वर्तमान और उभरती समष्टि-आर्थिक परिस्थिति का आकलन करने के आधार पर, मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आज (8 फरवरी 2024) अपनी बैठक में यह निर्णय लिया है कि:
- चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखा जाए।
स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.25 प्रतिशत तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर यथावत् बनी हुई है।
- एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो।
ये निर्णय, संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति को +/- 2 प्रतिशत के दायरे में रखते हुए 4 प्रतिशत का मध्यावधि लक्ष्य प्राप्त करने के अनुरूप है। आकलन और संभावना
- बीते उतार-चढ़ाव वाले वर्ष में आश्चर्यजनक रूप से आघात-सहनीय निष्पादन के बाद 2024 में वैश्विक संवृद्धि स्थिर रहने की संभावना है। अनिरंतरित बढ़ोतरी के साथ मुद्रास्फीति कई दशकों के उच्चतम स्तर से नीचे आ रही है। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एई) में केंद्रीय बैंकों द्वारा शुरुआती पिवट के बारे में बदलते विचारों के कारण वित्तीय बाजार की मनोभावों में उतार-चढ़ाव हो रहा है। कम ब्याज दरों की संभावना ने इक्विटी बाजारों में तेजी ला दी है, हालांकि ब्याज दरों में कटौती के समय के बारे में अनिश्चितता, अमेरिकी डॉलर और सॉवरेन बांड प्रतिफल में द्विदिश आंदोलनों में परिलक्षित होती है। उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाएं (ईएमई), अस्थिर पूंजी प्रवाह के बीच मुद्रा में उतार-चढ़ाव का सामना कर रही हैं।
- घरेलू आर्थिक गतिविधियां मजबूत हो रही हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी पहले अग्रिम अनुमान (एफएई) के अनुसार, 2023-24 में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), वर्ष-दर-वर्ष (वाई-ओ-वाई) 7.3 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है, जो मजबूत निवेश गतिविधि द्वारा समर्थित है। आपूर्ति पक्ष पर, 2023-24 में योजित सकल मूल्य (जीवीए) में 6.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसमें विनिर्माण और सेवा क्षेत्र प्रमुख चालक रहे।
- आगे चलकर, रबी की बुआई में सुधार ने विनिर्माण में लाभप्रदता को बरकरार रखा और सेवाओं के अंतर्निहित आघात-सहनीयता से 2024-25 में आर्थिक गतिविधि को समर्थन मिलना चाहिए। मांग पक्ष के प्रमुख चालकों में, घरेलू खपत में सुधार की उम्मीद है, जबकि निजी पूंजीगत व्यय चक्र में सुधार, कारोबारी मनोभावों में सुधार, बैंकों और कॉरपोरेट्स का स्वस्थ तुलन-पत्र तथा सरकार का पूंजीगत व्यय पर निरंतर जोर के कारण नियत निवेश की संभावनाएं उज्ज्वल बनी हुई हैं। वैश्विक व्यापार की संभावनाओं में सुधार और वैश्विक आपूर्ति शृंखला में बढ़ते एकीकरण से निवल बाह्य मांग को समर्थन मिलेगा। हालाँकि, भू-राजनीतिक तनाव, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाज़ारों में अस्थिरता और भू-आर्थिक विखंडन से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियाँ, संभावना के लिए जोखिम उत्पन्न करती हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि 7.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो पहली तिमाही में 7.2 प्रतिशत; दूसरी तिमाही में 6.8 प्रतिशत; तीसरी तिमाही में 7.0 प्रतिशत; और चौथी तिमाही में 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है (चार्ट 1)। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।
- अक्तूबर 2023 के 4.9 प्रतिशत के निचले स्तर से, सीपीआई मुद्रास्फीति अगले दो महीनों में क्रमिक रूप से बढ़कर दिसंबर तक 5.7 प्रतिशत हो गई। ईंधन में अपस्फीति के गहन होने के बावजूद खाद्य मुद्रास्फीति, मुख्य रूप से वर्ष-दर-वर्ष सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी से हेडलाइन मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी हुई। दिसंबर में मूल मुद्रास्फीति (खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई मुद्रास्फीति) घटकर चार वर्ष के निचले स्तर 3.8 प्रतिशत पर आ गई।
