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मौद्रिक नीति समिति की 5 से 7 फरवरी 2019 को हुई बैठक के कार्यवृत्त

21 फरवरी 2019

मौद्रिक नीति समिति की 5 से 7 फरवरी 2019 को हुई बैठक के कार्यवृत्त
[भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेडएल के अंतर्गत]

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेडबी के अंतर्गत गठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की चौदहवीं बैठक 5 से 7 फरवरी 2019 को भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई में आयोजित की गई।

2. बैठक में सभी सदस्य – डॉ. चेतन घाटे, प्रोफेसर, भारतीय सांख्यिकी संस्थान; डॉ. पामी दुआ, निदेशक, दिल्ली अर्थशास्त्र स्कूल; और डॉ. रविन्द्र एच. ढोलकिया, पूर्व प्रोफेसर, भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद; डॉ. माइकल देबब्रत पात्र, कार्यपालक निदेशक (भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेडबी(2)(सी) के अंतर्गत केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामित रिज़र्व बैंक का अधिकारी); डॉ. विरल वी. आचार्य, उप-गवर्नर, मौद्रिक नीति प्रभारी उपस्थित हुए और इसकी अध्यक्षता श्री शक्तिकान्त दास, गवर्नर द्वारा की गई।

3. भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेडएल के अनुसार, रिज़र्व बैंक मौद्रिक नीति समिति की प्रत्येक बैठक के चौदहवें दिन इस बैठक की कार्यवाहियों के कार्यवृत्त प्रकाशित करेगा जिसमें निम्नलिखित शामिल होगा:–

(ए) मौद्रिक नीति समिति की बैठक में अपनाया गया संकल्प;

(बी) उपर्युक्त बैठक में अपनाए गए संकल्प पर मौद्रिक नीति के प्रत्येक सदस्य को प्रदान किया गया वोट; और

(सी) उपर्युक्त बैठक में अपनाए गए संकल्प पर धारा 45जेडआइ की उप-धारा (11) के अंतर्गत मौद्रिक नीति समिति के प्रत्येक सदस्य का वक्तव्य।

4. मौद्रिक नीति समिति ने उपभोक्ता विश्वास, परिवार मुद्रास्फीति प्रत्याशा, कॉर्पोरेट क्षेत्र का कार्यनिष्पादन, क्रेडिट स्थिति, औद्योगिक, सेवा और बुनियादी सुविधा क्षेत्रों की संभावना तथा व्यावसायिक पूर्वानुमानकर्ताओं के अनुमानों का आकलन करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा करवाए गए सर्वेक्षणों की समीक्षा की। समिति ने इन संभावनाओं के विभिन्न जोखिमों के ईर्द-गिर्द स्टाफ के समष्टि आर्थिक अनुमानों और वैकल्पिक परिदृश्यों की विस्तृत रूप से समीक्षा की। उपर्युक्त पर और मौद्रिक नीति के रुख पर व्यापक चर्चा करने के बाद एमपीसी ने संकल्प अपनाया जिसे नीचे प्रस्तुत किया गया है।

संकल्प

5. मौद्रिक नीति समिति ने आज की अपनी बैठक में वर्तमान और उभरती समष्टिगत आर्थिक परिस्थिति के आकलन के आधार पर यह निर्णय लिया है कि:

• चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत नीतिगत रेपो दर को तत्काल प्रभाव से 6.5 प्रतिशत से 25 आधार अंक कम करके 6.25 प्रतिशत किया जाए।

परिणामस्‍वरूप, एलएएफ के तहत प्रतिवर्ती रेपो दर 6.0 प्रतिशत और सीमांत स्‍थायी सुविधा (एमएसएफ) दर तथा बैंक दर 6.5 प्रतिशत पर समायोजित हो जाएगी।

एमपीसी ने मौद्रिक नीति रुख को भी नपी-तुली सख्ती से तटस्थ में परिवर्तित करने का निर्णय लिया गया है।

ये निर्णय वृद्धि को सहारा प्रदान करते हुए उपभोक्‍ता मूल्‍य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्‍फीति के 4 प्रतिशत के मध्‍यावधिक लक्ष्‍य को +2/-2 प्रतिशत के दायरे में हासिल करने के उद्देश्‍य से भी है।

इस निर्णय के समर्थन में प्रमुख विवेचनों का वर्णन नीचे दिए गए विवरण में किया गया है।

आकलन

6. दिसंबर 2018 में अंतिम एमपीसी बैठक के समय से, वैश्विक आर्थिक गतिविधि में मंदी आई है। मुख्य उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एई) में, वर्ष 2018 की चौथी तिमाही में अमेरिका में आर्थिक गतिविधि में कमी आई। वर्ष 2019 की पहली तिमाही की संभावना पर आंशिक सरकारी मंदी के बादल छाए हुए हैं, हालांकि श्रम बाजार की स्थिति मजबूत बनी हुई है। यूरो क्षेत्र में, आर्थिक गतिविधि ने कमजोर औद्योगिक गतिविधि के कारण गति खो दी। जापानी अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है तथा उदार मौद्रिक नीति रुख से घरेलू खर्च में मदद मिलने की संभावना है।

7. कुछ प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) में भी आर्थिक गतिविधि धीमे हुई है। चीन में, वर्ष 2018 की चौथी तिमाही में वृद्धि में कमी आई। रूस में आर्थिक गतिविधि ने अपनी गति खो दी जिसमें तेल की नरम कीमतें वृद्धि के लिए डाउनसाइड जोखिम हैं। ब्राजील की अर्थव्यवस्था 2018 के अंत में मजबूत प्रतीत हुई, जिसका कारण उन्नत घरेलू खर्च और निर्यात है, हालांकि औद्योगिक गतिविधि निरंतर रूप से वर्ष 2018 की पहली छमाही के उथल-पुथल से बाहर निकलने के लिए संघर्षरत है। दक्षिण अफ्रीका में, 2018 की चौथी तिमाही में आर्थिक सुधार धीमा रहा, जिसका कारण कमजोर औद्योगिक गतिविधि और मंद निर्यात रहा।

8. कच्चे तेल की कीमतों में दिसंबर के न्यून स्तर से जनवरी की शुरुआत में उत्पादन कटौती के कारण सुधार हुआ किंतु यह अक्तूबर के अपने शीर्ष स्तर से नीचे रही। मूल धातु जिनपर अमेरिका-चीन के व्यापार टकरावों के कारण लगातार अनिश्चितता की वजह से दिसंबर में बिक्री दबाव रहा, व्यापार विवाद और उत्पादन अवरोध के कम होने की उम्मीद में जनवरी में इनकी हानियों की क्षतिपूर्ति हुई। स्वर्ण की कीमतों में वृद्धि हुई है जिसमें भौगोलिक-राजनीतिक अनिश्चितता तथा इक्विटी बाजारों में अस्थिरता की प्रतिक्रिया में सुरक्षित आश्रय मांग से मदद मिली। प्रमुख उन्नत अर्थव्यवस्थाओं और कई मुख्य उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति कम बढ़ी।

9. वैश्विक वित्तीय बाजारों में दिसंबर के उथल-पुथल के बाद शांत सुर पर वर्ष की शुरुआत हुई। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के बीच, अमेरिका के इक्विटी बाजारों में दिसंबर में तीव्र बिक्री (सेल-ऑफ) से उबरे, जो फेडरल द्वारा मौद्रिक नीति की सख्ती, व्यापार तनाव और भावी मंदी से शुरू हुई थी। ईएम स्टॉक बाजार में दिसंबर में नरम आर्थिक आंकड़ों के कारण गिरावट आई थी, उन्होंने प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में उदार मौद्रिक नीति के रुख की प्रत्याशा से हाल में कुछ लाभ दर्ज किया। अमेरिका में 10 वर्षीय प्रतिफल जो दिसंबर में बहुत-महीनों के निम्न स्तर तक घट गया था, वह कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और सकारात्मक जोखिम भावना के चलते जनवरी में बढ़ गया, हालांकि फेड के रुख में नरमी से लाभ प्रतिबंधित हुए। अन्य उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में, यूरो क्षेत्र और जापान में बॉन्ड प्रतिफल वैश्विक वृद्धि के घटते आशावाद के कारण सहज हो गए। अधिकांश उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में भी, बॉन्ड प्रतिफलों में सहजता आई। मुद्रा बाजारों में, अमेरिकी डॉलर दबाव में रहा, हालांकि सहज होते व्यापार तनावों ने कुछ सहायता प्रदान की। फेड द्वारा दर बढ़ोतरी चक्र में ठहराव तथा अमेरिका-चीन की व्यापार बातचीत से सकारात्मक परिणामों की उम्मीद में उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं में मूल्यवृद्धि हुई।

10. घरेलू अर्थव्यवस्था की ओर जाते हुए, 7 जनवरी 2019 को केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (सीएसओ) ने 2018-19 के पहले अग्रिम अनुमान (एफएई) जारी किए जिसमें भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि को 2017-18 के समान स्तर 7.2 प्रतिशत पर रखा गया(पहले संशोधित अनुमान)। 2018-19 के लिए पहले अग्रिम अनुमानों में सकल स्थायी पूंजी निर्माण (जीएफसीएफ) में अभिवृद्धि और उपभोग व्यय (निजी और सरकारी दोनों) में मंदी दिखाई गई। वर्ष 2018-19 में निवल निर्यात में होने वाली गिरावट में कमी होने का अनुमान लगाया गया है।

11. निवेश मांग अर्थात उत्पादन और पूंजीगत माल का आयात के कुछ संकेतक नवंबर/दिसंबर में संकुचित हुए। उद्योग के लिए क्रेडिट प्रवाह नियंत्रित बना रहा। उपलब्ध आंकड़े दर्शाते हैं कि ब्याज भुगतान और सब्सिडी को छोड़कर केंद्र का राजस्व व्यय तीसरी तिमाही में संकुचित हुआ, राज्यों के मामले में यह तेजी से बढ़ा, इस प्रकार सरकारी खर्च में कुल मिलाकर वृद्धि बनी रही।

12. आपूर्ति पक्ष पर, पहले अग्रिम अनुमानों में वास्तविक संवृद्धित सकल मूल्य 2017-18 के 6.9 प्रतिशत की तुलना में 2018-19 में 7.0 प्रतिशत रखा गया है। अनुमानों में कृषि जीवीए वृद्धि में मंदी और औद्योगिक जीवीए वृद्धि में अभिवृद्धि सम्मिलित की गई है। व्यापार, होटलों, संचार और अन्य सेवाओं में मंद गतिविधि के चलते सेवा जीवीए वृद्धि में नरमी आना निर्धारित किया गया है। लोक प्रशासन और रक्षा सेवाओं से भी उदार होने की संभावना है।

