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भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अजित सहकारी बैंक लि., पुणे का लाइसेंस रद्द

 04 फरवरी 2009

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अजित सहकारी बैंक लि., पुणे का लाइसेंस रद्द

इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अजित सहकारी बैंक लि., पुणे, महाराष्ट्र अर्थक्षम नहीं रह गया है और महाराष्ट्र सरकार के साथ परामर्श से इसे पुनर्जीवित करने के सभी प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होने वाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने जनवरी 28 , 2009 के कारोबार की समाप्ति के बाद बैंक का लाइसेंस रद्द करने का आदेश जारी किया। निबंधक, सहकारी समितियां,  महाराष्ट्र से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। यह उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से 1,00,000 रुपये (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अजित सहकारी बैंक लि., पुणे, महाराष्ट्र राज्य को बैंकिंग व्यवसाय करने के लिए 6 दिसंबर 1995 को लाइसेंस मंज़ूर किया गया था। बैंक के 31 मार्च 2007 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में रिजर्व बैंक द्वारा किए गए  सांविधिक निरीक्षण से पता चला कि उसकी वित्तीय स्थिति खराब हो गई है। इसलिए बैंक पर कतिपय परिचालनात्मक प्रतिबंध लगाए गए ।

31 मार्च 2008 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के हाल के सांविधिक निरीक्षण में देखा गया की उसकी वित्तीय स्थिति ज्यादा खराब हो गई है। इसी कारण रिजर्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35क के अंतर्गत 18 अगस्त 2008 के निर्देश के अनुसार जमाराशियों के आहरण पर 1,000/- रु. की सीमा सहित उसे सभी सम्मिलित निर्देश जारी किए गए। 12 अगस्त 2008 को रिजर्व बैंक ने निबंधक, सहकारी समितियां,  महाराष्ट से महाराष्ट्र सहकारी समिति अधिनियम, 1960 की धारा 110 क के अंतर्गत बैंक के निदेशक बोर्ड के अधिक्रमण का अनुरोध किया।

रिजर्व बैंक ने 2 सितंबर 2008 को  बैंक को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा था कि बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 22 के अंतर्गत 6 दिसंबर 1995 को बैंकिंग व्यवसाय करने के लिए जारी किए गए लाइसेंस को क्यों न रद्द कर दिया जाए और बैंक के समापन की कर्रवाई शुरू की जाए। कारण बताओ नोटिस की जाँच की गई और इसे असंतोषप्रद पाया गया। बैंक द्वारा इसके पुनरूज्जीवन या विलय के लिए कोई ठोस योजना भी प्रस्तुत नहीं की गई।

31 मार्च 2008 तक की वित्तीय स्थिति में तीव्र गिरावट तथा बैंक के पास किसी विलय के लिए किसी ठोस योजना के अभाव में बैंक के पुनरूज्जीवन की कोई संभावना नहीं थी। इसलिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक के जमाकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में उक्त बैंक का लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया। लाइसेंस रद्द होने तथा परिसमापन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही अजित सहकारी बैंक लि., पुणे, महाराष्ट्र के जमाकर्ताओं को निक्षेप बीमा योजना की शर्तों के अनुसार भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी।

लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप अजित सहकारी बैंक लि., पुणे, महाराष्ट्र को बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) के अंतर्गत यथापरिभाषित "बैंकिंग व्यवसाय" करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है जिसमें जमाराशियां स्वीकार करना और उन्हें वापस लौटाना भी शामिल है।

इस संबंध में किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्री पी.के.अरोरा, उप महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, शहरी बैंक विभाग, मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय,दूसरी मंज़िल, गारमेंट हाउस, वरली,  मुंबई - 400018 से संपर्क कर सकते हैं। टेलीफोन : (022) 24939930-49, सीधी लाइन : (022) 24935348, फैक्स : (022) 24935495, ई-मेल:

अजीत प्रसाद

प्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2008-2009/ 1231

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