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मौद्रिक नीति समिति की 3 से 5 दिसंबर 2018 को हुई बैठक के कार्यवृत्त

19 दिसंबर 2018

मौद्रिक नीति समिति की 3 से 5 दिसंबर 2018 को हुई बैठक के कार्यवृत्त
[भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेडएल के अंतर्गत]

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेडबी के अंतर्गत गठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की चौदहवीं बैठक 3 से 5 दिसंबर 2018 को भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई में आयोजित की गई।

2. बैठक में सभी सदस्य – डॉ. चेतन घाटे, प्रोफेसर, भारतीय सांख्यिकी संस्थान; डॉ. पामी दुआ, निदेशक, दिल्ली अर्थशास्त्र स्कूल; और डॉ. रविन्द्र एच. ढोलकिया, पूर्व प्रोफेसर, भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद; डॉ. माइकल देबब्रत पात्र, कार्यपालक निदेशक (भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेडबी(2)(सी) के अंतर्गत केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामित रिज़र्व बैंक का अधिकारी); डॉ. विरल वी. आचार्य, उप-गवर्नर, मौद्रिक नीति प्रभारी उपस्थित हुए और इसकी अध्यक्षता डॉ. उर्जित आर. पटेल, गवर्नर द्वारा की गई।

3. भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेडएल के अनुसार, रिज़र्व बैंक मौद्रिक नीति समिति की प्रत्येक बैठक के चौदहवें दिन इस बैठक की कार्यवाहियों के कार्यवृत्त प्रकाशित करेगा जिसमें निम्नलिखित शामिल होगा:–

  1. मौद्रिक नीति समिति की बैठक में अपनाया गया संकल्प;

  2. उपर्युक्त बैठक में अपनाए गए संकल्प पर मौद्रिक नीति के प्रत्येक सदस्य को प्रदान किया गया वोट; और

  3. उपर्युक्त बैठक में अपनाए गए संकल्प पर धारा 45जेडआइ की उप-धारा (11) के अंतर्गत मौद्रिक नीति समिति के प्रत्येक सदस्य का वक्तव्य।

4. मौद्रिक नीति समिति ने उपभोक्ता विश्वास, परिवार मुद्रास्फीति प्रत्याशा, कॉर्पोरेट क्षेत्र का कार्यनिष्पादन, क्रेडिट स्थिति, औद्योगिक, सेवा और बुनियादी सुविधा क्षेत्रों की संभावना तथा व्यावसायिक पूर्वानुमानकर्ताओं के अनुमानों का आकलन करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा करवाए गए सर्वेक्षणों की समीक्षा की। समिति ने इन संभावनाओं के विभिन्न जोखिमों के ईर्द-गिर्द स्टाफ के समष्टि आर्थिक अनुमानों और वैकल्पिक परिदृश्यों की विस्तृत रूप से समीक्षा की। उपर्युक्त पर और मौद्रिक नीति के रुख पर व्यापक चर्चा करने के बाद एमपीसी ने संकल्प अपनाया जिसे नीचे प्रस्तुत किया गया है।

संकल्प

5. मौद्रिक नीति समिति ने आज की अपनी बैठक में वर्तमान और उभरती समष्टिगत आर्थिक परिस्थिति के आकलन के आधार पर यह निर्णय लिया है कि :

  • चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत नीतिगत रिपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा जाए।

परिणामस्‍वरूप, एलएएफ के तहत प्रतिवर्ती रेपो दर 6.25 प्रतिशत पर और सीमांत स्‍थायी सुविधा (एमएसएफ) दर तथा बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रहेंगे।

एमपीसी का निर्णय मौद्रिक नीति की नपी-तुली (कैलिब्रेटेड) सख्ती के रुझान के अनुरूप है जिसका तारतम्‍य, वृद्धि को सहारा प्रदान करते हुए उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्‍फीति के 4 प्रतिशत के मध्‍यावधिक लक्ष्‍य को +2/-2 प्रतिशत के दायरे में रखने के उद्देश्‍य से भी है। इस निर्णय के समर्थन में प्रमुख विवेचनों का वर्णन नीचे दिए गए विवरण में किया गया है।

आकलन

6. अक्तूबर 2018 में मौद्रिक नीति समिति की पिछली बैठक से, वैश्विक आर्थिक गतिविधि ने बढ़ते व्यापारिक तनावों के चलते कमजोरी के बढ़ते संकेत दर्शाए हैं। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एई) के बीच, अमेरिका में वर्ष 2018 की तीसरी तिमाही में उछाल के बाद चौथी तिमाही में आर्थिक गतिविधि धीमी प्रतीत हुई है। कमजोर व्यापारिक वृद्धि और वाहन उत्सर्जन के नए मानकों के प्रभाव से तीसरी तिमाही में यूरो क्षेत्र की वृद्धि ने गति खो दी। जापानी अर्थव्यवस्था नियंत्रित बाह्य और घरेलू मांग के चलते तीसरी तिमाही में संकुचित हुई।

7. तीसरी तिमाही में प्रमुख उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) में भी आर्थिक वृद्धि में गिरावट आई। चीन में, कमजोर घरेलू मांग के कारण वृद्धि धीमी रही। चालू व्यापारिक तनाव और आवास बाजार की संभावित कूलिंग चीन की वृद्धि के लिए प्रमुख जोखिम है। रूसी अर्थव्यवस्था ने मुख्य रूप से कमजोर कृषि फसल के कारण कुछ संकर्षण खो दिया, हालांकि वृद्धि में ऊर्जा क्षेत्र के मजबूत निष्पादन से सहायता मिली। ब्राजील अर्थव्यवस्था में वर्ष की पहली छमाही के आर्थिक उथल-पुथल से धीरे-धीरे सुधार होना प्रतीत हो रहा है। दक्षिण अफ्रीका की अर्थव्यवस्था में पिछली दो तिमाहियों में संकुचित होने के बाद तीसरी तिमाही में विस्तार हुआ जिसका कारण कृषि और विनिर्माण रहा।

8. कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से गिरावट हुई, जो उच्चतर आपूर्ति और भौगोलिक-राजनीतिक तनाव में सहजता दर्शाती है। प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से कमजोर मांग के कारण बिक्री दबावों के चलते आधार धातु की कीमतों में गिरावट जारी रही। स्वर्ण की कीमत बढ़ गई जिसमें कुछ भौगोलिक क्षेत्रों में राजनीतिक अनिश्चितता द्वारा प्रेरित सुरक्षित आश्रय मांग द्वारा समर्थन मिला, हालांकि मजबूत डॉलर इस वृद्धि को बढ़ा सकता है। अमेरिका और यूरो क्षेत्र में मुद्रास्फीति परिदृश्य व्यापक रूप से अपरिवर्तित रहा है। तथापि, कई महत्वपूर्ण उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति बढ़ी है, हालांकि ऊर्जा की कीमतों में हाल की कमी, केंद्रीय बैंकों द्वारा नीति रूझानों में सख्ती और मुद्राओं के स्थिरीकरण से आगे उपयोग प्रभाव पड़ सकता है।

9. वैश्विक वित्तीय बाजार मुख्य रूप से अमेरिका में बढ़ती नीतिगत दरों, कच्चे तेल की अस्थिर कीमतों और पूर्ववर्ती अनुमानों की तुलना में मंदी की संभावनाओं से संचालित रहे हैं। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में, अमेरिका में इक्विटी बाजारों ने बढ़ती उधार लागतों द्वारा उत्पन्न कॉर्पोरेट अर्जन के लिए कमजोर होती संभावना के कारण बिक्री (सेल ऑफ) देखा, जबकि यूरोपीय स्टॉक बाजारों में राजनीतिक अनिश्चितता के कारण गिरावट आई। जापानी स्टॉक बाजार ने भी वैश्विक संकेतों और येन के धीरे-धीरे सुदृढ़ीकरण के कारण लाभ खो दिया। ईएम स्टॉक बाजारों ने सिकुड़ती वैश्विक चलनिधि, कुछ महत्वपूर्ण ईएमईज में कमजोर आर्थिक आंकड़ों और लंबे समय से बनी हुई व्यापारिक तनावों के कारण मंदी आई है। अमेरिका में 10 वर्षीय प्रतिफल जो अक्तूबर की शुरुआत में मजबूत आर्थिक आंकड़ों के कारण बढ़ गया था, उसमें बाद में अपरिवर्तित फेड रूझान के कारण नरमी आ गई। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में यूरो क्षेत्र और जापान में बॉन्ड प्रतिफलों में कमजोर भावना और विशिष्ट प्रकार के कारकों के कारण कमी आई। अधिकांश ईएमईज में, कच्चे तेल की कम होती कीमतों और स्थिर होती मुद्राओं के कारण हाल के सप्ताहों में बान्ड प्रतिफलों में नरमी आई है। मुद्रा बाजारों में, अमेरिकी डॉलर जो साथी मुद्राओं के साथ इसके व्यापक होते वृद्धि अंतर के कारण मजबूत हो रहा था, नवंबर के दूसरे पखवाड़े में सहज हो गया। ब्रेग्जिट और इटली में बज़ट चिंता के चलते यूरो कमजोर हो गया, जबकि येन की सुरक्षित आश्रय खरीद के कारण नवंबर में मूल्यवृद्धि हुई। ईएमई मुद्राओं का मूल्यवृद्धि पूर्वाग्रह के साथ कारोबार हो रहा है, जिसमें कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरावट और पारंपरिक घरेलू मौद्रिक नीति रुख द्वारा सहायता मिली।

