भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दि अजमेर शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड., अजमेर (राजस्थान) का लाइसेंस रद्द किया गया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दि अजमेर शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड., अजमेर (राजस्थान) का लाइसेंस रद्द किया गया
9 अक्टूबर 2014 भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दि अजमेर शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड., अजमेर (राजस्थान) इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि दि अजमेर शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड., अजमेर (राजस्थान) अर्थक्षम नहीं रह गया है, उसे पुनरूज्जीवित करने के सभी प्रयास विफल हुए हैं और सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को असुविधा हो रही है भारतीय रिज़र्व बैंक ने 19 सितंबर 2014 को कारोबार की समाप्ति के बाद बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है। सहकारी समितियों के पंजीयक, राजस्थान से भी बैंक के परिसमापन और उसके लिए परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने के लिए अनुरोध किया गया है। बैंक के परिसमापन पर हर जमाकर्ता निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से सामान्य शर्तों पर ₹ 1,00,000/- (एक लाख रुपये मात्र) की उच्चतम मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है। लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप दि अजमेर शहरी सहकारी बैंक लिमिटेड., अजमेर (राजस्थान) को अधिनियम की धारा 5(ख) के अंतर्गत यथापरिभाषित "बैंकिंग व्यवसाय" करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है। इस संबंध में किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता, श्री डी.के.मीणा, महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, जयपुर क्षेत्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक, जयपुर से संपर्क कर सकते हैं। उनसे संपर्क करने के ब्यौरे निम्ननुसार है: डाक पता: शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, 3री मंजि़ल, रामबाग सर्कल, टोंक रोड, जयपुर-302 052; टेलीफोन सं. : (0141) 2564661, फैक्स सं. : (0141) 2569693; ई-मेल पृष्ठभूमि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक को बैंकिंग कारोबार करने के लिए 18 दिसंबर 2000 को लाइसेंस मंज़ूर किया गया था। बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू)(इसके बाद से अधिनियम) की धारा 35 के अंतर्गत 31 मार्च 2013 की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में रिजर्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के अद्यतन सांविधिक निरीक्षण से अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला कि बैंक की चुकता पूंजी और आरक्षित निधियों का असली या विनिमय योग्य मूल्य (–)₹ 2628.47 लाख रहा जबकि जमा राशियों का 32.67% तक ह्रास हो चुका था। दिनांक 31 मार्च 2013 को बैंक का सीआरएआर 9% की विनियामकीय अपेक्षा की तुलना में (-) 173.31% पाया गया। दिनांक 31 मार्च 2013 को संचित हानि ₹ 3446.41 लाख दर्ज की गई तथा सकल अनर्जक आस्तियां और निवल अनर्जक आस्तियां क्रमश: ₹ 1361.52 लाख (जोकि सकल ऋणों और अग्रिमों का 57.59% है) और ₹ 154.02 लाख (जो निवल अग्रिमों का 13.31% है) पाई गईं। वर्ष 2012-2013 के दौरान बैंक की निवल हानि ₹ 697.51 लाख आंकी गई़। बैंक की अनर्जक आस्तियों की बड़ी राशि, संचित हानि, बैंक की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए वसूली के कम अवसर को देखते हुए निकट भविष्य में बैंक के पुनरूज्जीवन की संभावनाएं निराशाजनक पाई गई। समय-समय पर तकनीकी परामर्शदात्री समिति [शहरी सहकारी बैंकों के लिए कार्यदल (टैफकब)] ने बैंक की स्थिति और पुनरूज्जीवन के प्रस्तावों की समीक्षा की। स्टेट फेडरेशन की सहायता से बैंक द्वारा विविध विलयन प्रस्तावों/विकल्पों की खोज की गई। तथापि कोई सकारात्मक परिणाम नहीं पाया गया। विनियामक दिशानिर्देशों के निरंतर उल्लंघन और वित्तीय स्थिति में लगातार खराबी तथा 31 मार्च 2013 को बैंक की वित्तीय स्थिति के आधार पर भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक को जनवरी 2014 में कारण बताओ नोटिस जारी किया जिसमें यह कहा गया था कि अधिनियम की धारा 22 के अंतर्गत उन्हें बैंकिंग कारोबार करने के लिए जारी लाइसेंस क्यों न रद्द किया जाए तथा बैंक का समापन क्यों न किया जाए। फरवरी 2014 के पत्र के माध्यम से कारण बताओ नोटिस पर बैंक द्वारा दिए गए उत्तर की जांच की गयी। लेकिन उसे संतोषजनक नहीं पाया गया। चूंकि बैंक का कारोबार जमाकर्ताओं के हित में नहीं था, भारतीय रिज़र्व बैंक ने जर्माकर्ताओं के हित में अंतिम उपाय के रूप में बैंक के लाइसेंस को रद्द कर दिया। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/731 |