आरबीआई बुलेटिन – अगस्त 2021 - आरबीआई - Reserve Bank of India
आरबीआई बुलेटिन – अगस्त 2021
17 अगस्त 2021 आरबीआई बुलेटिन – अगस्त 2021 भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपने मासिक बुलेटिन का अगस्त 2021 का अंक जारी किया है। बुलेटिन में मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2020-21: 3 से 6 अगस्त 2021 के मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के संकल्प, दो भाषण, चार आलेख और वर्तमान सांख्यिकी शामिल हैं। चार आलेख हैं: I. अर्थव्यवस्था की स्थिति; II. भारत में खाद्य कीमतों की बढ़ोतरी पर कोविड-19 का प्रभाव; III. टीएलटीआरओ और संरचनात्मक चलनिधि : एनबीएफ़सी के लिए एक प्रोत्साहन?; IV. लघु वित्त बैंकों का प्रदर्शन- एक प्रारंभिक प्रतिबिंब। I. अर्थव्यवस्था की स्थिति महामारी की दूसरी लहर धीमी गति से पीछे हटने से पिछले डेढ़ महीने में अर्थव्यवस्था की दिशा बदल गयी है। अनलॉक के बाद से रुकी हुई मांग फिर से शुरू होने से समग्र मांग की स्थिति में तेजी आयी है, जबकि मानसून के अपने सामान्य स्तर तक पहुंचने और बुवाई गतिविधि में तेज़ी आने से आपूर्ति की स्थिति में सुधार हो रहा है। अर्थव्यवस्था में तेज़ी की पुष्टि करते हुए, विनिर्माण गतिविधि धीरे-धीरे बदल रही है, जबकि सेवाओं में संकुचन कम हुआ है। आरामदायक चलनिधि स्थितियों से प्रेरित, वित्तीय स्थितियां सौम्य बनी हुई हैं और वसूली में सहायक हैं। II. भारत में खाद्य मूल्य मार्क-अप पर कोविड-19 का प्रभाव खाद्य मूल्य मार्क-अप के व्यवहार ने कोविड-19 के प्रकोप और इसके प्रसार को रोकने के लिए संबंधित लॉकडाउन उपायों के बाद नाटकीय बदलाव प्रदर्शित किया। उपभोक्ता मामलों के विभाग (डीसीए) द्वारा जारी 22 खाद्य पदार्थों के खुदरा और थोक मूल्यों पर केंद्र-वार दैनिक डेटा के आधार पर, इस आलेख में पाया गया है कि पहले राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन (मार्च-मई 2020) के दौरान मार्क-अप में औसतन वृद्धि हुई है और बाद के अनलॉकिंग चरण के दौरान भी यह जारी रहा। इसके अलावा, मार्जिन में वृद्धि मुख्य रूप से बाजार केंद्रों द्वारा संचालित पाई गई, जिन्हें गतिशीलता सूचकांकों द्वारा मापे गए उच्च तीव्रता वाले लॉकडाउन का सामना करना पड़ा। तथापि, कोविड-19 (अप्रैल-मई 2021) की दूसरी लहर के दौरान लॉकडाउन की कम कठोर और स्थानीयकृत प्रकार के साथ-साथ बेहतर आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन को देखते हुए, मार्क-अप में वृद्धि की सीमा अपेक्षाकृत मामूली थी। III. टीएलटीआरओ और संरचनात्मक चलनिधि: एनबीएफसी के लिए एक अनुकूल स्थिति? कोविड-19 महामारी के मद्देनजर, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफ़सी) की चलनिधि की स्थिति खराब हो गई और बाजारों और बैंकों के पीछे हटने के कारण उनके वित्तपोषण की चुनौतियां बढ़ गईं। रिजर्व बैंक और भारत सरकार ने चलनिधि बढ़ाने वाली कई योजनाएं शुरू कीं ताकि उन्हें इस स्थिति से उबरने में मदद मिल सके। इस आलेख में डिफरेंस –इन-डिफरेंस कार्यनीति का प्रयोग करते हुए गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफ़सी) पर इस प्रकार की एक योजना के प्रभाव की समीक्षा की गई है नामत: लक्षित दीर्घावधि रेपो परिचालन (टीएलटीआरओ)। परिणाम बताते हैं कि एनबीएफसी, जिन्हें टीएलटीआरओ के माध्यम से धन प्राप्त हुआ है उनकी अल्पकालिक चलनिधि बकेट में दूसरों की तुलना में सुधार देखा गया है। IV. लघु वित्त बैंकों का प्रदर्शन - एक प्रारंभिक प्रतिबिंब लघु वित्त बैंक (एसएफबी) अपेक्षाकृत एक नया बैंक समूह है जिसे समाज के उपेक्षित और हाशिए पर स्थित वर्गों के लोगों की सेवा के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए लाइसेंस प्रदान किया गया है। यह आलेख एसएफबी के कामकाज के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालने के लिए उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर प्रारंभिक विश्लेषण करता है। इस अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष इस प्रकार हैं: मुख्य बातें:
(योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/706 |