10. घरेलू मोर्च पर, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि लगातार चार तिमाहियों की अभिवृद्धि के बाद वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में घटकर वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 7.1 प्रतिशत हो गई जो निजी उपभोग में कमी और निवल निर्यात में बड़े कर्षण के कारण कम हुई। निजी उपभोग कम हो गया, ऐसा संभवतः ग्रामीण मांग में कमी, खरीफ उत्पादन में मंद वृद्धि, कृषि पण्य-वस्तुओं की दमित कीमतों और ग्रामीण मजदूरी में धीमी वृद्धि के कारण हुआ। तथापि, सरकार के अंतिम उपभोग व्यय (जीएफसीई) में वृद्धि मजबूत हुई जिसमें केंद्रीय सरकार द्वारा उच्चतर खर्च से उछाल आया। सकल स्थायी पूंजी निर्माण (जीएफसीएफ) बढ़कर लगातार तीसरी तिमाही में दोहरे अंक में हो गया, ऐसा मुख्य रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के राष्ट्रीय राजमार्गों और ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर में जोर के कारण हुआ जो सीमेंट उत्पादन और इस्पात उपभोग में भी दिखाई दिया। आयात की वृद्धि निर्यात की वृद्धि की अपेक्षा तेज गति से हुई, जिसके परिणामस्वरूप निवल निर्यात से समग्र मांग कम हो गई।

11. आपूर्ति पक्ष पर, संवृद्धित सकल मूल्य (जीवीए) की मूल कीमत पर वृद्धि दूसरी तिमाही में घटकर 6.9 प्रतिशत हो गई जो कृषि और औद्योगिक गतिविधियों में कम दर्शाती है। कृषि जीवीए में मंदी मुख्य रूप से खरीफ उत्पादन में उदास वृद्धि का परिणाम है। उद्योग के अंदर, विनिर्माण फर्मों की कम लाभप्रदता के कारण विनिर्माण की वृद्धि में गिरावट आई, जो मुख्यतः इनपुट लागतों में वृद्धि के कारण कम हो गई, जबकि खनन और उत्खनन में वृद्धि नकारात्मक हुई जिसका कारण कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन में संकुचन रहा। विद्युत, गैस, जलापूर्ति और अन्य उपयोगी सेवाओं में मजबूती आई। सेवा क्षेत्र की वृद्धि पिछली तिमाही के स्तर पर अपरिवर्तित रही। इसके संघटकों में, निर्माण गतिविधि की वृद्धि क्रमिक रूप से कम हुई, किंतु यह वर्ष-दर-वर्ष आधार पर काफी उच्चतर रही। सार्वजनिक प्रशासन और रक्षा सेवाओं की वृद्धि में तेजी आई।

12. दूसरी तिमाही के परे दृष्टि डालते हुए, अब तक रबि की बुआई (नवंबर के अंत तक) पिछले वर्ष की इस अवधि की तुलना में 8.3 प्रतिशत कम रही जिसका कारण मुख्य रूप से मिट्टी का आर्द्रता स्तर रहा जो कम मानसून और राज्यों में विलंबित खरीफ फसल के परिणामस्वरूप हुआ। 28 नवंबर को उत्तर-पूर्वी मानसून के दौरान वर्षा दीर्घावधि औसत से 49 प्रतिशत कम थी। प्रमुख जलाश्यों में जल भंडारण जो रबि मौसम के दौरान सिंचाई का मुख्य स्रोत है, 29 नवंबर को पूर्ण जलाश्य स्तर का 61 प्रतिशत था।

13. औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में वृद्धि घटकर सितंबर 2018 में 4.5 प्रतिशत हो गई। रिज़र्व बैंक के आदेश बही, इन्वेंटरी और क्षमता उपयोग सर्वेक्षण (ओबीआईसीयूएस) द्वारा मापित क्षमता उपयोग (सीयू) पहली तिमाही के 73.8 प्रतिशत से बढ़कर दूसरी तिमाही में 76.1 प्रतिशत हो गया जो 74.9 प्रतिशत के दीर्घावधि औसत से उच्चतर था, मौसमी रूप से समायोजित क्षमता उपयोग भी बढ़कर 76.4 प्रतिशत हो गया। उपलब्ध उच्च बारंबारता संकेतक दर्शाते हैं कि तीसरी तिमाही में औद्योगिक गतिविधि में सुधार हो रहा है। कोयला, सीमेंट और विद्युत में दोहरे अंक की वृद्धि के कारण अक्तूबर में कोर उद्योगों की वृद्धि में सुधार हुआ। विनिर्माण के लिए परचेजिंग मैनेजर्स सूचकांक (पीएमआई) ने नवंबर में 54.0 की ग्यारह माह की उच्च वृद्धि को छुआ, जिसमें आउटपुट और घरेलू तथा निर्यात आदेशों से मदद मिली। रिज़र्व बैंक के औद्योगिक संभावना सर्वेक्षण (आईओएस) के आकलन के अनुसार, उत्पादन और निर्यात के बारे में संधारित आशावाद के साथ तीसरी तिमाही में समग्र कारोबारी भावना स्थिर रही।

14. सेवा क्षेत्र की गतिविधि के उच्च बारंबारता संकेतकों ने सितंबर-अक्तूबर में मिश्रित तस्वीर प्रस्तुत की। ट्रैक्टरों की बिक्री जो ग्रामीण मांग का संकेत है, सितंबर माह में नकारात्मक हो गई। ग्रामीण मांग के दूसरे संकेतक दो पहियां वाहनों की बिक्री में वृद्धि अनिवार्य दीर्घावधि थर्ड-पार्टी बीमा अपेक्षाओं में बदलावों और ईंधन की कीमतों में तेज वृद्धि के साथ लगातार तीन महीनों की नकारात्मक वृद्धि के बाद अक्तूबर में थोड़ी सकारात्मक हुई। वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री वृद्धि कुछ कमी के बावजूद सितंबर-अक्तूबर में मजबूत रही। रेलवे मालभाड़ा में अक्तूबर में उल्लेखनीय सुधार हुआ जिसने पांच वर्ष की उच्च वृद्धि को छुआ। जबकि घरेलू वायु यात्री ट्रैफिक में मजबूत वृद्धि बनी रही, अंतरराष्ट्रीय यात्री ट्रैफिक में संकुचन आया। सेवाओं के लिए पीएमआई ने नए कारोबार के कारण नवंबर में तेज वृद्धि दर्ज की। संयुक्त पीएमआई आउटपुट सूचकांक ने नवंबर में 54.5 के दो वर्ष के उच्च स्तर को छुआ।

15. सीपीआई में वर्ष-दर-वर्ष बदलाव द्वारा मापित खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर के 3.7 प्रतिशत से घटकर अक्तूबर में 3.3 प्रतिशत हो गई। खाद्य कीमतों में बड़ी गिरावट से खाद्य समूह में अवस्फीति आ गई और खाद्य और ईंधन को छोड़कर सभी मदों की मुद्रास्फीति में हुई वृद्धि बराबर हो गई। केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिए आवास किराया भत्ते (एचआरए) में वृद्धि के अनुमानित प्रभाव को समायोजित करने के लिए हेडलाइन मुद्रास्फीति अक्तूबर में 3.1 प्रतिशत थी।

16. खाद्य और पेय पदार्थ समूह के अंदर, सब्जियों, दलहन और चीनी में अवस्फीति अक्तूबर में अधिक बढ़ गई। अन्य मदों में, खाद्य मदों, विशेषकर मोटे अनाज, दूध, फल और तैयार भोजन में व्यापक आधारित नरमी आई। दूध और दूध से बने उत्पादों की मुद्रास्फीति में नरमी आई, जिसका कारण घरेलू बाजार में अधिशेष आपूर्ति थी। फल मुद्रास्फीति में नरमी आई, जबकि तैयार भोजन में सीपीआई श्रृंखला में पहली बार मूल्य गिरावट दर्ज की गई। तथापि, मुद्रास्फीति माँस और मछली और गैर-अल्कोहोलिक पेय पदार्थों में वृद्धि दर्शाई।

17. ईंधन तथा प्रकाश (लाइट) समूह में मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर बनी रही जिसका कारण अक्तूबर में तरल पेट्रोलियम गैस की कीमतें रहीं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय पेट्रोलियम उत्पाद कीमतों का अनुसरण किया। केरोसिन की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई, जिन्होंने अपनी प्रशासित कीमत में नपी-तुली (कैलिब्रेटेड) वृद्धि दर्शाई। तथापि विद्युत कीमतों में अक्तूबर में नरमी आई। जलाने वाली लकड़ी और चिप्स तथा उपलों जैसी ग्रामीण ईंधन मदों में मुद्रास्फीति में भी कमी आई।

18. खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई मुद्रास्फीति अक्तूबर में बढ़कर 6.1 प्रतिशत हो गई, इसे अनुमानित एचआरए प्रभाव से समायोजित किया गया, यह 5.9 प्रतिशत थी। परिवहन और संचार ने उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की जो उच्चतर पेट्रोलियम उत्पाद कीमतों, यातायात किराये और ऑटोमोबाइल की कीमतों से बढ़ गई। स्वास्थ्य, घरेलू वस्तुओं और सेवाओं तथा व्यक्तिगत देखभाल और इससे संबंधित उपस्करों में भी व्यापक आधारित वृद्धि देखी गई। तथापि, कपड़ों और जुते-चप्पलों तथा केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के एचआरए प्रभाव के कम होने से आवास में उल्लेखनीय रूप से नरमी आई।.

