वर्ष 2013-14 के लिए मौद्रिक नीति वक्तव्य डॉ. डी. सुब्बाराव, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक का वक्तव्य - आरबीआई - Reserve Bank of India
वर्ष 2013-14 के लिए मौद्रिक नीति वक्तव्य डॉ. डी. सुब्बाराव, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक का वक्तव्य
3 मई 2013 वर्ष 2013-14 के लिए मौद्रिक नीति वक्तव्य डॉ. डी. सुब्बाराव, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक का वक्तव्य ''सबसे पहले रिज़र्व बैंक की ओर से वर्ष 2013-14 के लिए मौद्रिक नीति वक्तव्य जिसे हमने कुछ क्षण पहले जारी किया है के इस प्रसारण के लिए आप सबका हृदय से स्वागत है। 2. वर्तमान और संभावित समष्टि-आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर हमने निर्णय लिया है कि चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत नीति रिपो दर में 25 आधार अंकों तक कमी करते हुए इसे 7.5 प्रतिशत से घटाकर 7.25 प्रतिशत किया जाए। 3. इसके परिणामस्वरूप चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत रिपो दर से कम 100 आधार अंकों के अंतर पर निर्धारित प्रत्यावर्तनीय रिपो दर 6.25 प्रतिशत पर समायोजित हो जाती है। उसी प्रकार रिपो दर से 100 आधार अंक अधिक के अंतर पर निर्धारित सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर 8.25 प्रतिशत पर समायोजित हो जाती है। 4. ये परिवर्तन घोषणा के तुरंत बाद प्रभावी हो गए हैं। इस नीति प्रयास के पीछे की अवधारणा 5. मौद्रिक नीति रूझान को और सरल बनाने का आज का निर्णय दो अवधारणाओं पर आधारित है। 6. पहला, वृद्धि में लगातार और तेज़ी से गिरावट हुई है जो पिछले 2010-11 के पहले वाले वर्ष की चौथी तिमाही में 9.2 प्रतिशत से आधा होकर पिछले वर्ष 2012-13 की तीसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत हो गया। रिज़र्व बैंक का वर्तमान आकलन यह है कि इस आगामी समुचित स्थितियों के अधीन दूसरी छमाही में कुछ कम तेज़ी के साथ इस वर्ष की पहली छमाही के दौरान गतिविधि दबी हुई रहेगी। 7. दूसरी अवधारणा जो नीति निर्णय के साथ जुड़ी है वह मुद्रास्फीति संभावना है। यद्यपि, थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति मार्च 2013 तक कम हुई है तथा यह रिज़र्व बैंक की सहनशील प्रारंभिक सीमा के निकट आ गई है, यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि खाद्य कीमतों के दबाव बने हुए हैं तथा आपूर्ति बाध्यताएं क्षेत्र विशिष्ट हैं। इससे मुद्रास्फीति का सामान्यीकरण तथा भुगतान संतुलन पर तनाव उत्पन्न होता है। मौद्रिक नीति रुझान 8. यह नीति दस्तावेज़ हमारे मौद्रिक नीति रुझान की तीन व्यापक सीमाओं का वर्णन भी करता है। वे इस प्रकार हैं:
मार्गदर्शन 9. मानक प्रथा के अनुसार हमने आने वाली अवधि के लिए भी निम्निलिखित मार्गदर्शन दिए हैं: 10. रिपो दर में और कमी करने का आज का निर्णय उन उपायों को शामिल करता है जिन्हें हेडलाइन मुद्रास्फीति में क्रमिक सुधार के आलोक में वृद्धि की सहायता के प्रति पिछले वर्ष की जनवरी से ही लागू किया गया है। तो भी यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि केवल हाल की मौद्रिक नीति कार्रवाई ही वृद्धि को सक्रिय नहीं कर सकती है। इसे उन प्रयासों के द्वारा पूरा किए जाने की ज़रूरत है जो आपूर्ति अवरोधों को आसान बनाने, अभिशासन में सुधार और निवेश में तेज़ी लाने के साथ-साथ राजकोषीय समेकन के प्रति जारी प्रतिबद्धता के प्रयास हैं। 