आरबीआई बुलेटिन - फरवरी 2022 - आरबीआई - Reserve Bank of India
आरबीआई बुलेटिन - फरवरी 2022
16 फरवरी 2022 आरबीआई बुलेटिन - फरवरी 2022 भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी मासिक बुलेटिन का फरवरी 2022 का अंक जारी किया। बुलेटिन में 10 फरवरी, 2022 का मौद्रिक नीति वक्तव्य; एक भाषण; चार आलेख; और वर्तमान सांख्यिकी शामिल हैं। इसमें चार आलेख हैं: I. अर्थव्यवस्था की स्थिति; II. जॉम्बीज और रचनात्मक विनाश की प्रक्रिया; III. बैड बैंक अच्छे बैंक के रूप में: भारत के लिए विभिन्न देशों से प्राप्त अनुभव से सबक; और IV. भारतीय विनिर्माताओं के रुख पर कोविड-19 का प्रभाव। I. अर्थव्यवस्था की स्थिति घरेलू समष्टि-आर्थिक स्थितियों ने वैश्विक विकास से अलग एक अलग मार्ग चुना है। तीसरी लहर से निकलने के साथ ही भारत की आर्थिक गतिविधियों में समुत्थान और कर्षण हो रहा है। मांग मानदंडों पर आशावाद और उपभोक्ता और व्यावसायिक विश्वास में वृद्धि के साथ विनिर्माण और सेवा क्षेत्र, दोनों में विस्तार हो रहा है। जैसे-जैसे व्यवसाय एक नयी सामान्य स्थिति में लौटते हैं, नौकरी के परिदृश्य में सुधार की उम्मीद है। कृषि क्षेत्र की स्थिति मजबूत बनी हुई है, यद्यपि ग्रामीण मांग में कमी के कुछ संकेत दिखाई दिये हैं। भले ही मौद्रिक नीति समायोजनकारी बनी हुई है, वैश्विक प्रभाव-विस्तार ने वित्तीय स्थितियों को नियंत्रित किया है। II. जॉम्बीज और रचनात्मक विनाश की प्रक्रिया यह आलेख इस बात का परीक्षण करता है कि जॉम्बी फर्म (या लगातार घाटे में चल रही फर्म) भारत में प्रतिचक्रीय मौद्रिक नीति पर कैसे प्रतिक्रिया देती हैं। यह ये भी पता लगाता है कि क्या मौद्रिक नीति आर्थिक मंदी की अवधि के दौरान जॉम्बी फर्मों को ऋण प्रवाह आबंटित करके रचनात्मक विनाश की प्रक्रिया में बाधा डालती है। प्रमुख बिन्दु:
III. बैड बैंक अच्छे बैंक के रूप में: भारत के लिए विभिन्न देशों से प्राप्त अनुभव से सबक यह आलेख भारत में राष्ट्रीय आस्ति पुनर्निर्माण कंपनी लिमिटेड (एनएआरसीएल) की स्थापना का विश्लेषण विभिन्न देशों की प्रथाओं की पृष्ठभूमि में उन विशेषताओं को समझने के लिए करता है जिन्होंने उनकी सफलता में मदद की। प्रमुख बिन्दु:
IV. भारतीय विनिर्माताओं के रुख पर कोविड-19 का प्रभाव चूंकि दूरंदेशी सर्वेक्षण नीतिगत निर्णयों का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं ने इन सर्वेक्षणों का उपयोग महामारी के बाद के उद्यमों के दृष्टिकोण को गृहन करने के लिए किया है। यह आलेख 2019-21 के दौरान आयोजित त्रैमासिक औद्योगिक दृष्टिकोण सर्वेक्षण (आईओएस) के माध्यम से महामारी के दौरान भारतीय निर्माताओं के रुख के विकास को समाहित करता है और विनिर्माण क्षेत्र में अपेक्षित सुधार प्रक्रिया का अनुमान लगाता है। प्रमुख बिन्दु:
(योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2021-2022/1729 |