आरबीआई बुलेटिन – मार्च 2025 - आरबीआई - Reserve Bank of India
आरबीआई बुलेटिन – मार्च 2025
आज भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपने मासिक बुलेटिन का मार्च 2025 अंक जारी किया। बुलेटिन में चार भाषण, पाँच आलेख और वर्तमान आँकड़े शामिल हैं। पाँच आलेख इस प्रकार हैं: I. अर्थव्यवस्था की स्थिति ; II. मानसून का स्थानिक वितरण और कृषि उत्पादन; III. भारत के विप्रेषणों की बदलती गतिकी - भारत के विप्रेषण सर्वेक्षण के छठे दौर से अंतर्दृष्टि ; IV. उत्सर्जन से आर्थिक संवृद्धि को अलग (डिकपलिंग) करना: एक एलएमडीआई अपघटन विश्लेषण ; और V. बाजार पहुंच और आईएमएफ व्यवस्था: विश्व भर से साक्ष्य। I. अर्थव्यवस्था की स्थिति वैश्विक अर्थव्यवस्था की आघात सहनीयता की परीक्षा व्यापार दबाव में वृद्धि और टैरिफ के दायरे, समय और तीव्रता के बारे में अनिश्चितता की बढ़ती लहर द्वारा की जा रही है। वैश्विक वित्तीय बाजारों में अत्यधिक अस्थिरता उत्पन्न करने के साथ-साथ, इसने वैश्विक संवृद्धि में मंदी के बारे में आशंकाएँ भी उत्पन्न की हैं। इन चुनौतियों के बीच, जैसा कि कृषि क्षेत्र के मजबूत निष्पादन और उपभोग में सुधार से स्पष्ट है, भारतीय अर्थव्यवस्था आघात सहनीयता प्रदर्शित कर रही है। तथापि, अशांत बाह्य वातावरण की प्रतिध्वनि, निरंतर विदेशी पोर्टफोलियो बहिर्वाह के रूप में परिलक्षित हो रही है। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत की समष्टि आर्थिक शक्ति, खाद्य कीमतों में और सुधार के कारण फरवरी 2025 में हेडलाइन सीपीआई मुद्रास्फीति में सात महीने के निचले स्तर 3.6 प्रतिशत तक की गिरावट से मजबूत हुई है। II. मानसून का स्थानिक वितरण और कृषि उत्पादन अभिनव नारायणन और हरेंद्र कुमार बेहरा द्वारा इस आलेख में खरीफ फसलों के उत्पादन पर विभिन्न जिलों में वर्षा की स्थानिक भिन्नता के प्रभाव का विश्लेषण किया गया है। इसमें यह भी बताया गया है कि किसी विशेष अवधि में कम या अधिक वर्षा किस प्रकार विशिष्ट फसलों के उत्पादन को प्रभावित करती है। मुख्य बातें:
III. भारत के विप्रेषणों की बदलती गतिकी - भारत के विप्रेषण सर्वेक्षण के छठे दौर से अंतर्दृष्टि धीरेंद्र गजभिए, सुजाता कुंडू, अलीशा जॉर्ज, ओंकार विन्हेरकर, युसरा अनीस, जितिन बेबी द्वारा यह आलेख 2023-24 के लिए आयोजित भारत के विप्रेषण सर्वेक्षण के छठे दौर के परिणामों का विश्लेषण करता है। यह भारत में आवक विप्रेषण के विभिन्न आयामों, देश-वार विप्रेषण का स्रोत, विप्रेषण का राज्य-वार गंतव्य, विप्रेषण का लेन-देन-वार आकार, संचरण का प्रचलित तरीका, विप्रेषण भेजने की लागत और नकदी की तुलना में डिजिटल माध्यमों से हुए विप्रेषण के भाग को दर्शाता है। मुख्य बातें:
IV. उत्सर्जन से आर्थिक संवृद्धि अलग (डिकपलिंग) करना: एक एलएमडीआई अपघटन विश्लेषण मधुरेश कुमार, शोभित गोयल, मनु शर्मा, मुस्कान गर्ग द्वारा यह आलेख लॉगरिदमिक मीन डिविसिया इंडेक्स (एलएमडीआई) अपघटन विधि का उपयोग करके 2012 से 2022 तक भारत के CO₂ उत्सर्जन वृद्धि के पीछे के चालकों की जांच करता है। यह कुल उत्सर्जन को मुख्य योगदान कारकों में विभाजित करता है, जिसमें जीडीपी संवृद्धि (गतिविधि प्रभाव), ऊर्जा दक्षता में सुधार (ऊर्जा तीव्रता प्रभाव), आर्थिक संरचना में बदलाव (संरचनात्मक प्रभाव), ईंधन की संरचना में परिवर्तन (ईंधन मिश्रण प्रभाव), और विद्युत उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा की बढ़ती हिस्सेदारी, जो विद्युत की कार्बन तीव्रता (उत्सर्जन कारक प्रभाव) को कम करती है, शामिल है। मुख्य बातें:
V. बाजार पहुंच और आईएमएफ व्यवस्था: विश्व भर से साक्ष्य श्रुति जोशी और पीएसएस विद्यासागर द्वारा इस आलेख में 2000-2023 के दौरान विभिन्न देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से लिए गए ऋणों का विश्लेषण किया गया है तथा उन देशों, जिन्होंने आईएमएफ ऋण का सहारा लिया, के लिए बाजार पहुंच और आईएमएफ के ऋण पर निर्भरता के बीच नकारात्मक संबंध पाया गया है। मुख्य बातें:
बुलेटिन के आलेखों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और भारतीय रिज़र्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। (पुनीत पंचोली) प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/2418 |