13. अभी तक (1 फरवरी 2019 तक) रबि की बुआई पिछले वर्ष की तुलना में कम रही है किंतु विभिन्न फसलों में 4.0 प्रतिशत की कुल कमी इस मौसम की समाप्ति तक पूरी होने की संभावना है। रबि की कम बुआई उत्तर-पूर्वी मानसून में कमी (दीर्घावधि औसत से 44 प्रतिशत नीचे) दर्शाती है, हालांकि प्रमुख जलाश्यों में जल संग्रहण पिछले वर्ष की तुलना में पूर्ण जलाश्य स्तर (31 जनवरी 2019 को) के 44 प्रतिशत पर थोड़ा उच्च रहा, ये रबि मौसम के दौरान सिंचाई का प्रमुख स्रोत होते हैं। इस वर्ष की सर्दियों में ठंड के मौसम की विस्तारित अवधि से गेहूं का उत्पादन बढ़ने की संभावना है जिससे बुआई क्षेत्र में कमी, यदि कोई है, आंशिक रूप से बराबर हो जाएगी।

14. अक्तूबर के त्यौहारी माह में वृद्धि दर्शाने के बाद, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) द्वारा मापित औद्योगिक गतिविधि नवंबर में मंदी रही। मुख्य उद्योगों में वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि दिसंबर में घटकर 2.6 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) हो गई जो विद्युत और कोयले के उत्पादन में हुई मंदी तथा पेट्रोलियम परिष्करण उत्पादों, कच्चे तेल और उर्वरक उत्पादन में कमी से नीचे आ गई। विनिर्माण क्षेत्र में रिज़र्व बैंक के आदेश बही, इन्वेंटरी तथा क्षमता उपयोग सर्वेक्षण (ओबीआईसीयूएस) द्वारा मापित क्षमता उपयोग (सीयू) पहली तिमाही के 73.8 प्रतिशत से बढ़कर दूसरी तिमाही में 74.8 प्रतिशत हो गया, मौसमी रूप से समायोजित क्षमता उपयोग भी 74.9 प्रतिशत से बढ़कर 75.3 प्रतिशत हो गया। जबकि वर्ष 2018-19 की तीसरी तिमाही के लिए रिज़र्व बैंक का औद्योगिक संभावना सर्वेक्षण (आईओएस) का कारोबार आकलन सूचकांक विनिर्माण क्षेत्र में मांग स्थिति में कमी दर्शाता, कारोबार प्रत्याशा सूचकांक (बीईआई) चौथी तिमाही में सुधार की ओर संकेत करता है। जनवरी के लिए मैन्यूफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स सूचकांक (पीएमआई) बढ़े हुए आउटपुट और नए आदेश के कारण विस्तारकारी स्तर में रहा।

15. सेवा क्षेत्र के उच्च बारंबारता सूचक गतिविधि की गति में कुछ नरमी दर्शाते हैं। मोटरसाइकलों और ट्रैक्टरों की बिक्री दिसंबर में ग्रामीण मांग में कमजोरी दर्शाती है। यात्री कारों की बिक्री जो शहरी मांग का सूचक है, संकुचित हो गई जो संभवत ईंधन की कीमतों और अधिदेशित दीर्घावधि बीमा प्रीमियम भुगतानों में अस्थिरता दर्शाता है। वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री भी पिछले वर्ष के उच्च आधार से दिसंबर 2018 में कम हो गई। होटलों के उप-खंड अर्थात विदेशी पर्यटक आगंतुक और हवाई यात्री ट्रैफिक के अग्रणी संकेतक नवंबर-दिसंबर में नरमी की ओर संकेत कर रहे हैं। संचार के उप-खंड टेलीफोन उपभोक्ता आधार में अक्तूबर-नवंबर में संकुचन आया, जबकि ब्रॉडबैंड में अक्तूबर में वृद्धि जारी रही। सेवा पीएमआई में पिछले माह में कमी के बावजूद जनवरी 2019 में विस्तार जारी रहा। निर्माण क्षेत्र के सूचक अर्थात इस्पात का उपभोग और सीमेंट के उत्पादन ने अच्छी वृद्धि दिखाना जारी रखा, हालांकि सीमेंट के उत्पादन में नवंबर 2018 में कम वृद्धि हुई जो आधार प्रभाव दिखाती है।

16. सीपीआई में वर्ष-दर-वर्ष परिवर्तन द्वारा मापित खुदरा मुद्रास्फीति अक्तूबर 2018 के 3.4 प्रतिशत से घटकर दिसंबर में 2.2 प्रतिशत हो गई, जो पिछले 18 महीनों में सबसे कम स्तर पर थी। खाद्य मदों में अवस्फीति जारी रही, ईंधन मुद्रास्फीति में तेज गिरावट और खाद्य तथा ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति में कुछ कमी से हेडलाइन मुद्रास्फीति की कमी में योगदान मिला।

17. खाद्य समूह के पांच घटक-सब्जियां, चीनी, दलहन, अंडे तथा फल खाद्य समूह का लगभग 30 प्रतिशत हैं, दिसंबर में अवस्फीति में रहे। खाद्य के अन्य प्रमुख उप-समूहों-अनाज, दूध और तेल तथा वसा में मुद्रास्फीति नियंत्रित रही। अनाजों में, चावल की कीमतें दिसंबर माह में लगातार चौथे महीने के लिए कम हुई। माँस और मछली तथा गैर-अल्कोहॉलिक पेय पदार्थों की कीमतों की मुद्रास्फीति ने वृद्धि दिखाई जबकि तैयार खाद्य वस्तुओं के लिए यह स्थिर बनी रही।

18. ईंधन और प्रकाश समूह में मुद्रास्फीति अक्तूबर के 8.5 प्रतिशत से घटकर दिसंबर में 4.5 प्रतिशत हो गई, ऐसा तरल पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) की कीमतों में तेज कमी के कारण हुआ, जो पेट्रोलियम उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में नरमी दर्शाती है। केरोसिन मुद्रास्फीति में इसकी प्रशासित कीमत में नपी-तुली वृद्धि के कारण बढ़ोतरी जारी रही।

19. खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई मुद्रास्फीति अक्तूबर के 6.2 प्रतिशत से घटकर दिसंबर में 5.6 प्रतिशत हो गई, ऐसा मुख्य रूप से पेट्रोलियम उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट के अनुरूप पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में नरमी आने से हुआ। आवास मुद्रास्फीति में कमी जारी रही क्योंकि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के आवास किराये भत्ते (एचआरए) में वृद्धि का प्रभाव समाप्त हो गया । तथापि, अनेक उप-समूहों – घरेलू वस्तुओं और सेवाओं, स्वास्थ्य, मनोरंजन और आनन्द तथा शिक्षा में मुद्रास्फीति दिसंबर में बढ़ गई जिससे पेट्रोल, डीज़ल और आवास में कम मुद्रास्फीति का प्रभाव काफी हद तक बराबर हो गया।

20. रिज़र्व बैंक के सर्वेक्षण के दिसंबर 2018 दौर द्वारा मापित परिवार मुद्रास्फीति प्रत्याशाएं पिछले दौर से तीन महीने आगे की अवधि के लिए 80 आधार अंक तथा 12 महीने आगे की अवधि के लिए 130 आधार अंक तक कम हुई जो खाद्य और ईंधन की कीमतों में निरंतर कमी दर्शाती हैं। इनपुट कीमतों में उत्पादकों का मुद्रास्फीति आकलन तीसरी तिमाही में सहज हो गया जैसाकि रिज़र्व बैंक के औद्योगिक संभावना सर्वेक्षण में मत देने वाली विनिर्माण फर्मों द्वारा रिपोर्ट किया गया है।

21. कुछ नरमी के बावजूद फार्म इनपुटों और औद्योगिक कच्चे माल की कीमतों में मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर बनी रही। ग्रामीण मजदूरी में वृद्धि अक्तूबर में कम हो गई।

22. भारित औसत कॉल दर (डब्ल्यूएसीआर) का दिसंबर के 20 में से 12 दिवसों, जनवरी में सभी 23 दिवसों और फरवरी (6 फरवरी तक) में चार दिवसों पर नीति रेपो दर से नीचे कारोबार हुआ। डब्ल्यूएसीआर दिसंबर में औसतन रेपो दर से 4 आधार अंक और जनवरी तथा फरवरी में 11 आधार अंक नीचे थी। प्रचलन में रहने वाली मुद्रा दिसंबर और जनवरी के दौरान तेजी से बढ़ी। मुद्रा में विस्तार के कारण उत्पन्न चलनिधि आवश्यकता को रिज़र्व बैंक द्वारा खुला बाजार परिचालन (ओएमए) के अंतर्गत खरीद के जरिए दिसंबर और जनवरी में प्रत्येक बार ₹ 500 बिलियन तक स्थायी चलनिधि उपलब्ध कराकर पूरा किया गया। तदनुसार, ओएमओ के माध्यम से उपलब्ध कराई गई कुल स्थायी चलनिधि वर्ष 2018-19 के दौरान अब तक कुल ₹ 2.36 ट्रिलियन तक पहुंच गई। एलएएफ के अंतर्गत उपलब्ध कराई गई चलनिधि औसतन दैनिक निवल आधार पर दिसंबर में ₹ 996 बिलियन और जनवरी में ₹ 329 बिलियन रही। तथापि, फरवरी में औसत दैनिक चलनिधि स्थ‍िति ₹ 279 बिलियन के औसत अवशोषण के साथ अधिशेष में बदल गई।

