भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग लाइसेंस के लिए “सैद्धांतिक” अनुमोदन देने का निर्णय लिया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग लाइसेंस के लिए “सैद्धांतिक” अनुमोदन देने का निर्णय लिया
2 अप्रैल 2014 भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकिंग लाइसेंस के लिए “सैद्धांतिक” अनुमोदन देने का निर्णय लिया भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज निर्णय लिया है कि दो आवेदकों नामतः आईडीएफसी लिमिटेड और बंधन फाइनैंसिएल सर्विसिज़ प्राइवेट लिमिटेड को 22 फरवरी 2013 को जारी निजी क्षेत्र में नए बैंकों को लाइसेंस प्रदान करने संबंधी दिशानिर्देशों के अंतर्गत बैंक स्थापित करने के लिए “सैद्धांतिक” अनुमोदन दिया जाए। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा गठित उच्च स्तरीय परामर्शदात्री समिति (एचएलएसी) द्वारा भी इन दोनों आवेदकों को “सैद्धांतिक” अनुमोदन प्रदान करने के लिए उपयुक्त होने की सिफारिश की गई। उच्च स्तरीय परामर्शदात्री समिति (एचएलएसी) ने यह भी सिफारिश की थी कि डाक विभाग जिसने लाइसेंस के लिए आवेदन किया है, के मामले में रिज़र्व बैंक के लिए वांछनीय होगा कि आवेदन पर भारत सरकार के परामर्श से अलग से विचार किया जाए। रिज़र्व बैंक ने उच्च स्तरीय परामर्शदात्री समिति (एचएलएसी) की सिफारिश स्वीकार कर ली है। पृष्ठभूमि वर्ष 2010-11 के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री के बजट भाषण में अन्य बातों के साथ-साथ यह घोषणा की गई थी कि बैंकों के भौगोलिक कवरेज़ को बढ़ाने और बैंकिंग सेवाओं की पहुंच में सुधार करने की आवश्यकता है और रिज़र्व बैंक निजी क्षेत्र के निवेशकों को कुछ अतिरिक्त बैंकिंग लाइसेंस प्रदान करने पर विचार कर रहा है। इसके बाद रिज़र्व ने 22 फरवरी 2013 को नए बैंकों को लाइसेंस प्रदान करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए। दो आवेदकों द्वारा आवेदन वापस लेने के बाद 25 आवेदकों पर विचार किया गया है। दिशानिर्देशों के अनुपालन में आवेदनों की संवीक्षा करने और केवल दिशानिर्देशों का अनुपालन करने वाले आवेदकों को ही लाइसेंस देने की सिफारिश करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर डॉ. बिमल जालान की अध्यक्षता में तीन सदस्यों (नामतः श्री सी.बी. भावे, पूर्व अध्यक्ष, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड, श्रीमती उषा थोरात, पूर्व उप गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक तथा श्री नचिकेत मोर, निदेशक, भारतीय रिज़र्व बैंक केंद्रीय बोर्ड) की एक उच्च स्तरीय परामर्शदात्री समिति का 30 अक्टूबर 2013 को गठन किया गया। पहले स्तर पर रिज़र्व बैंक द्वारा आवेदनों की संवीक्षा की गई जिससे कि दिशानिर्देशों के अंतर्गत आवेदकों की पात्रता सुनिश्चित हो सके। इसके बाद इन आवेदनों को उच्च स्तरीय परामर्शदात्री समिति को भेजा गया। उच्च स्तरीय परामर्शदात्री समिति ने विचार करने के लिए अपनी सिफारिश 25 फरवरी 2014 को रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत की। रिज़र्व बैंक ने दिशानिर्देशों में दिए गए मापदंडों के अनुसार आवेदकों के परिमाणात्मक और गुणात्मक पहलुओं का आकलन किया। इसमें समूह में प्रमुख संस्थाओं के वित्तीय विवरणों का विश्लेषण, अपना कारोबार करने के लिए 10 वर्षों का ट्रैक रिकार्ड, बैंक के लिए प्रस्तावित कारोबार मॉडल और बैंक चलाने में आवेदकों द्वारा दर्शाई गई क्षमताएं, समावेशन के विस्तार की योजना तथा अनुपालन संस्कृति और अपने पूर्व कार्यकलापों में आवेदक द्वारा दर्शाई गई सत्यनिष्ठा शामिल थीं। इन सभी के आधार पर रिज़र्व बैंक ने आवेदक की “उपयुक्त और उचित” स्थिति का अवलोकन किया। “सैद्धांतिक” अनुमोदन प्रदान करने का निर्णय चुनाव आयोग से परामर्श करने के बाद लिया गया क्योंकि आगामी चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। बैंक लाइसेंसों के इस दौर में रिज़र्व बैंक के दृष्टिकोण को परंपरावादी श्रेणी में रखा जा सकता है। ऐसे समय में जब सरकार में बारे में एक सार्वजनिक चिंता है और भारतीय जनता द्वारा घनिष्ठ रूप से विश्वास वाली संस्थाओं को लाइसेंस देने की बात आती है तो यह सबसे उचित रवैया हो सकता है। आगे, रिज़र्व बैंक दिशानिर्देशों को उचित ढ़ंग से संशोधित करने के लिए इस लाइसेंस प्रदान करने की प्रक्रिया के ज्ञान का उपयोग करना और अधिक नियमित रूप से अर्थात वास्तव में “मांग के अनुसार” लाइसेंस देने के लिए अपने कदम बढ़ाना चाहता है। यह अपने पहले के चर्चा पत्र के आधार पर भिन्न-भिन्न बैंक लाइसेंसों की श्रेणियां भी बनाएगा और इससे बैंकिंग में प्रवेशकों का व्यापक पूल आएगा। रिज़र्व बैंक मानता है कि कुछ वे संस्थाएं जिन्होंने संपूर्ण बैंकिंग लाइसेंस के इस दौर में अर्हता प्राप्त नहीं की, वे आगामी दौरों के लिए आवेदन कर सकती हैं और प्रस्तावित ढ़ांचे के अंतर्गत अलग-अलग लाइसेंसों के लिए आवेदन कर सकती हैं। अल्पना किल्लावाला प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/ 1945 |