मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2024-25 मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का संकल्प 5-7 जून 2024 - आरबीआई - Reserve Bank of India
मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2024-25 मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का संकल्प 5-7 जून 2024
वर्तमान और उभरती समष्टि-आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर, मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आज (7 जून 2024) अपनी बैठक में यह निर्णय लिया है कि:
परिणामस्वरूप, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.25 प्रतिशत तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर यथावत् बनी हुई है।
ये निर्णय, संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति को +/- 2 प्रतिशत के दायरे में रखते हुए 4 प्रतिशत का मध्यावधि लक्ष्य प्राप्त करने के अनुरूप है। आकलन और संभावना 2. वैश्विक आर्थिक गतिविधि पुनः संतुलित हो रही है और 2024 में इसके स्थिर गति से बढ़ने की आशा है। मुद्रास्फीति असमान रूप से कम हो रही है, सेवाओं की मुद्रास्फीति उच्च बनी हुई है और इसकी लक्ष्य की ओर प्रगति धीमी हो रही है। केंद्रीय बैंकों द्वारा नीतिगत बदलावों की गति और समय पर अनिश्चितता, वित्तीय बाज़ारों को अस्थिर बनाए हुए है। उन्नत और उभरती बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं दोनों में इक्विटी बाज़ारों ने नई ऊंचाइयों को छुआ है। गैर-ऊर्जा कमोडिटी की कीमतों में मजबूती आई है, जबकि अमेरिकी डॉलर और बॉण्ड प्रतिफल उभरती बाज़ार मुद्राओं पर प्रभाव विस्तार के साथ दोतरफा गति प्रदर्शित कर रहे हैं। सुरक्षित आश्रय मांग के कारण स्वर्ण की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। 3. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा 31 मई 2024 को जारी अनंतिम अनुमानों के अनुसार, 2023-24 की चौथी तिमाही में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) संवृद्धि 7.8 प्रतिशत रही, जबकि तीसरी तिमाही में यह 8.6 प्रतिशत थी। 2023-24 के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि 8.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। आपूर्ति पक्ष पर, 2023-24 की चौथी तिमाही में वास्तविक योजित सकल मूल्य (जीवीए) में 6.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 2023-24 में वास्तविक जीवीए में 7.2 प्रतिशत की संवृद्धि दर्ज की गई। 4. आगे, घरेलू गतिविधि के उच्च आवृत्ति संकेतक 2024-25 में आघात-सहनीयता प्रदर्शित कर रहे हैं। दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य से अधिक रहने की आशा है, जो कृषि और ग्रामीण मांग के लिए अच्छा संकेत है। विनिर्माण और सेवा गतिविधि में धारणीय गति के साथ, इससे निजी खपत में बहाली संभव होनी चाहिए। उच्च क्षमता उपयोग, बैंकों और कॉर्पोरेट्स के स्वस्थ तुलन-पत्र, बुनियादी ढांचे पर व्यय पर सरकार के निरंतर जोर और कारोबारी मनोभावों में आशावाद के साथ निवेश गतिविधि के मजबूत रहने की संभावना है। वैश्विक व्यापार संभावनाओं में सुधार बाह्य मांग को समर्थन प्रदान कर सकता है। तथापि, भू-राजनीतिक तनाव, अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी कीमतों में अस्थिरता और भू-आर्थिक विखंडन से होने वाली बाधाएँ संभावना के लिए जोखिम उत्पन्न करती हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, वर्ष 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि पहली तिमाही में 7.3 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 7.3 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 7.2 प्रतिशत के साथ 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है (चार्ट 1)। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं। 5. फरवरी 2024 से हेडलाइन मुद्रास्फीति में क्रमिक रूप से कमी देखी गई है, यद्यपि यह फरवरी में 5.1 प्रतिशत से अप्रैल 2024 में 4.8 प्रतिशत तक सीमित रही। तथापि, सब्जियों, दालों, अनाज और मसालों में मुद्रास्फीति के दबाव के बने रहने के कारण खाद्य मुद्रास्फीति उच्च बनी हुई है। मार्च-अप्रैल के दौरान ईंधन की कीमतों में अवस्फीति और भी बढ़ गई, जो तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) की कीमतों में कटौती को दर्शाती है। अप्रैल में मूल (खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई) मुद्रास्फीति और भी कम होकर 3.2 प्रतिशत हो गई, जो वर्तमान सीपीआई शृंखला में सबसे कम है, साथ ही मूल सेवाओं की मुद्रास्फीति भी ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ गई है। 