23. वर्ष-दर-वर्ष आधार पर निर्यात वृद्धि नवंबर और दिसंबर 2018 में लगभग सपाट रही जिसका प्रमुख कारण उच्च आधार प्रभाव और कमजोर वैश्विक मांग रही। जबकि पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में वृद्धि सकारात्मक रही, गैर-तेल निर्यात में कमी आई, ऐसा हीरे और जवाहारात, अभियांत्रिकी वस्तुओं, माँस और पोल्ट्री के कम पोत-लदान के कारण हुआ। नवंबर में आयात वृद्धि धीमी हुई तथा दिसंबर 2018 में यह नकारात्मक हो गई। जबकि आयात मात्रा में वृद्धि के अनुरूप पेट्रोलियमल (कच्चे तेल और उत्पाद) के आयात में वृद्धि हुई, गैर-तेल आयात जैसे मोती तथा बहुमूल्य रत्न (स्टोन), स्वर्ण, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं तथा परिवहन उपस्करों में कमी दर्ज की गई। अप्रैल-दिसंबर 2018 के लिए व्यापारिक वस्तुओं का व्यापार घाटा एक वर्ष पहले के इसके स्तर से थोड़ा सा ज्यादा रहा। निवल सेवा निर्यात जो तेल की कम कीमतों के साथ संयुक्त था, में अक्तूबर तथा नवंबर 2018 में बढ़ोतरी हुई, का तीसरी तिमाही में चालू खाता घाटे पर उपयोग प्रभाव हो सकता है। वित्तपोषण पक्ष पर, अप्रैल-नवंबर 2018 के दौरान भारत में निवल एफडीआई प्रवाह पिछले वर्ष की तुलना में उच्चतर रहा। विदेशी संविभाग प्रवाह नवंबर और दिसंबर 2018 में सुधरने (रिबाउंड) के बाद, जनवरी 2019 में नकारात्मक हो गया। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1 फरवरी 2019 को 400.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।

संभावना

24. दिसंबर 2018 में पांचवें द्विमासिक मौद्रिक नीति संकल्प में, ऊपरी ओर की जोखिम के साथ 2018-19 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 2018-19 की दूसरी छमाही में 2.7-3.2 प्रतिशत और 2019-20 की पहली छमाही में 3.8-4.2 प्रतिशत के दायरे में अनुमानित की गई। 2018-19 की तीसरी तिमाही में वास्तविक मुद्रास्फीति आउटकम अनुमान से थोड़ा कम 2.6 प्रतिशत रहा। वर्ष के दौरान मुद्रास्फीति के अनुमानों में गिरावट देखी गई जो मुख्य रूप से खाद्य उप-समूहों में दर्ज की गई नरम मुद्रास्फीति को दर्शाती है।

25. आगे कई कारक मुद्रास्फीति की राह को आकार देंगे। पहला, खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति ने कई वस्तुओं में निरंतर अपस्फीति और अनाज मुद्रास्फीति में महत्वपूर्ण गिरावट के साथ-साथ आश्चर्यचकित करना जारी रखा है। कई खाद्य समूह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अतिरिक्त आपूर्ति की स्थिति का सामना कर रहे हैं। इसलिए, प्रतिकूल आधार प्रभावों के बावजूद खाद्य मुद्रास्फीति के लिए अल्पकालिक दृष्टिकोण विशेष रूप से सौम्य दिखाई देता है। दूसरे, ईंधन समूह में मॉडरेशन प्रत्याशित से अधिक रहा। ग्रामीण उपभोग की वस्तुओं जैसे कि जलाऊ लकड़ी और चिप्स में मुद्रास्फीति, जो चिपचिपी और ऊंचे स्तर पर बनी हुई थी, हाल के महीनों में कम हो गई। बिजली की कीमतों में भी एक अप्रत्याशित बदलाव दिखा, जो ईंधन समूह के लिए एक नरम दृष्टिकोण प्रदान करता है। तीसरा, खाद्य और ईंधन को छोड़कर महंगाई का बढ़ना, हाल ही में स्वास्थ्य और शिक्षा की कीमतों में असामान्य बढ़ोतरी एक बार की घटना हो सकती है। चौथा, कच्चे तेल की कीमत का दृष्टिकोण मोटे तौर पर दिसंबर की नीति के समान है। पाँचवें, रिज़र्व बैंक के सर्वेक्षणों से पता चलता है कि उत्पादकों के इनपुट और आउटपुट मूल्य अपेक्षाओं के साथ-साथ परिवारों की मुद्रास्फीति की उम्मीदों में भी मामूली वृद्धि हुई है। अंत में, केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए एचआरए वृद्धि का प्रभाव अपेक्षित लाइनों के साथ पूरी तरह से अलग हो गया है। इन विकासों को ध्यान में रखते हुए और 2019 में एक सामान्य मानसून मानकर, केंद्रीय प्रक्षेप वक्र के आसपास मोटे तौर पर संतुलित जोखिमों के साथ क्यू 4: 2018-19 में सीपीआई मुद्रास्फीति का मार्ग नीचे की ओर 2.8 प्रतिशत, एच 1: 2019-20 में 3.2-3.4 प्रतिशत और क्यू3: 2019-20 में 3.9 प्रतिशत संशोधित किया गया है।

26. विकासात्‍मक दृष्टिकोण की ओर मुड़ते हुए दिसंबर पॉलिसी में निचली ओर की जोखिम के साथ 2018-19 के लिए जीडीपी वृद्धि 7.4 प्रतिशत (एच 2 में 7.2-7.3 प्रतिशत) और एच 1: 2019-20 के लिए 7.5 प्रतिशत का अनुमान लगाया गया था। सीएसओ ने 2018-19 के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। चालू वर्ष से परे, विकास का दृष्टिकोण निम्नलिखित कारकों से प्रभावित होने की संभावना है। पहले, वाणिज्यिक क्षेत्र में समग्र बैंक ऋण और समग्र वित्तीय प्रवाह का मजबूत होना जारी है, लेकिन अभी तक उनका आधार व्यापक नहीं हुआ है। दूसरी बात यह है कि नरम कच्चे तेल की कीमतों के बावजूद और शुद्ध निर्यात पर भारतीय रुपये के हाल ही में मूल्यह्रास के सुस्त प्रभाव के कारण, धीमी वैश्विक मांग प्रतिकूल प्रभाव बढ़ा सकती है। विशेष रूप से, व्यापार तनाव और संबंधित अनिश्चितताएं वैश्विक वृद्धि को नियंत्रित करती दिखाई देती हैं। उपरोक्त कारकों को ध्यान में रखते हुए, समान रूप से संतुलित जोखिम के साथ 2019-20 के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत - एच 1 में 7.2-7.4 प्रतिशत और क्यू 3 में 7.5 प्रतिशत की सीमा तक अनुमानित है।

Quarterly projection chart 1
Quarterly projection chart 1

27. मुद्रास्फीति के मौजूदा निम्न स्तर और सौम्य खाद्य मुद्रास्फीति दृष्टिकोण को दर्शाते हुए निकट अवधि में हेडलाइन मुद्रास्फीति नरम रहने का अनुमान है। निकट अवधि से परे, कुछ अनिश्चितताओं की सावधानीपूर्वक निगरानी आवश्‍यक है। सबसे पहले, हाल की अवधि में सब्जी की कीमतें अस्थिर रही हैं; सब्जी की कीमतों में उलटफेर खाद्य मुद्रास्फीति विकास पथ के लिए जोखिम बढ़ा सकते है। दूसरे, तेल की कीमत का दृष्टिकोण धुंधला बना हुआ है। तीसरा, व्यापार तनाव और भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं का एक और बड़ा कारण वैश्विक विकास की संभावनाओं, वैश्विक मांग में गिरावट और वैश्विक कमोडिटी की कीमतों को, विशेष रूप से तेल की कीमतें को नरम कर सकता है। चौथा, स्वास्थ्य और शिक्षा की कीमतों में असामान्य वृद्धि को बारीकी से देखने की जरूरत है। पांचवां, वित्तीय बाजार अस्थिर बने हुए हैं। छठे, मानसून का परिणाम सामान्य माना जाता है; वर्षा में कोई भी स्थानिक या अस्थायी परिवर्तन खाद्य मुद्रास्फीति दृष्टिकोण को बदल सकता है। अंत में, 2019-20 के लिए केंद्रीय बजट में कई प्रस्तावों के कारण प्रयोज्‍य आय बढ़कर कुल मांग को बढ़ावा मिलने की संभावना है, लेकिन कुछ उपायों का पूर्ण प्रभाव समय की अवधि में लागू हो जाने की संभावना है।

28. एमपीसी नोट करता है कि आउटपुट अंतर मामूली रूप से कम हो गया है क्योंकि वास्तविक आउटपुट संभावित से कम है। निवेश गतिविधि ठीक हो रही है लेकिन मुख्य रूप से बुनियादी ढांचे पर सार्वजनिक खर्च से समर्थित है। जरूरत निजी निवेश गतिविधि और निजी उपभोग को मजबूत करने की है।

29. इस पृष्ठभूमि में, एमपीसी ने मौद्रिक नीति के रुख को नपी-तुली कसावट से तटस्थ में बदलने और नीतिगत रेपो दर को 25 आधार अंकों तक कम करने का निर्णय लिया है।

30. मौद्रिक नीति के रुख को बदलने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया। नीति रेपो दर को कम करने के संबंध में, डॉ.रविंद्र एच. ढोलकिया, डॉ.पामी दुआ, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने निर्णय के पक्ष में मतदान किया। डॉ. चेतन घाटे और डॉ.विरल वी. आचार्य ने नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखने के लिए मतदान किया। एमपीसी स्‍थायी आधार पर 4 प्रतिशत की हेडलाइन मुद्रास्फीति के लिए मध्यम अवधि के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराती है। एमपीसी की बैठक के मिनट 21 फरवरी 2019 तक प्रकाशित किए जाएंगे।

31. एमपीसी की अगली बैठक 2 से 4 अप्रैल 2019 तक निर्धारित की गई है।

नीतिगत रेपो दर को 25 बीपीएस से घटाकर 6.25 प्रतिशत करने के संकल्प पर मतदान

सदस्य वोट
डॉ. चेतन घाटे नहीं
डॉ. पामी दुआ हां
डॉ. रवींद्र एच. ढोलकिया हाँ
डॉ. माइकल देवब्रत पात्र हाँ
डॉ. विरल वी. आचार्य नहीं
श्री शक्तिकान्त दास हाँ

डॉ. चेतन घाटे का वक्‍तव्‍य

32. पिछले कई समीक्षाओं में, मैंने 4% पर लक्षित मुद्रास्फीति की उम्मीदों को बनाए रखने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है। जबकि 3 महीने और 1 वर्ष आगे की मुद्रास्फीति की अपेक्षित संख्या अभी भी ऊपर बनी हुई है, सबसे हाल के दौर में तीन महीने (80 आधार अंक) और 1 साल आगे (130 आधार अंकों से) के लिए मंझली (मिडियन) मुद्रास्फीति की उम्मीदों में गिरावट उत्साहजनक है। सर्वेक्षण के इतिहास के बाद यह पहली बार मुद्रास्फीति की अपेक्षाओं में जितना भी बदलाव हुआ है "निम्न" स्तर की ओर हुआ है।

