आरबीआई बुलेटिन - जून 2023 - आरबीआई - Reserve Bank of India
आरबीआई बुलेटिन - जून 2023
23 जून 2023 आरबीआई बुलेटिन - जून 2023 आज रिज़र्व बैंक ने अपने मासिक बुलेटिन का जून 2023 अंक जारी किया। बुलेटिन में 8 जून 2023 का मौद्रिक नीति वक्तव्य, सात भाषण, पांच आलेख और वर्तमान सांख्यिकी शामिल हैं। पाँच आलेख हैं: I. अर्थव्यवस्था की स्थिति; II. मौसम की घटनाएं और भारत में संवृद्धि एवं मुद्रास्फीति पर उनका प्रभाव; III. ओपेक तेल आपूर्ति घोषणाएँ: भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव का आकलन; IV. भारत में वित्तीय साक्षरता: एक क्षेत्रीय सर्वेक्षण से प्राप्त अंतर्दृष्टि; और V. खुदरा ऋण के रुझान - एक अवलोकन। I. अर्थव्यवस्था की स्थिति वैश्विक आर्थिक गतिविधि ने 2023 की दूसरी तिमाही में दो अलग-अलग राहों के बावजूद अपनी वृद्धि की गति को बरकरार रखा है। जहाँ, भारत जैसी अर्थव्यवस्थाएं तेजी से आगे बढ़ रही हैं, वहीं कुछ अन्य धीमी हो रही हैं या सिकुड़ रही हैं। 2022-23 की चौथी तिमाही में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.1 प्रतिशत थी जो दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक थी, और मई 2023 में सीपीआई मुद्रास्फीति 25 महीने के निचले स्तर- 4.3 प्रतिशत, पर आ गई। रबी की रिकॉर्ड फसल के बाद खरीफ की बुआई शुरू हो गई है और विनिर्माण क्षेत्र ने निवल लाभ में बढ़ोतरी दर्ज की है। ऋण वृद्धि वित्त पोषण के अधिक टिकाऊ स्रोतों का आधार ले रही है, और भारतीय रुपया उभरते बाजार प्रतिस्पर्धियों के बीच सर्वाधिक स्थिर मुद्रा बन रहा है। ॥. मौसम की घटनाएं और भारत में संवृद्धि एवं मुद्रास्फीति पर उनका प्रभाव सौरभ घोष और कौस्तुभ द्वारा इस अध्ययन का उद्देश्य अल नीनो, ला नीना और हिंद महासागर डिपोल (आईओडी) जैसी मौसमी घटनाओं का वर्षा पर प्रभाव और इसके परिणामस्वरूप भारत की संवृद्धि और मुद्रास्फीति की गत्यात्मकता पर प्रभाव की पड़ताल करना है। प्रमुख बिंदु:
III. ओपीईसी तेल आपूर्ति घोषणाएं: भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव का आकलन भानु प्रताप, रमेश कुमार गुप्ता, जेसिका एम. एंथनी, देब प्रसाद रथ और थांगजासोन सोना द्वारा। कच्चे तेल के आपूर्तिकर्ता के रूप में अपनी प्रमुख स्थिति को देखते हुए, तेल की आपूर्ति के संबंध में पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के निर्णय बाजार की अपेक्षाओं को प्रभावित करते हैं। इस संदर्भ में, यह आलेख भारतीय वित्तीय बाजारों और समष्टि अर्थव्यवस्था पर वैश्विक तेल आपूर्ति से संबंधित घोषणाओं के प्रभाव की पड़ताल करता है। प्रमुख बिंदु:
IV. भारत में वित्तीय साक्षरता: क्षेत्र सर्वेक्षण से एक अंतर्दृष्टि रमेश जंगीली, श्रीनिवास साई चरण मारीसेट्टी और यशोदा बाई मूद द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक और अन्य वित्तीय विनियामक आम जनता के बीच वित्तीय जागरूकता और साक्षरता बढ़ाने के लिए कई पहल कर रहे हैं। वित्तीय साक्षरता के वर्तमान स्तरों का आकलन करने के लिए, अप्रैल-मई 2022 के दौरान हैदराबाद में "नुमाइश- अखिल भारतीय औद्योगिक प्रदर्शनी" में एक सर्वेक्षण किया गया था। वित्तीय साक्षरता से संबंधित एक सुनिर्मित प्रश्नावली के माध्यम से प्रतिक्रियाएं प्राप्त की गई थीं, जिसमें मोटे तौर पर तीन घटक शामिल थे - ज्ञान, व्यवहार और दृष्टिकोण। इस आलेख में कई लक्ष्य समूहों के बीच वित्तीय साक्षरता के स्तर का आकलन किया गया है और नीतिगत ध्यान-बिंदु के लिए प्रमुख क्षेत्र सुझाए गए हैं। प्रमुख बिंदु:
V. खुदरा ऋण के रुझान - एक अवलोकन सुजीष कुमार और मंजूषा सेनापति द्वारा यह आलेख भारत में खुदरा बैंक ऋण में रुझानों का एक अवलोकन प्रस्तुत करता है। यह निम्नलिखित की जांच करता है: (i) कोविड-19 महामारी की अवधि के दौरान बैंक ऋण वृद्धि की समग्र सुधार में खुदरा ऋण की भूमिका; (ii) खुदरा ऋण वृद्धि को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक (अप्रैल 2007- दिसंबर 2021 से संबंधित पैनल फ्रेमवर्क का उपयोग करते हुए); और (iii) क्या, बैंकों के ऋण संविभाग में हाल ही में देखा गया ‘खुदरा बदलाव’ - बैंक ऋण संविभाग में खुदरा ऋण के संवितरण में सापेक्ष वृद्धि को दर्शाने वाली घटना - स्थायी है अथवा क्षणिक प्रकृति की है। प्रमुख बिंदु:
इस बुलेटिन के आलेखों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और भारतीय रिज़र्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/453 |