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तिमाही के मध्‍य में मौद्रिक नीति की समीक्षा : जून 2013

17 जून 2013

तिमाही के मध्‍य में मौद्रिक नीति की समीक्षा : जून 2013

मौद्रिक और चलनिधि उपाय

वर्तमान समष्टि आर्थिक स्थिति के आकलन पर यह निर्णय लिया गया है कि :

  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) में कोई परिवर्तन नहीं करते हुए इसे उनकी निवल मांग और मीयादी देयताओं का 4.0 प्रतिशत रखा जाए; और

  • चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत नीति रिपो दर में कोई परिवर्तन नहीं करते हुए इसे 7.25 प्रतिशत रखा जाए।

इसके परिणामस्‍वरूप चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत प्रत्‍यावर्तनीय रिपो दर अपरिवर्तित रहते हुए 6.25 प्रतिशत होगी तथा सीमांत स्‍थायी सुविधा (एमएसएफ) और बैंक दर 8.25 प्रतिशत बनी रहेगी।

2. उपर्युक्‍त मौद्रिक नीति रूझान विकसित वृद्धि - मुद्रास्‍फीति गतिशीलता, जोखिमों के संतुलन के साथ-साथ बाह्य क्षेत्र में हाल की गतिविधियों से प्रकट हुए हैं।

परिचय

3. रिज़र्व बैंक के मई में वार्षिक नीति वक्‍तव्‍य के बाद वैश्विक आर्थिक गतिविधि मंद हुई है और जोखिम अभी हाल में प्रणालीगत केंद्रीय बैंकों की नीतियों पर अनिश्चितता के कारण बढ़े हुए हैं। घरेलू मौर्चे पर मूलभूत सुविधा अवरोधों, आपूर्ति बाध्‍यताओं, फीकी घरेलू मांग और दमित निवेश भावना से बाधित होकर समष्टि आर्थिक स्थितियां कमजोर बनी हुई हैं। जैसाकि अनुमान था मुद्रास्‍फीति में नरमी आयी है। तथापि आगे जाकर रुपए के अवमूल्‍यन के पासथ्रू से बढ़ते हुए दबाव विशेष रूप से खाद्यान्‍न में लागू कीमतों में हाल की बढ़ोतरी और जारी असंतुलन दूसरे दौर के प्रभावों का जोखिम पैदा कर सकते हैं। जैसाकि हाल के अनुभव में दर्शाया है वैश्विक बाज़ार भावना में बदलाव भारत के लिए अपवाद नहीं है कि संभावना के प्रति तेज़ी से जोखिमों को बढ़ाते हुए उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍थाओं वाले व्‍यापक क्षेत्र से पूंजी की वापसी और अचानक रुकावट शुरू कर सकते हैं।

वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था

4. वैश्विक वृद्धि अव्‍यवस्थित और असमान है। उन्‍नत अर्थव्‍यवस्‍थाओं (एई) के बीच वर्ष 2013 की पहली तिमाही के दौरान अमरीका और जापान में वृद्धि सुधरी है जबकि यूरो क्षेत्र में संकुचित हुई है। अधिकांश उभरती हुई और विकसित अर्थव्‍यवस्‍थाओं (ईडीई) में वृद्धि सापेक्षत: अनुकूल रही है यद्यपि कुछ बड़ी उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍थाओं में मंद बाहरी मांग और रूके हुए घरेलू निवेश आर्थिक गतिविधि को नीचे ला रहे हैं। उन्‍नत अर्थव्‍यवस्‍थाओं में कमज़ोर मांग स्थितियों के कारण मुद्रास्‍फीति कम हो रही है। तथापि उभरती हुई और विकसित अर्थव्‍यवस्‍थाएं एक मिला-जूला स्‍वरूप प्रस्‍तुत कर रही हैं:

मुद्रास्‍फीति चीन को छोड़कर बीआरआईसीएस में उच्‍चतर बनी हुई है। कच्‍चे माल की कीमतों के अलावा पण्‍य वस्‍तु कीमतों में हाल के महीनों में सामान्‍यत: नरमी आयी है।