33. आगे चलते हुए, तेल और खाद्य के कम मूल्य - अगर निरंतर रहेंगे - मुद्रास्फीति की अपेक्षाओं को आगे कम करते हुए 4% के लक्षित मुद्रास्फीति को स्थायित्व प्रदान करने में मदद करेंगे।

34. अक्टूबर की शुरुआत में तेल की कीमतों में 30 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है, जो मुख्य रूप से वैश्विक आपूर्ति में हुई वृद्धि और संभावित वृद्धि को दर्शाती है। खाद्य मुद्रास्फीति में दिसंबर में अपस्फीति (-1.5%, वाई-ओ-वाई) थी। कुछ वस्तुओं (दालों, चीनी) में लगातार अपस्फीति बनी हुई है, हालांकि दालों की अपस्फीति दोहरे अंकों से घटकर एक अंक की हो गई है। विभिन्न खाद्य वस्तुओं की अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में मौजूदा अधिकता आने वाले महीनों में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर को कम रखते हुए खाद्य निर्यात की गुंजाइश को सीमित कर देगी। अपर्याप्त खरीद ने उच्च एमएसपी कीमतों से मुद्रास्फीति बढ़ाने के अवसर को सीमित करने में भी मदद की है।

35. रिज़र्व बैंक के अनुमान के अनुसार वित्‍तीय वर्ष 19-20 की तीसरी तिमाही में हेडलाइन मुद्रास्फीति 3.9% पर है। ये अनुमान खाद्य मुद्रास्फीति पर अनुमानित गति के प्रति संवेदनशील हैं। उदाहरण के लिए, अगर अप्रैल-अगस्त में सब्जियों की कीमतों में तेजी आती है, तो ये अनुमान आसानी से टूट जाएंगे। पिछले 6 वर्षों में खाद्य मुद्रास्फीति में सब्जियों के उच्च भारित योगदान के परिप्रेक्ष्‍य से देखा जाए तो सब्जियों की कीमतों में उछाल एक अनुचित धारणा नहीं है। इसके अलावा, रबी फसलों के तहत अब तक बोया गया क्षेत्र कम है। अगले दो महीनों में खाद्य मूल्य उप-सूचकांक कैसे विकसित होता है, इसे देखने के लिए इंतजार करना समयोचित होगा।

36. नवंबर में मुद्रास्फीति 5.8% से गिरकर 5.6% होने के बावजूद खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति का उन्नत स्तर चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। आधार और गति के प्रभाव के कारण खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति चिपचिपी बनी हुई है। दिसंबर 2018 में खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति के लिए एम-ओ-एम मौसमी रूप से समायोजित वार्षिक दर (सार) 5.4 प्रतिशत बढ़ गया था।

37. इस प्रकार मुद्रास्फीति में नरमी आई है लेकिन उसका आधार व्यापक नहीं है।

38. नरम स्थानों के उभरने के बावजूद मैं विकास की मजबूत तस्वीर देख रहा हूं। सीएसओ के नवीनतम संशोधनों के आधार पर पिछले चार वर्षों में आर्थिक वृद्धि (मुद्रास्फीति के लक्ष्यीकरण के बाद से) औसतन 7.7% थी, जो उन्नत कोर मुद्रास्फीति और लगभग बंद आउटपुट अंतराल के अनुरूप है। जबकि पिछले कुछ महीनों में गैर-खाद्य बैंक ऋण (एनएफबीसी) की वृद्धि में मामूली गिरावट आई है, यह उच्च स्‍तर (18 जनवरी, 2019 को 14.6%) पर बना हुआ है। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की क्रेडिट वृद्धि दिसंबर 2018 में आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार 55.1% थी। यह स्तर जुलाई 2018 से 40% से ऊपर है। पीएमआई सेवा और विनिर्माण दोनों पिछले कई महीनों से विस्तार मोड में हैं। मौसमी रूप से समायोजित क्षमता का उपयोग लगातार दूसरी तिमाही में बढ़कर 18-19 की दूसरी तिमाही में 75.3% हुआ। उपभोक्ता भावना में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ।

39. नकारात्मक पक्ष में, आईआईपी वर्ष-दर-वर्ष 0.5% पर 17 महीने के निचले स्तर पर गिर गया, हालांकि यह उत्सव की छुट्टियों के कारण अक्टूबर-दिसंबर अवधि की कुछ उच्च अस्थिरता को दर्शाता है। नवंबर 2018 में टि‍काऊ उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में भी 0.9 फीसदी की कमी आई है। इस साल व्यापार तनाव और संबद्ध अनिश्चितता के कारण कई अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि धीमी हो गई है। इससे भारत की निर्यात संभावनाएं प्रभावित होती है और इसे ध्यान से देखा जाना चाहिए।

40. मुझे इस बात की भी चिंता है कि भारत सामाजिक कल्याण और प्रेरक कार्यक्रमों पर अतिरिक्त बजटीय व्यय (जब तक कि राज्य इसके अनुरूप पहल नहीं करते हैं) के बावजूद राजकोषीय रूप से समेकित नहीं हो रहा है। चुनाव के बाद राजकोषीय व्यय की गुणवत्ता में भी सुधार हो सकता है।

41. उपरोक्त कारणों को देखते हुए, अर्थव्यवस्था में निरंतर विकास बनाए रखने और मध्यम अवधि में मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दरों पर यथास्थिति बनाए रखना उचित होगा।

42. मैं, हालांकि, ‘नपी-तुली कसावट’ से ‘तटस्थता’ में रुख को बदलने के लिए वोट करता हूं।

डॉ.पामी दुआ का वक्तव्य

43. दिसंबर में हेडलाइन मुद्रास्फीति नरम होकर 2.2 प्रतिशत हो गई, जो नवंबर में 2.3 प्रतिशत और अक्टूबर में 3.4 प्रतिशत थी, जो मुख्य रूप से खाद्य मुद्रास्फीति में अक्टूबर में -0.1 प्रतिशत से घटकर नवंबर में -1.7 प्रतिशत और -1.5 प्रतिशत हो गई। खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति अक्टूबर में 6.2 प्रतिशत से गिरकर क्रमश: 5.7 प्रतिशत और 5.6 प्रतिशत पर नवंबर और दिसंबर में आ गई। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के आवास किराए भत्ते का प्रभाव अब फीका पड़ गया है, जबकि स्वास्थ्य और शिक्षा में मुद्रास्फीति में असामान्य वृद्धि हुई है। इसी समय, परिवहन और संचार में मुद्रास्फीति में भी गिरावट देखी गई।

44. आरबीआई के हेडलाइन मुद्रास्फीति के अनुमानित अनुमान भी 2018-19 के ति4 में 2.8 प्रतिशत तक कम हो गए हैं (पिछले पॉलिसी के दौर में 3.2 प्रतिशत से कम) और 2019-20 के ति2 में 3.4 प्रतिशत (4.2% से कम)। इसके अलावा, विभिन्न सर्वेक्षण मुद्रास्फीति प्रत्याशा में नरमी के संकेत देते हैं। रिज़र्व बैंक के सर्वेक्षण के दिसंबर 2018 के दौर में मुद्रास्फीति प्रत्याशा क्रमशः 80 आधार अंक और क्रमशः तीन महीने आगामी और एक साल आगामी होराइजन के लिए 130 आधार अंक नरम हो गईं, साथ ही साथ अंतिम दौर में। रिज़र्व बैंक का औद्योगिक आउटलुक सर्वेक्षण 2018-19 की चौथी तिमाही में इनपुट कीमतों में बदलाव का संकेत देता है, जैसा कि विनिर्माण फर्मों द्वारा बताया गया है। जनवरी 2019 के लिए क्रय प्रबंधक सूचकांक बताता है कि इनपुट लागत और बिक्री मूल्य मामूली बने हुए हैं। आर्थिक चक्र अनुसंधान संस्थान (ईसीआरआई) भारतीय भविष्य की मुद्रास्फीति की दर, मुद्रास्फीति की एक अग्रदूत, में भी गिरावट आई है, जो भविष्य की मुद्रास्फीति में गिरावट का संकेत है। दिसंबर महीने के लिए आईआईएम-अहमदाबाद द्वारा आयोजित कारोबार मुद्रास्फीति प्रत्याशा सर्वेक्षण के अनुसार, एक साल आगे की कारोबार मुद्रास्फीति प्रत्याशा भी घट गईं।

45. आगे बढ़ते हुए, मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण के लिए नकारात्मक जोखिमों में खाद्य मुद्रास्फीति में निरंतर गिरावट शामिल है। वैश्विक विकास में मंदी का कारण कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और मुद्रास्फीति में कमी हो सकती है। अपसाइड जोखिमों में कच्चे तेल की आपूर्ति में व्यवधान और भू-राजनीतिक तनाव शामिल हैं।

46. आउटपुट पक्ष पर, हालाँकि आबीआई ने अपने विकास के अनुमान को कम कर दिया, लेकिन 2019-20 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है, जो तिमाही3 में 7.5 प्रतिशत तक बढ़ सकते है। दिसंबर 2018 के दौर में उपभोक्ता विश्वास बेहतर हुआ है, जो कि निकट भविष्य की उम्मीदों के सूचकांक के साथ दिसंबर 2018 के दौर में सर्वकालिक उच्च स्तर पर है। विनिर्माण क्षेत्र के लिए आरबीआई के कारोबार प्रत्याशा सूचकांक जैसे अग्रेषित संकेतक, उत्पादन, ऑर्डर बुक, निर्यात और क्षमता उपयोग पर उत्साहित भावनाओं के आधार पर चौथी तिमाही में सुधार का संकेत देते हैं। इन गतिविधि की जनवरी पीएमआई द्वारा पुष्टि की जाती है। इस बीच, इंडियन लीडिंग इंडेक्स में वृद्धि, आर्थिक चक्र अनुसंधान संस्थान (ईसीआरआई), न्यूयॉर्क द्वारा बनाए गए भारतीय आर्थिक विकास की दिशा का एक अनुमानक, हाल ही में बढ़ा है, जो आर्थिक विकास की संभावनाओं में कुछ सुधार का संकेत देता है।