6. भविष्य की ओर देखते हुए, प्रतिकूल जलवायु घटनाओं की बढ़ती घटनाओं से उत्पन्न होने वाले अतिव्यापी आघात, खाद्य मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र में काफी अनिश्चितता उत्पन्न करते हैं। कीमतों में हाल ही में आई तेज उछाल को ध्यान में रखते हुए, प्रमुख रबी फसलों, विशेष रूप से दालों और सब्जियों की बाज़ार में आवक पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है। तथापि, सामान्य मानसून वर्ष के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति के दबाव को कम कर सकता है। निविष्टि लागतों से दबाव बढ़ने लगा है और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सर्वेक्षण किए गए उद्यमों के शुरुआती परिणामों से बिक्री कीमतों के मजबूत रहने की आशा है। कच्चे तेल की कीमतों और वित्तीय बाज़ारों में अस्थिरता के साथ-साथ गैर-ऊर्जा कमोडिटी की कीमतों में मजबूती, मुद्रास्फीति के लिए जोखिम उत्पन्न करती है। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए, वर्ष 2024-25 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति पहली तिमाही में 4.9 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.5 प्रतिशत के साथ 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है ((चार्ट 2))। जोखिम समान रूप से संतुलित है।
7. एमपीसी ने कहा कि अप्रैल 2024 में हुई इसकी पिछली बैठक के बाद से घरेलू संवृद्धि-मुद्रास्फीति संतुलन में अनुकूल रूप से प्रगति हुई है। घरेलू मांग के समर्थन से आर्थिक गतिविधि आघात-सहनीय बनी हुई है। निवेश की मांग में तेजी आ रही है और निजी खपत में बहाली के संकेत मिल रहे हैं। यद्यपि, मूल मुद्रास्फीति धीरे-धीरे कम हो रही है, जो इसके मूल घटक में नरमी के कारण है, लेकिन प्रतिकूल मौसम की घटनाओं के कारण अस्थिर और उच्च खाद्य मुद्रास्फीति के कारण अवस्फीति का मार्ग बाधित हो रहा है। मुद्रास्फीति, बाद में पलटने से पहले,अनुकूल आधार प्रभाव के कारण 2024-25 की दूसरी तिमाही के दौरान अस्थायी रूप से लक्ष्य से कम होने की आशा है। मुद्रास्फीति को लक्ष्य तक लाने और उसे स्थिर करने के लिए, मौद्रिक नीति को खाद्य मूल्य दबावों से मूल मुद्रास्फीति और मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं तक के प्रभाव विस्तारों के प्रति सतर्क रहना होगा। एमपीसी मुद्रास्फीति को धारणीय आधार पर 4 प्रतिशत के लक्ष्य के अनुरूप लाने की अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ रहेगी। तदनुसार, एमपीसी ने इस बैठक में नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत रखने का निर्णय लिया। एमपीसी ने अवस्फीतिकारक रुख को तब तक जारी रखने की आवश्यकता दोहराई, जब तक कि हेडलाइन सीपीआई मुद्रास्फीति धारणीय रूप से लक्ष्य के साथ संरेखित नहीं हो जाती है। टिकाऊ मूल्य स्थिरता उच्च संवृद्धि की धारणीय अवधि के लिए मजबूत नींव रखती है। अतः, एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उत्तरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो। 8. डॉ. शशांक भिडे, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखने के लिए वोट किया। डॉ. आशिमा गोयल और प्रो. जयंत आर. वर्मा ने नीतिगत रेपो दर को 25 आधार अंकों तक कम करने के लिए वोट किया। 9. डॉ. शशांक भिडे, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देवब्रत पात्र और श्री शक्तिकान्त दास ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए वोट किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो। डॉ. आशिमा गोयल और प्रो. जयंत आर. वर्मा ने रुख को तटस्थ के रूप में बदलने के लिए वोट किया। 10. एमपीसी की इस बैठक का कार्यवृत्त 21 जून 2024 को प्रकाशित किया जाएगा। 11. एमपीसी की अगली बैठक 6 से 8 अगस्त 2024 के दौरान निर्धारित है। (पुनीत पंचोली) प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/453 |