11. आगामी अवधि में मुद्रास्फीति के प्रति वृद्धिशील जोखिम क्षेत्रवार मांग आपूर्ति असंतुलनों, लागू कीमतों में जारी सुधार तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी से उत्पन्न दबावों की दृष्टि से अभी भी महत्वपूर्ण हैं। इस दृष्टि से मौद्रिक नीति, मुद्रास्फीतिकारी दबावों के निरंतर उत्पन्न होने की संभावना के विरुद्ध अपनी सतर्कता को कम नहीं कर सकती है। मौद्रिक नीति को भी चालू खाता घाटा (सीएडी) और इसे वित्तीय सहायता के कारण जोखिमों के प्रति सतर्क रहना होगा जिसके लिए नीति रुझान का तीव्र प्रत्यावर्तन जरूरी है। 12. समग्र रूप में वृद्धि-मुद्रास्फीति गतिशीलता के रिज़र्व बैंक के आकलन से उत्पन्न जोखिम संतुलन मौद्रिक सहजता के लिए कम जगह बनाते हैं। रिज़र्व बैंक वृद्धि-मुद्रास्फीति संतुलन के अनुरूप मौद्रिक अंतरण लागू करने के लिए चलनिधि का सक्रियता से प्रबंध करने का प्रयास करेगा। वैश्विक और घरेलू गतिविधियां 13. हमारे नीति निर्णय वैश्विक और घरेलू समष्टि-आर्थिक स्थिति के विस्तृत आकलन पर आधारित हैं। पहले मैं वैश्विक संभावना पर टिप्पणी करना चाहता हूँ। वैश्विक अर्थव्यवस्था 14. जनवरी 2013 में रिज़र्व बैंक की पिछली तिमाही समीक्षा के बाद उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एई) में संभावित जोखिम कम हुए हैं। तथापि, यह सुधार अभी आर्थिक गतिविधि में पूरी तरह अंतरित होना बाकी है जो अभी मंद है। नीति कार्यान्वयन में जोखिम तथा परिणामों के प्रति अनिश्चितता उन्नत अर्थव्यवस्थओं में निरंतर सुधार की संभावनाओं के लिए खतरा बनी हुई है। 15. उभरती हुई और विकासशील अर्थव्यवस्थाएं (ईडीई) एक बहु-गतिशील सुधार की प्रक्रिया में हैं तथापि, कमज़ोर बाह्य मांग और घरेलू अवरोध कुछ उभरती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में निवेश को बाधित कर रहे हैं। ईडीई में मुद्रास्फीति जोखिम, नकारात्क उत्पादन अंतराल तथा अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल और खाद्यान्न कीमतों में हाल की नरमी को दर्शाते हुए रूके हुए दिखाई देते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था 16. घरेलू अर्थव्यवस्था पर बात करें तो पिछले वर्ष की तीसरी तिमाही में केवल 4.5 प्रतिशत के उत्पादन विस्तार के साथ जो पिछली 15 तिमाहियों में सबसे कम हैं, अप्रैल-दिसंबर 2012 के लिए संचयी सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि एक वर्ष पूर्व के 6.6 प्रतिशत से कम होकर 5.0 प्रतिशत हो गई है। मुख्य रूप ये यह घरेलू आपूर्ति अवरोधों द्वारा क्रियाशील औद्योगिक गतिविधि में व्याप्त कमज़ोरी तथा कमज़ोर बाह्य मांग को दर्शाते हुए सेवा क्षेत्र में मंदी के कारण रहा है। 17. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने पिछले वर्ष 2012-13 के लिए सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि का अग्रिम आकलन 5.0 प्रतिशत प्रकाशित किया था जो रिज़र्व बैंक के जनवरी 2013 के 5.5 प्रतिशत के बेसलाईन अनुमान से कम है। सीएसओ का न्यूनतर आकलन उद्योग और सेवा दोनों में प्रत्याशित वृद्धि की अपेक्षा कम आकलन दर्शाता है। 18. आगे देखते हुए, चालू वर्ष के दौरान आर्थिक गतिविधि से इस वर्ष की दूसरी छमाही में संभावित तेज़ी के साथ पिछले वर्ष से केवल थोड़ा सुधार दर्शाने की संभावना है। कृषि में वृद्धि प्रवृत्ति स्तरों पर वापस लौट सकती है यदि मानसून सामान्य रहता है जैसाकि हाल में पूर्वानुमान लगाया गया है। औद्योगिक गतिविधि संभावना धीमी है क्योंकि नए निवेश की संभावना बंद हो गई है और विद्यमान परियोजनाएं अवरोधों और कार्यान्वयन अंतरालों के कारण रुक गई हैं। सेवा और निर्यात में भी वृद्धि धीमी हो सकती है, जिसे देखते हुए वैश्विक विकास में 2012 से उल्लेखनीय रूप से सुधार होने की संभावना नहीं है। तदनुसार, वर्ष 2013-14 के लिए रिज़र्व बैंक का सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि का बेसलाइन अनुमान 5.7 प्रतिशत है। मुद्रास्फीति 19. अब मैं मुद्रास्फीति की बात करता हूं। थोक मूल्य सूचकांक द्वारा मापी गई हेडलाइन मुद्रास्फीति सुधरकर पिछले वर्ष औसतन 7.3 प्रतिशत हो गई जो एक वर्ष पूर्व में 8.9 प्रतिशत थी। यह राहत पिछले वर्ष की चौथी तिमाही में विशेषकर महत्वपूर्ण रही। इस वर्ष मार्च 2013 में थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति 6.0 प्रतिशत पर समाप्त हुई, जो पिछले तीन वर्षों में न्यूनतम थी। 