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मौद्रिक नीति पर तकनीकी परामर्शदात्री समिति की 11 अप्रैल 2012 की बैठक का कार्यवृत्‍त

14 मई 2012

मौद्रिक नीति पर तकनीकी परामर्शदात्री समिति की 11 अप्रैल 2012 की बैठक का कार्यवृत्‍त

मौद्रिक नीति पर तकनीकी परामर्शदात्री समिति (टीएसी) की अठ्ठाईसवीं बैठक 17 अप्रैल 2012 को 2012-13 की वार्षिक मौद्रिक नीति की उपलक्ष्‍य में 11 अप्रैल 2012 को आयोजित की गई। बैठक में चर्चा की गई मुख्‍य मदें निम्‍नानुसार हैं:

1. वैश्विक समष्टि रूप से आर्थिक वातावरण पर सदस्‍यों के अभिमत भिन्‍न-भिन्‍न थे। जबकि कुछ सदस्‍यों का मानना था कि वैश्विक समष्टि रूप से आर्थिक स्थिति पिछले कुछ महीनों की तुलना में बेहतर हुई है। कुछ का मानना था कि स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। कई सदस्‍यों का मानना था कि यूरों क्षेत्र में आघात की एक घटना होने का जोखिम में संकट समाप्‍त न होने के बावजूद यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ईसीबी) द्वारा अर्थव्‍यवस्‍था में अत्‍यधिक चलनिधि डालने के कारण उल्‍लेखनीय रूप से कमी आयी।

2. घरेलू समष्टि-आर्थिक गतिविधियों पर चर्चा करते हुए सदस्‍यों का मानना था कि वर्तमान में चल रही समष्टि-आर्थिक स्थितियां चिंता का विषय है। सकल घरेलू उत्‍पाद वृद्धि में कमी आयी है। खासकर, निवेश की क्रियाकलापों में अत्‍यधिक कमी आयी है। अधिकतर सदस्‍यों ने यह संकेत दिया कि मौद्रिक सख्‍ती से भी अधिक मंदी का मुख्‍य कारण आपूर्ति की ओर से बाधाएं, प्रशासनिक विलंब और मूलभूत सुविधा उपलब्‍ध कराने में बाधाएं हैं। वर्ष 2012-13 में वृद्धि की संभावनाएं समग्र निवेश वातावरण को देखते हुए प्रोत्‍साहन योग्‍य नहीं है। अत: अधिकतर सदस्‍यों का मानना है कि प्राधिकारियों को वृद्धि संभावनाओं को प्रभावित करने वाली विभिन्‍न बाधाओं को संबोधित करने के लिए तुरंत उपाया करने की आवश्‍यकता है।

3. सदस्‍यों ने हेडलाईन और खाद्येतर विनिर्मित उत्‍पाद मुद्रास्‍फीति दोनों में अत्‍यधिक कमी को नोट किया। तथापि, उन्‍हें वैश्विक पण्‍य मूल्‍य, उच्‍च राजकोषीय घाटा, दबी हुई मुद्रास्‍फीति और वास्‍तविक ग्रामीण मज़दूरी में तेज़ बढ़ोतरी से मुद्रास्‍फीति को अत्‍यधिक विभिन्‍न जोखिमों की चिंता थी। कुछ सदस्‍यों का यह मानना था कि भारत में मुद्रास्‍फीति न केवल अन्‍य उभरती और विकासशील अर्थव्‍यवस्‍थाओं की तुलना में अधिक है किंतु हमारे स्‍वयं के पूर्व के रिकार्ड के अनुसार भी अधिक है। इसने हमारी निर्यात प्रतिस्‍पर्धात्‍मकता पर भी प्रतिकुल प्रभाव डाला है।

4. समिति के सभी सदस्‍यों ने राजकोषीय परिस्थिति पर चिंता व्‍यक्‍त की। उच्‍च राजकोषीय घाटा और इसके परिणामस्‍वरूप बड़ी मात्रा में बाज़ार उधार कार्यक्रम से ब्‍याज दरों पर दबाव और निजी क्षेत्र ऋण में अधिकता हो सकती है। कई सदस्‍य इस बात से भयभित थे कि 2012-13 में राजकोषीय घाटा में स्लिपेज हो सकता है। उनका मानना था कि बज़ट किए गए स्‍तर पर राजकोषीय घाटे को नियंत्रित रखने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का संकेत देने के लिए प्रशासित मूल्‍यों को बढ़ाने की आवश्‍यकता है।