47. व्यापार के तनाव और संबद्ध अनिश्चितताओं के साथ वैश्विक विकास मंदी वृद्धि के लिए निरंतर एक बड़ा नकारात्मक पहलू है। दरअसल, निर्यात वृद्धि आउटलुक को घटाते हुए ईसीआरआई के भारतीय अग्रणी निर्यात सूचकांक में वृद्धि कमजोर हुई है। ईसीआरआई के प्रमुख सूचकांक के अनुसार, यू.एस. की आर्थिक वृद्धि में गिरावट जारी रहने की उम्मीद है, जबकि फेड के अचानक यू-टर्न के बावजूद आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति चक्र के नीचे रहने की उम्मीद है। इसके अलावा, ईसीआरआई के चीनी अग्रणी सूचकांक के आधार पर, कुल मिलाकर कुछ समय के लिए चीनी विकास के जारी रहने की उम्मीद है, जबकि आगे के महीनों में चीनी औद्योगिक विकास मंदी के दौर में रहेगा। यूरोज़ोन की आर्थिक विकास की संभावनाएँ कमज़ोर बनी हुई हैं, इटली में मंदी के साथ जर्मनी और फ्रांस मंदी की स्थिति के करीब पहुँच रहे हैं। इस प्रकार, ईसीआरआई के पूर्वानुमान के अनुसार, वैश्विक आर्थिक वृद्धि एक चक्रीय गिरावट में बनी रहेगी, जबकि हर प्रमुख अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति में गिरावट आएगी। यह न केवल नीति "सामान्यीकरण" के लिए केंद्रीय बैंक की योजनाओं को रोक सकता है, बल्कि नीति में ढील भी प्रदान कर सकता है।

48. सौम्य मुद्रास्फीति के आउटलुक और मुद्रास्फीति प्रत्याशा में नरमी, के साथ-साथ वैश्विक वृद्धि में गिरावट की हल्की संभावना के कारण, मैं पॉलिसी रेपो दर को 25 आधार अंक कम करने और रुख को कैलिब्रेटेड टाइटिंग से न्यूट्रल में बदलने के लिए वोट करता हूं।

डॉ. रवींद्र एच. ढोलकिया का वक्तव्य

49. दिसंबर 2018 की एमपीसी की बैठक में, मैंने तर्क दिया था कि नवंबर 2018 के दौरान मैक्रोइकोनॉमिक वातावरण में अचानक अनुकूल परिवर्तन और उनकी परिमाण को देखते हुए, यह एमपीसी के लिए नीति दर में कटौती करने का सबसे उपयुक्त समय था। हालाँकि, एमपीसी ने क्योंकि अक्टूबर की पिछली बैठक में अपने रुख को न्यूट्रल से बदल कर कैलिब्रेटेड टाइटिंग के लिए 5:1 बहुमत वोट दिया था, जिसमें स्पष्ट रूप से बताया गया था कि कोई भी दर कटौती नहीं की जानी है, दिसंबर 2018 की नीति में दर कटौती करना उचित नहीं होगा। एमपीसी में मेरे अन्य सहयोगियों द्वारा रुख को न्यूट्रल में बदलने की मेरी मजबूत दलील को भी स्वीकार नहीं किया गया था, हालांकि बाद के संचार में यह स्पष्ट कर दिया गया था कि भविष्य में एमपीसी दर में कटौती पर विचार कर सकती है अगर मुद्रास्फीति को अपसाइड जोखिम नहीं पाया जाता है । नवंबर और दिसंबर 2018 के लिए मासिक सीपीआई हेडलाइन मुद्रास्फीति के बाद के दो प्रिंट, जो अब उपलब्ध हैं, इस बात की पुष्टि करते हैं कि आगे आने वाले 3-4 तिमाहियों में अपसाइड जोखिमों ने अनुमानित मुद्रास्फीति को काफी कम कर दिया है। दूसरी ओर, जीडीपी विकास धीमा होने के संबंध में चिंताएं हैं, जिसे आरबीआई के विकास पूर्वानुमान में मामूली कमी से परिलक्षित किया गया है। इसलिए, पिछले निष्क्रियता को ठीक करने के लिए न केवल दर में कटौती पर विचार करना उचित होगा, लेकिन लक्षित 4 प्रतिशत से अधिक मुद्रास्फीति को जोखिम में डाले बिना विकास को गति प्रदान करता है। इन परिस्थितियों में, मुझे लगता है कि आगे लगभग 50 से 60 बीपीएस की पर्याप्त दर में कटौती के लिए स्थान बनता है। इसलिए, तत्काल रूप से कैलिब्रेटेड टाइटिंग को न्यूट्रल से औपचारिक रूप से बदलने और नीतिगत दर में 25 बीपीएस की कटौती करने की आवश्यकता है। मेरे वोट के अधिक विशिष्ट कारण इस प्रकार हैं :

i) नवंबर 2018 के दौरान तेल की कीमतों में निहित अस्थिरता असामान्य रूप से अधिक थी, लेकिन अब, दिसंबर 2018 और विशेष रूप से जनवरी 2019 के दौरान, लगभग उसके दीर्घकालिक औसत से काफी कम हुए है। लगभग 60 डॉलर - 65 डॉलर प्रति बैरल के मौजूदा स्तर पर तेल की कीमतों में स्थिरता की उम्मीद है। निरंतर आधार पर महत्वपूर्ण ओवरशूटिंग के जोखिमों में काफी कमी आई है।

ii) खाद्य पदार्थ की कीमतों में अगले 3-4 तिमाहियों तक नरमी रहने की संभावना है, जैसा कि आरबीआई स्टाफ द्वारा इस विषय के विशेषज्ञों के परामर्श से किए गए पूर्वानुमान में किए गए विस्तृत प्रणाली में बताया गया है।

iii) खाद्येतर और ईंधन मुद्रास्फीति भी 2018-19 के तीसरी तिमाही में 5.9 प्रतिशत के अपने वर्तमान स्तर से गिरकर की 2019-20 की तीसरी तिमाही में लगभग 5.1 प्रतिशत होने की संभावना है। यह और भी गिर सकता है अगर स्वास्थ्य और शिक्षा मूल्य सूचकांक में वर्तमान बढ़त कम हो सकती यदि कोई एक घटना हो जाए तो। इस प्रकार, मुख्य (या खाद्येतर और ईंधन) मुद्रास्फीति में भी गिरावट की प्रवृत्ति दिखाई देती है। यह ईपीडब्ल्यू (03 मार्च 2018) में प्रकाशित सह-लेखक के साथ मेरे अध्ययन की खोज के साथ काफी सुसंगत है कि भारत में मुख्य मुद्रास्फीति की दृढ़ता शायद कम हो रही है क्योंकि भारत में मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण के कारण लोगों की मुद्रास्फीति प्रत्याशा नियंत्रित हुई और इसके परिणामस्वरूप मुख्य मुद्रास्फीति भी घट रही है

iv) इस सब के परिणामस्वरूप, आरबीआई स्टाफ द्वारा एक वर्ष आगे की हेडलाइन मुद्रास्फीति का अनुमान पहली बार 4 प्रतिशत के लक्ष्य से कम हो गया है।6.5 प्रतिशत की नीति दर के साथ, इसका अर्थ है कि वास्तविक नीति दर लगभग 2.6 प्रतिशत है, जो कि दुनिया में सबसे अधिक है, जैसा कि मैं बहस कर रहा हूं। हमें ऐसी उच्च वास्तविक नीति दर की आवश्यकता नहीं है। यह केवल निजी निवेश को हतोत्साहित करती है और वृद्धि और रोजगार को बाधित करती है। वास्तविक नीतिगत दर को और अधिक उचित और स्वीकार्य स्तर पर लाकर स्थिति को ठीक करने की तत्काल आवश्यकता है, विशेषकर तब जब अपेक्षित 3-4 तिमाही आगे की मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत के लक्ष्य के भीतर हो।

v) यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति की उम्मीदें भी कम से कम पिछले तीन सर्वेक्षण दौरों से घट रही हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के सर्वेक्षणों में 3 से 12 महीने आगे के मेडियन परिवार मुद्रास्फीति प्रत्याशा में लगभग 120 और 130 बीपीएस की काफी गिरावट देखी गई है और आईआईएमए के सर्वेक्षणों में 12 महीने आगे की हेडलाइन सीपीआई मुद्रास्फीति की कारोबारी प्रत्याशा ने 53 बीपीएस गिरावट दर्ज की है। इसके अलावा, बाद में निरपेक्ष संख्या 3.8 प्रतिशत है, जो लगभग आरबीआई के पूर्वानुमान के समान है। यह हमारे मात्रात्मक मूल्यांकन को आगे बढ़ाने के लिए और अधिक सहयोग प्रदान करता है।

vi) केंद्र सरकार के हाल ही में घोषित बजट में 2018-19 के दौरान राजकोषीय और ऋण समेकन के मार्ग से कोई राजकोषीय घाटा नहीं दिखाया है जब हम 31 जनवरी 2019 को प्रकाशित जीडीपी के पहले संशोधित अनुमानों पर विचार करते हैं। अतिरिक्त संसाधन जुटाने के बिना 2019-20 के दौरान घाटा (क्योंकि यह एक अंतरिम बजट था) भी राजकोषीय समेकन पथ से 20 बीपीएस से कम है। आम चुनाव के बाद पेश होने वाले नियमित बजट में सभी संभावितों में, इस तरह के मामूली अंतर को अतिरिक्त संसाधन जुटाने के साथ कवर किया जा सकता है। इसलिए, इसका अर्थव्यवस्था पर कोई महत्वपूर्ण मुद्रास्फीति प्रभाव और सिस्टम में वास्तविक ब्याज दरों पर बहुत सीमित प्रभाव नहीं हो सकता है। हाल के दिनों में संस्थागत सुधारों के साथ, राज्यों की ओर से महत्वपूर्ण वित्तीय घाटा भी होने की संभावना नहीं है

