मौद्रिक नीति समिति की 30 जुलाई -1 अगस्त 2018 को हुई बैठक के कार्यवृत्त - आरबीआई - Reserve Bank of India
मौद्रिक नीति समिति की 30 जुलाई -1 अगस्त 2018 को हुई बैठक के कार्यवृत्त
अगस्त 16, 2018 मौद्रिक नीति समिति की 30 जुलाई -1 अगस्त 2018 को हुई बैठक के कार्यवृत्त संशोधित भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेडबी के अंतर्गत गठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बारहवीं बैठक 30 जुलाई -1 अगस्त 2018 को भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई में आयोजित की गई। 2. बैठक में सभी सदस्य – डॉ. चेतन घाटे, प्रोफेसर, भारतीय सांख्यिकी संस्थान; डॉ. पामी दुआ, निदेशक, दिल्ली अर्थशास्त्र स्कूल; और डॉ. रविन्द्र एच. ढोलकिया, पूर्व प्रोफेसर, भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद; डॉ. माइकल देबब्रत पात्र, कार्यपालक निदेशक (भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेडबी(2)(सी) के अंतर्गत केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामित रिज़र्व बैंक का अधिकारी); डॉ. विरल वी. आचार्य, उप-गवर्नर, मौद्रिक नीति प्रभारी उपस्थित हुए और इसकी अध्यक्षता डॉ. उर्जित आर. पटेल, गवर्नर द्वारा की गई। 3. संशोधित भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेडएल के अनुसार, रिज़र्व बैंक मौद्रिक नीति समिति की प्रत्येक बैठक के चौदहवें दिन इस बैठक की कार्यवाहियों के कार्यवृत्त प्रकाशित करेगा जिसमें निम्नलिखित शामिल होगा:– (क) मौद्रिक नीति समिति की बैठक में अपनाया गया संकल्प; (ख) उपर्युक्त बैठक में अपनाए गए संकल्प पर मौद्रिक नीति के प्रत्येक सदस्य को प्रदान किया गया वोट; और (ग) उपर्युक्त बैठक में अपनाए गए संकल्प पर धारा 45जेडआइ की उप-धारा (11) के अंतर्गत मौद्रिक नीति समिति के प्रत्येक सदस्य का वक्तव्य। 4. मौद्रिक नीति समिति ने उपभोक्ता विश्वास, परिवार मुद्रास्फीति प्रत्याशा, कॉर्पोरेट क्षेत्र का कार्यनिष्पादन, क्रेडिट स्थिति, औद्योगिक, सेवा और बुनियादी सुविधा क्षेत्रों की संभावना तथा व्यावसायिक पूर्वानुमानकर्ताओं के अनुमानों का आकलन करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा करवाए गए सर्वेक्षणों की समीक्षा की। समिति ने इन संभावनाओं के विभिन्न जोखिमों के ईर्द-गिर्द स्टाफ के समष्टि आर्थिक अनुमानों और वैकल्पिक परिदृश्यों की विस्तृत रूप से समीक्षा की। उपर्युक्त पर और मौद्रिक नीति के रुख पर व्यापक चर्चा करने के बाद एमपीसी ने संकल्प अपनाया जिसे नीचे प्रस्तुत किया गया है। संकल्प 5. मौद्रिक नीति समिति ने आज की अपनी बैठक में वर्तमान और उभरती समष्टिगत आर्थिक परिस्थिति के आकलन के आधार पर यह निर्णय लिया है कि:
एमपीसी का निर्णय मौद्रिक नीति के तटस्थ रुझान के अनुरूप है। इसका तारतम्य, वृद्धि को सहारा प्रदान करते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति के 4 प्रतिशत के मध्यावधिक लक्ष्य को +2/-2 प्रतिशत के दायरे में रखने के उद्देश्य से भी है। इस निर्णय के समर्थन में प्रमुख विवेचनों का वर्णन नीचे दिए गए विवरण में किया गया है। आकलन 6. जून 2018 में हुई एमपीसी की अंतिम बैठक से वैश्विक आर्थिक गतिविधि सक्रिय बनी हुई है, तथापि वैश्विक वृद्धि असमान हुई है तथा बढ़ते व्यापार तनावों के साथ संभावना के लिए जोखिम बढ़ गए हैं। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एई) के बीच अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने पहली तिमाही की नरम वृद्धि के बाद दूसरी तिमाही में मजबूती हासिल की है जिसका कारण बढ़ता व्यक्तिगत उपभोग व्यय तथा निर्यात है। यूरो क्षेत्र में राजनीतिक अनिश्चितता और मजबूत मुद्रा के कारण मंद उपभोक्ता मांग के कारण पहली तिमाही की कमजोर वृद्धि दूसरी तिमाही में भी जारी रही। जापान में खुदरा बिक्री, उपभोक्ता विश्वास पर हाल के आंकड़े और कारोबारी भावना वृद्धि में नरमी की ओर संकेत करते हैं। 7. प्रमुख उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) में आर्थिक गतिविधि अस्थिर और बढ़े हुए तेल मूल्यों, बढ़ते व्यापार तनावों और वित्तीय स्थिति के कठोर होने के कारण कुछ धीमी हो गई हैं। चीनी अर्थव्यवस्था ने ऋण को नियंत्रित रखने के लिए किए गए प्रयासों के कारण दूसरी तिमाही में कुछ गति खो दी। रूसी अर्थव्यवस्था ने पहली तिमाही में गति प्राप्त की, रोजगार, औद्योगिक उत्पादन और निर्यात पर हाल के आंकड़े संकेत करते हैं कि अर्थव्यवस्था ने और गति हासिल की है। दक्षिण अफ्रीका की अर्थव्यवस्था पहली तिमाही में संकुचित हुई, हालांकि उपभोक्ता भावना में सुधार हुआ, उच्च बेरोजगारी तथा कमजोर निर्यात की चुनौती है। ब्राजील में आर्थिक गतिविधि को राष्ट्रव्यापी हड़ताल के कारण पहली तिमाही में धक्का लगा, हाल ही के आंकड़े दर्शाते हैं कि वृद्धि मंदी रही क्योंकि औद्योगिक उत्पादन मई में कम हो गया और विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) घट गया। 8. व्यापार जंग के बढ़ने और ब्रेग्जिट समझौता वार्ता से उत्पन्न हुई अनिश्चितता के कारण वैश्विक व्यापार में कुछ पकड़ कम हो गई। कच्चे तेल की कीमतें, जो नाजुक मांग-आपूर्ति संतुलन के कारण मई-जून में अस्थिर और बढ़ी हुई थी, पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) तथा गैर-ओपेक उत्पादकों से उच्चतर आपूर्ति पर जुलाई के दूसरे पखवाड़े में थोड़ी सहज हुई। मूल धातुओं की कीमतें व्यापार जंग के बढ़ने के डर से बढ़ी हुई सामान्य रिस्क-ऑफ भावना के कारण घट गईं। स्वर्ण की कीमतें मजबूत डॉलर के कारण नरम हो गई हैं। अमेरिका में मुद्रास्फीति मजबूत रही, जो तेल की उच्चतर कीमतों और मजबूत समग्र मांग को प्रतिबिंबित कर रही है। मुद्रास्फीति कुछ अन्य प्रमुख उन्नत और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में थोड़ी बढ़ गई है, ऐसा आंशिक रूप से ऊर्जा की बढ़ती कीमतों और मुद्रा के मूल्यह्रास के पास-थ्रू प्रभावों के कारण हुआ। 9. वित्तीय बाजार मुख्य रूप से उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में मौद्रिक नीति रुख और भौगोलिक-राजनीतिक तनावों द्वारा प्रभावित हैं। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में इक्विटी बाजारों में व्यापार तनाव और ब्रेग्जिट समझौता वार्ता से संबंधित अनिश्चितता के कारण गिरावट आ गई। यूएस फेडरल द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि करने पर ईएमई आस्तियों के लिए निवेशकों की भूख घट गई। अमेरिका में 10 वर्षीय सॉवरेन प्रतिफल सुरक्षित आश्रय स्थल मांग के चलते 17 मई को इसके शीर्ष से कुछ नीचे आ गया, ऐसा बढ़ते व्यापार द्वन्द्वों के कारण हुआ। अन्य महत्वपूर्ण उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में भी प्रतिफल नरम हो गए। तथापि, अधिकांश उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में प्रतिफलों में गतिविधियां अलग-अलग रही, जो घरेलू समष्टि-आर्थिक मूल तत्वों और कठोर वैश्विक चलनिधि को प्रतिलक्षित करते हैं। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में मौद्रिक नीति के कड़े होने की प्रत्याशा में उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में पूंजी प्रवाहों में गिरावट आई। मुद्रा बाजारों में, अमेरिकी डॉलर बढ़ गया, जिसे मजबूत आर्थिक आंकड़ों से मदद मिली। कम होती राजनीतिक अनिश्चितता तथा केंद्रीय बैंक द्वारा टेपर बातचीत के कारण यूरो में जून में मजबूती आई। तथापि, मिश्रित आर्थिक आंकड़ों और बढ़ते अमेरिकी डॉलर के कारण बाद में मुद्रा ने नरमी पर कारोबार किया। सामान्य तौर पर, उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं की मुद्रा में पिछले महीने में अमेरिकी डॉलर की तुलना में मूल्यह्रास हुआ। 10. घरेलू मोर्चे पर, दक्षिण-पश्चिम मानसून में जून के दूसरे पखवाड़े में कमी के लघु समय के बाद सुधार हो रहा है। 31 जुलाई 2018 तक संचित वर्षा दीर्घावधि औसत से 6 प्रतिशत कम रहा। स्थानीय वितरण के मामले में, 36 उप-मंडलों में से 28 में सामान्य या अधिक वर्षा हुई जबकि पिछले वर्ष के तीन उप-मंडलों की तुलना में 8 उप-मंडलों में कम वर्षा हुई। 27 जुलाई को खरीफ फसल का कुल बुआई क्षेत्र एक वर्ष पहले के क्षेत्र से 7.5 प्रतिशत कम रहा। 26 जुलाई को प्रमुख जलाशयों में मौजूदा संग्रहण पूर्ण जलाशय स्तर का 41 प्रतिशत रहा दो एक वर्ष पूर्व 36 प्रतिशत था जो रबी के बुआई मौसम के लिए अच्छा संकेत है। 11. औद्योगिक उत्पादन के सूचकांक (आईआईपी) द्वारा मापित औद्योगिक वृद्धि वर्ष-दर-वर्ष आधार पर अप्रैल-मई 2018 में मजबूत हो गया। ऐसा मुख्य रूप से पूंजीगत वस्तुओं और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं के उत्पादन में उल्लेखनीय सुधार के कारण हुआ। इंफ्रास्ट्रक्चर/निर्माण क्षेत्र में वृद्धि में तेजी से बढ़ोतरी हुई, जो राष्ट्रीय राजमार्गों और ग्रामीण आवास पर सरकार के जोर को दर्शाती है, जबकि उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुओं की वृद्धि में काफी गिरावट आई। आठ मुख्य उद्योगों का आउटपुट पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पादों, इस्पात, कोयला और सीमेंट में उच्चतर उत्पादन के कारण जून में बढ़ गया। विनिर्माण क्षेत्र में क्षमता उपयोग मजबूत रहा। उत्पादन, आदेश बहियों और निर्यात में कुछ नरमी के बावजूद वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही के लिए रिज़र्व बैंक के कारोबार प्रत्याशा सूचकांक (बीईआई) पर आधारित आकलन आशावादी रहा। जुलाई विनिर्माण पीएमआई विस्तारकारी जोन में रहा, हालांकि आउटपुट, नए आदेशों और रोजगार में धीमी वृद्धि के साथ एक महीने पहले के अपने स्तर से सहज हो गया। 12. सेवा गतिविधि के अनेक उच्च बारंबारता सूचक मई-जून में तेज गति से बढ़े। ट्रैक्टर और दुपहिया वाहनों की बिक्री वृद्धि में काफी तेजी आई, जो मजबूत ग्रामीण मांग को दर्शाती है। यात्री वाहन बिक्री वृद्धि जो शहरी मांग का सूचक है, भी सुदृढ़ रही। वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री वृद्धि भी कुछ मंदी के बावजूद मजबूत बनी रही। घरेलू हवाई ट्रैफिक-शहरी मांग का दूसरा सूचक दुहरी संख्या वृद्धि में बना रहा। जून में लगातार आठवें माह के लिए दुहरी संख्या में वृद्धि के बनाए रखते हुए सीमेंट उत्पादन के साथ निर्माण गतिविधि सूचकों में भी सुधार हुआ। मई में इस्पात उत्पादन में भी तेजी आई। सेवा पीएमआई मई में थोड़ी कमी के बाद जून में 12 माह के उच्च स्तर पर पहुंच गया, जिसमें नए कारोबार और रोजगार में विस्तार से सहायता मिली। 13. वर्ष-दर-वर्ष आधार पर सीपीआई में बदलाव द्वारा मापित खुदरा मुद्रास्फीति मई के 4.9 प्रतिशत से बढ़कर जून में 5 प्रतिशत हो गई, ऐसा ईंधन और खाद्य तथा ईंधन के अतिरिक्त अन्य मदों में बढ़ोतरी द्वारा हुआ, हालांकि ग्रीष्मकालीन महीनों में फलों और सब्जियों की कीमतों में साधारण वृद्धि की तुलना में कम वृद्धि के कारण खाद्य मुद्रास्फीति मंदी रही। सातवें केंद्रीय वेतन आयोग के आवास किराया भत्तों (एचआरए) के अनुमानित प्रभाव को समायोजित करते हुए, हेडलाइन मुद्रास्फीति मई के 4.5 प्रतिशत से बढ़कर जून में 4.6 प्रतिशत हो गई। अनाज, माँस, दूध, तेल, मसालों और गैर-अल्कॉहोलिक पेय पदार्थों में कम मुद्रास्फीति जारी रही तथा दलहन और चीनी के कीमतें अवस्फीति में रही। 14. ईंधन और रोशनी समूह की मुद्रास्फीति में तेजी से वृद्धि हुई, जिसे तरल पेट्रोलियम गैस और केरोसिन द्वारा बढ़ाया गया। जलाने वाली लकड़ी तथा चिप्स में मुद्रास्फीति बढ़ गई, जबकि विद्युत मुद्रास्फीति कम रही। वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों के पास-थ्रू ने घरेलू पेट्रोलियन उत्पादों तथा परिवहन सेवाओं में मुद्रास्फीति पर प्रभाव डाला। शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले में भी मुद्रास्फीति में थोड़ी बढ़ोतरी हुई। 15. रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए परिवारों के सर्वेक्षण के जून दौर में पिछले दौर की तुलना में तीन महीने आगे की और एक वर्ष आगे की मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं में 20 आधार अंकों की रिपोर्ट की गई है। रिज़र्व बैंक के औद्योगिक संभावना सर्वेक्षण (आईओएस) में मत देने वाली विनिर्माण फर्मों ने वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में उच्चतर इनपुट लागत और बिक्री मूल्यों की रिपोर्ट की है। विनिर्माण पीएमआई ने दर्शाया है कि जुलाई में इनपुट कीमतें थोड़ी कम हुई, हालांकि फिर भी ये उच्च बनी हुई हैं। जून में सेवा पीएमआई के लिए मत देने वाली कंपनियों के लिए इनपुट लागतें भी उच्च रही। कृषि और गैर-कृषि इनपुट लागतें काफी बढ़ी। फरवरी और मार्च 2018 में कुछ बढ़ोतरी के बावजूद, ग्रामीण मजदूरी वृद्धि सामान्य रही जबकि संगठित क्षेत्र में मजदूरी वृद्धि मजबूत रही। 