20. यद्यपि, हेडलाइन मुद्रास्फीति में कमी आई, फिर भी पूरे वर्ष पहले सब्जियों के मूल्यों में असामान्य तेज़ी और बाद में खाद्यान्न मूल्यों में वृद्धि के कारण खाद्य मुद्रास्फीति पर वृद्धिशील दबाव बना रहा। 21. ईंधन मुद्रास्फीति वर्ष 2012-13 के दौरान औसतन दुहरे अंकों में बनी रही, जो मुख्य रूप से लागू कीमतों में बढ़ोतरी के संशोधनों और कच्चे तेल की उच्च अंतर्राष्ट्रीय कीमतों से स्वतंत्र मूल्य वाली मदों में पास-थ्रू को दर्शाती है। 22. गैर-खाद्य निर्मित उत्पाद मुद्रास्फीति वर्ष 2012-13 की पहली छमाही में सुविधा स्तर से ऊपर बनी रही किंतु दूसरी छमाही में इनपुट मूल्य दबाव और मूल्य निर्धारण क्षमता में ह्रास को दर्शाते हुए गिरावट आई। 23. यद्यपि थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति में कमी आई फिर भी नए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक द्वारा यथामापित खुदरा मुद्रास्फीति मुख्य रूप से खाद्य मुद्रास्फीति के कारण वर्ष 2012-13 के दौरान औसत 10.2 प्रतिशत रही। खाद्य और ईँधन समूहों को छोड़कर, सीपीआई मुद्रास्फीति औसत 8.7 प्रतिशत पर अस्थिर बनी रही। 24. रिज़र्व बैंक के आकलन में थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति वर्ष 2013-14 के दौरान लगभग 5.5 प्रतिशत के दायरे में रहने की संभावना है। यह आकलन घरेलू मांग-आपूर्ति संतुलन, वैश्विक पण्य वस्तुओं के मूल्यों की संभावना और सामान्य मानसून के पूर्वानुमान पर आधारित है। 25. मुद्रास्फीति के हाल के लाभों को समेकित करना और उसमें वृद्धि करना महत्वपूर्ण है। तदनुसार, रिज़र्व बैंक मार्च 2014 तक मुद्रास्फीति की वृद्धि को 5.0 प्रतिशत स्तर तक लाने का प्रयास करेगा। मौद्रिक और चलनिधि परिस्थितियां 26. अब मैं मौद्रिक और चलनिधि परिस्थितियों की बात करता हूं। 27. विकास अनुमानों और रिज़र्व बैंक की मुद्रास्फीति की सहनशलील प्रारंभिक सीमा के अनुरूप वर्ष 2013-14 के लिए नीतिगत प्रयोजनों हेतु एम3 वृद्धि का अनुमान 13.0 प्रतिशत लगाया गया है। इसके परिणामस्वरूप, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की कुल जमा को 14.0 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। निजी क्षेत्र की संसाधन आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के गैर-खाद्य उधार में 15.0 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है। मौद्रिक नीति के संचालन में हम इन सांकेतिक सीमाओं के साथ मौद्रिक सकल राशियां के विकास द्वारा निर्देशित होंगे। 28. पिछले वर्ष के दौरान मुद्रास्फीति दो कारकों- प्रथम रिज़र्व बैंक के पास सरकार का लगातार अधिक नकदी शेष और दूसरे वर्ष के अधिकांश समय में जमा अनुपात के लिए उच्च वृद्धिशील ऋण के कारण दबाव में रही। चलनिधि दबावों से बचने के लिए पिछले वर्ष रिज़र्व बैंक ने तीन बार में कुल 75 आधार बिन्दुओं तक प्रारक्षित नकद निधि अनुपात (सीआरआर) तथा सांवधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) को 100 आधार बिन्दुओं तक कम किया। इसके अतिरिक्त, रिज़र्व बैंक ने खुले बाजार परिचालनों (ओएमओ) के माध्यम से ₹ 1.5 ट्रिलियन. की चलनिधि जारी किया। चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत निवल चलनिधि 28 मार्च 2013 तक ₹ 1.8 ट्रिलियन की शीर्ष सीमा पर पहुंच गई जो वर्ष के अंत की मांग को दर्शाती है। तथापि, अप्रैल 2013 के अंत तक यह 800 बिलियन तक वापस आ गई। 