19. परिवारों की मुद्रास्फीति प्रत्याशाएं जिन्हें रिज़र्व बैंक के नवंबर 2018 सर्वेक्षण द्वारा मापा गया, पिछले दौर की तुलना में तीन महीने आगे की अवधि के लिए 40 आधार अंकों तक कम हुई जो खाद्य और पेट्रोलियम उत्पाद कीमतों में गिरावट दर्शाती हैं, जबकि 12 महीने के आगे की अवधि के लिए यह अपरिवर्तित रहीं। इनपुट मूल्य मुद्रास्फीति के लिए उत्पादकों का आकलन तीसरी तिमाही में थोड़ा सहज हो गया जैसाकि रिज़र्व बैंक के आईओएस में राय देने वाली विनिर्माण फर्मों द्वारा सूचित किया गया है। घरेलू खेती और औद्योगिक इनपुट लागतें उच्च रहीं। ग्रामीण मजदूरी वृद्धि दूसरी तिमाही में नियंत्रित रही जबकि विनिर्माण क्षेत्र में स्टाफ लागत वृद्धि उच्च बनी रही।

20. भारित औसत कॉल दर (डब्ल्यूएसीआर) का अक्तूबर माह में 21 में से 14 दिन, नवंबर माह में सभी 18 दिन और दिसंबर के दोनों दिन (दिसंबर 3 एवं 4) नीतिगत रेपो दर से कम दर पर तक कारोबार हुआ। भारित औसत कॉल रेट (डब्ल्यूएसीआर) का अक्तूबर माह में औसत 5 आधार अंकों, नवंबर माह में 9 आधार अंकों और दिसम्बर में 16 आधार अंकों तक रेपो दर से कम पर कारोबार हुआ। अक्तूबर माह के दौरान मुद्रा की मांग व्यापक रही, खास कर नवंबर माह में, त्योहारों के कारण यह अधिक रही। हालांकि, नवंबर माह के प्रत्येक सप्ताह में प्रचालन में मुद्रा की मात्रा संकुचित हुई है। मुद्रा में वृद्धि तथा रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा परिचालनों से उत्पन्न होने वाली चलनिधि आवश्यकता की पूर्ति उभरती चलनिधि स्थिति के आकलन के आधार पर उपकरणों के मिश्रण के माध्यम से पूरी की गई। रिज़र्व बैंक ने खुले बाज़ार से खरीद परिचालनों के माध्यम से अक्तूबर माह में 360 बिलियन तथा नवंबर में 500 बिलियन मूल्य की टिकाऊ चलनिधि उपलब्ध कराई, जिससे वर्ष 2018-19 के दौरान कुल टिकाऊ चलनिधि 1.36 ट्रिलियन हो गई। चलनिधि समायोजन सुविधा के तहत औसत दैनिक आधार पर उपलब्ध कराई गई चलनिधि अक्तूबर माह में 560 बिलियन, नवंबर माह में 806 बिलियन तथा दिसंबर माह में (दिनांक 4 दिसंबर तक) 105 बिलियन रही।)

21. पिछले महीने के नर्म रुख की तुलना में, अक्तूबर 2018 में व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात में पुनः उछाल आया है, जिसका मुख्य कारण पेट्रोलियम उत्पाद, इंजीनियरिंग सामान, रसायन, इलेक्ट्रॉनिक्स, बने बनाए कपड़ों तथा रत्न एवं आभूषण रहे। पिछले माह की तुलना में अक्तूबर माह में आयात भी तीव्र गति से बढ़ा है, जिसमें पेट्रोलियम उत्पाद एवं इलेक्ट्रॉनिक सामान की महत्वपूर्ण भूमिका थी। इसके परिणामस्वरूप अक्तूबर 2018 माह में व्यापार घाटे का विस्तार भी क्रमिक रूप से और पिछले वर्ष के स्तर की तुलना में बढ़ा है। अनंतिम आंकड़ों के आधार पर वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में सेवाओं के निर्यात में मामूली वृद्धि के संकेत मिल रहे हैं, जो चालू खाता शेष के लिए एक शुभ संकेत है। वित्त क्षेत्र के मामले में, अप्रैल-सितंबर 2018 के दौरान निवल विदेशी मुद्रा निवेश का प्रवाह नरम रहा। तेल की कीमतों में आई तीव्र गिरावट, यूएस फेड के कम आक्रामक रुख और नरम यूएस डॉलर के कारण नवंबर माह में पोर्टफोलियो निवेश के प्रवाह में कुछ सकारात्मकता आई। हालांकि, वर्ष के दौरान (30 नवंबर तक) 14.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य का निवल पोर्टफोलियो बहिर्वाह हुआ है। वर्ष 2018-19 की पहली छमाही में अनिवासी जमाराशियों में पिछले वर्ष के स्तर के तुलना में भारी वृद्धि हुई है। 30 नवंबर 2018 को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 393.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।

संभावना

22. अक्टूबर 2018 के चौथे द्वि-मासिक संकल्प में, कुछ हद तक वृद्धि की जोखिम के साथ अनुमानित सीपीआई मुद्रास्फीति Q2: 2018-19 में 4.0 प्रतिशत, एच 2 में 3.9-4.5 प्रतिशत और क्यू 1: 201 9-20 में 4.8 प्रतिशत थी। एचआरए प्रभाव को छोड़कर, अनुमानित सीपीआई मुद्रास्फीति क्यू2: 2018-19 में 3.7 प्रतिशत, एच 2 में 3.8-4.5 प्रतिशत और क्यू 1: 201 9-20 में 4.8 प्रतिशत थी। क्यू 2 में वास्तविक मुद्रास्फीति परिणाम 3.9 प्रतिशत, 4.0 प्रतिशत के अनुमान से थोड़ा कम था। हालांकि, अक्टूबर में मुद्रास्फीति प्रिंट अप्रत्याशित रूप से कम होकर 3.3 प्रतिशत हो गया।

23. अक्टूबर नीति के बाद से कई महत्वपूर्ण विकास हुए हैं जो मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण पर असर डालेंगे। सबसे पहले, अक्टूबर नीति में मुख्य रूप से खाद्य मुद्रास्फीति में सुधार के कारण मुद्रास्फीति अनुमानों में उल्लेखनीय कमी के बावजूद, बाद के आंकडों ने खाद्य समूह में अपस्फीति के साथ आश्चर्यकारक रीति से नकारात्मक होना जारी रखा। एक अलग स्तर पर, दालों, सब्जियों और चीनी में अपस्फीति में वृद्धि हुई, जबकि अनाज की मुद्रास्फीति अनुक्रमिक रूप से नियंत्रित हुई। आगे खाद्य कीमतों में व्यापक आधार पर बढ़ रही कमी, हेडलाइन मुद्रास्फीति प्रक्षेपण के लिए नीचे की ओर झुकाव प्रदान करती है। दूसरा, खाद्य समूह के विपरीत, गैर-खाद्य समूहों में मुद्रास्फीति में व्यापक वृद्धि हुई है। तीसरा, पिछली नीति के बाद अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से गिरावट आई है; अक्टूबर की शुरुआत में भारतीय क्रूड बास्‍केट की कीमत 85 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल को छूने के बाद नवंबर के अंत तक 60 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल तक नीचे गिर गई। हालांकि, रिज़र्व बैंक के नवीनतम आईओएस में शामिल फर्मों द्वारा रिपोर्ट की गई विक्रय कीमतें बढ़ती मांग के कारण क्यू 4 में आगे बढ़ने की उम्मीद है। चौथा, वैश्विक वित्तीय बाजार ईएमई मुद्राओं के साथ अस्थिर रहा है जो पिछले एक महीने में कुछ हद तक वृद्धि की ओर झुकाव दिखा रहा है। अंत में, 7 वें केंद्रीय वेतन आयोग के एचआरए वृद्धि के प्रभाव में अपेक्षित कमी जारी रही है। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए और 2019 में सामान्य मॉनसून को मानते हुए, ऊपर की तरफ झुकाव की जोखिम के साथ मुद्रास्फीति एच 2: 2018-19 में 2.7-3.2 और एच1: 2018-19 में 3.8-4.2 प्रतिशत अनुमानित है (चार्ट 1)। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के एचआरए प्रभाव को समायोजित करने के बाद अनुमानित मुद्रास्फीति पथ अपरिवर्तित बना हुआ है क्योंकि यह प्रभाव दिसम्बर 2018 से पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। यद्यपि हाल ही में खाद्य मुद्रास्फीति के प्रिंटों ने आश्चर्यकारक गिरावट दिखाई है और पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में काफी नरमी आई है, लेकिन उनके विकास की बारीकी से निगरानी करना और इनकमिंग डेटा द्वारा बढ़ी हुई अल्पकालिक अनिश्चितताओं को हल करना महत्वपूर्ण है।

