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भारतीय रिज़र्व बैंक ने एमसीएलआर प्रणाली पर अपने निदेशों पर स्पष्टीकरण दिया

29 मार्च 2016

भारतीय रिज़र्व बैंक ने एमसीएलआर प्रणाली पर अपने निदेशों पर स्पष्टीकरण दिया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने मार्जिनल निधि लागत आधारित उधार दर (एमसीएलआर) प्रणाली जो 1 अप्रैल 2016 से प्रभावी होगी, के संबंध में आज भारतीय रिज़र्व बैंक निदेश, 2016 के कुछ प्रावधानों (अग्रिमों पर ब्याज दर) पर स्पष्टीकरण दिया है। परिवर्तन इस प्रकार हैं :

1. स्थिर दर ऋण

निदेशों की धारा 13(घ)(v) के अनुसार स्थिर दर ऋणों को ब्याज दर का निर्धारण करने के लिए बेंचमार्क के रूप में एमसीएलआर से जोड़ने से छूट दी गई है। समीक्षा के उपरांत, यह निर्णय लिया गया है कि तीन वर्ष तक के स्थिर दर ऋणों का मूल्यनिर्धारण एमसीएलआर के संदर्भ में किया जाएगा। तीन वर्ष से अधिक की अवधि वाले स्थिर दर ऋणों को एमसीएलआर प्रणाली से छूट जारी रहेगी। तदनुसार, निदेशों की धारा 13(घ)(v) को संशोधित किया गया है।

2. निधियों की मार्जिनल लागत का परिकलन

निदेशों की धारा 6(ख) के अनुलग्नक के अनुसार, निधियों की मार्जिनल लागत के परिकलन के लिए, समीक्षा के पिछले दिन के जमा शेष और अन्य उधार बकायों को गणना में लिया जाएगा। समीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया है कि बैंकों के पास एमसीएलआर प्रभावी होने की तारीख से पहले अधिकतम सात कैलेंडर दिनों में किसी दिन पर जमाराशियों के बकाया शेष और अन्य उधारों की गिनती करने का विकल्प रहेगा। कम से कम एक वर्ष की अवधि के लिए चुने गए समय अंतराल को निरंतर रूप से बनाए रखा जाएगा। तदनुसार, निदेशों की धारा 6(ख) के अनुलग्नक को संशोधित किया गया है।

3. विभिन्न परिपक्वताओं की एमसीएलआर

निदेशों की धारा 6(ख)(viii) के अनुसार, बैंकों से अपेक्षित है कि वे विभिन्न अवधियों के लिए एमसीएलआर प्रकाशित करें। यह स्पष्टीकरण किया जाता है कि अनुलग्नक के अनुसार परिकलित की गई एमसीएलआर की अवधि निम्नलिखित के अनुरूप होगी:

  1. एकल लंबी परिपक्‍वता बकेट में निधियों की अवधि, बशर्ते वह एमसीएलआर के निर्धारण की दृष्टि से संपूर्ण निधियों के 30 प्रतिशत से अधिक हो।

  2. यदि ऐसा कोई एकल परिपक्‍वता बकेट का हिस्‍सा निधियों के 30 प्रतिशत से अधिक न हो तो ऐसे दो या उससे अधिक परिपक्‍वता बकेटों की भारित औसत अवधि, जिनका कुल हिस्‍सा 30 प्रतिशत से अधिक हो। परिपक्‍वता बकेट की गणना परिपक्‍वता समय बकेटों के अवरोही क्रम पर आधारित संचयीत भार का परिकलन करके की जाएगी।

तदनुसार, निदेशों की धारा 6(ख)(vii) को शामिल किया गया है और 6(ख)(viii) में संशोधन किया गया है। अन्‍य धाराओं की संख्‍या पुन: अंकित की गई है।

4. अस्थिर दर वाले ऋण पर एमसीएलआर लागू होने की तारीख

निदेशों की धारा 9(क) और 9(ख) के अनुसार अस्थिर दर वाले ऋण स्‍वीकृत किए जाने की तारीख को प्रवृत्‍त एमसीएलआर अगले पुनर्निधारण की तारीख तक लागू रहेगी। इस संबंध में समीक्षा करने के बाद यह निर्णय लिया गया है कि पहले संवितरण की तारीख को प्रवृत्‍त एमसीएलआर अस्थिर दर वाले ऋण पर लागू रहेगी तथा भावी पुनर्निधारण की तारीखें तदनुसार तय की जाएंगी। तदनुसार, निदेशों की धारा 9(क) और 9(ख) में संशोधन किया गया है।

अद्यतन किए गए भारतीय रिज़र्व बैंक (अग्रिमों पर ब्‍याज दर) निदेश, 2016 अब रिज़र्व बैंक की वेबसाइट www.rbi.org.in पर उपलब्‍ध हैं।

साथ ही, आसानी से समझाने की दृष्टि से बैंक की वेबसाइट पर मार्जिनल निधि लागत आधारित उधार दर (एमसीएलआर) ‘अक्‍सर पूछे जाने वाले प्रश्‍न’ (एफएक्‍यू) के अंतर्गत कुछ स्‍पष्‍टीकरण और उदाहरण अपलोड किए गए हैं।

पृष्‍ठभूमि

भारतीय रिज़र्व बैंक ने मार्जिनल निधि लागत आधारित उधार दर (एमसीएलआर) से संबंधित दिशानिर्देश 17 दिसंबर 2015 के परिपत्र डीबीआर.सं.डीआईआर.बीसी.67/13.03.00/2015-16 के माध्‍यम से सूचित किए थे। ये दिशानिर्देश 01 अप्रैल 2016 को प्रभावी होंगे। इन दिशानिर्देशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (अग्रिमों पर ब्‍याज दर) निदेश, 2016 में शामिल किया गया है।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी: 2015-2016/2279

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