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पहली जुलाई से नाबाड़ अक्तूबर 1994 तक जारी किये गये अपने एसएलआर बांडों का कामकाज देखेगा

पहली जुलाई से नाबाड़ अक्तूबर 1994 तक जारी किये गये
अपने एसएलआर बांडों का कामकाज देखेगा

30 मई 2003

राष्ट्रीय और ग्रामीण विकास बैंक (नाबाड़) पहली जुलाई 2003 से अपने ऐसे सभी बांडों से संबंधित काम अपने हाथ में ले लेगा जो अक्तूबर 1994 तक जारी किये गये थे। इस कार्य (सर्विस) में ब्याज तथा चुकौती आय के भुगतान और अन्य सेवाएं मसलन बाडों की स्प्लिटिंग/कंसोलिडेशन आदि शामिल होंगे।तदनुसार, रिज़र्व बैंक के लोक ऋण कार्यालयों द्वारा इन बांडों से संबंधित कामकाज 30 जून 2003 को कारोबार की समाप्ति से बंद कर दिया जायेगा। वर्तमान में भारतीय रिज़र्व बैंक के विभिन्न लोक ऋण कार्यालय ये सेवाएं देते हैं।

अतएव, रिज़र्व बैंक ने सभी बांड धारकों/निवेशकों से अनुरोध किया है कि वे अक्तूबर 1994 तक जारी किये गये ऐसे नाबाड़ एसएलआर बांडों की सभी ॅद्राृंखलाओं की सर्विसिंग के लिए नाबाड़ के संबंधित कार्यालय से संपर्क करें, जिनके भुगतान पहली जुलाई 2003 को या उसके बाद बकाया हैं या देय हो गये हैं। रिज़र्व बैंक के लोक ऋण कार्यालयों के समनुरूपी नाबाड़ कार्यालयों के ब्यौरे रिज़र्व बैंक वेबसाइट पर उपलब्ध है।

रिज़र्व बैंक ने सभी संस्थागत निवेशकों/न्यासियों से अनुरोध किया है कि वे 16 जून 2003 तक नाबाड़ के संबंधित कार्यालयों में अपने प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं के नमूना हस्ताक्षर पंजीकृत करा लें ताकि नाबाड़ द्वारा ब्याज और चुकौती आय की तत्काल सर्विसिंग/भुगतान किये जा सकें।

अल्पना किल्लावाला
महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2002-2003/1221

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