घरेलू अर्थव्‍यवस्‍था

वृद्धि

5. मई में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने वर्ष 2012-13 की चौथी तिमाही में भारत की सकल घरेलू उत्‍पाद वृद्धि 4.8 प्रतिशत रिपोर्ट की है जो पूर्ववर्ती तिमाही की अपेक्षा एक न्‍यूनतम सुधार है। वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान औद्योगिक उत्‍पादन में वृद्धि में पिछले महीने में तेज़ी के बाद अप्रैल में 2.3 प्रतिशत पर गिरावट हुई है। उद्योग की सभी संघटक श्रेणियों में खनन गतिविधि में जारी कमी के साथ मंदी आयी है। पूंजीगत वस्‍तुओं की उत्‍पादन वृद्धि में तेज़ी से कमज़ोरी अभी भी कम निवेश मांग का उल्‍लेख करती है जबकि उपभोक्‍ता गैर-स्‍थायी वस्‍तुओं में तेज़ी उपभोक्‍ता विश्‍वास की छिट-फुट वापसी का संकेत दे सकती है। दूसरी ओर सेवा क्षेत्र क्रय प्रबंधक सूचकांक आदेश प्रवाहों पर मई में बढ़ा है। दक्षिण पश्चिमी मानसून की शुरूआत मज़बूती से और समय पर हुई है।

मुद्रास्‍फीति

6. हेडलाईन थोक मूल्‍य सूचकांक मुद्रास्‍फीति लगातार तीन महीनों तक मई में कम होकर 4.7 प्रतिशत हुई है जो वर्ष 2012-13 के 7.4 प्रतिशत के औसत से नीचे है। खाद्यान्‍न को छोड़कर सभी संघटक श्रेणियों में सुधार हुआ है। ईंधन श्रेणी में कोयला और खनिज तेल की कीमतों में विद्युत की लागू कीमतों में बढ़ोतरी के संशोधन की अंशत: शुरूआत से गिरावट हुई है। गैर-खाद्य विनिर्मित उत्‍पाद मुद्रास्‍फीति भी धातु कीमतों जो वैश्विक कीमतों की नरमी की प्रतिक्रिया में लगातार आठ महीनों तक गिरती रही है, से संचालित होकर घटी है। अभी भी खासकर अनाज़ों और सब्जियों के संबंध में खाद्य मुद्रास्‍फीति समग्र मुप्रास्‍फीति पर बढ़ते हुए दबावों के कारण बढ़ी हुई है। नए संयुक्‍त (ग्रामीण और शहरी) खुदरा मुद्रास्‍फीति उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक द्वारा यथामापित खुदरा मुद्रास्‍फीति औसत पिछले वित्त वर्ष के 10.2 प्रतिशत से कम होकर मई में 9.3 प्रतिशत हो गई है।

चलनिधि स्थितियां

7. चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत निवल औसत दैनिक उधार जनवरी में आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) में कमी, वर्ष 2012-13 की चौथी तिमाही के दौरान खुले बाज़ार परिचालन (ओएमओ) खरीद, रिज़र्व बैंक के पास सरकारों के नकदी शेषों में उल्‍लेखनीय कमी के साथ-साथ अब तक वर्तमान वित्तीय वर्ष में 0.2 ट्रिलियन के दो खुले बाज़ार परिचालनों के माध्‍यम से प्राथमिक चलनिधि को पर्याप्‍त मात्रा में डाले जाने को दर्शाते हुए अब (14 जून तक) मार्च 2013 में 1.2 ट्रिलियन से धीरे-धीरे कम होकर जून 2013 में 0.7 ट्रिलियन हुआ है।

बाह्य क्षेत्र

8.    बाह्य क्षेत्र में अत्‍यंत उल्‍लेखनीय गतिविधि विनिमय दर की गतिविधि रही है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में 14 जून तक अमरीकी डॉलर के विरूद्ध रुपए का 5.8 प्रतिशत तक अवमूल्‍यन हुआ है। 22 मई-11 जून के दौरान इसमें विदेश संस्‍थागत निवेशकों द्वारा बिक्री के कारण अमरीकी फेडरल द्वारा परिमाणात्‍मक सहजता की संभावित कमी की आशंका द्वारा शुरू हुई जोखिम भावना को दर्शाते हुए 6.6 प्रतिशत तक गिरावट हुई है। जबकि व्‍यापार घाटे में त्‍योहार संबंधी/मौसमी स्‍वर्ण आयात में तेज़ उछाल के कारण बढ़ोतरी हुई है, उपलब्‍ध प्रमाण यह प्रस्‍तावित करते हैं कि जून में स्‍वर्ण आयातों में नरमी आने वाली है। पूंजी प्रवाह जो अप्रैल-मई के दौरान बाह्य वित्त सहायता के अपेक्षा को पूरा करते हैं उनमें जून में सुधार हुआ है।

