायोजन सुविधा रिपो के माध्यम से चलनिधि का कुल अर्थव्यवस्था में डाला जाना 2010-11 की चौथी तिमाही के दौरान ₹ 84000 करोड़ की औसत से घटकर 2011-12 (15 जून 2011 तक) में ₹ 41000 करोड़ हो गया। रिज़र्व बैंक द्वारा निवल चलनिधि डाला जाना 15 जून 2011 को ₹ 60000 करोड़ पर उच्चतर था। 3 मई के नीति वक्तव्य में किए गए अनुमान के अनुरूप रिज़र्व बैंक इस तरह से चलनिधि परिस्थितियों को बनाए रखना जारी रखेगा कि न तो मौद्रिक नीति रूझान चलनिधि अधिशेष को कम करेगा और न ही अर्थवस्था के उत्पाक क्षेत्रों को निधि प्रवाह के व्यापक घाटे से रोकेगा। अंत में अंत में 3 मई के वार्षिक मौद्रिक वक्तव्य में दर्शाए गए अनुसार घरेलू वृद्धि दृष्टिकोण अपरिवर्तित बना हुआ है। तथापि, वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ उच्च स्तरीय समेकन को देखते हुए हाल की वैश्विक समष्टि आर्थिक गतिविधियों के कारण घरेलू वृद्धि को कुछ जोखिम हैं। घरेलू मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर बनी हुई है और रिज़र्व बैंक के सुगमता स्तर से काफी अधिक है। खासकर, खाद्येतर विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति अप्रैल 2011 में कुछ सामान्य होने के बाद मई 2011 में बढ़ी। घरेलू ईंधन मूल्य ने अब तक वैश्विक मूल्यों की वर्तमान प्रवृत्ति को नहीं दर्शाया है। हालांकि वैश्विक पण्य मूल्य हाल के सप्ताह में सामान्य हुए, उसे एक जोखिमकारक के रूप में मानना अतिश्योंक्ति होगी। मौद्रिक अंतरण मज़बूत हुआ है। रिज़र्व बैंक की हाल की मौद्रिक नीति कार्रवाईयों का प्रभाव अभी दिखाई देना बाकी है। मुद्रास्फीति पर काबू पाने की चुनौती और मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं को नियंत्रित रखना अभी जारी है। अत: जबकि रिज़र्व बैंक को अपनी मुद्रास्फीतिकारी विरोधी रूझान को बनाए रखने की आवश्यकता है, वर्तमान नीति कार्रवाईयों की सीमा को हाल की वैश्विक गतिविधियों के साथ मुद्रास्फीति में प्रतिकूल गतिविधि तथा घरेलू वृद्धि पथ पर उनके संभावित प्रभाव को संतुलित करने की जरूरत है। संभाव्य परिणाम इस समीक्षा में नीति कार्रवाई से अपेक्षित है कि :
मार्गदर्शन वर्तमान और उभरते हुए विकास तथा मुद्रास्फीति परिदृश्य के आधार पर रिज़र्व बैंक को अपनी मौद्रिक नीति के मुद्रास्फीतिकारी विरोधी रूझान को बनाए रखने की आवश्यकता है। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2010-2011/1824 |