16. जून-जुलाई 2018 के दौरान प्रणालीगत चलनिधि सामान्य रूप से अधिशेष में रही। जून में, रिज़र्व बैंक ने एलएएफ के अंतर्गत दैनिक निवल औसत आधार पर लगभग ₹140 बिलियन की अधिशेष चलनिधि अवशोषित की, हालांकि प्रणाली अग्रिम कर बहिर्वाह के कारण माह के दुसरे पखवाड़े में निवल अधिशेष से निवल घाटे के मोड में बदल गई। जून में ओवरनाइट कॉल मुद्रा बाजार में ब्याज दरें बढ़ गई जो 6 जून 2018 को रेपो दर में हुई बढ़ोतरी को प्रतिबिंबित करती हैं। भारित औसत कॉल दर (डब्ल्यूएसीआर) का औसतन आधार पर रेपो दर से 12 आधार अंक कम पर कारोबार किया गया जैसाकि मई में हुआ था। सरकार के बढ़े हुए खर्च के साथ जुलाई की शुरुआत में प्रणालीगत चलनिधि अधिशेष मोड में चली गई किंतु 10 जुलाई के बाद घाटे में बदल गई, दैनिक निवल औसत आधार पर रिज़र्व बैंक ने जुलाई में एलएएफ के अंतर्गत ₹107 बिलियन की चलनिधि उपलब्ध कराई। जुलाई में औसतन आधार पर डब्ल्यूएसीआर का कारोबार नीति दर से 9 आधार अंक कम पर हुआ। व्याप्त चलनिधि स्थिति और इसके आगे टिकाऊ चलनिधि आवश्यकताओं के आकलन के आधार पर, रिज़र्व बैंक ने 21 जून और 19 जुलाई 2018 को प्रत्येक बार ₹100 बिलियन की दो खुला बाजार परिचालन (ओएमओ) खरीद नीलामी आयोजित की। 17. वर्ष-दर-वर्ष आधार पर मई और जून 2018 में निर्यात वृद्धि में तेजी आई, जिसमें इंजीनियरिंग वस्तुओं, पेट्रोलियम उत्पादों, औषधी और फार्मास्यूटिकल्स तथा रसायनों द्वारा सहायता मिली। मुख्य रूप से कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के चलते आयात वृद्धि में भी तेजी आई। गैर-तेल आयात में, कम मात्रा के कारण स्वर्ण आयात में गिरावट आई, जबकि मशीनरी, कोयला, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं, रसायनों और लोहा तथा इस्पात का आयात तेजी से बढ़ गया। मई और जून में दुहरी संख्या में आयात वृद्धि ने व्यापार घाटे को बढ़ा दिया। वित्तीय पक्ष पर, वर्ष 2018-19 के पहले दो महीनों में निवल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह में काफी सुधार हुआ। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में चलनिधि स्थिति के कड़े होने के साथ बढ़ती भौगोलिक-राजनीतिक चिंताएं और संरक्षणवादी भावना के बढ़ने के साथ, घरेलू पूंजी बाजार से निवल विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) बहिर्वाह जारी रहा, हालांकि यह काफी धीमी दर पर रहा। 27 जुलाई 2018 को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 404.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। संभावना 18. 2018-19 के दूसरे द्वि-मासिक संकल्प में, 2018-19 हेतु केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए एचआरए प्रभाव सहित, जिससे जोखिम ऊपर की ओर झुक गया, एच1 में 4.8-4.9 प्रतिशत और एच2 में 4.7 प्रतिशत सीपीआई मुद्रास्फीति की परिकल्पना की गई थी। एचआरए संशोधन के प्रभाव को छोड़कर, एच1 में 4.6 प्रतिशत और एच2 में 4.7 प्रतिशत सीपीआई मुद्रास्फीति की परिकल्पना की गई थी। वास्तविक मुद्रास्फीति के परिणाम अनुमानित प्रक्षेपवक्र से थोड़ा नीचे हैं क्योंकि पिछली बार की तुलना में इस बार मौसमी गर्मी के समय भी सब्जी की कीमतें कुछ हद तक पहले की तरह ही रही हैं तथा फलों की कीमतें घट गई हैं। 19. मुद्रास्फीति आउटलुक को कई कारकों से सही आकार देने की संभावना है। सबसे पहले, केंद्र सरकार ने 2018-19 के बुवाई के मौसम के लिए खरीफ फसलों के उत्पादन की लागत के कम से कम 150 प्रतिशत की न्यूनतम समर्थन कीमतों (एमएसपी) को तय करने का निर्णय लिया है। इससे खरीफ की फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि होगी, जो पिछले कुछ वर्षों में देखी गई औसत वृद्धि से काफी अधिक है तथा इससे खाद्य मुद्रास्फीति पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ेगा एवं दूसरे चरण में हेडलाइन मुद्रास्फीति पर प्रभाव पड़ेगा। ऐतिहासिक रुझानों के आधार पर एमएसपी में वृद्धि का एक हिस्सा जून बेसलाइन अनुमानों में पहले से ही शामिल किया गया था। इस प्रकार, अतीत में औसत वृद्धि के ऊपर एमएसपी में वृद्धिशील वृद्धि ही केवल मुद्रास्फीति अनुमानों को प्रभावित करेगी। हालांकि, एक बड़ी अनिश्चितता है और सटीक प्रभाव सरकार के खरीद संचालन की प्रकृति और पैमाने पर निर्भर करेगा। दूसरी ओर, मानसून का समग्र प्रदर्शन अब तक मध्यम अवधि में खाद्य मुद्रास्फीति के लिए अच्छा रहा है। तीसरा, कच्चे तेल की कीमतें थोड़ी कम हो गई हैं, लेकिन ऊंचे स्तर पर बनी हुई हैं। चौथा, केंद्र सरकार ने कई वस्तुओं और सेवाओं पर वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) दरों को कम कर दिया है। इसका प्रभाव मुद्रास्फीति पर घटते क्रम में होगा, बशर्ते खुदरा उपभोक्ताओं को कम जीएसटी दरों का पास-थ्रू दिया जाए। पांचवां, खाद्य और ईंधन को छोड़कर वस्तुओं में मुद्रास्फीति व्यापक रूप से आधारित है और हाल के महीनों में उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है, जो बढ़ती इनपुट लागतों और मांग की स्थिति में सुधार के माध्यम से अधिक पास-थ्रू को दर्शाती है। अंत में, वित्तीय बाजार अभी भी अस्थिर बना हुआ है। उपर्युक्त कारकों के मूल्यांकन के आधार पर, मुद्रास्फीति, क्यू 2 में 4.6 प्रतिशत, 2018-19 के एच2 में 4.8 प्रतिशत और क्यू1:2019-20 में 5.0 प्रतिशत, जोखिमों को समान रूप से संतुलित (चार्ट 1) के साथ, का अनुमान लगाया गया है। एचआरए प्रभाव को छोड़कर, सीपीआई मुद्रास्फीति, क्यू2 में 4.4 प्रतिशत, एच2 में 4.7-4.8 प्रतिशत और क्यू1:2019-20 में 5.0 प्रतिशत, का अनुमान लगाया गया है। 20. विकास दृष्टिकोण की ओर मुड़ते हुए, विभिन्न संकेतक बताते हैं कि आर्थिक गतिविधि मजबूत हो रही है। खरीफ फसलों के एमएसपी में सामान्य वृद्धि की तुलना में अधिक वृद्धि एवं अब तक मानसून की प्रगति से किसानों की आय में बढ़ोतरी एवं ग्रामीण मांग को बढ़ावा देने की उम्मीद है। दुरुस्त कॉर्पोरेट आय, विशेष रूप से तेजी से बिकने वाली उपभोक्ता वस्तुओं (एफएमसीजी) कंपनियों के, भी सकारात्मक ग्रामीण मांग को दर्शाती है। वर्तमान अवधि में वित्त पोषण की स्थिति कुछ कठिन होने के बावजूद, निवेश गतिविधि दृढ़ बनी हुई है। हाल के महीनों में बढ़ी हुई एफडीआई प्रवाह और लगातार उत्साही घरेलू पूंजी बाजार की स्थिति से निवेश गतिविधि के लिए अच्छे संकेत हैं। रिजर्व बैंक का आईओएस इंगित करता है कि क्यू2 में विनिर्माण क्षेत्र में गतिविधि मजबूत रहने की उम्मीद है, हालांकि गति में कुछ कमी आ सकती है। हालांकि, बढ़ते व्यापार तनाव भारत के निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। कुल मूल्यांकन के आधार पर, 2018-19 के लिए सकल घरेलू उत्पाद का वृद्धि अनुमान, जून के वक्तव्य के अनुसार 7.4 प्रतिशत पर, एच1 में 7.5-7.6 प्रतिशत और एच2 में 7.3-7.4 प्रतिशत के साथ, जोखिम समान रूप से संतुलित; क्यू1:2019-20 के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि: अनुमानित 7.5 प्रतिशत (चार्ट 2) पर अनुमानित है, को बनाए रखा गया है। 