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अग्रिमों पर ब्‍याज दर - सीमांत निधि लागत की पद्धति

17 दिसंबर 2015

अग्रिमों पर ब्‍याज दर - सीमांत निधि लागत की पद्धति

भारतीय रिज़र्व बैंक ने सीमांत निधि लागत पर आधारित अग्रिमों पर ब्‍याज दरों के परिकलन के अंतिम दिशानिर्देश आज जारी किए। ये दिशानिर्देश 01 अप्रैल 2016 से लागू होंगे। यह अपेक्षा की जाती है कि बैंकों के उधार दरों में नीति दरों के संचारण को बेहतर बनाने में मदद करने के अलावा, ये उपाय अग्रिमों पर ब्‍याज दरों के निर्धारण के लिए बैंकों द्वारा अपनाई जा रही पद्धति में पारदर्शिता को बेहतर बनाने में मददगार होंगे। यह भी अपेक्षा की जाती है कि इन दिशानिर्देशों से ऐसी ब्‍याज दरों पर बैंक ऋण की उपलब्‍धता सुनिश्चित होगी जो उधारकर्ताओं के साथ-साथ बैंकों के लिए उचित हों। साथ ही, ऋणों की सीमांत लागत के कीमत-निर्धारण से बैंक और प्रतिस्‍पर्धी बनने तथा दीर्धावधिक मूल्‍य को बढ़ाने में मदद मिलेगी और आर्थिक वृद्धि में योगदान मिलेगा।

इन दिशानिर्देशों के प्रमुख अंश नीचे दिए गए हैं:

  1. दिनांक 01 अप्रैल 2016 को मंज़ूर किए गए सभी रुपया ऋणों और नवीकृत क्रेडिट सीमाओं का कीमत-निर्धारण सीमांत निधि लागत पर आधारित उधार दर (एमसीएलआर) के संदर्भ में किया जाएगा, जो कि ऐसे प्रयोजनों के लिए आंतिरक बेंचमार्क होगी।

  2. एमसीएलआर आंतरिक बेंचमार्क से संबद्ध एक टेनर होगी।

  3. वास्‍तविक उधार दरों का निर्धारण एमसीएलआर के साथ स्‍प्रेड के घटकों को जोड़कर किया जाएगा।

  4. बैंक प्रत्‍येक माह पूर्व-घोषित तारीख को विभिन्‍न परिपक्‍वता अवधि की अपनी एमसीएलआर की समीक्षा करेंगे और उन्‍हें जारी करेंगे।

  5. बैंक अस्थिर दर के ऋणों पर ब्‍याज की पुनर्निर्धारण तारीखें घोषित करें। उन्‍हें पुनर्निर्धारण तारीखों से युक्‍त ऋणों की पेशकश या तो ऋण/क्रेडिट सीमाओं की मंज़ूरी तारीख से संबद्ध करके करनी होगी या एमसीएलआर की समीक्षा के साथ।

  6. पुनर्निर्धारण की अवधि एक वर्ष या उससे कम अवधि की होगी।

  7. ऋण की मंज़ूरी की तारीख को विद्यमान एमसीएलआर अगले पुननिर्धारण की तारीख तक लागू होगी, भले ही अंतरिम अवधि के दौरान बेंचमार्क में परिवर्तन किया गया हो।

  8. आधार दर से संबद्ध मौजूदा ऋण व क्रेडिट सीमाएं उनकी चुकौती या नवीकरण, जैसा मामला हो, तक बने रहेंगी। मौजूदा उधारकर्ताओं को भी पारस्‍परिक रूप से सहमत शर्तों पर सीमांत निधि लागत पर आधारित उधार दर (एमसीएलआर) से संबद्ध ऋण में परिवर्तित करने का विकल्‍प प्राप्‍त होगा।

  9. पूर्व की भांति, बैंकों द्वारा आधार दर की समीक्षा और प्रकाशन किया जाना जारी रहेगा।

पृष्‍ठभूमि

भारतीय रिज़र्व बैंक ने 07 अप्रैल 2015 को घोषित पहले द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्‍तव्‍य 2015-16 में यह बताया था कि ‘‘मौद्रिक संचरण के लिए ऋण दरों का नीतिगत दर के प्रति संवेदनशील होना ही चाहिए। 1 जुलाई 2010 को आधारभूत दर का प्रारंभ होने के साथ ही बैंक अपनी वास्‍तविक ऋण एवं अग्रिम की दरों को आधारभूत दर के अनुसार निर्धारित कर सकते थे। वर्तमान में, बैंक अपनी आधारभूत दर की गणना के लिए अलग प्रणाली का अनुसरण कर रहे हैं जिनका आधार निधियों की लागत का औसत, निधियों की सीमांत लागत या निधियों की मिश्रित लागत (देयताएं) हैं। निधियों की सीमांत लागत पर आधारित आधारभूत दरों को नीतिगत दरों में परिवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील होना चाहिए। मौद्रिक नीति के संचरण की दक्षता में वृद्धि करने के लिए रिज़र्व बैंक, बैंकों को उनकी आधारभूत दरों के निर्धारण के लिए निधियों की सीमांत लागत आधारित प्रणाली को समयबद्ध ढंग से अपनाने के लिए प्रोत्‍साहित करेगा।’’’

तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक ने आधार दरों के परिकलन के लिए सीमांत निधि लागत पद्धति को अपनाने वाले बैंकों के लिए 01 सितंबर 2015 को दिशानिर्देशों का प्रारूप जारी किया था। सभी स्‍टेकहोल्‍डरों से प्राप्‍त फीडबैक के साथ-साथ बैंकों के साथ की गई व्‍यापक चर्चा के आधार पर अंतिम दिशानिर्देशों को अब जारी किया गया है।

संगीता दास
निदेशक

प्रेस प्रकाशनी : 2015-2016/1432

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