24. विकास अनुमानों की ओर मुड़ते हुए, हालांकि अक्टूबर की नीति में अनुमानित वृद्धि से क्यू 2 की वृद्धि कम थी, एच 1 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि व्यापक रूप से अप्रैल की नीति की लाइन के साथ रही, जब पूरे वर्ष के लिए अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत थी। आगे बढ़ते हुए, कम रबी बुवाई कृषि और इसलिए ग्रामीण मांग पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है । वित्तीय बाजार में अस्थिरता, वैश्विक मांग में मंदी और बढ़ते व्यापार तनाव निर्यात के लिए नकारात्मक जोखिम पैदा करते हैं। हालांकि, सकारात्मकता की ओर, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से कॉर्पोरेट कमाई में सुधार और उच्च डिस्पोजेबल आय के माध्यम से निजी खपत बढ़कर भारत की विकास संभावनाओं को बढ़ावा मिलेगा। विनिर्माण क्षेत्र में बढ़ी हुई क्षमता का उपयोग नई क्षमता वृद्धि के लिए भी अच्छा है। निवेश गतिविधि में महत्वपूर्ण त्वरण हुआ है और उच्च आवृत्ति संकेतक बताते हैं कि इसके बने रखने की संभावना है। वैश्विक वित्तीय स्थितियों को कड़ा कर दिए जाने के बावजूद बैंकिंग क्षेत्र से क्रेडिट के उठाव में मजबूती जारी रही है। बाहरी क्षेत्र की बढ़ती संभावनाओं के साथ एफडीआई प्रवाह भी बढ़ सकता है। रिज़र्व बैंक के आईओएस में शामिल फर्मों द्वारा रिपोर्ट किए गए मांग दृष्टिकोण में Q4 में सुधार हुआ है। कुल मूल्यांकन के आधार पर, कुछ हद तक नकारात्मक जोखिम के साथ अक्टूबर नीति में अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 2018-19 के लिए 7.4 प्रतिशत (एच 2 में 7.2-7.3 प्रतिशत) और एच 1: 2019-20 के लिए 7.5 प्रतिशत पर है (चार्ट 2)।


25. यहां तक ​​कि मुद्रास्फीति अनुमानों को काफी नीचली ओर संशोधित किया गया है और पिछले प्रस्ताव में बताए गए कुछ जोखिमों खासतौर से कच्चे तेल की कीमतों को कम कर दिया गया है, कई अनिश्चितताएं अभी भी मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण पर छाई हुई हैं। सबसे पहले, मुद्रास्फीति अनुमानों में हाल के महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति के अनुमानित परिणामों के आधार पर सौम्य खाद्य कीमतें शामिल हैं। कई खाद्य पदार्थों की कीमतें असामान्य रूप से निम्न स्तर पर हैं और अस्थिर विनाशकारी वस्तुओं की कीमतों में अचानक उछाल आने का खतरा है। दूसरा, उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि कीमतों पर जुलाई में घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्यों (एमएसपी) में संशोधन का प्रभाव अब तक घटा दिया गया है। हालांकि, मुद्रास्फीति पर एमएसपी के सटीक प्रभाव के बारे में अनिश्चितता जारी है, आगे बढ़ रही है। तीसरा, वैश्विक मांग की स्थिति, भू-राजनीतिक तनाव और ओपेक के फैसले के कारण कच्चे तेल की कीमतों के लिए मध्यम अवधि का दृष्टिकोण अभी भी अनिश्चित है जो आपूर्ति पर असर डाल सकता है। चौथा, वैश्विक वित्तीय बाजार अस्थिर बना हुआ है। पांचवां, हालांकि रिजर्व बैंक के सर्वेक्षण के नवीनतम दौर में घरों की निकट अवधि की मुद्रास्फीति अपेक्षाओं में कमी आई है, एक साल की उम्मीदें ऊंची और अपरिवर्तित बनी हुई हैं। छठी, राजकोषीय गिरावट, यदि कोई है, केंद्र / राज्य स्तर पर, मुद्रास्फीति दृष्टिकोण को प्रभावित करेगी, बाजार अस्थिरता को बढ़ाएगी और निजी निवेश को क्राउड आउट कर देगी। अंत में, राज्य सरकारों द्वारा विलंबित एचआरए संशोधन के प्रभाव से हेडलाइन मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। एमपीसी जब एचआरए संशोधन के सांख्यिकीय प्रभाव के माध्‍यम से देखेगी, यह मुद्रास्फीति पर किसी भी दूसरे दौर के प्रभाव के बारे में सतर्क रहेगी।

26. एमपीसी ने नोट किया कि हेडलाइन मुद्रास्फीति के लिए सौम्य दृष्टिकोण मुख्य रूप से खाद्य मुद्रास्फीति के अप्रत्याशित नरम होने और अपेक्षाकृत कम अवधि में तेल की कीमतों में गिरावट से प्रेरित हुआ है। खाद्य पदार्थों को छोड़कर, मुद्रास्फीति अस्थिर और वृद्धिशील हो गई है, और उत्पादन अंतराल लगभग बंद हो गया है। एमपीसी ने यह भी नोट किया कि व्यापार तनाव बढ़ने, वैश्विक वित्तीय परिस्थितियों के कड़े हो जाने और वैश्विक मांग के धीमा पड़ जाने से घरेलू अर्थव्यवस्था में कुछ नकारात्मक जोखिम पैदा हुए हैं, हाल के सप्ताहों में तेल की कीमतों में गिरावट, अगर बनी रहती है, तो वह टेलविंड प्रदान करेगी। निवेश गतिविधि में त्वरण अर्थव्यवस्था की मध्यम अवधि की विकास क्षमता के लिए भी अच्छा है। घरेलू समष्टि आर्थिक मौलिक आधारों को और मजबूत करने के लिए उचित समय है। इस संदर्भ में, निजी निवेश गतिविधि में जगह बनाने और उसमें वृद्धि के लिए राजकोषीय अनुशासन महत्वपूर्ण है।

27. इस परिप्रेक्ष्‍य में, एमपीसी ने पॉलिसी रेपो दर ऑन-होल्‍ड रखने और नपी-तुली (कैलिब्रेटेड) कसावट के रुख को बनाए रखने का फैसला किया। हालांकि पॉलिसी रेट अपरिवर्तित रखने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया, डॉ रविंद्र एच. ढोलकिया ने रुख के तटस्थ रुख के रूप में परिवर्तन के लिए वोट दिया। एमपीसी एक स्‍थायी आधार पर मध्यम अवधि के लिए 4 प्रतिशत की मुद्रास्फीति के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराती है। एमपीसी की बैठक के कार्यवृत्‍त 19 दिसंबर, 2018 तक प्रकाशित किए जाएंगे।.

28. एमपीसी की अगली बैठक 5 से 7 फरवरी 2019 तक आयोजित की जाएगी।

नीति दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने संबंधी संकल्प पर वोटिंग

सदस्य वोट
डॉ. चेतन घाटे हां
डॉ. पामी दुआ हां
डॉ. रविन्द्र एच. ढोलकिया हां
डॉ. माइकल देबब्रत पात्र हां
डॉ. विरल वी. आचार्य हां
डॉ. उर्जित आर. पटेल हां

डॉ. चेतन घाटे का वक्तव्य

29. अक्टूबर पॉलिसी में, मैंने मुद्रास्फीति अपेक्षाओं को - तर्कसंगत या अनुकूलनीय - 4% लक्ष्य पर स्थायित्व पर नियंत्रित रखने की प्राथमिकता पर प्रकाश डाला था। हालांकि, एक दौर आगे की औसत मुद्रास्फीति अपेक्षाएं नवीनतम दौर में 9.8 प्रतिशत पर अपरिवर्तित बनीं, लेकिन तीन महीने की औसत मुद्रास्फीति अपेक्षाओं में 40 बीपीएस की कमी से 9 प्रतिशत हुई। तीन महीने की मुद्रास्फीति प्रत्याशा की संख्या में गिरावट, लेकिन अपरिवर्तित एक साल आगे की प्रत्याशा की संख्या शायद इंगित करती है कि परिवारों में मुद्रास्फीति में मौजूदा गिरावट की उम्मीद नहीं है। इसके बावजूद, ये संख्याएं कुछ सांत्वना देती हैं।

30. अक्टूबर नीति में, मैंने यह भी उल्लेख किया था कि दो इंटरलेस्ड चर मुद्रास्फीति की प्रत्याशा को अनियंत्रित करने की संभावना उत्पन्न करते हैं, और इस प्रकार स्थायी आधार पर मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करना मुश्किल हो जाता है: रुपया का सांकेतिक मूल्यह्रास, और तेल की कीमत में वृद्धि। अक्टूबर के बाद से, तेल की कीमत में हालांकि अप्रत्याशित किंतु वास्‍तविक परिवर्तन हुआ और दिसंबर तक, यह अक्टूबर के शिखर की तुलना में 29 प्रतिशत तक कम हो गया। यहां पर रुपया भी करीब 4.6प्रतिशत (5 अक्टूबर की तुलना में 4 दिसंबर) तक मजबूत रहा। खाद्य मुद्रास्फीति भी अक्टूबर में -0.1% तक गिर गई । यदि तेल और खाद्य कीमतें लंबे समय तक कम रहती हैं, तो इससे मुद्रास्फीति की अपेक्षाओं में कमी आएगी। हालांकि, तेल में उछाल और विनिमय दर में गतिविधि से आयातित मुद्रास्फीति के जोखिमों को देखते हुए, दोनों चरों को ध्यान से देखा जाना चाहिए।

