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गैर-सरकारी गैर-बैंकिंग वित्तीय और निवेश (एनजीएनबीएफ एंड आई) कंपनियों के वर्ष 2013-14 के कार्यनिष्पादन के आंकड़ों का प्रकाशन

9 सितंबर 2015

गैर-सरकारी गैर-बैंकिंग वित्तीय और निवेश (एनजीएनबीएफ एंड आई)
कंपनियों के वर्ष 2013-14 के कार्यनिष्पादन के आंकड़ों का प्रकाशन

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर गैर-सरकारी गैर-बैंकिंग वित्तीय और निवेश (एनजीएनबीएफ एंड आई) कंपनियों (चिट फंड/कुरी और म्यूच्युअल फंड कंपनियों सहित) के वर्ष 2013-14 के कार्यनिष्पादन से संबंधित आंकड़े जारी किए। इन आंकड़ों को 18,225 कंपनियों के लेखापरीक्षित वार्षिक लेखों से संबंधित आंकड़ों से संकलित किया गया है, जिनमें से 17,636 कंपनियों के आंकड़े कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय (एमसीए) के सिस्टमों (एक्सटेंसिब्ल बिजनस रिपोर्टिंग लैंग्वेज (एक्सबीआरएल) और फार्म 23एसी/एसीए (गैर-एक्सबीआरएल) पर आधारित हैं तथा शेष 589 कंपनियों जिन्होंने अपने लेखे अप्रैल 2013 से मार्च 2014 की अवधि के लिए बंद कर दिए थे, के आंकड़ों की जांच सांख्यिकी और सूचना प्रबंध विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक (एमसीए की चयनित एनजीएनबीएफएंडआई में शामिल नहीं) द्वारा की गई है। एक ही जैसी कंपनियों पर आधारित ये आंकड़े तीन वर्ष अर्थात 2011-12 से 2013-14 की अवधि की तुलनात्मक तस्वीर प्रस्तुत करते हैं। विवरणों से संबंधित ‘व्याख्यात्मक टिप्पणियां’ अंत में दी गई हैं।

कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आपूर्ति की गई जनसंख्या चुकता पूंजी (पीयूसी) के अनंतिम अनुमान के अनुसार, चयनित 18,225 कंपनियां 31 मार्च 2014 की स्थिति के अनुसार सभी एनजीएनबीएफ एंड आई कंपनियों का 91.3 प्रतिशत रहीं।

मुख्य अंश:

  • चयनित 18,225 एनजीएनबीएफ एंड आई कंपनियों की वित्तीय आय की वृद्धि दर वर्ष 2012-13 के 23.3 प्रतिशत से घटकर वर्ष 2013-14 में 13.6 प्रतिशत हो गई। इसका मुख्य कारण ब्याज आय में कम वृद्धि रही। कुल आय में वृद्धि पिछले वर्ष में दर्ज 22.8 प्रतिशत की वृद्धि दर के मुकाबले वर्ष 2013-14 में घटकर 13.7 प्रतिशत हो गई।

  • वर्ष 2013-14 कुल व्यय में वृद्धि दर घटकर 12.9 प्रतिशत हो गई (वर्ष 2012-13 में 21.4 प्रतिशत)। इसमें ब्याज खर्चों में कम वृद्धि दर से सहायता मिली (पिछले वर्ष के 30.9 प्रतिशत से वर्ष 2013-14 में 18.6 प्रतिशत)।

  • चयनित एनजीएनबीएफ एंड आई कंपनियों के परिचालन लाभ (ईबीडीटी) तथा निवल लाभ में वर्ष 2013-14 में गिरावट हुई। तथापि आस्तियों पर प्रतिफल (कुल निवल आस्तियों की तुलना में निवल लाभ के अनुपात के रूप में मापित) तथा शेयरधारकों की इक्विटी पर प्रतिफल (कुल मालियत की तुलना में निवल लाभ के अनुपात के रूप में मापित) के साथ परिचालन लाभ मार्जिन (वित्तीय आय की तुलना में परिचालन लाभ के अनुपात के रूप में मापित) में पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2013-14 में थोड़ी वृद्धि हुई।

  • कुल उधार की वृद्धि दर 2012-13 के 19.7 प्रतिशत की तुलना में 2013-14 में गिरावट दर्ज करते हुए 11.3 प्रतिशत पर पहुंच गई, किंतु, पिछले तीन वर्ष की अवधि में चयनित एनजीएनबीएफ एंड आई के ऋण-इक्विटी अनुपात में बढ़ोतरी की प्रवृत्ति देखी गई। तथापि, बैंकों से लिए गए उधार की वृद्धि दर पिछले वर्ष के 4.5 प्रतिशत के स्‍तर की तुलना में 2013-14 में काफी बढ़ोतरी दर्ज करते हुए 10.2 प्रतिशत पर पहुंच गई।

  • देयता पक्ष को देखें तो तीन वर्ष, अर्थात 2011-12 से 2013-14 तक की अवधि में अल्‍पाविधक उधारों की हिस्‍सेदारी और शेयरधारकों की निधि में क्रमिक रूप से गिरावट आई। तथापि, 2013-14 के दौरान दीर्घावधिक उधारों की हिस्‍सेदारी में बढ़ोतरी हुई।

  • जहां तक आस्ति पक्ष का प्रश्‍न है 2013-14 में दीर्घावधिक ऋणों व अग्रिमों की हिस्‍सेदारी में काफी वृद्धि हुई, वहीं आलोच्‍य अवधि में गैर-चालू निवेशों की हिस्‍सेदारी में गिरावट दर्ज हुई।

  • चयनित एनजीएनबीएफ एंड आई कंपनियां अपने कारोबार को बढ़ाने हेतु निधि जुटाने के लिए प्रमुख रूप से बाहरी स्रोतों पर लगातार निर्भर रहीं; तथापि, पिछले वर्ष की तुलना में 2013-14 में निधियों के कुल स्रोतों में उनकी हिस्‍सेदारी में मामूली गिरावट आई।

  • एनजीएनबीएफ एंड आई कंपनियों द्वारा दीर्घावधिक उधारों के माध्‍यम से जुटाई गई निधियों की हिस्‍सेदारी पिछले वर्ष के 35.3 प्रतिशत के स्‍तर की तुलना में गिरावट दर्ज करते हुए 2013-14 में 34.9 प्रतिशत पर पहुंच गई। मुख्‍य रूप से इन निधियों का उपयोग उनके दीर्घावधिक ऋण पोर्टफोलियो को बढ़ाने हेतु किया गया।

  • निधियों के कुल उपयोग में चयनित एनजीएनबीएफ एंड आई कंपनियों द्वारा दिए गए दीर्घावधिक ऋणों व अग्रिमों की हिस्‍सेदारी 2012-13 में दर्ज 48.0 प्रतिशत की तुलना में 2013-14 में काफी बढ़कर 62.9 प्रतिशत पर पहुंच गई।

चयनित 18,225 एनजीएनबीएफ एंड आई कंपिनयों के कार्य-निष्‍पादन का समग्र स्‍तर पर तथा गतिविधि-वार विश्‍लेषण करने वाला एक आलेख रिज़र्व बैंक बुलेटिन के अक्‍टूबर 2014 अंक में प्रकाशित किया जा रहा है।

संगीता दास
निदेशक

प्रेस प्रकाशनी : 2015-2016/625

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