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भारतीय रिज़र्व बैंक ने आम जनता को बहु-स्‍तरीय विपणन गतिविधियों को लेकर दी चेतावनी

01 जनवरी 2015

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आम जनता को बहु-स्‍तरीय विपणन गतिविधियों को लेकर दी चेतावनी

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आम जनता को बहु-स्‍तरीय विपणन गतिविधियों (एमएलएम) को लेकर आम जनता को चेतावनी दी जिससे निवेशक बदनीयत वाली संस्‍थाओं का शिकार न बनें।

इन संस्‍थाओं के कार्य-संचालन का वर्णन करते हुए रिज़र्व बैंक ने बताया कि एमएलएम/श्रृंखला विपणन/पिरामिड ढांचे की योजनाओं में सदस्‍यों को वादा किया जाता है उन्‍हें नामांकन करते ही सुलभ या त्‍वरित रूप से धनराशि प्राप्‍त हो जाएगी। ऐसी योजनाओं में आय का सर्वाधिक अंश उनके द्वारा पेश किए जा रहे उत्‍पादों की बिक्री से नहीं, बल्कि अधिक से अधिक सदस्‍यों का नामांकन कर उनसे अंशदान शुल्‍क के रूप में ली जाने वाली मोटी रकम का होता है। सभी सदस्‍यों को बाध्‍य किया जाता है कि वे अधिकाधिक सदस्‍यों को नामित करें, जिनसे प्राप्‍त होने वाले अंशदान की राशि पिरामिड के शीर्ष पर रहने वाले सदस्‍यों के बीच बांट दी जाती है। जब यह श्रृंखला टूट जाती है तो उससे पिरामिड ही ढह जाता है तथा इससे पिरामिड में सबसे नीचे रहने वाले सदस्‍य सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।

रिज़र्व बैंक ने आम जनता को आगाह किया है कि वे बहु-स्‍तरीय विपणन/श्रृंखला विपणन/पिरामिड ढांचे की योजनाओं को चलाने वाली संस्‍थाओं द्वारा उच्‍च प्रतिफल की पेशकश करते हुए किए जाने वाले वादों के झांसे में न आएं। रिज़र्व बैंक ने यह दोहराया है कि ऐसे प्रस्‍तावों का शिकार बनने से सीधे तौर पर वित्‍तीय घाटा हो सकता है और आम जनता अपने हित को बचाने के लिए ऐसे किसी भी प्रकार के प्रस्‍तावों के प्रति ध्‍यान न दें।

रिज़र्व बैंक ने यह भी बताया है कि धन परिचालन/बहु-स्‍तरीय विपणन/पिरामिड ढांचों के तहत धनराशि को स्‍वीकार करना इनामी चिट और धन परिचालन स्‍कीम (पाबंदी) अधिनियम, 1978 के अंतर्गत एक संज्ञेय अपराध है। जनसाधारण को सूचित किया जाता है कि वे ऐसे मामले का पता चलने पर उसके संबंध में राज्‍य पुलिस से तुरंत शिकायत दर्ज करें।

अल्‍पना किल्‍लावाला
प्रधान मुख्‍य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/1383

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