31. एमएसपी-मुद्रास्फीति गतिशीलता के विकास को भी ध्यान से देखा जाना चाहिए, हालांकि मुद्रास्फीति अनुमानों के लिए यह जोखिम कुछ महीने पहले की तुलना में कम हो गया है।

32. 3 महीने के उच्चतम स्तर पर खाद्य और ईंधन (6.1प्रतिशत) को छोड़कर मुद्रास्फीति का ऊंचा स्तर रहना समस्याजनक हो सकता है। खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति के अधिकांश उप-समूहों ने, कपड़ों और जूते के अलावा, मामूली वृद्धि दर्ज की है। खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति में परिवर्तन को ध्यान से देखा जाना चाहिए।

33. आखिरी समीक्षा के बाद, विनिर्माण क्षेत्र में समग्र मांग की स्थिति स्थिर रही है। ति2 में क्षमता उपयोग ने अपने दीर्घकालिक औसत (74.9%) को पार किया और आगे इसकी गति के बढ़ने की उम्मीद है। निवेश गतिविधि में निरंतर त्वरण उत्साहजनक है, और यह बढ़ते कैपेक्स और उच्च निवेश / जीडीपी अनुपात का समर्थन करेगा। विनिर्माण के लिए बीईआई द्वारा ट्रैक किए गए समग्र व्यापार की स्थिति में सुधार हुआ है। वर्तमान समय पर तिसरी तिमाही विकास के लिए अग्रणी और संयोगी आर्थिक संकेतक दोनों अच्छे दिखते हैं। संगठित क्षेत्र नाममात्र मजदूरी वृद्धि उच्च बनी हुई है जो इनपुट लागत दबाव दिखाती है।

34. पिछले दौर की तुलना में उपभोक्ता विश्‍वास बदतर हो गया जो वर्तमान दौर में निराशावाद का संकेत देता है। सुझाव देने वाला निजी अंतिम खपत व्यय वृद्धि गति भी दूसरी तिमाही में गिर गई। दूसरी तिमाही में मर्चेंडाइज निर्यात वृद्धि हालांकि पहली तिमाही के सापेक्ष सुधर गई है, हालांकि बाहरी मोर्चे पर, टैरिफ या व्यापार तनाव में वृद्धि की संभावना वैश्विक विकास को अपेक्षा से अधिक धीमा कर सकती है।

35. दोनों मुद्रास्फीति और विकास संख्याओं के साथ "सॉफ्ट-स्पॉट" विकसित हो गए हैं, वर्तमान समय पर उचित जोखिम प्रबंधन दृष्टिकोण "प्रतीक्षा करो और देखो" होगा जो एमपीसी को यह देखने की अनुमति देगा कि कैसे मुद्रास्फीति और विकास दोनों के लिए विभिन्न जोखिम विकसित होते हैं, और अर्थव्यवस्था द्वारा वर्तमान में अनुभव किए जा रहे झटके के प्रभाव को अवशोषित करने के लिए लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण की क्षमता का बेहतर आकलन किया जा सकता है।

36. इसलिए मैं नीति दर अपरिवर्तित रखने के लिए वोट देता हूं। मैं रुख को नपी-तुली सख्ती (कैलिब्रेटिड टाइटनिंग) बनाए रखने के लिए वोट देता हूं I

डॉ. पामी दुआ का वक्तव्य

37. हेडलाइन मुद्रास्फीति सितंबर के 3.7 प्रतिशत से घटकर अक्तूबर में 3.3 प्रतिशत हो गई जिसका मुख्य कारण खाद्य मुद्रास्फीति में सितंबर के 1 प्रतिशत से अक्तूबर में -0.1 प्रतिशत तक गिरावट आई। हेडलाइन मुद्रास्फीति जो केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के आवास किराया भत्ता (एचआरए) में वृद्धि के अनुमानित प्रभाव के लिए समायोजित कर दी गई थी, सितंबर के 3.5 प्रतिशत से घटकर अक्तूबर 3.1प्रतिशत हो गई, जबकि एचआरए में वृद्धि के प्रभाव के लिए समायोजित खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई सितंबर में 5.3 प्रतिशत से बढ़कर अक्टूबर में 5.9 प्रतिशत हो गई। इसी समय, विभिन्न सर्वेक्षण मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं के संबंध में मिश्रित संकेत प्रदान करते हैं। रिज़र्व बैंक के परिवार सर्वेक्षण का नवंबर दौर तीन महीने आगे की मुद्रास्फीति संभावना में 40 आधार अंकों की नरमी किंतु एक वर्ष आगे की संभावना में पिछले दौर में अपरिवर्तन की ओर संकते करता है। रिज़र्व बैंक के औद्योगिक संभावना सर्वेक्षण का दौर दर्शाता है कि विनिर्माण फर्मों को 2018-19 की तीसरी तिमाही में इनपुट कीमतों में नरमी की उम्मीद है।

38. आगे देखते हुए,मुद्रास्फीति आउटलुक में नकारात्मक जोखिम में खाद्य मुद्रास्फीति में निरंतर कमी और कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरावट शामिल है। साथ ही,वैश्विक विकास में मंदी से कच्चे तेल की कीमतों में नरमी हो सकती है। दूसरी तरफ,आपूर्ति कारकों के कारण कच्चे तेल की कीमतों में पलटाव की संभावना भी है। इसके अतिरिक्त,सरकार द्वारा राजकोषीय स्लिपेज का बाजार अस्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण को प्रभावित कर सकता है। न्यूनतम समर्थन मूल्यों (एमएसपी) में वृद्धि के साथ जुड़े जोखिम अभी भी बने हुए है। राज्य स्तरीय एचआरए में वृद्धि और इनपुट की कीमतों में वृद्धि के कारण जोखिम भी प्रबल है। इस प्रकार,खाद्य मुद्रास्फीति और कच्चे तेल की कीमतों में गतिविधि और मुद्रास्फीति आउटलुक के संबंध में काफी अनिश्चितता है और इसे बारीकी से देखा जाना चाहिए।

39. आउटपुट की तरफ, 2018-19 की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि पिछली तिमाही में 8.2 प्रतिशत से कम होकर 7.1 प्रतिशत हो गई। ग्रामीण मांग में कमी के चलते निजी खपत में कमी हुई है, जो कि निराशाजनक कृषि की कीमतों और सुस्त ग्रामीण मजदूरी के विकास के कारण हो सकती है हालांकि आधारभूत संरचना परियोजनाओं में सरकारी खर्च के कारण निवेश वृद्धि मजबूत थी। साथ ही, विनिर्माण के लिए पर्चेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) नवंबर में ग्यारह महीने के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया, जो उत्पादन में विस्तार और आदेश (घरेलू और निर्यात) को दर्शाता है। नए कारोबार के कारण सेवाओं के लिए पीएमआई भी बढ़ गए। फॉरवर्ड लुकिंग संकेतक जैसे कि विनिर्माण क्षेत्र के लिए आरबीआई बिजनेस एक्सपेटेशन इंडेक्स चौथी तिमाही में उत्पादन, ऑर्डर बुक, निर्यात और क्षमता उपयोग पर उत्साही भावनाओं के आधार पर सुधार का संकेत दिखाता है। इसी बीच, इंडियन लीडिंग इंडेक्स में वृद्धि पर , आर्थिक चक्र अनुसंधान संस्थान (ईसीआरआई), न्यूयॉर्क द्वारा भारतीय आर्थिक विकास की दिशा पर की गई भविष्यवाणी में , हाल ही में सुधार हुआ है, जो आर्थिक विकास संभावनाओं में कुछ सुधार दर्शाता है।

40. विकास के लिए नकारात्मक जोखिम में रबी मौसम में कम बुआई,वित्तीय अस्थिरता, वैश्विक मंदी और व्यापार युद्ध शामिल है,जबकि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और विकास की संभावनाओं के लिए क्रेडिट में बढ़ोतरी विकास संभावनाओं के लिए अच्छे है। अभी तक, निर्यात वृद्धि की तुलना में आयात में तीव्र वृद्धि ,निवल निर्यात में एक बाधा बनी हुई है। हालांकि, ईसीआरआई के 20-देशीय समग्र लांग लीडिंग इंडेक्स में दुर्बल वृद्धि जो अभी भी एक निरंतर वैश्विक विकास मंदी को इंगित करता है, के बावजूद हाल ही में ईसीआरआई के भारतीय अग्रणी निर्यात सूचकांक,निर्यात वृद्धि की दिशा के एक अनुमानक, में वृद्धि थोड़े उज्ज्वल भारतीय निर्यात विकास दृष्टिकोण को दर्शाता है।

