वर्ष 2016-17 के दौरान निजी कॉर्पोरेट कारोबार क्षेत्र का कार्यनिष्पादन - आरबीआई - Reserve Bank of India
वर्ष 2016-17 के दौरान निजी कॉर्पोरेट कारोबार क्षेत्र का कार्यनिष्पादन
23 अगस्त 2017 वर्ष 2016-17 के दौरान निजी कॉर्पोरेट कारोबार क्षेत्र का कार्यनिष्पादन रिज़र्व बैंक सूचीबद्ध गैर-सरकारी गैर-वित्तीय (एनजीएनफ) कंपनियों के संक्षिप्त वित्तीय परिणामों के आधार पर आंकड़ों को संकलित कर जारी करता है। इस प्रकाशन का संबंध वर्ष 2016-17 के लिए 3,007 सूचीबद्ध एनजीएनएफ कंपनियों के संक्षिप्त वित्तीय परिणामों से है। वर्ष 2015-16 के आंकड़े भी तुलना करने के लिए सारणियों में प्रस्तुत किए गए हैं। इन आंकड़ों को https://dbie.rbi.org.in/DBIE/dbie.rbi?site=statistics#!2_42 पर प्राप्त किया जा सकता है। मुख्य-मुख्य बातें बिक्री वर्ष 2016-17 में मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र की समग्र बिक्री वृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) में सुधार हुआ, जिसमें लोहा और इस्पात, पेट्रोलियम उत्पादों और सीमेंट और सीमेंट उत्पाद जैसे प्रमुख उद्योग आगे रहे। तथापि, रियल एस्टेट और थोक तथा खुदरा व्यापार कंपनियों के खराब कार्यनिष्पादन के कारण सेवा क्षेत्र की कंपनियों (आईटी को छोड़कर) की बिक्री वृद्धि में कमी रही। सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र की बिक्री वृद्धि में नरमी देखी गई। व्यय समग्र स्तर पर और विनिर्माण के लिए कच्चे माल के खर्च में पिछली वर्ष के काफी संकुचन की तुलना में वृद्धि हुई जबकि आईटी क्षेत्र के लिए वर्ष 2015-16 में स्टाफ लागतों में तेज वृद्धि कायम नहीं रही। बिक्री के अनुपात की तुलना में कच्चे माल की लागत विनिर्माण क्षेत्र के लिए बढ़ी जबकि बिक्री अनुपात की तुलना में स्टाफ लागत सभी क्षेत्रों में समान रूप से बढ़ी। परिचालन लाभ कच्चे माल और स्टाफ लागत पर उच्चतर व्यय के बावजूद विनिर्माण क्षेत्र में उच्चतर दर से वृद्धि हुई। सेवा (आईटी को छोड़कर) क्षेत्र में कम होती बिक्री के कारण परिचालन लाभ में कमी दर्ज की गई। ब्याज वर्ष 2016-17 में विनिर्माण क्षेत्र के ब्याज व्यय में गिरावट आई। विनिर्माण क्षेत्र के अंदर, लोहा तथा इस्पात उद्योग ने पिछले वर्ष की तुलना में ब्याज व्यय में कम वृद्धि देखी गई, जबकि मोटर वाहन उद्योग के ब्याज व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। सेवाओं (आईटी को छोड़कर) में मुख्य रूप से दूरसंचार उद्योग के ब्याज व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि और ब्याज कवरेज़ अनुपात में गिरावट देखी गई। निवल लाभ सेवा (आईटी को छोड़कर) क्षेत्र द्वारा वहन की गई हानि के बावजूद समग्र स्तर पर निवल लाभ में सुधार हुआ। मूल्यनिर्धारण क्षमता विनिर्माण क्षेत्र के लिए परिचालन लाभ मार्जिन में सुधार हुआ और सेवा क्षेत्र में गिरावट आई। दूरसंचार उद्योग के कारण सेवाओं (आईटी को छोड़कर) के लिए निवल लाभ मार्जिन नकारात्मक हो गया, दूरसंचार कंपनियों को छोड़कर सेवा (आईटी को छोड़कर) कंपनियों का निवल लाभ मार्जिन 5.7 प्रतिशत रहा।
टिप्पणी: विभिन्न तिमाहियों में परिणामों की घोषणा की तारीख के आधार पर कंपनियों का कवरेज़ भिन्न-भिन्न है, तथापि इससे समग्र स्थिति में ज्यादा परिवर्तन होने की संभावना नहीं है। ₹ 500 करोड़ से अधिक मालियत वाली सूचीबद्ध कंपनियां और उनकी सहयोगी कंपनियां वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही से कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय (एमसीए) के अधिदेश के अनुसार भारतीय सामान्यतः स्वीकृत सिद्धांतों (जीएएपी) से भारतीय लेखांकन मानकों में चली गई हैं। इस परिवर्तन का प्रभाव वृद्धि दर के मामले में समग्र स्तर पर मंद प्रतीत हो रहा है, हालांकि अनुपातों के मामले में ऐसा न हो। ‘व्याख्यात्मक टिप्पणियां’ जिनमें आंकड़ों के संकलन के लिए अपनाई जाने वाली संक्षिप्त पद्धति दी गई है और शब्दावली (संशोधित परिभाषा और परिकलन सहित जो पिछले प्रकाशनों से भिन्न हैं) को अंत में दिया गया है। जोस. जे. कट्टूर प्रेस प्रकाशनी: 2017-2018/520 |