vii) हाल के दिनों में जीडीपी में नवीनतम संशोधन और बेरोजगारी के अनुमानों के साथ अर्थव्यवस्था में संभावित उत्पादन और संभावित उत्पादन वृद्धि के अनुमानों पर एक गंभीर दृष्टिकोण रखने की आवश्यकता है। इस मुद्दे पर पहले व्यक्त किए गए मेरे विचार और देश में समृद्ध नीति बनाने के अनुभव के साथ प्रसिद्ध विद्वानों द्वारा दिए गए अनुमानों पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। तदनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था के आगे बढ़ने की संभावित उत्पादन वृद्धि 8 से 8.5 प्रतिशत की सीमा में प्रतीत होती है, न कि 7 से 7.5 प्रतिशत के रूप में, जैसा कि अभी काफी समय से माना जा रहा है। यदि हम इस अधिक प्रशंसनीय अनुमान पर विचार करते हैं, तो आउटपुट गैप बंद होने के बजाय चौड़ा हो रहा है। आम तौर पर, जैसा कि आर्थिक नीति सुधारों को लागू किया जाता है, संभावित उत्पादन में वृद्धि होती है क्योंकि यह उत्पादकता वृद्धि और दक्षता के नए अवसरों को खोलता है। अगली 3-4 तिमाहियों के लिए विकास पूर्वानुमान में मौजूदा सीमांत डाउनवर्ड संशोधन से पता चलता है कि, वेतन वृद्धि और मुद्रास्फीति पर डाउनवर्ड दबाव बनाने के लिए पर्याप्त उत्पादन अंतर खुलने की संभावना है।

viii) इस एमपीसी का अनुभव वास्तविक नीतिगत दर (जैसा कि नीति घोषणा के समय एक वर्ष आगे अनुमानित मुद्रास्फीति पर वास्तविक नीति दर की अधिकता से मापा जाता है) और वास्तविक जीडीपी विकास के बीच एक नकारात्मक सहसंबंध को दर्शाता है। कोई भी इस परिकल्पना को अस्वीकार नहीं कर सकता है कि हाल ही में भारत में वास्तविक जीडीपी वृद्धि में मंदी अन्य कारकों के साथ उच्च वास्तविक नीति दरों के कारण है। यदि हां, तो अब वास्तविक ब्याज दरों को सही करने और आवश्यकता पड़ने पर भविष्य के कार्यों के लिए नीति स्थान बनाने का परिपक्व समय है।

50. इन सभी कारणों को देखते हुए, मेरे विचार में यह समय है कि रुख को कैलिब्रेटेड टाइटिंग से न्यूट्रल में बदलकर और नीतिगत दर को 25 बीपीएस से घटाने के लिए निर्णायक रूप से कार्य करना चाहिए। भविष्य की दर क्रियाएं विशेष रूप से 4 प्रतिशत हेडलाइन मुद्रास्फीति के लक्ष्य और समय के साथ उत्पादन अंतराल की दिशा और परिमाण के संबंध में संचालित डेटा हो सकती हैं।

डॉ. माइकल देवब्रत पात्र का वक्तव्य

51. हाल की रीडिंग से मेरा भाव यह है कि मुद्रास्फीति मार झेल रही है और 12 महीने का आगामी होराइजन पर इसकी राह एक ऐसी स्थिति बनने की संभावना है जो कि वर्तमान चढ़ाव से बढ़ रहा है।

52. यह देखते हुए कि खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति बढ़ गई, लेकिन स्थिर है (ईंधन मुद्रास्फीति कम हो रही है और सीपीआई में इसका भार अपेक्षाकृत कम है), हेडलाइन मुद्रास्फीति के बाद की ट्रेजेक्टरी को खाद्य कीमतों में बदलाव की गति से अनिवार्य रूप से निर्धारित किया जाएगा, विशेष रूप से 2019-20 की पहली छमाही जब आम तौर पर, प्री-मॉनसून को मजबूती मिलती है।

53. महत्वपूर्ण निर्णय का समय है: क्या 2018-19 (अप्रैल-अगस्त) में देखी गई असामान्य रूप से दबी हुई गति से खाद्य कीमतों की गति सामान्य पैटर्न पर वापस आ जाएगी, या, कई खाद्य पदार्थों में सामान्य गति पकड़ने से पहले संतुलन बनाने में बड़ी अतिरिक्त आपूर्ति के लिए कुछ समय लगेगा? मेरी समझ में यह उत्तरार्द्ध है, यह देखते हुए कि दालों और चीनी जैसी कुछ वस्तुओं की कीमतें सुस्त रूप से एक गहरी चक्रीय गिरावट से बाहर निकल रही हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी की कीमतों के नीचे आने से तेल और वसा की कीमतें मौन हैं, और अन्य कीमतें जैसे फल, सब्जियां और दूध अनियमित और असामान्य कोमलता का अनुभव कर रहे हैं।

54. इस बीच, खाद्य समूह के बाहर, क्रूड की कीमतों से हेडलाइन मुद्रास्फीति पथ पर जोखिम भी काफी बढ़ गया है और शिक्षा और स्वास्थ्य की कीमतों में हाल के उतार-चढ़ाव संभवतः अल्पकालिक हो सकते हैं।

55. एक मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे में, पूर्वानुमान मध्यवर्ती लक्ष्य बन जाता है क्योंकि यह अंतिम लक्ष्य चर पर सभी उपलब्ध सूचनाओं - मुद्रास्फीति और विकास - जो अदृश्य हैं को जन्म देता है। पूर्वानुमान बताता है कि हेडलाइन मुद्रास्फीति 2019-20 की तीसरी तिमाही तक 4 प्रतिशत से नीचे रहने की संभावना है, इस प्रकार एक वर्ष आगे के समय होराइजन में लक्ष्य को हासिल करना। गौरतलब है कि दिसंबर 2018 में एमपीसी की पिछली बैठक के बाद मुद्रास्फीति के मार्ग को 40-80 आधार अंकों से नीचे समायोजित किया गया है। यह शैलीगत साक्ष्य के अनुरूप है - सर्वेक्षण किए गए परिवार, व्यवसायों और पेशेवर पूर्वानुमानकर्ताओं ने अगले बारह महीनों में अपनी मुद्रास्फीति की प्रत्याशा में काफी सुधार किया है; उपभोक्ता पहले की तुलना में विकसित मूल्य की स्थिति के बारे में अधिक आशावादी हैं; और लागत दबाव बिक्री मूल्य के देरी और अधूरे पास-थ्रू के साथ मध्यम हैं। इन समायोजनों की दिशा द्वारा, न कि उनके स्तरों द्वारा मुख्य अंतर्दृष्टि प्रदान की जाती है।

56. जैसा कि संशोधित आरबीआई अधिनियम हमें बताता है, यदि हेडलाइन मुद्रास्फीति के लिए प्राथमिक लक्ष्य यथोचित रूप से स्थायी आधार पर हासिल किया जाता है, तो यह विकास के उद्देश्य को पूरा करने के लिए कुछ हेडरूम खोलता है। एमपीसी को इन असमान चालित मूल्य हलचल के विकास की बारीकी से निगरानी करने और तदनुसार मौद्रिक नीति रुख को जांचने की आवश्यकता होगी। यदि, अगले कुछ महीनों में खाद्य मूल्य में बदलाव का संकेत मिलता है कि मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत से ऊपर जाने की संभावना है और टोलरेंस बैंड की ऊपरी पहुंच में बनी रहती है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि मूल्य स्थिरता बनाए रखने के प्राथमिक उद्देश्य का बचाव किया गया है और अंतिम रूप से हासिल किया जाएगा, पूर्व-अपेक्षित कार्रवाई की जाएगी।

57. वृद्धि के लिए दृष्टिकोण की ओर मुड़ते हुए, घरेलू गतिविधि लचीला बनी हुई है, लेकिन यह 2018-19 की दूसरी छमाही में कुछ गति पकड़ती हुई प्रतीत होती है। होराइजन पर कुछ संकट इकट्ठे होते दिख रहे हैं। उच्च आवृत्ति संकेतक बताते हैं कि 2018-19 की पहली छमाही में निवेश में बढ़ोतरी ने दूसरी छमाही में कुछ मजबूती खो दी है और निजी निवेश में सुधार की संभावनाओं में काफी अनिश्चितता को बढ़ाती है - विशेष रूप से नई क्षमता वृद्धि में - और विनिर्माण क्षेत्र में क्षमता उपयोग अभी भी कमजोर कैपेक्स चक्र को देखते हुए प्रवृत्ति से ऊपर तनाव में है।

58. वृद्धि का सबसे बड़ा जोखिम वैश्विक विकास से उपजी संभावना है - 2018 की दूसरी छमाही में वैश्विक विकास का कमजोर होना आने वाली तिमाहियों में चल सकता है; वैश्विक व्यापार और निवेश चल रहे व्यापार तनाव से प्रभावित हो सकते हैं; और प्रणालीगत महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं में नीतिगत अनिश्चितताओं से अंतिम जोखिम स्पष्ट हो सकते हैं। वर्तमान में प्रत्याशित वैश्विक मंदी की तुलना में अधिक गहरा होना चाहिए, निर्यात और निवेश के माध्यमों से प्रसारित आवेगों को हटाकर घरेलू गतिविधि को नीचे खींचा जा सकता है। इस परिदृश्य में, अर्थव्यवस्था को प्रतिकूल बाहरी झटके से बचाने और जल्दबाजी में इसे पूरा करने के बजाय घरेलू अर्थव्यवस्था को बेहतर तरीके से बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त नीतिगत स्थान को संरक्षित करना समझदारी है।.

59. तदनुसार, मैं नीतिगत दर में 25 आधार अंकों की कमी और न्यूट्रल नीति रुख के प्री-एमप्टीव शिफ्ट के लिए मतदान करता हूं।

डॉ. विरल वी. आचार्य का वक्तव्य

60. दिसंबर में मौद्रिक नीति बैठक के समय से, खाद्य मुद्रास्फीति आंकड़े लगातार नरम हो रहे हैं, जिसका मुख्य कारण आयात (कुछ मामलों में) के साथ सब्जियों और फलों का अच्छा घरेलू उत्पादन रहा है। वास्तव में, अनेक खाद्य समूह अभी अवस्फीति में हैं, जिनमें हाल के खाद्य मुद्रास्फीति आंकड़ों में गति जारी है जो आंकड़े दिसंबर की नीति के समय में उपलब्ध थे। अंतरराष्ट्रीय तरल पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) की कीमतों में कमी होने के कारण ईंधन मुद्रास्फीति सहज हो गई है। खाद्य और ईंधन को छोड़कर हेडलाइन मुद्रास्फीति कुछ कम हुई है जिसका कारण कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के आवास किराया भत्ता (एचआरए) प्रभावों का पूरी तरह से खत्म होना है, फिर भी यह काफी उच्च स्तर पर बनी हुई है जो पिछले तीन प्रिंटों में 5.6-6.2 प्रतिशत के बीच रही जिसमें स्वास्थ्य और शिक्षा घटकों ने दवाओं की कीमतों और निजी ट्यूशन लागतों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी के कारण दिसंबर में उछाल दर्शाया।

61. आरबीआई हेडलाइन मुद्रास्फीति अनुमानों को पहले से ही 12 महीनों की अवधि के लिए अक्तूबर से दिसंबर तक विभिन्न तिमाहियों हेतु नीचे की ओर 40-80 आधार अंकों के बीच संशोधित किया जा चुका है। दिसंबर अनुमानों से संबंधित अतिरिक्त डाउनसाइड आश्चर्य कम है जो तिमाही आधार पर लगभग 10 आधार अंक है। भारतीय रिज़र्व बैंक के सर्वेक्षण (आईईएच) द्वारा यथामापित परिवारों की मुद्रास्फीति प्रत्याशाएं 3 महीनों की अवधि के लिए 80 आधार अंकों और 12 महीनों की अवधि के लिए 130 आधार अंकों की कमी दर्शाती हैं, जो संभवतः हाल के मुद्रास्फीति प्रिंट में नरमी के जवाब में परिवारों की प्रत्याशाओं की अनुकूल प्रकृति को दर्शाती है, महत्वपूर्ण बात यह है कि वे परोक्ष रूप से जमीनी वास्तविकता और विशेषकर खाद्य और ईंधन श्रेणियों में मुद्रास्फीति धारणाओं में बदलाव की पुष्टि भी करते हैं।.