41. निष्कर्ष में, जबकि मुद्रास्फीति में नरमी आई है, मुद्रास्फीति के प्रति अपसाइड जोखिम बने हुए हैं। इसलिए बेहतर होगा कि रूके और मुद्रास्फीति पर सतर्कता बनाए रखने के दौरान आने वाले डेटा की प्रतीक्षा करें, खासकर खाद्य और कच्चे तेल के संबंध में। इसलिए मैं, नीति रेपो दर को अपरिवर्तित रखने के लिए वोट देती हूं। इसी समय, मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण के संबंध में अनिश्चितता को देखते हुए, मैं रुख को नपी-तुली सख्ती (कैलिब्रेटिड टाइटनिंग) बनाए रखने के लिए भी वोट करती हूं।

डॉ. रविन्द्र एच.ढोलकिया का वक्तव्य

42. अक्टूबर 2018 में एमपीसी की पिछली बैठक के बाद बाहरी आर्थिक माहौल में प्रबल और अचानक परिवर्तन हुए हैं। क्या इन परिवर्तनों से उचित नीति कार्रवाई के माध्यम से प्रतिक्रिया उत्पन्न होनी चाहिए? - हां, अगर वे पूरी तरह से अस्थायी नहीं हैं और अर्थव्यवस्था पर उचित दीर्घकालिक प्रभाव डालते हैं। आरबीआई के स्वंय के 12 महीने आगे के मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान में गिरावट उन गतिविधियों के जवाब में काफी हद तक,अर्थव्यवस्था पर उनके दीर्घकालिक प्रभाव का एक स्पष्ट संकेत है। इस प्रकार, एक नीतिगत प्रतिक्रिया जरूरी है। यदि इस तरह के एक बड़े अनुकूल शॉक के जवाब में कोई नीति कार्रवाई नहीं की जाती है,तो एमपीसी पर न ही प्रचलित और न ही प्रासंगिक माने जाने का जोखिम है! मुद्रास्फीति पूर्वानुमान लगभग 120 आधार अंक नीचे आते हैं और त्रैमासिक विकास पूर्वानुमान आगे बढ़ने के आउटपुट अंतर को आगे बढ़ाने के लिए मामूली रूप से नीचे संशोधित किया जाता है,कैलिब्रेटेड टाइटनिंग के रुख को बनाए रखने में शायद ही कोई औचित्य होगा। मेरी राय में,दर में कटौती करने और देश में अनावश्यक उच्च वास्तविक ब्याज दरों को लगभग 2 प्रतिशत तक लाने के लिए यह सही समय होगा। हालांकि,यह दुर्भाग्यपूर्ण था कि अक्टूबर 2018 में,तटस्थ रुख बनाए रखने के मेरे असफल दृढ़ संकल्प के बावजूद एमपीसी ने 5:1 बहुमत से कैलिब्रेटेड टाइटनिंग के लिए अपना रुख बदल दिया था। नतीजतन,अब कोई भी दर कटौती नही की जा सकती है, और इस बिंदु पर इस तरह की कोई भी कार्रवाई करना उपयुक्त नही है। इस परिस्थिति में हम सबसे अच्छा यह कर सकते हैं कि दर को यथावत रखें, लेकिन सभी संभावित अनिश्चितताओं से मुकाबला करने के लिए रुख को तटस्थ में बदले। हमें आनेवाले डेटा के आधार पर निकट भविष्य में दर कटौती या दर में वृद्धि की किसी भी संभावना से इंकार नहीं करना चाहिए।

43. दर और रुख पर मेरे वोट के लिए अधिक विशिष्ट कारण हैं:

  1. जबकि एमपीसी संकल्प बड़े पैमाने पर आरबीआई के मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान के ऊपर के जोखिमों को इंगित करता है, वहां नकारात्मक जोखिम हैं जिन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता है : दोनों दिशाओं में तेल की कीमत अनिश्चित हैं ; कतार ओपेक से बाहर निकला है और यह दूसरों के लिए एक प्रवृत्ति निर्धारित कर सकता है; ओपेक बैठक किसी भी तरफ जा सकती है ; तेल की कीमतों का अंतिम प्रभाव सभी सदस्यों द्वारा अपने फैसले के यथार्थ कार्यान्वयन द्वारा निर्धारित किया जाएगा ; और इस मामले में संयुक्त राज्य अमेरिका की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है ।

  2. इसी तरह, फेडरल रिजर्व ने भविष्य में दर में वृद्धि पर अपना रुख बदल दिया है। इसके अलावा, संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था समय के साथ लगातार बहुत मजबूत होने की संभावना नहीं है।

  3. वित्तीय स्लिपेज संभव है लेकिन इसकी सीमा किसी भी संत्रास की गारंटी नहीं दे सकती है क्योंकि मुद्रास्फीति पर इसका असर महत्वपूर्ण नहीं हो सकता है और यदि, महसूस किया गया, तो काफी अंतराल के बाद होगा।

  4. अर्थव्यवस्था में वास्तविक ब्याज दर बहुत अधिक है। मुद्रास्फीति के मौजूदा माप में ऊपर की पूर्वाग्रह से संबंधित मुद्दों को भी नजरअंदाज करते हुए, यह काफी हद तक 200 आधार अंकों से अधिक है और यह दुनिया में सबसे ज्यादा है।

  5. हालांकि एमपीसी संकल्प का कहना है कि आरबीआई सर्वेक्षण के एक वर्ष आगे की मुद्रास्फीति प्रत्याशा पिछले सर्वेक्षण की तुलना में स्थिर हैं,18 शहरों के बहुत से सर्वेक्षण में एक साल आगे के परिवार मुद्रास्फीति प्रत्याशा में गिरावट आई है। केवल कुछ शहरों में वृद्धि दिखाई देती है जो अधिकांश शहरों में देखी गई गिरावट को बेअसर करती है। यह मात्रात्मक शर्तों में मुद्रास्फीति प्रत्याशा के लिए माप के मुद्दे को सामने लाता है। हमें न केवल शहरी क्षेत्रों में बल्कि छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में भी परिवार मुद्रास्फीति प्रत्याशा को देखना चाहिए जहां हाल के दिनों में मुद्रास्फीति में काफी कमी आई है। सभी संभावनाओं में,उनकी मुद्रास्फीति प्रत्याशा कम हो जाएगी। इसके अलावा,जैसा कि मैंने कहीं और तर्क दिया है (ईपीडब्ल्यू, 17 नवंबर 2018), सीपीआई हेडलाईन मुद्रास्फीति के बारे में कारोबार की प्रत्याशा पर विचार करने की आवश्यकता है। उन पर आईआईएमए सर्वेक्षण लगभग 30 आधार अंकों की गिरावट दर्शाता है। इस प्रकार, कुल मिलाकर, पूरे एक वर्ष में देश में मुद्रास्फीति प्रत्याशा कम हो रही है और यह समान नहीं बनी रही।

44. ऐसी परिस्थितियों में, कैलिब्रेटेड टाइटनिंग का रुख बनाए रखना पूरी तरह से असंगत और अन्यायपूर्ण लगता है। इन सभी बिंदुओं को दोनों पक्षों पर कई अनिश्चितताओं का ख्याल रखने के लिए कैलिब्रेटेड टाइटनिंग से तटस्थ रुख में बदलाव की आवश्यकता होती है ताकि दर का निर्णय भविष्य में आनेवाले डेटा के अनुरूप हो।

डॉ. माइकल देबब्रत पात्र का वक्तव्य

45. मैं पॉलिसी रेपो दर को यथास्थिति और कैलिब्रेटेड टाइटनिंग के रुख को बनाए रखने के लिए वोट देता हूं।

46. अक्टूबर 2018 की बैठक में, एमपीसी ने आगे के महीनों में हेडलाइन मुद्रास्फीति को नरम बनने की उम्मीद की, ति3:2018-19 में 90 आधार अंकों और ति4 में 30 आधार अंकों से इसका पूर्वानुमान संशोधित किया, और यह भावना व्यक्तिगत कार्यवृत्त में भी दिखाई दे रही थी। अप्रत्याशित रूप से अपस्फीति में डूबने वाले खाद्य पदार्थों की कीमतों के साथ सितंबर और अक्टूबर के लिए वास्तविक रूप से संशोधित अनुमान भी कम हो गए हैं। मेरे विचार में, भारतीय अर्थव्यवस्था सकारात्मक आपूर्ति झटके की शुरुआत का अनुभव कर रही है जैसा कि खाद्य और पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में बड़े पैमाने पर नरमी में दर्शाया गया है, जो विपरीत हो सकता है। तदनुसार, उन्हें देखा जाना चाहिए, जबकि बाकी मुद्रास्फीति के लिए स्पिल्लोवर्स के प्रति सतर्क रहना होगा जो पहले से ही ऊंचे और बढ़े हुए है। परिवारों ने मुद्रास्फीति प्रिंटों के इस असामान्य नरमता को नजरअंदाज कर दिया है और 12 महीने आगे की प्रत्याशा को अपरिवर्तित रखा है, जबकि पेशेवर भविष्यवक्ताओं ने 2019-20 की पहली छमाही में मुद्रास्फीति के 4.5-4.6 प्रतिशत पर प्रोजेक्ट की है। उपभोक्ता कीमत की स्थिति के बारे में निराशावादी रहें, जो इसे सामान्य आर्थिक परिस्थितियों में बिगड़ने की अपनी धारणाओं को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक के रूप में उद्धृत करते हैं। कॉरपोरेट का आकलन है कि इनपुट लागत दबाव स्थिर रहेगा। वर्तमान गणना के आधार पर, एमपीसी 2019-20 की पहली छमाही में मुद्रास्फीति को लक्ष्य से ऊपर उठने के लिए प्रेरित करती है। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए, मैं दोहराता हूं कि यद्यपि नरम मुद्रास्फीति प्रिंट संभावित रूप से मुद्रास्फीति प्रत्याशा को कम कर सकते हैं, लक्ष्य के लिए जोखिम को कम करने के लिए प्रचुर मात्रा में सावधानी और निर्णायकता जरूरी है यदि व्यापक आर्थिक स्थिरता और विश्वसनीयता के मामले में कड़ी कमाई के लाभ को संरक्षित किया जाना हो।