21. यद्यपि तिमाही 2 के लिए मुद्रास्फीति अनुमानों में जून वक्तव्य के मुकाबले में मामूली रूप से कम सुधार हुआ है, आगे तिमाही 3 के लिए अनुमान व्यापक रूप से अपरिवर्तित रहे हैं। कई जोखिम बने हुए है, पहला, कच्चे तेल की कीमतों में उतारचढ़ाव जारी है और यह ऊपरी और नीचे दोनों जोखिमों के लिए संवेदनशील है। विशेष रूप से, जबकि भूराजनीतिक तनाव और आपूर्ति व्यवधान तेल की कीमतों के लिए एक बड़ा जोखिम बना हुआ है, संरक्षणवादी व्यापार नीतियों की अधिक तीव्रता के कारण वैश्विक मांग में गिरावट से तेल की कीमतें कम हो सकती हैं। दूसरा, वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता मुद्रास्फीति दृष्टिकोण को अनिश्चितता प्रदान करती रही है। तीसरा, रिजर्व बैंक के सर्वेक्षण में मापी गयी, परिवार मुद्रास्फीति प्रत्याशाएं, पिछले दो दौरों में उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है, जो आने वाले महीनों में वास्तविक मुद्रास्फीति के परिणामों को प्रभावित कर सकती है। चौथा, रिज़र्व बैंक के औद्योगिक आउटलुक सर्वेक्षण में शामिल विनिर्माण फर्मों ने 2018-19 की दूसरी तिमाही में इनपुट मूल्य दबावों के सख्त होने की सूचना दी है। तथापि, यदि वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में हालिया नरमी बनी रहती है, तो यह इनपुट लागतों के ऊपर के कुछ दबाव को कम कर सकती है। पांचवा, हालांकि मानसून अस्थायी रूप से अब तक सामान्य रहा है, लेकिन महत्वपूर्ण सीपीआई घटकों जैसे धान के संदर्भ में इसके क्षेत्रीय वितरण की सावधानीपूर्वक निगरानी की जानी चाहिए। छठां, यदि केंद्र और / या राज्य स्तर पर राजकोषीय गिरावट है,तो वह बाजार में अस्थिरता, निजी निवेश में कमी और मुद्रास्फीति दृष्टिकोण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं। सातवां, मुद्रास्फीति पर एमएसपी के पूर्ण प्रभाव के आसपास अनिश्चितता केवल मूल्य समर्थन योजना लागू होने के बाद अगले कई महीनों में ही हल हो जाएगी। अंत में, राज्य सरकारों द्वारा एचआरए संशोधन के लड़खड़ाने वाले प्रभाव से हेडलाईन मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। जब एचआरए संशोधन के सांख्यिकीय प्रभाव को देखा जाएगा, मुद्रास्फीति पर किसी दूसरे दौर के प्रभाव देखे जाने की आवश्यकता है। 22. उपर्युक्त पृष्ठभूमि के देखते हुए, एमपीसी ने पॉलिसी रेपो दर को 25 आधार अंकों तक बढ़ाने निर्णय किया। एमपीसी एक टिकाऊ आधार पर 4 प्रतिशत की मुद्रास्फीति के लिए मध्यम अवधि के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराता है। 23. एमपीसी ने नोट किया कि घरेलू आर्थिक गतिविधि ने गति को बनाए रखा है और उत्पादन अंतराल लगभग बंद हो गया है। तथापि, आगामी महीनों में घरेलू मुद्रास्फीति के आसपास अनिश्चितता की सावधानी से निगरानी की जानी चाहिए। इसके अलावा, हाल की वैश्विक गतिविधितां कुछ चिंताएं उत्पन्न करती हैं। बढ़ते व्यापार संरक्षणवाद ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में बाधा डालने और उत्पादकता को रोकने और निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव डालकर निकट अवधि और दीर्घकालिक वैश्विक विकास संभावनाओं के लिए गंभीर खतरा पैदा किया है। भूराजनीतिक तनाव और बढ़ी हुई तेल की कीमतें वैश्विक विकास के जोखिम के अन्य स्रोत हैं। 24. डॉ चेतन घाटे, डॉ. पामी दुआ, डॉ माइकल देबब्रत पात्रा, डॉ विरल वी. आचार्य और डॉ. उर्जित आर. पटेल ने निर्णय के पक्ष में मतदान किया; डॉ रविंद्र एच. ढोलकिया ने निर्णय के खिलाफ मतदान किया। एमपीसी की बैठक के कार्यवृत्त 16 अगस्त 2018 तक प्रकाशित किए जाएंगे। 25. एमपीसी की अगली बैठक 3 से 5 अक्टूबर 2018 तक आयोजित की जाएगी। नीति दर को 25 आधार अंक बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत करने संबंधी संकल्प पर वोटिंग
डॉ. चेतन घाटे का वक्तव्य 26. पिछली पोलिसी के बाद, विनिर्माण क्षेत्र में मांग की स्थिति में सुधार जारी रहा है। एच 2: 17-18 के लिए कॉर्पोरेट परिणामों के आधार पर अधिकांश उप-क्षेत्रों में फर्मों के जोखिम प्रोफाइल में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। उपभोक्ता विश्वास में उल्लेखनीय सुधार है, हालांकि वर्तमान स्थिति सूचकांक निराशावादी क्षेत्र में ही है। संगठित क्षेत्र मजदूरी - वेतन मुद्रास्फीति के लिए एक प्रॉक्सी – बढ़ रही है और इसे ध्यान से देखा जाना चाहिए। बेहतर कॉर्पोरेट प्रदर्शन के साथ क्षमता उपयोग में वृद्धि हुई है। सेवा पीएमआई भी जून में 12 महीने के उच्चतम स्तर तक पहुंच गई है। 27. व्यय के संबंध में, निजी खपत (पीएफसीई) विकास का मुख्य चालक है, और इसे आगे कृषि की दिशा में व्यापार की शर्तों में बदलाव और सामान्य मॉनसून की संभावना से आगे बढ़ाया जाएगा। कम समय में आर्थिक विकास को राजनीतिक व्यापार चक्र से भी उत्साहित किया जाएगा। राजकोषीय समेकन पर राजनीतिक व्यापार चक्र के प्रतिकूल प्रभावों को ध्यान से देखा जाना चाहिए क्योंकि व्यापार असंतुलन के लिए आवश्यक समायोजन में अक्सर वित्तीय असंतुलन एक प्रमुख विशेषता है। पिछली पोलिसी के बाद से खपत पर उच्च आवृत्ति संकेतक विकास की गति में हल्का बारीक (टेपरिंग) होने का सुझाव देते हैं। हेडलाइन आईआईपी भी अप्रैल की 4.8% की तुलना में मई में 3.2% तक पहुंच गया। कुल मिलाकर, मैं वर्तमान और मध्यम अवधि की विकास संभावनाओं के बारे में आशावादी रहता हूं। 28. पिछले वर्ष की पोलिसी के अनुसार, हेडलाईन मुद्रास्फीति (गैर एचआरए) का एक वर्षीय अनुमान स्थिर रूप से 4% से ऊपर रहा है। सीपीआई मुद्रास्फीति गैर खाद्य और ईंधन मजबूत गति प्रभाव के साथ 6% से ऊपर बने हुए है। सकारात्मक रूप से, यह एक बंद आउटपुट अंतर को दर्शाता है। गैर खाद्य और ईंधन और गैर एचआरए समूह के लिए 12 महीने के क्षितिज पर अनुकूल आधार प्रभाव भी प्रभावित होंगे, जो सीपीआई गैर खाद्य और ईंधन और गैर एचआरए मुद्रास्फीति को धीमा कर देगा। खाद्य मुद्रास्फीति में कमी आई है। यह पहली तिमाही: 18-19 में 1.7% और 2.1% के बीच था और मई-जून 2018 का कारण अनुमानों का अंडरशूट है। खाद्य को छोड़कर, पिछले कुछ महीनों में अन्य सभी समूहों ने मुद्रास्फीति में वृद्धि का योगदान दिया। उदाहरण के लिए, पिछले तीन महीनों में विविध उप-समूह (स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन) में मूल्य दबाव में एक वास्तविक वृद्धि हुई है, संभवतः इन क्षेत्रों में आपूर्ति बाधाओं को दर्शाती है। खाद्य मुद्रास्फीति आश्चर्य रूप से एक रास्ते पर ही जारी है, जो एक पहेली है। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आई है, हालांकि क्रूड की औसत कीमत लगातार जोखिमों के साथ बढ़ी है। 