- आगे चलकर, मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र, उभरते खाद्य मुद्रास्फीति संभावना से आकार लेगा। रबी की बुआई पिछले वर्ष के स्तर को पार कर गई है। सब्जियों की कीमतों में सामान्य मौसमी सुधार जारी है, हालांकि यह असमान रूप से है। फिर भी मौसम की प्रतिकूल घटनाओं की संभावना से खाद्य मूल्य संभावना पर काफी अनिश्चितता बनी हुई है। प्रभावी आपूर्ति पक्ष प्रतिक्रियाएँ खाद्य कीमतों के दबाव को नियंत्रण में रख सकती हैं। मौद्रिक नीति कार्रवाइयों और रुख का निरंतर प्रभाव-अंतरण मूल मुद्रास्फीति को शांत रख रहा है। हालाँकि, कच्चे तेल की कीमतें अस्थिर बनी हुई हैं। रिज़र्व बैंक के उद्यम सर्वेक्षण में शामिल विनिर्माण फर्मों को 2023-24 की चौथी तिमाही में इनपुट लागत और बिक्री मूल्यों की वृद्धि में कुछ नरमी की उम्मीद है, जबकि सेवा और बुनियादी ढांचा फर्मों को उच्च इनपुट लागत दबाव और बिक्री कीमतों में संवृद्धि की उम्मीद है। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए, सीपीआई मुद्रास्फीति 2023-24 के लिए 5.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अगले वर्ष सामान्य मानसून का अनुमान लगाते हुए, 2024-25 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो पहली तिमाही में 5.0 प्रतिशत; दूसरी तिमाही में 4.0 प्रतिशत; तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत; और चौथी तिमाही में 4.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है (चार्ट 2)। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।
- एमपीसी ने कहा कि घरेलू आर्थिक गतिविधि अच्छी चल रही है और निवेश मांग में तेजी, आशावादी कारोबारी मनोभावों और बढ़ते उपभोक्ता विश्वास से इसे समर्थन मिलने की उम्मीद है। मुद्रास्फीति के स्तर पर, बड़े और बार-बार आने वाले खाद्य मूल्यों के आघात अवस्फीति की गति को बाधित कर रहे हैं जो मूल मुद्रास्फीति में कमी के कारण हो रही है। भू-राजनीतिक घटनाएं और आपूर्ति शृंखलाओं पर उनका प्रभाव, तथा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों और कमोडिटी की कीमतों में अस्थिरता मुद्रास्फीति के बढ़ने के जोखिम के प्रमुख स्रोत हैं। नीतिगत रेपो दर में बढ़ोतरी का संचयी प्रभाव अभी भी अर्थव्यवस्था पर अपना असर दिखा रहा है। एमपीसी गैर-खाद्य कीमतों पर खाद्य कीमतों के दबाव के सामान्यीकरण के किसी भी संकेत की सावधानीपूर्वक निगरानी करेगी, जो मूल मुद्रास्फीति में कमी के लाभ को नष्ट कर सकता है। चूँकि अवस्फीति के मार्ग को कायम रखने की आवश्यकता है, एमपीसी ने इस बैठक में नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखने का निर्णय लिया। मुद्रास्फीति की प्रत्याशाओं को नियंत्रित करने और पूर्ण संचरण को सुनिश्चित करने के लिए मौद्रिक नीति को सक्रिय रूप से अवस्फीतिकारी बने रहना चाहिए। एमपीसी मुद्रास्फीति को लक्ष्य के अनुरूप लाने की अपनी प्रतिबद्धता पर दृढ़ रहेगी। एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो।
- एमपीसी के सभी सदस्य - डॉ. शशांक भिडे, डॉ. आशिमा गोयल, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखने के लिए वोट किया। प्रो. जयंत आर. वर्मा ने नीतिगत रेपो दर को 25 आधार अंकों तक कम करने के लिए वोट किया।
- डॉ. शशांक भिडे, डॉ. आशिमा गोयल, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए वोट किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो। प्रो. जयंत आर. वर्मा ने रुख को निष्पक्ष में बदलने के लिए वोट किया।
- एमपीसी की इस बैठक का कार्यवृत्त 22 फरवरी 2024 को प्रकाशित किया जाएगा।
- एमपीसी की अगली बैठक 3-5 अप्रैल 2024 के दौरान निर्धारित है।
(योगेश दयाल) मुख्य महाप्रबंधक प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1826 |