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केंद्रीय बैंकिंग के पदृश्य : गवर्नरों के भाषण (माननीय प्रधान मंत्री ने 15 जनवरी 2010 को नई दिल्ली में अपने आवास स्थान पर पुस्तिका का विमोचन किया)

15 जनवरी 2010

केंद्रीय बैंकिंग के पदृश्य : गवर्नरों के भाषण
(माननीय प्रधान मंत्री ने 15 जनवरी 2010 को नई दिल्ली में
अपने आवास स्थान पर पुस्तिका का विमोचन किया)

वर्ष 2009-10 भारतीय रिज़र्व बैंक का प्लैटिनम जयंती वर्ष है। इस अवसर के सम्मान में माननीय प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आज रिज़र्व बैंक द्वारा प्रकाशित ‘केंद्रीय बैंकिंग के परिदृश्य : गवर्नरों के भाषण’ नामक पुस्तिका का विमोचन किया। यह पुस्तिका गवर्नरों के चयनित भाषणों का एक संकलन है। वर्तमान सेवारत गवर्नर डॉ. दुवुरी सुब्बाराव सहित रिज़र्व बैंक के अब तक इक्किस गवर्नर रहे हैं।भाषणों की इस पुस्तिका में 18 गवर्नरों के 32 भाषणों को शामिल किया गया है।

इस पुस्तिका के चयनित भाषणों में गत कई वर्षों के दौरान रिज़र्व बैंक के विचारों, विषयों और महत्त्वों की एक झलक दर्शायी गई है। इसमें मौद्रिक नीति लागू करने और बाह्य क्षेत्र की समस्याओं से लेकर वित्तीय समावेशन तक और आम आदमी के लिए रिज़र्व बैंक का महत्त्व को शामिल करते हुए केंद्रीय बैंकिंग के मूल विचारों को दर्शाया गया है।

माननीय प्रधान मंत्री जो स्वयं रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रह चुके है ने पूर्व गवर्नरों डॉ. सी.रंगराजन, डॉ. बिमल जालान, डॉ. वाई.वेणूगोपाल रेड्डी तथा वर्तमान सेवारत गवर्नर डॉ. दुवुरी सुब्बाराव को इस अवसर पर बधाई दी। इस अवसर पर माननीय वित्त मंत्री, वित्त सचिव तथा बैंक के सभी उप गवर्नर उपस्थित रहे।

माननीय प्रधान मंत्री ने अपने संबोधन में इस बात का उल्लेख किया कि रिज़र्व बैंक की एक प्रमुख परंपरा रही है। रिज़र्व बैंक ने ग्रामीण, औद्योगिक तथा आवास वित्त के क्षेत्रों में संस्थागत निर्माण में एक सक्रिय भूमिका निभाई है। उसने देश के आर्थिक विकास में एक उल्लेखनीय भूमिका निभायी है जो मूल्य स्थिरता और वित्तीय समावेशन सहित योग्य विकास से प्रतीत होती है।

भविष्य की ओर देखते हुए डॉ. दुवुरी सुब्बाराव, गवर्नर ने यह कहा कि रिज़र्व बैंक जैसे एक सार्वजनिक नीति संस्था का कोई अंतिम पड़ाव नहीं होता है: उनका कार्य नई चुनौतियों के साथ चलता रहता है और वर्तमान कार्य बदलते रहते हैं। भाषणों की यह पुस्तिका रिज़र्व बैंक में हमारे लिए एक अनुस्मारक भी है कि हमें हमेशा उपयोगी और प्रासंगिक रहने की आवश्यकता है।

अजीत प्रसाद
प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2009-2010/990

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