47. विकास की ओर मुड़ते हुए, सीएसओ के सकल घरेलू उत्पाद का अनुमान ति2: 2018-19 के लिए अनुक्रमिक सुधार दिखाता है, किंतु पिछली तिमाही के आधार प्रभाव चेतावनी से इसे गुजरना होगा ; वर्ष-दर-साल आधार पर, हालांकि, 2018-19 की पहली छमाही में कुल मांग में उल्लेखनीय त्वरण हुआ है और दो मुख्य इंजन - निवेश और निर्यात – फायरिंग कर रहे हैं । ति3 के लिए लीड / संयोग संकेतक - ऑर्डर बुक; विनिर्माण में क्षमता का उपयोग; गैर-खाद्य ऋण वृद्धि; पूंजीगत वस्तुओं के आयात; रेलवे और बंदरगाह माल ढुलाई; निर्माण गतिविधि - सभी विकास को जारी रखने की गति को इंगित करते हैं । एक साल पहले के इसके स्तर से 2018-19 में वार्षिक वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में तेजी आएगी। उत्पादन के पक्ष में, गतिविधि की गति को विनिर्माण में उछाल और सेवा क्षेत्र के प्रदर्शन में कुछ सुधार के आधार पर कम किया जाएगा।

48. औसत मुद्रास्फीति धीरे-धीरे लक्ष्य में परिवर्तित होने के साथ, इन वृद्धि आवेगों को यह सुनिश्चित करके बनाए रखा जा सकता है कि विस्तार स्थायी बना हुआ है । यह इस संदर्भ में है कि मेरी वरीयता पॉलिसी दर को अपरिवर्तित रखने के लिए है। 12 महीने के अगले क्षितिज में मुद्रास्फीति के 4 प्रतिशत ऊपर बढ़ने की आशा है, यह माध्यमिक अवधि में विकसित होने वाले विकास पथ की नींव को संभावित रूप से खराब करने के दबाव के कारण मुद्रास्फीति दबाव से निपटने के लिए कैलिब्रेटेड टाइटनिंग के दृष्टिकोण के साथ दृढ़ रहने के विपरीत है ।

डॉ. विरल वी. आचार्य का वक्तव्य

49. अक्टूबर 2018 की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद, मुद्रास्फीति महसूस करने के लिए दो नकारात्‍मक अप्रत्याशित घटनाएं घटी हैं।

50. सबसे पहले, खाद्य मुद्रास्फीति में सब्जियों और फलों में एक अप्रत्याशित रूप से बड़ा पतन हुआ है, लेकिन पिछले कुछ महीनों में मुद्रास्फीति में गिरावट के मुकाबले कुछ और व्यापक है; शहरी मुद्रास्फीति की तुलना में ग्रामीण मुद्रास्फीति में पतन तेज रहा है।

51. दूसरी बात, अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतें जो 85 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर के स्तर तक पहुंच रही थी, भी नाटकीय रूप से दुर्घटनाग्रस्त होकर - करीब 30% तक आ गई। ऐसा प्रतीत होता है कि अल्‍पावधि में "स्टॉक आउट" आपूर्ति जोखिम से ऑयल फ्यूचर्स वक्र की कीमतों में कमी आई है क्योंकि वक्र अक्टूबर के शुरू में अपने तेज पिछड़े आकार की तुलना में अब समतल हो गया है। बदले में, तेल की कीमत में गिरावट ने भारत के लिए बाहरी क्षेत्र की संभावनाओं में सुधार किया और आयातित मुद्रास्फीति की मात्रा को कम करके मुद्रा को मजबूत बना दिया।

52. साथ में, इन कारकों के परिणामस्वरूप रिज़र्व बैंक के 12 महीने आगे की मुद्रास्फीति दृष्टिकोण में असाधारण गिरावट हुई है। हालांकि, पिछले दो महीनों में भी असाधारण रूप से अस्थिरता रही है, जिससे हाल के आंकड़ों को पूर्ण रूप से समझने में मुश्किल हो रही है। मैं विस्तार से बताता हूं।

53. सबसे पहले, इस चरण में हाल के महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति के पतन की प्रकृति का , खासकर मध्यम अवधि के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति दृष्टिकोण के प्रभाव के संदर्भ में, पूरी तरह से पता लगाना आसान नहीं है। एक सुस्पष्‍ट मूल्यांकन विशेष रूप से उपभोक्ता मामला विभाग (डीसीए) द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रमुख खाद्य वस्तुओं में डेटा में मूल्य में घट-बढ की दिशा से और अक्टूबर के लिए जारी खाद्य मुद्रास्फीति के विचलन से घिरा हुआ है। दिशा में इस तरह के विचलन शायद ही कभी देखा जाता है। खाद्य अपस्फीति के ड्राइवरों की अधिक स्पष्‍टता को समझने के लिए डेटा की आगे की जांच आवश्यक है।

54. दूसरा, अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में अनिश्चितता के बाजार संकेतक इस वर्ष अपनी गतिविधि में अप्रत्याशित रूप से बड़े पैमाने पर बढ़ते रहे हैं और वैश्विक मांग पर ओपेक आपूर्ति निर्णय और व्यापार युद्ध अनिश्चितता के प्रभाव जैसे आगामी भू-राजनीतिक जोखिमों को दर्शाते हुए उच्च स्तर पर हैं। कच्चे तेल के विकल्प बाजारों में अंतर्निहित अस्थिरता अक्टूबर में लगभग 25 प्रतिशत प्रति वर्ष (पीए) थी, जो तेल की कीमत में गिरावट के बाद लगभग 45प्रतिशत प्रति वर्ष तक पहुंच गई। यह बाजार प्रतिभागियों की उम्मीदों में निहित अनिश्चितता का स्तर उच्च रहा है।

55. तीसरा, खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति लगातार उच्च बनी हुई है। वर्तमान में यह 6% से अधिक है, केवल 20-30 आधार अंक, केंद्र के आवास किराया भत्ता(एचआरए) के सांख्यिकीय प्रभाव के कारण हैं ।

56. चौथा, रिज़र्व बैंक के औद्योगिक आउटलुक सर्वेक्षण से पता चलता है कि फर्मों के लिए इनपुट लागत दबाव अभी भी उच्च है और इसके ऊंचा रहने की उम्मीद है (उत्पादन अंतराल को बंद करने और लंबी अवधि के औसत से अधिक क्षमता उपयोग में सुधार के साथ संगत)। इससे आने वाले महीनों में उपभोक्ताओं को लागत- पास-थ्रू होने की उम्मीद है।

57. पांचवां, मध्य परिवार मुद्रास्फीति प्रत्याशा 3 महीने के क्षितिज पर 40 आधार अंकों से नरम हो गई हैं, लेकिन 12 महीने के क्षितिज के लिए अपरिवर्तित बनी हुई हैं। 12 महीने की अवधि में, जिसके दौरान रिजर्व बैंक ने पॉलिसी रेट 50 आधार अंक (बीपीएस) बढ़ाया है, 3 महीने के क्षितिज के लिए मुद्रास्फीति का मध्य परिवार मुद्रास्फीति प्रत्याशा 150 बीपीएस और 12 महीने के क्षितिज के लिए 120 बीपीएस तक बढ़ी हैं।

58. अंत में, केंद्र और / या राज्य स्तर पर एक वित्तीय स्लिपेज का जोखिम उचित संभावना के दायरे में माना जाता है। इस प्रकार, तेल की कीमतों में तेज गिरावट ने राजकोषीय समेकन के लिए अवसर प्रदान किया है।

59. संक्षेप में, भले ही अनुमानों को नीचे की ओर संशोधित किया गया हो, फिर भी कई उछाल वाले जोखिम बने हुए हैं । मेरे विचार में, अगले दो महीनों में डेटा को समझना कुछ बेहतर है । काउंटर-फैक्टुअल अभ्यास से पता चलता है कि लक्ष्य के ऊपर 12 महीने के क्षितिज (2019-20 के ति2 में 4.2% पर) की हेडलाइन मुद्रास्फीति के साथ, इस चरण में रुख में बदलाव, विशेष रूप से बढ़ी हुई तेल की कीमत में अस्थिरता के साथ, समयपूर्व होगा। दूसरे शब्दों में, जबकि हाल ही में मुद्रास्फीति में गिरावट की अप्रत्याशित घटना ने भविष्य में आवश्यक नीति कसाव (टाइटनिंग) की सीमा को काफी कम कर दिया है, उन्होंने पूरी तरह से आवश्यकता को समाप्त नहीं किया है ।

