रिजर्व बैंक समिति ने यूसीबी के लिए भावी पथ का सुझाव दिया - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिजर्व बैंक समिति ने यूसीबी के लिए भावी पथ का सुझाव दिया
20 अगस्त 2015 रिजर्व बैंक समिति ने यूसीबी के लिए भावी पथ का सुझाव दिया भारतीय रिजर्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर शहरी सहकारी बैंकों पर उच्चाधिकार प्राप्त समिति (यूसीबी) (अध्यक्ष: श्री आर गांधी) की रिपोर्ट प्रकाशित कर दी। रिपोर्ट पर सुझाव और टिप्पणियां 18 सितंबर 2015 तक सहकारी बैंक विनियमन विभाग (डीसीबीआर), भारतीय रिजर्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, गारमेंट हाउस, प्रथम तल, डॉ एनी बेसेंट रोड, वर्ली, मुंबई - 400 018 (फैक्स नंबर 022-24974030) को प्रेषित या ईमेल द्वारा भेजी जा सकती हैं। एचपीसी द्वारा की गई महत्वपूर्ण सिफारिशें संक्षेप में निम्ननुसार हैं: 1. कारोबार आकार और संयुक्त स्टॉक बैंक में बहु-राज्यीय यूसीबी का रूपांतरण: ₹20,000 करोड़ या उससे अधिक कारोबार आकार की प्रारंभिक सीमा के बाद यूसीबी से खुद को वाणिज्यिक बैंक में रूपांतरित किये जाने की उम्मीद की जा सकती है। रूपांतरण को अनिवार्य रूप से डी ज्यूरे करने की आवश्यकता नहीं है । हालांकि, रूपांतरित हो जाने का विकल्प नहीं चुनने वालों के व्यवसायों के प्रकार सादे वेनिला उत्पादों और सेवाओं की सीमा के भीतर रह सकते है और इसलिए, विकास बहुत धीमी गति से होगा । शाखाओं, संचालन के क्षेत्र और व्यावसायिक लाइनों के संदर्भ में उनके विस्तार को सावधानीपूर्वक कैलिब्रेट किया जा सकता है । 2. यूसीबी को लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) में परिवर्तित करना: 20,000 करोड़ रुपये से कम कारोबार आकार वाले छोटे यूसीबी जो एसएफबी में रूपांतरण के इच्छुक हैं, रूपांतरण के लिए रिजर्व बैंक में आवेदन कर सकते हैं बशर्ते वे रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित सभी पात्रता मानदंडों और चयन प्रक्रियाओं को पूरा करें और एसएफबी के लिए लाइसेंसिंग विंडो खुली हों। 3. नए लाइसेंस जारी करना: वित्तीय रूप से मजबूत और अच्छी तरह से प्रबंधित सहकारी क्रेडिट समितियों को लाइसेंस जारी किए जा सकते हैं जिनके पास 5 साल का न्यूनतम ट्रैक रिकॉर्ड है जो रिजर्व बैंक द्वारा लाइसेंसिंग शर्तों के रूप में निर्धारित विनियामक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। बैंक रहित क्षेत्रों में बैंकिंग सेवा प्रदान करने के लिए रिजर्व बैंक मौजूदा बैंकों के लिए वहां शाखाएं खोलने के लिए उचित प्रोत्साहनों का एक उपयुक्त सेट स्थापित कर सकता है । 4. निदेशक मंडल (बीओडी) के अलावा प्रबंधन बोर्ड (बीओएम): मालेगाम समिति द्वारा दिए गए सुझाव के अनुसार नए यूसीबी के लाइसेंस और मौजूदा यूसीबी के विस्तार के लिए एक प्रबंधन बोर्ड (बीओएम) की स्थापना अनिवार्य लाइसेंसिंग शर्तों में से एक शर्त होनी चाहिए। 5. एंट्री प्वाइंट नॉर्म्स: नए एंट्री प्वाइंट नॉर्म्स (ईपीएन) के तहत निम्न मुद्दे हो सकते हैं:
6. मतदाता सदस्यों के रूप में जमाकर्ता: जमाकर्ताओं को यूसीबी के बोर्ड पर बात करने का अधिकार होना चाहिए । इसके लिए उपनियमों में उपयुक्त प्रावधान बनाकर बोर्ड की अधिकांश सीटें जमाकर्ताओं के लिए आरक्षित की जाएं। गौरतलब है कि 30 जनवरी 2015 को रिजर्व बैंक ने भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर श्री आर गांधी की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) के गठन की घोषणा की थी ताकि अनुमन्य व्यावसायिक लाइनों और उचित आकार की जांच की जा सके और यूसीबी को वाणिज्यिक बैंकों में बदलने के संबंध में मुद्दों की जांच की जा सके और यह निर्धारित किया जा सके कि क्या नई यूसीबी को लाइसेंस पर बनी विशेषज्ञ समिति (मालेगाम कमेटी) द्वारा लाइसेंसिंग के लिए अनुशंसित नई यूसीबी को नए लाइसेंस जारी करने के लिये समय उपयुक्त है या नहीं। यह यूसीबी पर स्थायी सलाहकार समिति (एसएसी) द्वारा 20 अक्टूबर 2014 को हुई बैठक में की गई सिफारिश के अनुसरण में किया गया। अल्पना किल्लावाला प्रेस प्रकाशनी: 2015-2016/448 |