62. इन आंकड़ों और अन्य विचार-विमर्श के आधार पर, अगले 12 महीनों की अवधि के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के तिमाही मुद्रास्फीति अनुमानों को और भी नीचे की ओर संशोधित किया गया है तथा इसका अर्थ है कि हेडलाइन मुद्रास्फीति स्थिर रूप से बढ़ रही है किंतु यह 4 प्रतिशत की लक्ष्य दर से नीचे बनी हुई है।

63. इन अनुमानों के ईर्द-गिर्द रचना प्रभावों और जोखिमों की मेरी समझ निम्नानुसार है:

64. पहला, खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर और दृढ़ बनी हुई है, इसलिए यह समझना महत्वपूर्ण प्रतीत होता है कि स्वास्थ्य और शिक्षा घटकों में देखी गई गति में तेज वृद्धि एकबारगी है या नहीं। जबकि इसे अभी के लिए एकबारगी मानना उचित प्रतीत होती है, यदि यह बनी रहती है तो यह खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति को असुविधाजनक स्तर पर पहुंचा सकती है। दुर्भाग्यवश, प्रतीक्षा करने तथा कुछ और प्रिंटों का विश्लेषण करने के अतिरिक्त इस मुद्दे को सुलझाने का कोई दूसरा तरीका नहीं है।

65. दूसरा, कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय ब्रेंट कीमतें लघु अवधि में स्थिर हो गई हैं। फिर भी, पिछले छह महीनों में देखे गए भौगोलिक-राजनीतिक जोखिमों के बड़े आवर्तन को भुलना या छोड़ना जल्दबाजी होगी। तेल के हमारे आयात और अंतर्निहित चालु खाता घाटा प्रभावों के चलते, हेडलाइन मुद्रास्फीति कच्चे तेल की कीमतों के अपसाइड जोखिम में विशेषरूप से प्रतिकूल प्रतिक्रिया देती है।.

66. तीसरा, यह माना गया है कि खाद्य कीमतों में हाल की कम गति में अगले 12 माह की अवधि के लिए संरचनागत घटक होगा क्योंकि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों स्तरों पर अनेक खाद्य मदों की आपूर्ति में प्रचुरता प्रतीत होती है। तथापि, सब्जियों की कीमतें अपने अवस्फीतिकारी गति से होने वाले अचानक प्रत्यावर्तन के प्रति भेद्य हैं।

67. ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि खाद्य कीमतों में संधारित कम गति के अनुमान से कृषि निराशा के जोखिम पर विचार कराता है। ऐसी निराशा से लघु अवधि में कृषि अर्थव्यवस्था को राजकोषीय सहायता के रूप में राजनीतिक-आर्थिक प्रतिक्रिया देना जरूरी हो जाएगा, ऐसी राजकोषीय सहायता के प्रभाव अगले 12 महीनों या इससे अधिक समय के लिए आंशिक रूप से रह सकते हैं। ग्रामीण मांग बढ़ाने और ग्रामीण मजदूरी को पुनःस्थापित करने के अतिरिक्त, ऐसी प्रतिक्रिया का हेडलाइन मुद्रास्फीति में सामान्यीकरण हो सकता है; राजकोषीय और अर्थ-राजकोषीय वित्तपोषण, विशेषकर राष्ट्रीय लघु बचत निधि (एनएसएसएफ) का बैंक जमा दरों और राजकोषीय/अर्थ-राजकोषीय बाजार उधारों का कॉर्पोरेट बॉन्ड प्रतिफलों में वित्तपोषण से वास्तविक अर्थव्यवस्था के वित्तपोषण से बढ़ने वाली इनपुट लागत से यह बढ़ सकती है। हमारी प्रतितथ्यात्मक कार्रवाई दर्शाती हैं कि हेडलाइन मुद्रास्फीति पर ऐसे ऊपरी ओर दबाव में अगले 12 महीनों के लिए नीति दर कार्रवाई को अनुरूप करना अपेक्षित होगा।

68. अन्य शब्दों में, लघु अवधि में विशेषरूप से उदार खाद्य मुद्रास्फीति के अनुमान से राजकोषीय समायोजनों से लघु और/अथवा मध्यावधि में मुद्रास्फीति प्रगति पथ के लिए उल्लेखनीय अपसाइड जोखिम हैं, ये राजकोषीय समायोजन कृषि निराशा का समाधान करने और ग्रामीण मांग को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक होंगे।

69. चौथा, जबकि मुद्रास्फीति प्रत्याशाएं हाल के सर्वेक्षण में नीचे की ओर बढ़ी हैं यदि दिसंबर 2017 के सर्वेक्षण से तुलना की जाए, ये 3 माह की अवधि के लिए उच्च स्तर पर रही हैं। अन्य शब्दों में, परिवारों की मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं के नियंत्रण का कार्य अभी भी एक चालू प्रक्रिया है तथा यह थोड़ी जल्दबाजी होगी यदि इसके हाल के समायोजन के आधार पर इसकी संधारणीयता का अनुमान लगाया जाए।

70. संतुलन पर, मैं (i) खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति के बढ़े हुए स्तर, (ii) तेल की कीमत से उत्पन्न होने वाले ऊपरी जोखिमों और संधारित खाद्य अवस्फीति के राजकोषीय निहितार्थों तथा (iii) पिछले 12 महीनों की अवधि के लिए परिवार मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं में पर्याप्त और संधारित नीचे की ओर समायोजन के बारे में चिंतित हूं।

71. वृद्धि की बात करते हुए, विशेषकर प्रमुख उन्नत अर्थव्यवस्थाओं और उभरते बाजारों में वैश्विक वृद्धि की चिंताएं, जो टैरिफ वार में शामिल हैं, बढ़ गई हैं। इसकी प्रतिक्रिया में, अनेक केंद्रीय बैंकों ने अपनी दर वृद्धि योजनाओं के बारे में धैर्य रखने का निर्णय लिया है और/अथवा अपने वृद्धि अनुमान नीचे की ओर संशोधित कर दिए हैं। मेरा आकलन है कि जब तक ये चिंताएं मंदी के जोखिमों में न बदल जाएं, वे वास्तव में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक हो सकती हैं क्योंकि समग्र वैश्विक मांग में कमी से ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतें नियंत्रण में रहेंगी।

72. आर्थिक गतिविधि के लिए घरेलू संकेतक कुल मिलाकर मिले-जुले हैं। वर्ष 2018-19 की तीसरी तिमाही में समग्र कॉर्पोरेट कार्यनिष्पादन स्थिर रहा, क्षमता उपयोग – पूर्ण या मौसमी रूप से समायोजित – मजबूत बना रहा और पिछली दो तिमाहियों के लिए 75 के निकट या इससे अधिक रहा, विनिर्माण और सेवा में पीएमआई अच्छे स्तरों पर विस्तारकारी मोड में रहा तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा की गई उपभोक्ता भावना सर्वेक्षण में सुधार हुआ है। प्राथमिक कमजोर अनुरूपी आर्थिक संकेतक ऑटो बिक्री और उत्पादन में रहे। हमारा आंतरिक अनुसंधान सुझाता है कि यह कमजोरी आंशिक रूप में वर्ष 2018-19 की दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान उच्च ईंधन कीमतों का विलंबित प्रभाव दर्शाती है, ऐसा प्रभाव जो धीरे-धीरे विपरीत होना चाहिए, तथा साथ ही यह उत्सर्जन मानकों और थर्ड पार्टी बीमा अपेक्षा में एकबारगी बदलावों के कारण हुई है।

73. आउटपुट अंतराल के पारंपरिक उपाय कुछ शुरुआत दर्शाते हैं अर्थात प्राप्त आउटपुट संभावित आउटपुट से नीचे। तथापि, मेरा अधिमानतः उपाय, वित्त-तटस्थ आउटपुट अंतराल सकारात्मक बना हुआ है अर्थात प्राप्त आउटपुट संभावित आउटपुट से थोड़ा ऊपर है क्योंकि इससे अच्छी समग्र क्रेडिट वृद्धि और स्थायी स्टॉक निष्पादन दिखाई देता है। यह भी खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति के उच्च स्तर के अनुरूप ही है।

74. मेरे मुद्रास्फीति और वृद्धि के आकलनों को संयुक्त करते हुए, तथा वृद्धि पर ध्यान देते हुए मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के हेडलाइन मुद्रास्फीति के लक्ष्य को टिकाऊ आधार पर 4 प्रतिशत पर रखने के अधिदेश के चलते, मैं “हेलमेट हटाने” किंतु “क्रीज के अंदर बने रहने” को प्राथमिकता देता हूं। अर्थात मैं आवक आंकड़ों के आधार पर भविष्य में नीतिगत लचीलेपन को बनाए रखने के लिए रुख को नपी-तुली सख्ती से तटस्थ में बदलने किंतु नीति दर को 6.5 प्रतिशत पर रखने के लिए अपना वोट करता हूं। खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति के उच्च स्तर के चलते, हमारी प्रतितथ्यात्मक कार्रवाई उदारता की गुंजाइश नहीं दर्शाती हैं, इन कार्रवाइयों में नीति दर को 6.5 प्रतिशत पर रखना मध्यावधि में ‘बिल्कुल सही’ साबित होगा।