60. विकास की ओर मुड़ते हुए, दृष्टिकोण समग्र रूप से हितकर रहा है, हालांकि उभरते डॉउनसाइड जोखिमों के कुछ संकेत हैं। सकारात्मक मोर्चे पर, निवेश ने गति ली है और क्षमता उपयोग में सुधार करके आगे बढ़ना चाहिए । संयुक्त पीएमआई 24 महीने में अपने उच्चतम स्तर पर रूकी है। संयोग और प्रमुख संकेतक जैसे कि कुल बैंक क्रेडिट ,नाममात्र सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर से ऊपर बढ़ रहे हैं। तेल की कीमत और बाहरी क्षेत्र के दबाव में कमी आई है जो वित्त पोषण की स्थिति को सुगम कर सकती है। नकारात्मक मोर्चे पर, कुछ खंडों में जैसे ऑटो बिक्री मंदी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन कम से कम इसका एक हिस्सा, हमारे शोध में, पिछले छह महीनों के ईंधन मूल्य वृद्धि से जुड़ा हुआ है और अनिवार्य तृतीय पक्ष बीमा आवश्यकताओं में नियामक संशोधन। सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के लिए ति2 प्रिंट रिजर्व बैंक की अपेक्षा से कम था लेकिन ति1 प्रिंट बहुत ऊपर था। कुल मिलाकर, व्यापक आर्थिक परिस्थितियों में बदलाव के कारण, दोनों पक्षीय विकास आश्चर्यों ने अगले 12 महीनों के लिए हमारे विकास पूर्वानुमान में संशोधन नहीं किया है।

61. संतुलन पर, अपेक्षाकृत कम अवधि को देखते हुए जिसमें मुद्रास्फीति नरम हो गई है, महत्वपूर्ण है कि प्रतीक्षा की जाए और देखा जाए अर्थात, डेटा पर निर्भर रहने के साथ-साथ हाल के आंकड़ों के ड्राइवरों की स्पष्‍ट समझ पर ध्‍यान दिया जाए । इसलिए, मैं पॉलिसी रेपो दर को होल्‍ड करने और मौद्रिक नीति के रुख को कैलिब्रेटेड टाइटनिंग के रूप में बनाए रखने के लिए वोट देता हूं।

डॉ. उर्जित आर. पटेल का वक्तव्य

62. हेडलाइन मुद्रास्फीति जो अगस्त में 3.7% थी वह अक्तूबर में काफी हद तक घटकर 3.3% हो गई है। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए एचआरए के अनुमानित प्रभाव हेतु हेडलाइन मुद्रास्फीति को अगस्त 2018 के 3.4% से घटाकर अक्तूबर में 3.1% तक समायोजित किया गया। खाद्य मुद्रास्फीति आश्चर्यचजनक रूप से निरंतर निम्न स्तर पर रही, दालों में अपस्फीति, सब्जी और चीनी, अन्य खाद्य पदार्थों में व्यापक आधारित संयम के साथ-साथ खाद्य समूह को अपस्फीत में ले जाया गया। ईंधन में मुद्रास्फीति बढ़ी, जो कि तरलीकृत पेट्रोलियम गैस की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि तथा केरोसिन की घरेलू प्रशासित कीमतों में कैलिब्रटेड वृद्धि को दर्शाती है। परिवहन तथा संचार, स्वास्थ्य, घरेलू सामान तथा सेवाओं एवं व्यक्तिगत देखभाल एवं प्रभाव के कारण खाद्य तथा ईधन के अलावा अन्य वस्तओं में मुद्रास्फीति (6% से अधिक) तेजी से बढ़ी है। कुल मिलाकर, वास्तविक सीपीआई मुद्रास्फीति प्रिंट अक्तूबर पॉलिसी में किए गए अनुमान की तुलना में, विशेष तौर पर अक्तूबर में, काफी कम हो गई है।

63. इसी क्रम में, 2018-19 की द्वितीय छमाही में 2.7 – 3.2 प्रतिशत तथा 2019-20 की प्रथम छमाही में 3.8 – 4.2 प्रतिशत मुद्रास्फीति अनुमानित है, जिसमें जोखिम का झुकाव ऊपर की ओर है । एचआरए प्रभाव हेतु समायोजित करने पर, उक्त अनुमान अपरिवर्तनीय रहेगा क्योंकि दिसंबर में यह प्रभाव पूर्णत: समाप्त हो जाएगा । यद्यपि मुद्रास्फीति अनुमान निम्‍ननुसार संशोधित किए गए हैं, लेकिन यह दृष्टिकोण कई अनिश्चितताओं से निम्ननुसार घिरा हुआ है : (i) खाद्य कीमतों की कमी असामान्य रूप से अचानक विपरीत हो जाने का जोखिम; (ii) खाद्य मुद्रास्फीति पर एमएसपी के सटीक प्रभाव के बारे में निरंतर अनिश्चितता; (iii) तेल के मूल्य प्रक्षेपवक्र की अनिश्चितता; (iv) अस्थिर वित्तीय बाजार; (v) उच्च मुद्रास्फीति की उम्मीदें; (vi) राज्य सरकारों द्वारा एचआरए संशोधन के संभावित प्रभावशाली प्रभाव; दूसरे दौर के प्रभावों के प्रति सावधान होने के दौरान एचआरए का प्रत्यक्ष सांख्यिकी प्रभाव देखा जा सकेगा; तथा (vii) केंद्र और / अथवा राज्य स्तर पर राजकोषीय स्लिपेज का खतरा। 2018-19 में सामान्य सरकार (केंद्र और राज्यों) का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 6% था। मौजूदा राष्ट्रीय राजकोषीय रूख हमारी व्यापक अर्थव्यवस्था के लिए “आघात अवशोषक” से अधिक “आघात बढ़ाने वाला” हो रहा है ।

64. 2018-19 की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.1 % की गिरावट आई है, त्वरण के लगातार चार तिमाहियों के बाद, मुख्य रूप से निजी खपत में मंदी हुई है। निर्यात के सापेक्ष आयात के तेज विकास के परिणाम स्वरूप शुद्ध निर्यात में कुल मांग कम हो गई। हालांकि, सकल नियत पूंजी निर्माण लगातार तीसरी तिमाही के लिए डबल अंकों द्वारा विस्तारित किया गया। आपूर्ति की ओर से, विनिर्माण फ़र्मों की लाभप्रदता में कमी के कारण विनिर्माण बढ़ोतरी में कमी आई है। उत्तर पूर्व मानसून के दौरान लंबी अवधि औसत से 49 प्रतिशत से कम वर्षा का निम्न स्तर कृषि क्षेत्र की गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। यद्यपि, सकारात्मक पक्ष की ओर, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से भारत में विकास की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। विशेष रूप से बैंक की क्रेडिट वृद्धि में तेजी के कारण विनिर्माण क्षेत्र में बढ़ी हुई क्षमता का उपयोग भी निवेश गतिविधि के लिए अच्छा है। समग्र आकलन के आधार पर, अक्तूबर की नीति में 2018-19 में जीडीपी में अनुमानित वृद्धि 7.4 प्रतिशत (एच 2 में 7.2-7.3 प्रतिशत) तथा 2019-20 के एच1 में 7.5 प्रतिशत तक है,जिसका जोखिम कुछ हद तक कम है। सभी चीजों पर विचार करने पर, घरेलू समष्टि आर्थिक मौलिक सिद्धान्तों को और अधिक मजबूत करने के लिए उपयुक्त समय है; निजी निवेश गतिविधियों में वृद्धि लाने तथा उसमें स्थान बनाने के लिए राजकोषीय अनुशासन महत्‍वपूर्ण है ।

65. हालांकि मुद्रास्फीति ट्रेजेक्टरी को निम्न स्तर पर संशोधित किया गया है, विशेष रूप से खाद्य मुद्रास्फीति तथा तेल की कीमतों की मध्यम अवधि के दृष्टिकोण के संबंध में कई अनिश्चितताएँ बनी रही हैं। आने वाले आंकड़ें से अस्पष्‍टता को दूर करने तथा मुद्रास्फीति दृष्टिकोण, विशेष रूप से मुद्रास्फीति प्रिंट में वर्तमान नरमी स्थायी रहने के संबंध में बेहतर मूल्यांकन को सक्षम करने में सहायता मिलनी चाहिए। अत: मैं नीति रेपो दर को अपरिवर्तित रखने तथा मौद्रिक नीति के रुख को “कैलिब्रेटेड टाइटनिंग” के रूप में बनाए रखने के लिए वोट देता हूँ। जैसाकि ऊपर उल्लिखित है,आगामी माह में उच्च जोखिम स्थायी आधार पर कार्यान्वित नहीं हो जाने पर स्पेस ओपन करने के लिए यथासमय नीतिगत कार्रवाई की जाने की संभावना है।

जोस.जे.कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2018-2019/1411

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