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बैंकों द्वारा अग्रिमों की पुनर्संरचना पर विवेकपूर्ण दिशानिर्देश

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2 जनवरी 2009

बैंकों द्वारा अग्रिमों की पुनर्संरचना पर विवेकपूर्ण दिशानिर्देश

भारतीय रिज़र्व बैंक ने ‘बैंकों द्वारा अग्रिमों की पुनर्संरचना पर विवेकपूर्ण दिशानिर्देश’ पर 27 अगस्त 2008 का एक परिपत्र जारी किया था जो वर्तमान दिशानिर्देशों को विवेकसम्मत बनाने और उन्हें एक-साथ रखनेवाले दिशानिर्देशों का एक व्यापक सेट है। 8 दिसंबर 2008 के एक परिपत्र के अनुसार कतिपय संशोधन किए गए थे क्योंकि अन्य प्रकार से अर्थक्षम ईकाईयों के लिए दबाव सृजित करते हुए विशेषकर सितंबर 2008 से ही वैश्विक मंदी के बढ़ते हुए प्रभावों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करना शुरू कर दिया था। पहली बार पुनर्संरचित वाणिज्यिक भूसंपदा निवेश के साथ-साथ वे निवेश (वाणिज्यिक भूसंपदा, पूँजी बाज़ारों और वैयक्तिक/उपभोक्ता ऋणों के अलावा) जो अर्थक्षम थे लेकिन अस्थायी नकदी प्रवाह समस्याओं का सामना कर रहे थे और जिन्हें दूसरी बार पुनर्संरचित करने की आवश्यकता थी को विशेष विनियामक उपचार प्रदान किया गया।

रिज़र्व बैंक ने यह अभ्यावेदन प्राप्त किया है कि :

(क) वे खाते जो सितंबर और दिसंबर 2008 के बीच अनर्जक हो गए थे उन्हें दिसंबर 2008 में प्रदान किए गए विशेष विनियामक उपचार से बाहर रखा जाए;

(ख) पुनर्संरचना के लिए अनुमत 90 दिनों की अवधि पुनर्संरचना के लिए संभावित रूप से अपेक्षित खातों की बड़ी संख्या की दृष्टि से पर्याप्त नहीं हो सकती है; और

(ग) पुनर्संरचना पर कार्यशील पूँजी मीयादी ऋण (डब्ल्यूसीटीएल) में कार्यशील पूँजी सीमा के अनियमित भाग को परिवर्तित करने की आवश्यकता की दृष्टि से स्टॉक कीमतों में गिरावट के कारण आहरण अधिकार प्रभावित हुए हैं। तथापि, वर्तमान संदर्भ में उधारकर्ता चूँकि और मूर्त प्रतिभूति उपलब्ध कराने में समर्थ नहीं हो सकते हैं, पुनर्संरचना किए जाने के बाद भी खातों को अनर्जक आस्तियों के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। अत: मूर्त प्रतिभूति द्वारा पूर्ण रूप से प्रतिभूतिकृत की गई पुनर्संरचना पर कार्यशील पूँजी मीयादी ऋण की स्थिति में रियायत दी जा सकती है।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उपर्युक्त मामलो की जाँच की गई है और यह निर्णय लिया गया है कि :

(क) 8 दिसंबर 2008 के परिपत्र के अंतर्गत शामिल वे सभी खाते जो 1 सितंबर 2008 को मानक खाते थे उन्हें पुनर्संरचित किए जाने पर मानक खाते माना जाएगा बशर्तें पुनर्संरचना 31 जनवरी 2009 को अथवा उसके पूर्व शुरू की गई हो तथा पुनर्संरचित पैकेज शुरू किए जाने की तारीख से 120 दिनों की अवधि के भीतर पुनर्संरचना पैकेज लागू किया गया हो।

(ख) पुनर्संरचित पैकेज के कार्यान्वयन की अवधि को भी अगस्त 2008 के परिपत्र के अंतर्गत शामिल खातों के संबंध में 90 दिनों से 120 दिनों की अवधि तक बढ़ाया जाएगा।

(ग) विशेष विनियामक उपचार 27 अगस्त 2008 और 8 दिसंबर 2008 के अंतर्गत शामिल ‘मानक’ और ‘गैर-मानक खातों’ जहाँ पुनर्संरचना पर कार्यशील पूँजी मीयादी ऋण के लिए पूर्ण प्रतिभूति सुरक्षा उपलब्ध नहीं है पर उन शर्तों के अधीन लागू होगा कि पुनर्संरचना पर कार्यशील पूँजी मीयादी ऋण के गैर-प्रतिभूतिकृत अंश के बदले प्रावधान निम्नप्रकार लागू किए गए हैं:

  • मानक आस्तियाँ : 20 प्रतिशत
  • गैर मानक आस्तियाँ : पहले वर्ष के दौरान 20 प्रतिशत और उसके बाद विशिष्ट अवधि तक (पहली चुकौती के बाद पुनर्संरचना की शर्तों के अंतर्गत एक वर्ष बकाया है) प्रत्येक वर्ष 20 प्रतिशत बढ़ाई जाएं।
  • यदि खाता विशिष्ट अवधि के बाद उन्नयन के लिए पात्र नहीं है तो गैर-प्रतिभूतिकृत अंश पर 100 प्रतिशत का प्रावधान लागू होगा।

ये प्रावधान वर्तमान विनियमन के अनुसार सामान्य प्रावधानों के अतिरिक्त होंगे।

अल्पना किल्लावाला
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2008-2009/1028

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