75. मेरे विचार में, दर कटौती का निर्णय पूरी तरह से अगले 12 महीनों में खाद्य कीमतों की संधारित कमजोर गति के अनुमान पर निर्भर करेगा, जिसे, जैसाकि मैंने बताया है, कृषि निराशा का समाधान करने के लिए आवश्यक राजकोषीय उपायों से उल्लेखनीय अपसाइड जोखिम के अनुरूप देखा जाना चाहिए। वर्तमान के अच्छे वृद्धि स्तर के समय में मुझे यह बेहतर लगता है कि अगली नीति तक इंतजार करें जब तक मेरे द्वारा प्रकाश डाली गई अनिश्चितताओं, विशेषकर स्वास्थ्य और शिक्षा मुद्रास्फीति एकबारगी बदलाव, तेल की कीमतों तथा वैश्विक मंदी के जोखिम, की समस्या सुलझ न जाए। घरेलू वास्तविक अर्थव्यवस्था तथा उनके संचालकों में किसी प्रकार की नरमी की समझ के लिए तीसरी तिमाही के लिए वृद्धि के आंकड़े भी तब तक उपलब्ध हो जाएंगे।

76. अंततः यह स्मरण करें कि मैंने अगस्त 2017 में दर कटौती के लिए वोट किया था, उस समय मुद्रास्फीति के सभी घटकों ने डाउनवर्ड प्रवृत्ति दर्शाई थी, मुद्रास्फीति के लिए अपसाइड जोखिम कम हो गए थे तथा वृद्धि कमजोर थी। पैरामीटरों के समूह ने मुझे वर्तमान समय की अपेक्षा नीति दर में कटौती करने की सुविधा प्रदान की थी। यदि ऐसी ही स्थिति अगले दो महीनों में बनती है तो मैं आगामी नीति कार्रवाई में अधिक स्पष्टता प्रदान करूंगा।

शक्तिकान्त दास का वक्तव्य

77. 2.2 प्रतिशत पर दिसंबर का सीपीआई मुद्रास्फीति प्रिंट निम्नस्तर पर जारी रहा। सम्पूर्ण खाद्य समूह खाद्य मूल्य में गिरावट के साथ मुद्रास्फीति में जारी रहेंगे, जो और अधिक व्यापक आधार पर हो रहे है। खाद्य समूह के पाँच घटक- सब्जी, चीनी, दाल, अंडे और फल- दिसंबर में अवस्फीति में थे। मुख्य रूप से तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) की कीमत में भारी गिरावट के कारण ईंधन की मुद्रास्फीति में भी काफी गिरावट आई है। खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति को भी अंतरराष्ट्रीय पेट्रोलियम उत्पाद कीमत में गिरावट के अनुसार पेट्रोल और डीजल में गिरावट के आधार पर विषेशरूप से संयमित, कम किया गया है। आवास मुद्रास्फीति में लगातार गिरावट जारी है। तथापि, घरेलू सामान और सेवाओं में मुद्रास्फीति; स्वास्थ्य; मनोरंजन और खेलकूद; तथा शिक्षा दिसंबर 2018 में मजबूत हुई।

78. आगे, खाद्य मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण अनेक खाद्य मदों में अत्यधिक घरेलू आपूर्ति के पृष्ठभूमि में सौम्य होना प्रत्याशित है। अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में खाद्य पदार्थों के कम कीमत भी घरेलू अधिशेष के समाधान के लिए निर्यात के लिए रास्ते को सीमित करती है। सम्पूर्ण मुद्रास्फीति को कम रखने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कारक है। नरम कच्चे तेल की कीमतें पेट्रोलियम उत्पाद मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के लिए अच्छी तरह से बढ़ती हैं और यह वस्तुओं और सेवाओं के लिए इनपुट लागतों को रखने में मदद करेगा। घरेलू वस्तुओं के लिए मुद्रास्फीति अनुमान में अंतिम राउंड में महत्वपूर्ण रूप से गिरावट आई है, जो एक तरह से विकास का आगमन है। व्यापक रूप से संतुलत जोखिमों के साथ शेष चार तिमाहियों में सीपीआई मुद्रास्फीति चार प्रतिशत से कम होने का अनुमान है- 2018-19 की चौथी तिमाही में 2.8 प्रतिशत, एच1:2019-20 में 3.2-3.4 प्रतिशत और 2019-20 की तीसरी तिमाही में 3.9 प्रतिशत। निकट अवधि से परे, तथापि, मुद्रास्फीति के परिस्थिति में कुछ अनिश्चितताओं के खिलाफ कदम उठाने की आवश्यकता है जैसे कि (i) सब्जियों की कीमत में अचानक उलटफेर; (ii) तेल की कीमत के दृष्टिकोण से खतरा; (iii) स्वास्थ्य और शिक्षा की कीमतों में हाल ही में असामान्य बढ़ोतरी, जिसके लिए सतर्कता की आवश्यकता है; और (iv) कुल मांग पर कई बजट प्रस्तावों का प्रभाव, यद्यपि उपायों का पूरा प्रभाव यथासमय बढ़ जाएगा।

79. विकास दृष्टिकोण की बात करते हुए, सीएसओ ने 2018-19 में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि को 7.2 प्रतिशत पर रखा है। आगे देखते हुए, रिजर्व बैंक के पहले के अनुमानों की तुलना में कुछ हद तक घरेलू विकास धीमा होने के संकेत हैं। हाल के उच्च आवृत्ति संकेतक पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन और हाल के महीनों में अनुबंधित पूंजीगत वस्तुओं के आयात के साथ निवेश की मांग को कम करते हैं। उच्च आवृत्ति संकेतक मांग (यात्री कारों, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं, मोटरसाइकिल और ट्रैक्टर की बिक्री) में नरमी का सुझाव देते हैं।

80. आपूर्ति पक्ष में, अभी तक रबी की बुवाई पिछले साल की तुलना में मामूली रूप से कम रही है, फसलों में कमी के साथ। हालांकि, एक उम्मीद है कि बुवाई के मौसम के शेष भाग में इसका क्षेत्र बढ़ेगा। सर्दी के मौसम की बढ़ी स्थिति से समग्र गेहूं उत्पादकता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है। विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के लिए उच्च आवृत्ति और सर्वेक्षण-आधारित संकेतक गतिविधि की गति में कुछ मंदी का सुझाव देते हैं। सेवा क्षेत्र में, हाल के महीनों में विदेशी पर्यटकों के आगमन और अंतर्राष्ट्रीय हवाई यात्री यातायात में वृद्धि हुई है। हालांकि, विनिर्माण क्षेत्र के संकेतक जैसे कि स्टील की खपत और सीमेंट का उत्पादन स्वस्थ विकास को दर्शाता है, हालांकि नवंबर 2018 में सीमेंट उत्पादन में वृद्धि कम थी।

81. समग्र वित्तपोषण स्थितियों में सुधार हो रहा है, बैंक क्रेडिट वृद्धि दोहरे अंकों में पहुंच गई है और वाणिज्यिक क्षेत्र के लिए संसाधनों का कुल प्रवाह उल्लेखनीय रूप से एक वर्ष पहले के स्तर से उच्चतर है। सेवा (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां, परिवहन ऑपरेटर और व्यापार) तथा वैयक्तिक ऋण श्रेणी, विशेषकर आवास में क्रेडिट प्रवाह मजबूत रहा है। तथापि, क्रेडिट वृद्धि अभी व्यापक आधारित होनी है। विशेषकर, उद्योग के लिए क्रेडिट प्रवाह कमजोर रहा है, सूक्ष्म और लघु उद्योग में क्रेडिट दिसंबर 2018 को कम हो गया जबकि बड़े उद्योगों के लिए क्रेडिट में कम गति से विस्तार हुआ।

82. वैश्विक वृद्धि भी सुस्त व्यापार तनाव तथा ब्रेग्जिट के बारे में अनिश्चितता के बीच कर्षण कम हो रहा है। सकारात्मक पक्ष पर, कच्चे तेल की कीमतें नरम बनी हुई हैं, हालांकि निवल निर्यात का लाभ धीमी वैश्विक मांग के कारण प्रतिबंधित हो सकता है। वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी वृद्धि 7.4 प्रतिशत अनुमानित की गई है – पहली छमाही में 7.2-7.4 प्रतिशत तथा तीसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत के दायरे में रही जिसमें जोखिम समान रूप से संतुलित रहे।

83. वृद्धि भावनाएं कमजोर हो गई हैं तथा निजी निवेश को बढ़ाने और निजी उपभोग, विशेषकर, धीमी वैश्विक वृद्धि के समय में सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। दिसंबर 2018 की नीति के समय से मुद्रास्फीति रीडिंग में तेज गिरावट हुई है। समग्र खाद्य संभावना उदार बनी हुई है तथा एक वर्ष आगे की हेडलाइन मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत के लक्ष्य स्तर से नीचे रहने का अनुमान लगाया गया है। इस स्तर पर मुद्रास्फीति के जोखिम भी व्यापक रूप से बेसलाइन के ईर्द-गिर्द संतुलित हो गये हैं। इसलिए, वर्ष 2016 में संशोधित किए गए भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के प्रावधानों के अनुसरण में वृद्धि चिंताओं का समाधान करने के लिए नीतिगत कार्रवाई के लिए गुंजाइश बन गई है। उभरता अनुकूल समष्टि आर्थिक आकार निर्णायक रूप से कार्य करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। पहल पर पकड़ बनाने और वृद्धि को पुनर्जीवित करने के लिए अनुकूल परिवेश का सृजन करने हेतु तथा संधारित विकास पथ सुनिश्चित करने के लिए समय उचित है। इसलिए, मैं नीति रेपो दर में 25 आधार अंक तक कमी करने के लिए वोट करता हूं। मैं मौद्रिक नीति के रुख को नपी-तुली सख्ती से तटस्थ में बदलने के लिए भी वोट करता हूं। रुख में इस बदलाव का दिसंबर में एमपीसी की बैठक और नीति के बाद की प्रेस कान्फ्रेंस के बाद बाजार भागीदारों पर काफी अधिक प्रभाव पड़ा है। आने वाले वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था की संधारित वृद्धि की चुनौतियों का समाधान करने के लिए तटस्थ रुख लचीलापन और गुंजाइश मुहैया कराएगा जब तक मुद्रास्फीति संभावना उदार बनी रहती है।

जोस जे. कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2018-2019/2002

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