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शेयरों/प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्तावों पर ऋणों से संबंधित अपने ग्राहक को जानिये मानदंडों और निदेशों/दिशानिर्देशों का अनुपालन न करना - दंडात्मक कार्रवाई

27 फरवरी 2006

शेयरों/प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्तावों पर ऋणों से संबंधित अपने ग्राहक को जानिये मानदंडों और निदेशों/दिशानिर्देशों का अनुपालन न करना - दंडात्मक कार्रवाई

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 47 क(1)(ख) के प्रावधानों के अंतर्गत प्रदत्त अधिकारों का प्रत्यायोजन करते हुए अपने ग्राहक को जानिये मानदंडों के विनियमों का अतिक्रमण करने, विवेकपूर्ण बैंकिंग परंपरा का भंग करने और शेयरों/प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्तावों पर ऋणों से संबंधित निदेशों/दिशानिर्देशों का अनुपालन न करने के लिए और तीन अनुसूचित वाणिज्य बैंकों पर मौद्रिक दंड लगाया है।

रिज़र्व बैंक ने इन बैंकों को कारण बताओं नोटिस जारी किये थे। उसकी प्रतिक्रिया में बैंकों ने अपने लिखित उत्तर प्रेषित किये और मुख्य कार्यपालक अधिकारियों ने रिज़र्व बैंक के साथ वैयक्तिक रूप से सुनवाई की, जो मंजूर की गयी।

बैंकों की प्रस्तुति की सावधानीपूर्वक जांच के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उक्त अतिक्रमण साबित हो गये हैं और तदनुसार निम्नलिखित मौद्रिक दंड लगाये जा रहे हैं।

क)

एचडीएफसी बैंक लिमिटेड

- 25 लाख रुपये का दंड

ख)

आइएनजी वैश्य बैंक लिमिटेड

- 10 लाख रुपये का दंड

ग)

आइडीबीआइ लिमिटेड

- 5 लाख रुपये का दंड


हर बैंक में पाये गये उल्लंघन/अतिक्रमण के परिमाण और घोरता के आधार पर दंड की मात्रा का निर्णय लिया गया है। हर बैंक की अनियमितताओं के ब्यौरे भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर रखे गये हैं।

आपको याद होगा कि 23 जनवरी 2006 को रिज़र्व बैंक ने अपने ग्राहक को जानिये मानदंडों पर भारतीय रिज़र्व बैंक के विनियमों का अतिक्रमण करने, विवेकपूर्ण बैंकिंग परंपराओं का भंग करने और अपात्र उधारकर्ताओं के लिए प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव वित्त का दुरूपयोग आसान बनाने के लिए एचडीएफसी बैंक सहित सात अनुसूचित वाणिज्य बैंकों पर मौद्रिक दंड लगाया था।

अक्तूबर 2004 में बैंकों की पारदर्शिता में सुधार लाने के उपायों के एक भाग के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने निर्णय की घोषणा की थी कि वह बैंकों को लगाये गये दंड की जानकारी उन्हें उचित रूप से सूचित करने की प्रक्रिया और उनसे स्पष्टीकरण मांगने, ताकि बैंक को अपनी बात सुनाने के लिए यथोचित अवसर मिल सके, के बाद पब्लिक डोमैन पर प्रकट करेगा।

दीपा वाडदेकर

प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2005-2006/1089

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