29. दोनों 3 महीने और 1 साल आगे का मुद्रास्फीति प्रत्याशा भी कठोर रही है, जो चिंताजनक है। यदि मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं को अच्छी तरह से नियंत्रित किया जाता है, तो 3 महीने के स्तर की तुलना में 1 साल आगे मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं "न्यूज" झटकों (जैसे क्रूड की कीमत के हालिया उन्नत स्तर) के प्रति कम संवेदनशील होना चाहिए। तथ्य यह है कि आखिरी दौर में मेडियन मुद्रास्फीति प्रत्याशा (दोनों 3 महीने और 1 वर्ष आगे) ने पिछले पॉलिसी की तुलना में लगभग उसी राशि (20 आधार अंक) की वृद्धि की है, जो यह बताता है कि मौद्रिक नीति को और अधिक विश्वसनीय बनाने और मुद्रास्फीति प्रत्याशा को नियंत्रित करने का बहुत अधिक काम बाकी है। 30. जून समीक्षा के बाद से एक और जोखिम जो अपसाइड के लिए क्रिस्टलाइज किया गया है, हाल ही में 2018 के लिए खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्यों की घोषणा है। 2018-2019 के लिए सीपीआई भार के आधार पर, एमएसपी में भारित औसत वृद्धि 17% तक निकाली गई है, इसकी तुलना में, 2014-2015 से 2017-2018 के लिए एमएसपी में औसत वृद्धि 3.6% थी। इस परिमाण के उच्च एमएसपी में भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में अधिदिष्ट हेडलाईन मुद्रास्फीति के 4 प्रतिशत लक्ष्य को आगे बढ़ाकर हेडलाईन मुद्रास्फीति को स्थिर और स्थायी रूप से आगे बढ़ाने की क्षमता है। जबकि अंतिम मुद्रास्फीति प्रभाव सटीक खरीद नीति पर निर्भर करेगा, जिसे अभी घोषित किया जाना है, एमएसपी अप्रत्याशित तथ्य के परिमाण को देखते हुए, "बीमा पॉलिसी" के समान कुछ हद तक, यह रेट में बढ़ोतरी करने का अवसर है। इस संबंध में, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि व्यापार झटके ये दो शब्द - मेरे पिछले कुछ वक्तव्यों में संदर्भित - आने वाले महीनों में समष्टि आर्थिक समेकन पर कैसी भूमिका निभाते हैं। 31. इन कारणों से, मैं मौद्रिक नीति समिति की आज की बैठक में पॉलिसी रेपो रेट में 25 आधार अंकों की वृद्धि के लिए वोट देता हूं। डॉ. पामी दुआ का वक्तव्य 32. कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स द्वारा मापा जाने वाली हेडलाइन मुद्रास्फीति मई में 4.9% से बढ़कर जून 2018 में 5% हो गई, जिसका कारण इसके उप-सूचकांक में व्यापक वृद्धि थी। घरेलू अर्थव्यवस्था में वैश्विक तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के पास-थ्रू ने एलपीजी, पेट्रोलियम उत्पादों और परिवहन सेवाओं की कीमतों को सीधे प्रभावित किया। शिक्षा और स्वास्थ्य में मुद्रास्फीति भी मामूली रूप से बढ़ी है। हालांकि, मई और जून के बीच मुद्रास्फीति मामूली रूप से कम हो गई, जो आंशिक रूप से अनुकूल आधार प्रभाव के कारण और फलों की कीमतों में गिरावट और सब्जियों में नरम मुद्रास्फीति की वजह से है। खाद्य और ईंधन को छोड़कर 6% से ऊपर मुद्रास्फीति चिंता का कारण है। इसके अलावा, 2018-19 की पहली तिमाही के लिए रिजर्व बैंक के औद्योगिक आउटलुक सर्वे (आईओएस) में उच्च इनपुट लागत और बिक्री की कीमतें दिखाई दे रही थीं। जून में सेवा पीएमआई में शामिल कंपनियों ने जुलाई में विनिर्माण पीएमआई के लिए सर्वेक्षण में शामिल उच्च इनपुट लागतों पर भी प्रकाश डाला। 33. आगे बढ़ते हुए, मुद्रास्फीति के लिए कई अपसाइड जोखिम बने रहे। पहला, 2018-19 के बुवाई के मौसम के लिए सभी खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्यों (एमएसपी) में औसत वृद्धि से अधिक होने से खाद्य समूहों में मुद्रास्फीति पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकता है साथ ही साथ ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक क्रय शक्ति के माध्यम से माध्यमिक प्रभाव पड़ सकता है। तथापि, प्रभाव की सीमा सरकार द्वारा खरीद के लिए कार्यान्वयन की प्रकृति और व्यापकता पर निर्भर करेगी। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए एचआरए संशोधन के टेपरिंग प्रभाव और राज्य सरकारों द्वारा एचआरए संशोधन के चकित प्रभाव भी हेडलाईन मुद्रास्फीति को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, कच्चे तेल की कीमत 70 अमेरिकी डॉलर से ऊपर बनी हुई है और भविष्य की गतिविधियों को भूराजनीतिक घटनाओं और वैश्विक मांग पर उनके प्रभाव के आधार पर अस्थिर होने की उम्मीद है। वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता भी मुद्रास्फीति दृष्टिकोण के लिए अनिश्चितता बनाए रखती है। इसके अतिरिक्त, सरकारों द्वारा राजकोषीय स्लिपेज का बाजार अस्थिरता में प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, और इससे निजी निवेश बाहर निकल सकते हैं और मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण को प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक के जून दौर के सर्वेक्षण में तीन महीने और एक वर्षीय सीमा में मुद्रास्फीति प्रत्याशा में वृद्धि दर्शाती है। आगामी महीनों में बढ़ी हुई इनपुट लागतों में भी मुद्रास्फीति के लिए जोखिम पैदा हुआ है, हालांकि वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में नरमी के कारण इसके कुछ आसान होने की संभावना है। हालांकि वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में नरमी के कारण कुछ आसान होने की संभावना है। डाउनसाइड जोखिमों में एक सामान्य दक्षिणपश्चिम मानसून भी शामिल है, जिसे मध्यम अवधि में खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) दरों में कमी से मुद्रास्फीति उपभोक्ताओंको घाटे हुये जीएसटी दरों में कमी की सीमा तक कम हो सकती है। 34. औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के उपयोग-आधारित वर्गीकरण से पता चलता है कि हाल के महीनों में पूंजीगत वस्तुओं और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं में वृद्धि के कारण औद्योगिक विकास में मजबूती आई है। राजमार्गों और ग्रामीण आवास के निर्माण से संबंधित केंद्र सरकार की योजनाओं ने बुनियादी ढांचे और निर्माण क्षेत्रों में वृद्धि में तेजी की दिशा में योगदान दिया है। जुलाई के विनिर्माण पीएमआई विस्तार मोड में बने रहे, लेकिन यह पिछले महीने की अपेक्षा नरम रहें। आरबीआई का कारोबार प्रत्याशा सूचकांक (बीईआई) 2018-19 की पहली तिमाही के लिए आशावादी बना रहा। इसके अलावा, रिजर्व बैंक के औद्योगिक आउटलुक सर्वेक्षण से पता चलता है कि विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधि दूसरी तिमाही में मजबूत रहने की उम्मीद है। रिज़र्व बैंक द्वारा आयोजित उपभोक्ता विश्वास सर्वेक्षण के जून दौर के अनुसार, वर्तमान स्थिति सूचकांक, अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति का संकेतक, पिछले दो राउंड में गिरावट के बाद मामूली रूप से बढ़ा है। यह वृद्धि आम तौर पर सामान्य आर्थिक स्थिति और रोजगार परिदृश्य के साथ-साथ खर्च में वृद्धि पर सुधार के विचार से प्रेरित थी। 