आरबीआई बुलेटिन - मार्च 2023 - आरबीआई - Reserve Bank of India
आरबीआई बुलेटिन - मार्च 2023
21 मार्च 2023 आरबीआई बुलेटिन - मार्च 2023 आज रिज़र्व बैंक ने अपने मासिक बुलेटिन का मार्च 2023 अंक जारी किया। इस बुलेटिन में पांच भाषण, पांच आलेख और वर्तमान सांख्यिकी शामिल हैं। वे पांच आलेख हैं: I. अर्थव्यवस्था की स्थिति; ॥. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक: एकीकरण विधि मायने रखती है; III. भारतीय अर्थव्यवस्था 2020-21 के वित्तीय स्टॉक और निधियों का प्रवाह; IV. भारतीय जीडीपी के लिए जोखिम पर वृद्धि (जीएआर) ढांचे का प्रयोग; और V. भारत में उप-राष्ट्रीय उधार - राज्य सरकार प्रतिभूति (एसजीएस) दायरे (स्प्रेड) की अस्थिरताएं और निर्धारक। I. अर्थव्यवस्था की स्थिति वैश्विक संवृद्धि जहाँ पक्के तौर पर धीमी हो रही है या 2023 में एक तरह से मंदी में प्रवेश करने के लिए तैयार दिखती है और वैश्विक वित्तीय बाजार ऊहापोह की स्थिति में है, चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही के बाद से सतत गति के साथ, जितना सोचा गया था उसकी तुलना में भारत, मजबूती के साथ महामारी काल से बाहर आया है। आपूर्ति पक्ष में, कृषि मौसमी वृद्धि की अवस्था में है, उद्योग संकुचन से बाहर निकल रहा है और सेवाओं ने गति बनाए रखी है। उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति उच्च बनी हुई है और मूल मुद्रास्फीति, इनपुट लागतों में स्पष्ट नरमी के बावजूद अधिक बनी हुई है। II. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक: एकीकरण विधि मायने रखती है प्रज्ञा दास और आशीष थॉमस जॉर्ज द्वारा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) संकलन की वर्तमान पद्धति में अखिल भारतीय समग्र सूचकांक पर पहुंचने के लिए राज्यों/संघ शासित प्रदेशों और क्षेत्रों के सूचकांकों का एकीकरण शामिल है। एकीकरण की समान क्षैतिज पद्धति का पालन करके राष्ट्रीय उप-समूह और समूह स्तर के सूचकांक भी प्राप्त किए जाते हैं। परिणामस्वरूप, आइटम-स्तरीय एकीकरण के माध्यम से अखिल भारतीय सूचकांकों (उप-समूह/समूह/समग्र) को प्राप्त करने का कोई भी प्रयास प्रकाशित सूचकांकों से भिन्न हो सकता है, विशेष रूप से जब कीमतों की अनुपलब्धता या रियायती वस्तुओं के प्रावधान की स्थितियाँ हों जहाँ प्राइस कोट शून्य हो सकते हैं, जैसा कि जनवरी-फरवरी 2023 में हुआ था। यह आलेख, इस संदर्भ में, सीपीआई के संकलन में अपनाई गई एकीकरण पद्धति, प्रकाशित और उपयोगकर्ता व्युत्पन्न सीपीआई मुद्रास्फीति के बीच देखे गए विचलन की सीमा और मुद्रास्फीति के आकलन में इस तरह के विचलन को कम करने के व्यवहार्य तरीकों पर विमर्श प्रस्तुत करता है। प्रमुख बिन्दु:
III. भारतीय अर्थव्यवस्था 2020-21 के वित्तीय स्टॉक और निधियों का प्रवाह अनुपम प्रकाश, कौस्तव ए सरकार, ईशु ठाकुर और सपना गोयल द्वारा आलेख वर्ष 2020-21 के लिए 'किससे-किसको' (एफ़डबल्यूटीडबल्यू) के आधार पर संस्थागत क्षेत्रों अर्थात, वित्तीय निगम; गैर-वित्तीय निगम; सामान्य सरकार; गैर-लाभकारी संस्थानों को सेवा प्रदान करने वाले परिवारों सहित परिवार; और बाकी दुनिया के लिए लिखत-वार वित्तीय स्टॉक और निधियों के प्रवाह (एफ़एसएफ़) पर अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। प्रमुख बिंदु:
IV. भारतीय जीडीपी के लिए जोखिम पर वृद्धि (जीएआर) ढांचे का प्रयोग सौरभ घोष, विद्या कामाते और रिया सोनपाटकी द्वारा यह आलेख जीएआर फ्रेमवर्क का उपयोग करके भारत के लिए जीडीपी वृद्धि के भावी वितरण को प्रभावित करने में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय समष्टि-वित्तीय स्थितियों की भूमिका का विश्लेषण करता है। यह कम संभाव्यता वाली चरम घटनाओं पर प्रकाश डालने में मदद करता है और सामान्येतर जोखिम परिदृश्यों की संभावना को मापने में मदद करता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जीएआर बेसलाइन माध्य वृद्धि पूर्वानुमान के बजाय जीडीपी वृद्धि के निम्नतर क्वांटाइल से संबंधित होता है। प्रमुख बिन्दु:
V. भारत में उप-राष्ट्रीय उधार - राज्य सरकार प्रतिभूति (एसजीएस) दायरे (स्प्रेड) की अस्थिरताएं और निर्धारक सूरज.एस, अमित पवार और सुब्रत कुमार सीत द्वारा यह आलेख राज्य सरकार की प्रतिभूतियों (एसजीएस) के लिए प्राथमिक और द्वितीयक बाजारों पर रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए महामारी और नीतिगत उपायों के प्रभाव को रेखांकित करता है। यह जी-सेक और एसजीएस प्रतिफल के बीच संबंधों और प्राथमिक बाजारों में एसजीएस के मूल्य निर्धारण करने वाले कारकों का अध्ययन करता है। प्रमुख बिन्दु:
बुलेटिन आलेखों में व्यक्त किए गए विचार लेखकों के हैं और भारतीय रिज़र्व बैंक के विचारों को नहीं दर्शाते हैं। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/1895 |