भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बारानगर सहकारी बैंक लिमिटेड., कोलकाता (पश्चिम बंगाल) का लाइसेंस रद्द किया गया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बारानगर सहकारी बैंक लिमिटेड., कोलकाता (पश्चिम बंगाल) का लाइसेंस रद्द किया गया
29 जनवरी 2015 भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बारानगर सहकारी बैंक लिमिटेड., भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बारानगर सहकारी बैंक लिमिटेड., कोलकाता (पश्चिम बंगाल) का लाइसेंस रद्द किया गया । यह आदेश 21 जनवरी 2015 को कारोबार की समाप्ति से प्रभावी हो गया । सहकारी समितियों के पंजीयक,पश्चिम बंगाल से भी बैंक के परिसमापन और उसके लिए परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने के लिए अनुरोध किया गया है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि बारानगर सहकारी बैंक लिमिटेड., कोलकाता (पश्चिम बंगाल) अर्थक्षम नहीं रह गया है, उसे पुनरूज्जीवित करने के सभी प्रयास विफल हुए हैं और सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को असुविधा हो रही है भारतीय रिज़र्व बैंक नेयह आदेश जारी किया। बैंक का लाइसेंस रद्द किए जाने औरपरिसमापन प्रक्रिया आरंभ करने से बारानगर सहकारी बैंक लिमिटेड., कोलकाता (पश्चिम बंगाल) के जमाकर्ताओं को निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) अधिनियम,1961 के अनुसार जमाराशि के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी।परिसमापन के बाद हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से सामान्य शर्तों पर ₹ 1,00,000/- (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बारानगर सहकारी बैंक लिमिटेड., कोलकाता (पश्चिम बंगाल) का लाइसेंस रद्द किया गया क्योंकि
लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप बारानगर सहकारी बैंक लिमिटेड., कोलकाता (पश्चिम बंगाल) बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) के अंतर्गत यथापरिभाषित "बैंकिंग व्यवसाय" करने से तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया गया है। पृष्ठभूमि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बारानगर सहकारी बैंक लिमिटेड., कोलकाता (पश्चिम बंगाल) को बैंकिंग कारोबार करने के लिए 15 अप्रैल 1996 को लाइसेंस मंज़ूर किया गया था।बदतर होती जा रही वित्तीय स्थिति को देखते हुए 30 जुलाई 2013 को बैंककारी विनियमन अधिनियम की धारा 35ए के अंतर्गत बैंक को सर्वसमावेशक निदेशों के अधीन रखा गया ।निदेशों की अवधि तीन बार बढ़ाई गई । अंतिम बार बढ़ाई गई अवधि 29 जनवरी 2015 तक वैध थी । 31 मार्च 2014 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35 के अंतर्गत की गई बैंक की अद्यतन सांविधिक जांच से पता चला कि बैंक की वित्तीय स्थिति बदतर हो गई है और बैंककारी विनियमन अधिनियम की धारा 22(3) के अंतर्गत आवश्यक, बाहरी देयताओं की पूर्ति के लिए पर्याप्त आस्तियां बैंक के पास नहीं है । बैंककारी विनियमन अधिनियम की धारा 11(1) के अनुसार आवश्यक न्यूनतम पूंजी और आरक्षित निधियों का भी बैंक द्वारा अनुपालन नहीं किया जा रहा है । फिर भी बैंक की लगातार रूप से खराब होती जा रही वित्तीय स्थिति और राज्य सरकार द्वारा पूंजी लगाने संबंधी ठोस उपायों के अभाव को देखते हुए 20 अगस्त 2014 को बैंक के लाइसेंस को रद्द करने के लिए बैंक को कारण बताओ नोटिस जारी किया जिसमें यह पूछा गया था कि बैंकिंग कारोबार करने के लिए उन्हें जारी लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए। कारण बताओ नोटिस पर बैंक द्वारा दिए गए उत्तर की जांच की गयी लेकिन उसे संतोषजनक नहीं पाया गया और समय-समय पर उठाए गए सांविधिक और पर्यवेक्षी प्रश्नों के उत्तर नहीं दिए गए और बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम के विविध प्रावधानों का उल्लंघन करना जारी रखा। बैंक की अति खराब वित्तीय स्थिति के कारण अन्य किसी मजबूत बैंक के साथ उसके विलयन की संभावना नहीं रही। अपने बलबूते पर अथवा किसी बाहरी सहायता से बैंक के पुनरुज्जीवन की कोई संभावना न रहने पर रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया गया । अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/1589 |