35. साथ ही, फ्यूचर प्रत्याशा सूचकांक जो उपभोक्ता दृष्टिकोण दर्शाता है जून दौर में मामूली रूप से गिर गया। यह एक वर्ष की सामान्य आर्थिक स्थिति और आय पर दृष्टिकोण में गिरावट के विचारों में थोड़ी कमी से प्रेरित था। विकास के लिए डाउनसाइड जोखिम जिसमें बढ़ते व्यापार तनाव भी शामिल हैं जो भारत के निर्यात की मांग में बाधा डाल सकते हैं, आर्थिक चक्र अनुसंधान संस्थान (ईसीआरआई), न्यूयॉर्क द्वारा बनाए गए भारतीय अग्रणी निर्यात सूचकांक की वृद्धि दर में निरंतर गिरावट के चलते निर्यात में चक्रीय मंदी बढ़ रही है। यह ईसीआरआई के अंतरराष्ट्रीय अग्रणी सूचकांक द्वारा पहले अनुमानित वैश्विक आर्थिक मंदी के अनुरूप है। 36. इस प्रकार, वास्तविक मुद्रास्फीति की सख्तता, मुद्रास्फीति के मौजूदा जोखिमों के साथ बढ़ती मुद्रास्फीति अपेक्षाओं के साथ, मैं तटस्थ रुख को बनाए रखते हुए रेपो दर में 25 आधार अंकों की वृद्धि के लिए वोट देता हूं। डॉ. रविंद्र एच ढोलकिया का वक्तव्य 37. जून 2018 में एमपीसी की पिछली बैठक के बाद, मई और जून के लिए मासिक हेडलाईन मुद्रास्फीति प्रिंट आरबीआई की अपेक्षा से कम हो गया है और, जैसा कि मैंने अपने पिछले वक्तव्य में एक संभावना की ओर इशारा किया था,जिसके परिणामस्वरूप क्यू 4: 2018-19 के पूर्वानुमान को कम किया गया है। आरबीआई का वर्तमान पूर्वानुमान इस गिरावट को नहीं दिखाता है और इसके विपरीत केवल 20 बीपीएस की वृद्धि दर्शाता है क्योंकि इसमें हेडलाईन मुद्रास्फीति पर एमएसपी संशोधन के दूरस्थ संभावित प्रभाव शामिल हैं। दूसरी तरफ, इस तरह का असर अपने अस्तित्व में भी अनिश्चित है और निश्चित रूप से इसका महत्व है कि क्षेत्र के विशेषज्ञ नवंबर 2018 तक संशोधित एमएसपी लागू होने तक प्रतीक्षा करने और देखने की सलाह देते हैं। इसके कार्यान्वयन पर इतनी सारी ज्ञात बाधाएं हैं कि जब तक स्पष्टता उभरती न हो तब तक नीति दर पर कोई निर्णय लेने में समझदारी नहीं है। एक बार जब हम इस महत्वपूर्ण अनिश्चित कारक को अलग कर लेगें, तो बाकी के विकास एक रूढ़िवादी दृष्टिकोण के साथ भी स्थिति में किसी भी बदलाव की गारंटी नहीं देते हैं। इसलिए, मैं नीति रिपो रेट और तटस्थ रुख दोनों में यथास्थिति के लिए वोट देता हूं। मेरे वोट के अधिक विशिष्ट कारण हैं: i) इस चरण में पूर्व-अनुमानित लगातार वृद्धि दर का तर्क पूर्व-अनुमान यह है कि: (क) अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति अपेक्षाओं को प्रभावित करने के लिए जून 2018 पोलिसी में प्रभावित दर वृद्धि की पूरी विफलता, और (ख) एक वर्ष पहले का हेडलाईन मुद्रास्फीति पूर्वानुमान पूर्व-घर किराया संशोधन किसी भी अनिश्चितता से आगे बढ़ रहा है। इन दो पूर्व-अनुमानों में से कोई भी सही नहीं है। हालांकि आरबीआई के परिवार मुद्रास्फीति अपेक्षाओं के सर्वेक्षण ने अपने औसत क्वांटम में 20 बीपीएस तक वृद्धि दर्शाई है, लेकिन उत्तरदाताओं के अनुपात को आगे 12 महीने के उच्च मुद्रास्फीति की अपेक्षा में स्पष्ट रूप से कमी दिखी है। इसके अलावा, आईआईएमए बिजनेस मुद्रास्फीति प्रत्याशा सर्वेक्षण जून 2018 में आयोजित किया गया था (25 बीपीएस की रेपो दर वृद्धि के बाद) 12 महीने आगे के सीपीआई मुद्रास्फीति अपेक्षा में अप्रैल 2018 के दौर में 4.67 प्रतिशत से तेजी से गिरकर जून 2018 राउंड में 4.16 प्रतिशत दिखा रहा है। इस सर्वेक्षण में 1600 से अधिक कंपनियां शामिल हैं और कम मानक अन्तर दिखाती हैं। दूसरे पूर्व-अनुमान गलत होने के कई कारण हैं। केंद्रीय और राज्य सरकारों ने राजकोषीय घाटे को कम करने के मामले में राजकोषीय शाखा के लिए उचित प्रतिबद्धता दिखाई है। अगले वर्ष चुनाव वर्ष होने के बावजूद इस साल पर्याप्त राजकोषीय गिरावट की उम्मीद करने का कोई कारण नहीं है। ii) केंद्रीय और राज्य सरकारों ने राजकोषीय घाटे को कम करने के मामले में राजकोषीय शाखा के लिए उचित प्रतिबद्धता दिखाई है। अगले वर्ष चुनाव वर्ष होने के बावजूद इस साल पर्याप्त राजकोषीय गिरावट की उम्मीद करने का कोई कारण नहीं है। iii) कई वस्तुओं पर जीएसटी दर में कटौती मुद्रास्फीति को मामूली रूप से कम कर सकती है। iv) आरबीआई सर्वेक्षण के अनुसार शहरी परिवारों की मुद्रास्फीति की अपेक्षा में वृद्धि हुई है क्योंकि लगातार दो मुद्रास्फीति रीडिंग (मई और जून 2018) में वृद्धि हुई है। इनके गिरने की संभावना है जब अगली दो लगातार रीडिंग (जुलाई और अगस्त 2018) गिरावट दिखाएंगे। आरबीआई मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान भी मजबूत आधार प्रभावों के कारण इस संभावना को इंगित करते हैं। यदि जुलाई और अगस्त 2018 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति में वास्तविक गिरावट आरबीआई के अनुमान से बड़ी है, उनका 12 महीने आगे का मुद्रास्फीति पूर्वानुमान भी कमी दिखा सकता है। आरबीआई के अपने निकट भविष्य के पूर्वानुमान के संदर्भ में हालिया ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। v) कोर मुद्रास्फीति के बारे में दो चिंताएं मायने रखती हैं : (क) हमारी समिति के लिए अनिवार्य लक्ष्य खाद्य और ईंधन सहित हेडलाईन सीपीआई मुद्रास्फीति है; तथा (ख) इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली (3 मार्च 2018) में सह-लेखक के साथ मेरा पेपर दिखाता है कि पिछले दशक के दौरान मुद्रास्फीति गतिशीलता बदल गई है, जैसे कि यह कोर है जो हेडलाईन पर समायोजित होती है और इसके विपरीत नहीं। vi) तेल की कीमतों में और वृद्धि नहीं हुई है। अगर सब पर, जून 2018 की शुरुआत में वे 75 अमेरिकी डॉलर से जुलाई 2018 के अंत तक 72.5 अमेरिकी डॉलर की गिरावट दर्ज करते हैं। ये सभी कारक एक साथ चौथी तिमाही: 2018-19 के आधारभूत मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को कम कर देंगे। 