संभावना

9. वैश्विक स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक कोष (आईएमएफ) ने आने वाले महीनों में हल्‍के सुधारों का सामना करते हुए वैश्विक अर्थव्यवस्था के गैर-मामूली जोखिमों की चेतावनी दी है। घरेलू मोर्चे पर पिछले वर्ष रबी के भारी उत्पादन और अब तक मानसून का कार्यनिष्पादन वृद्धि संभावनाओं का अच्‍छा संकेत देता है। अगले तीन महीनों में वर्षा का स्थानिक और सामयिक वितरण कृषि के कार्यनिष्पादन निर्धारण के लिए महत्वपूर्ण होगा। विनिर्माण गतिविधि में लगातार कमजोरी को तत्काल वापस करने की ज़रूरत है। वृद्धि को पुन: प्रोत्‍साहित करने कुंजी निजी निवेश के लिए अनुकूल वातावरण सृजित करते हुए, परियोजना कार्रवाई और कार्यान्वयन में सुधार तथा सार्वजनिक निवेश की बढ़ती हुई भूमिका को लीवरेज देते हुए निवेश में तेजी लाना है।

10. मुद्रास्फीति मोर्चे पर पण्य वस्तुओं कीमतों में वैश्विक स्तर पर कमी तथा घरेलू स्तर पर कंपनियों की कमजोर मूल्यनिर्धारण क्षमता नतमी का प्रभाव डाल रही हैं। यह देखते हुए कि खाद्य मुद्रास्फीति उच्च बनी हुई है, मुद्रास्फीति संभावना पर खाद्य मुद्रास्फीति दृढ़ता को खत्‍म करने के लिए समेकित प्रयासों से प्रभाव पड़ेगा। आगे जाकर मुद्रास्फीति संभावना का निर्धारण न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (एमएसपी) के साथ्-साथ रुपए में हाल के अवमूल्‍यन सहित लागू कनमतों में संशोधनों के माध्‍यम से जारी दबी हुई मुद्रास्फीति से किया जाएगा।

11. नरम वैश्विक पण्य वस्तु कीमतों और स्वर्ण आयात में कमी लाने के लिए हाल के उपायों से वर्ष 2013-14 में चालू खाता घाटा में अपने पिछले वर्ष के स्तर से सुधार होने की आशा की जाती है। मुख्य चुनौती चालू खाता घाटे को धारणीय स्तर तक कम करना है, आने वाली अवधि में चुनौती स्थायी प्रवाहों से इसे वित्तीय सहायता देने की है। वर्ष 2012-13 के लिए केन्द्रीय राजकोषीय घाटे पर हाल गणना सकल घरेलू उत्‍पाद का 4.9 प्रतिशत रही है जो संभावित गणना से बेहतर है तथा वर्ष 2013-14 में राजकोषीय घाटे को 4.8 प्रतिशत पर बनाए रखने में सरकार की प्रतिबद्धता में विश्‍वास को मजबूती प्रदान करती है। इस समेकन की निरंतरता इस संभावना कके जुड़वां जोखिम घाटे को कम करने में सहायता करेगी। अंतर्राष्ट्रीय क्रम-निर्धारण एजेंसियों द्वारा स्वीकार की गई इन सकारात्मक गतिविधियों का निवेशकों के विश्वास पर अनुकूल प्रभाव पड़ेगा।

मार्गदर्शन

12. रिज़र्व बैंक के मौद्रिक नीति रूझान का निर्धारण इसके द्वारा किया जाएगा कि आगामी महीनों में वृद्धि और मुद्रास्फीति पथ और भुगतान संतुलन स्थिति किस प्रकार उभरती है। यह केवल मुद्रास्फीति की स्‍थायी कमी है जो मौद्रिक नीति के लिए वृद्धि जोखिमों का समाधान जारी रखने के लिए अवसर उपलब्ध कराएगा। जबकि चालू खाता घाटे को रोक रखने के लिए अनेक उपाय किए गए हैं, हमें वैश्विक अनिश्चितता, जोखिम अवधारणाओं में तीव्र बदलाव तथा पूंजी प्रवाहों पर इसके प्रभाव के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है। रिज़र्व बैंक किसी भी प्रतिकूल गतिविधि पर तेजी से और समुचित रूप से कार्रवाई करने के लिए सभी उपलब्ध लिखतों और उपायों का उपयोग करने के लिए तैयार है।

अल्‍पना किल्‍लावाला
मुख्‍य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/2109

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