5. अधिकतर सदस्‍यों का अभिमत था कि बाह्य परिस्थिति पर अत्‍यधिक सतर्कता की आवश्‍यकता है। उच्‍च दोहरा घाटा (चालू खाता और राजकोषीय) तथा लगातार दो वर्षों तक जारी उच्‍च मुद्रास्‍फीति के कारण अर्थव्‍यवस्‍था बाहरी आघातों के लिए असुरक्षित हो गई है। यह देखा गया कि रिज़र्व बैंक को बाह्य स्थिरता को बनाए रखने पर अधिक ज़ोर देना चाहिए। हमारी नीतियां चालू खाता घाटा (सीएडी) जोखिमों का प्रबंधन करने में अधिक कार्यशील होनी चाहिए। इस संदर्भ में कुछ सदस्‍यों का मानना था कि सीएडी का वित्तपोषण करने के लिए अल्‍पावधि और ऋण निर्माण प्रवाहों पर निर्भरता से बचना चाहिए। इसके बजाए सीएडी को बनाए रखने योग्‍य स्‍तर पर लाने के लिए अधिक ज़ोर दिया जाना चाहिए। इन सदस्‍यों का मानना था कि भारत और अन्‍य विश्‍व देशों के बीच उल्‍लेखनीय मुद्रास्‍फीति में अंतर के कारण और कम पूंजी अंतर्वाहों के कारण विनिमय दर का मूल्‍यह्रस की अनुमति दी जानी चाहिए।

6. मौद्रिक नीति और चलनिधि उपायों पर सदस्‍यों के अभिमतों में भिन्‍नता थी। बैठक में उपस्थित छह बाहरी सदस्‍यों में से चार सदस्‍यों ने यह सुझाव दिया कि रिज़र्व बैंक को रूके रहना जारी रखना चाहिए। उनका यह मानना था कि जब तक आपूर्ति बाधाओं को संबोधित नहीं किया जाता है और निवेश क्रियाविधियों को पुर्नज्जिवित करने के लिए संबंधित उपाय नहीं किए जाते हैं नीति दरों में कटौती का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इन चार सदस्‍यों में से एक सदस्‍य ने सुझाव दिया कि आरक्षित नकदी अनुपात (सीआरआर) में 50 आधार अंकों की कटौती की जाए। दूसरे सदस्‍य का यह मानना था कि सीआरआर पहले से ही नीचले स्‍तर पर है और इसका प्रयोग कम किया जाना चाहिए। जबकि अन्‍य दो सदस्‍यों ने सीआरआर को अपरिवर्तित रखने का सुझाव दिया। छह बाहरी सदस्‍यों के अन्‍य दो सदस्‍यों ने सुझाव दिया कि नीति दरों को 25 आधार अंकों से घटाया जाए। उनमें से एक ने यह भी सुझाव दिया कि सीआरआर में 50 आधार अंकों की कटौती की जाए। एक बाहरी सदस्‍य बैठक में उपस्थित नहीं रह पाए थे।

7. इस बैठक की अध्‍यक्षता गवर्नर डॉ. डी.सुब्‍बाराव ने की। बैठक में उपस्थित अन्‍य सदस्‍य थे : डॉ. सुबीर गोकर्ण, उपाध्‍यक्ष, डॉ. के.सी.चक्रवर्ती, श्री आनंद सिन्‍हा, श्री एच.आर.खान और बाहरी सदस्‍य, डॉ. शंकराचार्य, डॉ. राकेश मोहन, प्रो. इंदिरा राजारमण, प्रो. सुदीप्‍तो मंडल, प्रो. इरॉल्‍ड डिसूज़ा और प्रो. असीमा गोयल। साथ ही, श्री दीपक मोहंती, डॉ. जनक राज, श्री प्रदीप मारीया और श्री अमीत्‍व सरदार ने भी इस बैठक में भाग लिया।

8. फरवरी 2011 से रिज़र्व बैंक मौद्रिक नीति बैठकों पर टीएसी की चर्चा के मुख्‍य मदों को बैठक के बाद चार हफ्तों के अंतराल में पब्लिक डोमेन पर जारी कर रहा है।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/1804

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