2 या 3 तिमाहियों के बाद खाद्य कीमतों पर एमएसपी संशोधन का सबसे अनिश्चित प्रभाव मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को थोड़ा अधिक बढ़ा सकता है। मेरी राय में, हमें वृद्धि दर के निर्णय के लिए इस तरह के बेहद अनिश्चित प्रभाव पर विचार नहीं करना चाहिए। vii) दूसरी तरफ, विकास के मोर्चे पर धीमी गति का संकेत देने वाले चिंतातुर संकेत और साक्ष्य हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के सर्वेक्षण के मुताबिक क्षमता उपयोग मौसमी समायोजन 130 बीपीएस से गिर गया है। यह आरबीआई के आउटपुट अंतर बंद हो गया है दावे का खंडन करता है। असल में, यह बंद नहीं हो रहा है, लेकिन इसका मजदूरी और कीमतों पर नीचे दबाव बनाने की संभावना है। viii) कॉर्पोरेट कार्यनिष्पादन एच2: 2017-18 में स्थिर और वित्तीय परिसंपत्तियों में कम निवेश इंगित करता है और 2018-19 के दौरान भी इसके गिरने की संभावना है जो कि 2017-18 तक पाइपलाइन परियोजनाओं के द्वारा पता चला है। निजी क्षेत्र द्वारा बांड और डिबेंचर्स निर्गमों में भी 2018-19 की पहली तिमाही में गिरावट आईं। ix) वैश्विक विकास को बनाए रखने की संभावना नहीं है। हमारा निर्यात टैरिफ मतभेदों और संरक्षणवाद में वृद्धि के कारण अनुमानित दर पर नहीं बढ़ सकता हैं। x) वास्तविक पोलिसी रेट पहले से ही अधिकतर देशों की तुलना में सकारात्मक और बहुत अधिक है। यह +2 प्रतिशत से ऊपर है (क्योंकि उनकी 12 महीने आगे की मुद्रास्फीति प्रत्याशा केवल 4.16 प्रतिशत है)। यह पूंजी निर्माण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। ये सभी कारक मुद्रास्फीति पर आगे नीचे की और दबाव डाल देंगे। 38. यह निश्चित रूप से पोलिसी रेट में वृद्धि के लिए सही समय और माहौल नहीं है। न ही यह पोलिसी दृष्टिकोण में झुकाव करने का समय है। दोनों पर यथास्थिति बनाए रखने में स बुद्धिमानी है। डॉ. माइकल देबब्रत पात्र द्वारा वक्तव्य 39. मैं पोलिसी रेपो दर को 25 आधार अंकों से बढ़ाने और तदनुसार नीतिगत कार्रवाई के साथ परिचालनगत लक्ष्य को संरेखित करने के लिए वोट देता हूं। 40. सबसे पहले, मुद्रास्फीति साल की पहली तिमाही के दौरान कठोर हो गई है, जो जून में लगातार तीसरे महीने में अपने उत्थान को बढ़ा रही है। पूर्वानुमान - मध्यवर्ती लक्ष्य जो लक्ष्य को प्रभावित करने वाली वस्तुएँ को बनाने के तरीके के बारे में एक निकट दृश्य प्रदान करता है- सुझाव देता है कि दूसरी तिमाही में मुद्रास्फीति को नरम पैच का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन यह वर्ष के दूसरे छमाही में अपवर्ड ट्रेजेक्टरी पुन: शुरू कर देगा। 41. दूसरा, हाल ही में अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में नरमी होने से मुद्रास्फीति के दबाव से कुछ राहत मिली है। दृष्टिकोण, हालांकि, अनिश्चितता के साथ धूमिल है कि भूराजनीतिक तनाव, ओपेक उत्पादन प्रतिबद्धताएं, वैश्विक मांग और सूची समायोजन कैसे योगदान देगें। कुछ समय के लिए अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त और अस्थिर रहने की स्थिति के लिए तैयार रहने में समझदारी है। 42. तीसरा, हालिया अनुभव भारत में बॉन्ड और विदेशी मुद्रा बाजारों को प्रभावित करने वाले वैश्विक स्पिल्लोवर्स से भरा हुआ है। विकास और बाहरी स्थायित्व के प्रभावों के अलावा, अस्थिर मुद्रास्फीति परिणामों में वित्तीय अशांति एक वास्तविक और वर्तमान जोखिम बना रहा है। 43. चौथा, एमएसपी संशोधन के मुद्रास्फीति परिणाम एक अपसाइड जोखिम बने रहते हैं। खुदरा मुद्रास्फीति के लिए घोषित एमएसपी के पास-थ्रू को दो बड़े अज्ञातों द्वारा प्रतिबंधित किया जाता है : (क) तीसरी तिमाही में शुरू होने पर खरीद कार्रवाई के पैमाने और दायरे; तथा (ख) धान के मामले में स्टॉक के आहरण द्वारा गिरावट की गति, खरीफ मौसम में प्रभावी खरीद के लिए मुख्य फसल। एक उचित धारणा यह हो सकती है कि इस वर्ष एमएसपी में बढ़ोतरी के आकार के देखते हुए यह सामान्य रूप से कारोबार नहीं करेगा जो केंद्रीय बजट में दी गई प्रतिबद्धता और घोषणा के समय को पूरा करता है। 44. वे कहते हैं, मुद्रास्फीति ट्रेजेक्टरी 2017-18 के तीसरे और चौथे तिमाहियों में और अगले वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में ऊपर की ओर बढ़ने की उम्मीद है। घरेलू और पेशेवर पूर्वानुमानकर्ताओं को इसकी उम्मीद है, कंपनियां बढ़ती इनपुट लागत की रिपोर्ट कर रही हैं जो तेजी से क्रय निर्धारण शक्ति में बदल सकती हैं क्योंकि इससे उत्पादन अंतराल बंद हो जाता है और मांग दबाव बढ़ता है। उपभोक्ता भविष्य के मूल्य की स्थिति के बारे में निराशावादी हैं। 45. मुद्रास्फीति लक्ष्य को हासिल करने में विफल होने का जोखिम, और शेष अवधि के दौरान विचलन को समायोजित करने को इच्छुक माना जा रहा है जिसके लिए एमपीसी कार्यरत है, में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह मुद्रास्फीति की उम्मीदों को कम कर सकता है, एमपीसी की विश्वसनीयता को कम कर सकता है और मुद्रास्फीति के परिणामों को ऊपरी टोलरेंस बैंड का परीक्षण करने की इजाजत देता है। यह विकसित कॉन्फ़िगरेशन पर्याप्त मौद्रिक नीति प्रतिक्रिया की गारंटी देता है, ताकि मुद्रास्फीति लक्ष्य और मुद्रास्फीति अपेक्षाओं को प्राप्त किया जा सकें। 46. 2017-18 के मुकाबले 2018-19 में विकास के तेज़ी की ओर अर्थव्यवस्था अग्रसर है, लेकिन विकास के चालक इस समय असंगत हैं। अंतर्राष्ट्रीय कच्चे दाम और व्यापार युद्धों से वैश्विक स्पीलओवर्स, मौद्रिक नीति सामान्यीकरण और भूराजनीतिक तनाव विकास संभावनाओं के लिए महत्वपूर्ण जोखिम पेश करते हैं। इस बेहद अस्थिर और अनिश्चित अंतरराष्ट्रीय माहौल में, स्थिरता को स्थायी आधार पर सुरक्षित करने के लिए विकास के चालकों को कर्षण प्राप्त करने में सक्षम बनाना और बाहरी व्यवहार्यता को संरक्षित किया जाना चाहिए। 47. इसलिए, मेरे पसंद में, जून में शुरू की गई नीतिगत कार्रवाई को मजबूत करने के लिए है, जो अब पॉलिसी रेट में वृद्धि के साथ और जमा पॉलिसी आवेग को अर्थव्यवस्था के माध्यम से अपना कार्य करने की इजाजत देना है, जबकि आगे बढ़ने वाली मुद्रास्फीति के अपेक्षित बढ़ते मार्ग पर सतर्कता बरकरार रखी जानी है। दूसरी तिमाही में होने वाले नरम मुद्रास्फीति प्रिंटों की संभावना मुद्रास्फीति की अपेक्षाओं को कम कर सकती है, लेकिन लक्ष्य के लिए जोखिमों के शमन में प्रचुर मात्रा में सावधानी और निर्णायकता की आवश्यकता है यदि व्यापक आर्थिक स्थिरता और विश्वसनीयता के मामले में कड़ी मेहनत से लाभ को संरक्षित किया जाना चाहिए। डॉ विरल वी. आचार्य का वक्तव्य 48. चूंकि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) जून 2018 में आखिरी बार मिली, मुद्रास्फीति प्रिंट रिज़र्व बैंक के अनुमानों से कुछ हद तक नरम रहे हैं। विशेष रूप से, सब्जियों और फलों की कीमतों में गिरावट आई है। हालांकि, अंतर्निहित मुद्रास्फीति "गैर- खाद्य ईंधन" खंड में विशेष रूप से पेट्रोल और डीजल, परिवहन (किराए सहित), शिक्षा शुल्क, स्वास्थ्य सेवाओं और कपड़ों में बनी हुई है, और आगे बढ़ने वाली हेडलाइन मुद्रास्फीति के लिए शुभसंकेत नहीं है। 49. भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) परिवारों की मुद्रास्फीति अपेक्षाओं के सर्वेक्षण (आईईएस) के अंतिम तीन दौर दर्शाते हैं कि 3 और 12 महीने आगे की मुद्रास्फीति की उम्मीदों में क्रमशः 110 और 150 आधार अंकों (बीपीएस) तक वृद्धि होगी। कॉर्पोरेट क्षेत्र द्वारा सामना किए जाने वाले इनपुट लागत दबाव भी मजबूत होने की सूचना दी गई है। ये परिणाम आश्चर्यजनक नहीं हैं कि हेडलाइन मुद्रास्फीति - घर किराए पर भत्ते (एचआरए) में केंद्र की वृद्धि के सांख्यिकीय प्रभाव के समायोजन के बाद भी - 4% से ऊपर रही है, पिछले आठ में से सात महीनों के लिए माध्यिका और औसत के साथ एमपीसी की अधिदेशात्मक लक्ष्य दर 4.5% से थोड़ी अधिक रही है। 50. सौम्य खाद्य मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को नीचे खींचने वाले कारक के रूप में कार्य करती रही है। यह देखना है कि खाद्य मुद्रास्फीति में सामान्य गर्मी की मौसमी वृद्धि में केवल एक या दो महीने की देरी हो रही है, या यह आपूर्ति संचालित सौम्य खाद्य मुद्रास्फीति प्रिंटों की एक विशेषता है। हालांकि, खाद्य मुद्रास्फीति के लिए प्रमुख उर्ध्वगामी जोखिम जिसपर एमपीसी ने अपने पिछले प्रस्तावों में ध्याान केंद्रित किया था, जैसेकि न्यूनतम समर्थन मूल्यों (एमएसपी) का पुरस्कार को अमल में लाया गया है। लक्षित खरीफ फसलों के विवरण और सामान्य से काफी अधिक एमएसपी वृद्धि स्पष्ट निवेदन कर रहे है। हालांकि एमएसपी कार्यक्रम के सटीक रोलआउट के बारे में महत्वपूर्ण अनिश्चितता बनी हुई है, लेकिन रिज़र्व बैंक के मुद्रास्फीति अनुमानों में उचित खरीद अनुमानों के तहत एमएसपी का प्रभाव शामिल है। 51. कुछ ओपेक देशों और रूस से आपूर्ति में वृद्धि के कारण तेल की कीमतें कुछ महीने पहले की तुलना में कुछ हद तक कम हो गई हैं। फिर भी, भारतीय क्रूड बास्केट की कीमत ऊंचे स्तर पर बनी हुई है और यह उन स्तरों से ज्यादा दूर नहीं है जो घरेलू मुद्रास्फीति को तेजी से बढ़ा सकती हैं। इसलिए, जबकि आपूर्ति प्रतिक्रिया से अनुमानों पर कुछ नरम प्रभाव पड़ा है, तेल की कीमतों में वृद्धि एक महत्वपूर्ण जोखिम के रूप में आगे बढ़ रही है। 52. इन विचारों का फैक्टरिंग करते हुए, मैं नकारात्मक जोखिमों की तुलना में कार्यान्वित हो रही उर्ध्वगामी जोखिमों के बारे में अधिक चिंतित हूं। यह विशेष रूप से इसलिए है क्योंकि अधिकांश वास्तविक समय संकेतक बताते हैं कि विकास वसूली स्थायी होने की संभावना है। जैसा कि मैंने पिछले कुछ मिनटों में उल्लेख किया है, अनुमान बताते हैं कि आउटपुट अंतराल लगभग बंद हो गया है। 53. संक्षेप में, चूंकि पिछले कई हेडलाइन मुद्रास्फीति प्रिंट लक्ष्य से ऊपर हैं और अनुमानों का सुझाव है कि यह मध्यम अवधि के मामले में भी होगा, मैं विकास पर ध्यान देते हुए अपनी मुद्रास्फीति को लक्षित करनेवाले अधिदेश को पूरा करने के लिए नीति दरों में 25 आधार अंकों (बीपीएस) की वृद्धि के लिए वोट देता हूं । जून की दर वृद्धि के बाद एक और दर वृद्धि के कारण मांग दबाव में सुधार और मुद्रास्फीति की उम्मीदों को प्रबंधित करने में मदद मिलेगी। हालांकि, यह संचरण एक अंतराल के साथ होगा। चूंकि यह कुछ हद तक दूर है और टैरिफ युद्धों के रूप में एक महत्वपूर्ण अंतरिम अनिश्चितता है जो वैश्विक विकास, वित्तीय बाजारों और मुद्रास्फीति को अचानक और अप्रत्याशित तरीकों से रोक सकती है, मैं मौद्रिक नीति के तटस्थ रुख को बनाए रखने के लिए वोट देता हूं। डॉ उर्जित आर.पटेल का वक्तव्य 54. एचआरए को छोड़कर सीपीआई द्वारा मापी गई मुद्रास्फीति जून 2018 में लगातार तीसरे महीने में बढ़ी है, जो गैर-खाद्य वस्तुओं और सेवाओं में मुद्रास्फीति की व्यापक वृद्धि से प्रेरित है। लगातार बढ़ी हुई कच्चे तेल की कीमतों ने पेट्रोलियम उत्पादों की खुदरा कीमतों को उच्च रखा है; इससे परिवहन सेवाओं में भी उच्च मुद्रास्फीति हुई है। इसके अलावा, शिक्षा, स्वास्थ्य और कपड़ों में मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई है। इसके विपरीत, खाद्य समूह में मुद्रास्फीति फल की कीमतों में गिरावट और सब्जियों की कीमतों में सामान्य मौसमी वृद्धि से कम बनी हुई है। पूरी तरह से, जून 2018 के अंतिम एमपीसी संकल्प के बाद से वास्तविक मुद्रास्फीति के परिणाम अनुमानित प्रक्षेपण से थोड़े कम हैं क्योंकि अप्रत्याशित रूप में खाद्य मुद्रास्फीति नकारात्मक स्तर पर रही है। 55. एचआरए प्रभाव को छोड़कर आगे बढ़ते हुए, सीपीआई मुद्रास्फीति एच 2: 2018-19 में 4.7-4.8 प्रतिशत पर अनुमानित है; और क्यू 1: 2019-20 में 5 प्रतिशत। इन अनुमानों में जून नीति के अनुमानों में पहले से ही स्वीकृत केंद्र सरकार द्वारा घोषित खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्यों (एमएसपी) में वृद्धि का असर शामिल है। हालांकि, मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण को (i) मुद्रास्फीति पर एमएसपी परिवर्तनों के पूर्ण प्रभाव के आसपास की काफी अनिश्चितता, जो केवल आने वाले महीनों में ही जानी जाएगी जब खरीद विवरण उपलब्ध होंगे और निष्पादन शुरू हो जाएगा; (ii) आपूर्ति और मांग झटके दोनों के लिए कच्चे तेल की संवेदनशीलता; (iii) वित्तीय बाजारों में निरंतर अस्थिरता; (iv) परिवारों, जिनके पास मजदूरी और वेतन में वृद्धि करने और लागत-पुश दबाव प्रेरित करने की क्षमता है; की मुद्रास्फीति अपेक्षाओं में और वृद्धि (v) केंद्र और / या राज्य स्तर पर राजकोषीय गिरावट; और (vi) हालांकि एचआरए संशोधन के प्रत्यक्ष सांख्यिकीय प्रभाव को सरसरी निगाह से देखा जाएगा, विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा भिन्नकालिक एचआरए संशोधन के कारण मुद्रास्फीति पर दूसरे दौर के प्रभाव के कारण उतार-चढ़ाव दोनों जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है। 56. घरेलू विकास आवेग काफी मजबूत है। सामान्य मानसून अब तक कृषि क्षेत्र के लिए अच्छा है। निवेश गतिविधि व्यापक रूप से सकारात्मक रही है। विनिर्माण क्षेत्र मजबूत रहा है। हाल के महीनों में सेवाओं की गतिविधि के कई उच्च आवृत्ति संकेतक तेजी से बढ़े हैं। हालांकि, बढ़ते व्यापार संरक्षणवाद से भारत के निर्यात को कम करके घरेलू निवेश और विकास संभावनाओं पर असर पड़ सकता है। कुल मिलाकर, ऐसा प्रतीत होता है कि 2018-19 के लिए अनुमानित 7.4 प्रतिशत की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि, जैसी कि जून नीति में भी अनुमानित है; के साथ क्यू1 : 2019-20 के लिए आर्थिक गतिविधि 7.5 प्रतिशत के आसपास रहेगी। 57. चूंकि मुद्रास्फीति जोखिमों में वृद्धि जारी है, इसलिए मैं पॉलिसी रेपो दर में 25 आधार अंकों की वृद्धि के लिए वोट देता हूं; यह कार्य स्थायी आधार पर अनिवार्य 4 प्रतिशत मुद्रास्फीति लक्ष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक आवश्यक कदम है। हालांकि, मौजूद कई अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए, मैं मौद्रिक नीति के तटस्थ रुख को बनाए रखता हूं। जोस जे. कट्टूर प्रेस प्रकाशनी: 2018-2019/409 |