रिज़र्व बैंक ने म्युचुअल फंड (एसएलएफ-एमएफ) के लिए ₹ 50,000 करोड़ की विशेष चलनिधि सुविधा की घोषणा की - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक ने म्युचुअल फंड (एसएलएफ-एमएफ) के लिए ₹ 50,000 करोड़ की विशेष चलनिधि सुविधा की घोषणा की
27 अप्रैल 2020 रिज़र्व बैंक ने म्युचुअल फंड (एसएलएफ-एमएफ) के लिए ₹ 50,000 करोड़ की सीओवीआईडी-19 की प्रतिक्रिया में पूंजी बाजारों में भारी अस्थिरता ने म्यूचुअल फंड (एमएफ) पर चलनिधि का दबाव डाला है, जिसके मद्देनजर कुछ ऋण एमएफ पर समापन संबंधी मोचन दबाव और इसके संभावित संक्रामक प्रभाव तेज हो गए हैं। हालाँकि, दबाव इस स्तर पर उच्च जोखिम वाले ऋण एमएफ खण्ड तक ही सीमित है; अधिकतर उद्योग में तरलता बनी रही है। 2. रिज़र्व बैंक ने कहा है कि वह सतर्क है और COVID-19 के आर्थिक प्रभाव को कम करने और वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए जो भी आवश्यक कदम होंगे, उठाए जाएंगे। एमएफ पर चलनिधि दबाव को कम करने के उद्देश्य से म्यूचुअल फंड के लिए ₹ 50,000 करोड़ की एक विशेष चलनिधि सुविधा शुरू करने का निर्णय लिया गया है। 3. एसएलएफ-एमएफ के तहत, रिज़र्व बैंक निर्धारित रेपो दर पर 90 दिनों की अवधि के लिये रेपो परिचालन आयोजित करेगा। एसएलएफ-एमएफ ऑन-टैप और ओपन-एंड है, और बैंक सोमवार से शुक्रवार (छुट्टियों को छोड़कर) किसी भी दिन धन प्राप्त करने के लिए अपनी बोलियां प्रस्तुत कर सकते हैं। यह योजना आज यानि 27 अप्रैल, 2020 से 11 मई, 2020 तक या आवंटित राशि का पूरा उपयोग कर लिये जाने तक जो भी पहले होउपलब्ध है। रिज़र्व बैंक बाजार की स्थितियों के आधार पर समय और राशि की समीक्षा करेगा। 4. एसएलएफ-एमएफ के तहत मिलने वाले फंड का उपयोग बैंकों द्वारा विशेष तौर पर एमएफ की चलनिधि आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए (1) ऋण विस्तार, और (2) एमएफ द्वारा धारित इन्वेस्टमेंट ग्रेड कार्पोरेट बॉन्ड, वाणिज्यिक पत्र (सीपी), डिबेंचर और जमा के प्रमाण पत्र (सीडी) की संपार्श्विक के खिलाफ एकमुश्त खरीद और / या पुनर्खरीद द्वारा किया जाएगा। 5. एसएलएफ-एमएफ के तहत लाभ प्राप्त चलनिधि समर्थन एचटीएम पोर्टफोलियो में शामिल किए गए कुल निवेश के 25 प्रतिशत से अधिक होने पर भी, परिपक्वता तक धारित (एचटीएम) के रूप में वर्गीकृत किये जाने के लिए पात्र होंगे । इस सुविधा के तहत एक्सपोजर को बड़े एक्सपोजर फ्रेमवर्क (एलईएफ) के तहत नहीं गिना जाएगा। एसएलएफ-एमएफ के तहत अधिग्रहित और एचटीएम श्रेणी में रखी गई प्रतिभूतियों के अंकित मूल्य को प्राथमिकता वाले क्षेत्र के लक्ष्यों / उप-लक्ष्यों को निर्धारित करने के उद्देश्य से समायोजित गैर-खाद्य बैंक ऋण (एएनबीसी) के लिए परिकलित नहीं किया जायेगा। एसएलएफ-एमएफ के तहत एमएफ के लिए विस्तारित समर्थन को बैंकों की पूंजी बाजार जोखिम सीमा से छूट प्राप्त माना जाएगा। 6. विवरण अनुबंध में दिए गए हैं। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी : 2019-2020/2276 क) यह विशेष रेपो विंडो पात्र संपार्श्विक के सापेक्ष सभी एलएएफ पात्र बैंकों के लिए उपलब्ध होगी और केवल म्यूचुअल फंडों को आगे ऋण देने के लिए इसका लाभ उठाया जा सकता है। ख) पात्र बैंक हर दिन पूर्वाह्न 9 बजे से दोपहर 12.00 बजे के बीच सीबीएस प्लेटफॉर्म पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से अपनी बोली लगा सकते हैं। योजना के तहत शेष राशि (शेष राशि = ₹ 50,000 करोड़- पिछले दिन तक प्राप्त की गई संचयी राशि) के लिए हर दिन एक एलएएफ रेपो आयोजित किया जाएगा। एसएलएफ-एमएफ रेपो की बोली प्रक्रिया, निपटान और प्रत्यवर्तन, एलएएफ / एमएसएफ के मामले में अपनाई जानेवाली मौजूदा प्रणाली के समान होंगे। ग) किसी भी दिन अधिसूचित राशि की अधिक अभिदान के मामले में, आवंटन आनुपातिक आधार पर किया जाएगा। रिज़र्व बैंक, हालांकि, राउंडिंग प्रभावों के कारण अधिसूचित राशि की तुलना में मामूली अधिक राशि के निवेशन का अधिकार सुरक्षित रखेगा। घ) न्यूनतम बोली राशि एक करोड़ रुपए और उसके गुणकों में होगी। आवंटन एक करोड़ रुपये के गुणकों में होगा। च) बाजार प्रतिभागी किसी दिन को घोषित निर्गम की अधिसूचित राशि से कम या उसके बराबर राशि की बोलियां लगा सकता है। यदि प्रतिभागी द्वारा प्रस्तुत कुल बोली की राशि निर्गम की अधिसूचित राशि से अधिक होगी तो रिज़र्व बैंक प्रतिभागी की बोलियों को अस्वीकृत कर देगा । बाजार सहभागियों को पिछली तारीख को प्रयुक्त राशि मुद्रा बाजार परिचालन (एमएमओ) प्रेस प्रकाशनी द्वारा सूचित की जाएगी। छ) पात्र संपार्श्विक और लागू हेअर कट एलएएफ के समान लागू रहेंगे। ज) इन विशेष परिचालनों के लिये एलएएफ परिचालनों पर लागू होने वाले अन्य सभी नियम और शर्तें, जिसमें 12 अप्रैल 2017 (परिपत्र. संदर्भ : एफएमओडी.एमएओजी.संख्या.120/01.01.001/2016-17) के मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार सुरक्षा प्रतिस्थापन की सुविधा शामिल है, यथोचित परिवर्तनों सहित लागू होंगे। झ) जबकि बैंक म्यूचुअल फंड के साथ रेपो / को उधार देने का कार्यकाल तय करेंगे, रिज़र्व बैंक के साथ रेपो का न्यूनतम कार्यकाल तीन महीने की अवधि के लिए होगा। |