29. रिज़र्व बैंक अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों में पर्याप्त ऋण प्रवाह सुनिश्चित करने और वृद्धि-मुद्रास्फीति संतुलन के अनुरूप मौद्रिक अंतरण को लागू करने के लिए सक्रिय और उचित रूप से चलनिधि का प्रबंध करने का प्रयास करेगा। जोखिम कारक 30. नीति वक्तव्य में यथानिर्धारित इस वर्ष का समष्टि आर्थिक दृष्टिकोण अनेक जोखिमों के अधीन है। मैं आपको संक्षेप में बताता हूं।
विकास और विनियामक नीतियां 31. चूंकि मानक प्रथा के अनुसार यह वार्षिक नीति है, इसलिए इसमें विकासात्मक और विनियामक नीतियां भी शामिल हैं। मैं इस संबंध में कुछ महत्वपूर्ण प्रयासों की तरफ संकेत करता हूं। 32. मैं विनियामक और पर्यवेक्षण रूपरेखा को और सुदृढ़ करने के लिए प्रयासों से अपनी बात शुरू करता हूं।
33. अब मैं वित्तीय समावेशन को और आगे बढ़ावा देने के लिए किए गए कुछ प्रयासों के बारे में बताना चाहूंगा।
34. वक्तव्य में वित्तीय बाज़ार बुनियादी सुविधा को मज़बूती देने के लिए कई प्रयास शामिल किए गए हैं।
35. ''भारत में भुगतान प्रणाली'' विषय पर रिज़र्व बैंक के विज़न दस्तावेज़ में बताए गए अनुसार हमने गैर-बैंक प्राधिकृत संस्थाओं को भुगतान प्रणाली बुनियादी सुविधा का हिस्सा बनने की अनुमति देने का निर्णय लिया है। भुगतान प्रणाली बुनियादी सुविधा केंद्रित जोखिम को कम करने और हटाने हेतु किए जाने वाले उपायों की जांच करने के लिए हम अलग से चर्चा पेपर तैयार करेंगे। 36. अंत में, मैं, देश में बैंक नोटों और सिक्कों की बढ़ती मांग को पूरा करने के विषय पर बोलना चाहता हूं। हम बैंक नोटों और सिक्कों के वितरण की प्रणाली को सरल और कारगर बना रहे हैं और बैंकों द्वारा उसके वितरण के लिए वैकल्पिक उपाय खोज़ रहे हैं। जाली बैंक नोटों की पहचान और उसकी रिपोर्टिंग की व्यवस्था में भी सुधार किया जा रहा है। इस प्रयास को और आगे बढ़ाने के लिए हम शीघ्र ही बैंकों के लिए प्रोत्साहन योजना लागू करेंगे। 37. मैंने केवल कुछ विकासात्मक और विनियामक प्रयासों को उज़ागर किया है। नीति दस्तावेज़ के भाग बी में अन्य कई प्रयासों को दर्शाया गया है। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप नीति दस्तावेज को विस्तार से पढ़े। 38. मैं अपनी समष्टि-आर्थिक चिंताओं के सारांश द्वारा अपना निष्कर्ष देना चाहता हूं। विनिर्माण और सेवा गतिविधि दोनों पर आपूर्ति अवरोधों और मंद बाहरी मांग के आघात के कारण वृद्धि आशा से अधिक धीमी रही। अधिकांश अग्रणी संकेतक इस वर्ष हालात सुधरने का प्रस्ताव करते हैं। यद्यपि, यह धीमी गति से होगी। मुद्रास्फीति पिछले वर्ष की चौथी तिमाही में उल्लेखनीय रूप से कम हुई। यद्यपि, थोक और खुदरा दोनों स्तरों पर बढ़ते हुए दबाव कायम रहे। नीति वक्तव्य में उल्लिखित मुद्रास्फीति संभावना भी उच्चतर जुड़वा घाटे के बने रहने, हमारे बाह्य क्षेत्र की संवेदनशीलता अचानक रूक जाने और पूंजी प्रवाहों का उल्टी दिशा में जाने, धीमी निवेश भावना और खासकर खाद्य और मूलभूत सुविधा क्षेत्रों में आपूर्ति बाध्यताओं के कड़े होने जैसी जोखिमों से घिर गई है। रिज़र्व बैंक के लिए यह चुनौती है कि इन जोखिमों का समाधान करने हेतु तथा आने वाले वर्षों में निरंतर उच्च वृद्धि पथ की ओर अर्थव्यवस्था को वापस लाने के लिए मुद्रास्फीति को सहनीय प्रारंभिक सीमा तक नीचे लाने के लिए मौद्रिक नीति को सही बनाया जाए। 39. मुझे ध्यानपूर्वक सुनने के लिए सभी को धन्यवाद।'' अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/1823 |