भारतीय रिज़र्व बैंक ने निजी क्षेत्र में नए बैंकों को लाइसेंस प्रदान करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने निजी क्षेत्र में नए बैंकों को लाइसेंस प्रदान करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए
22 फरवरी 2013 भारतीय रिज़र्व बैंक ने निजी क्षेत्र में नए बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर “निजी क्षेत्र के बैंकों को लाइसेंस प्रदान करने” के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं: (i) पात्र प्रवर्तक: निजी क्षेत्र में संस्थाएं/समूह, सार्वजनिक क्षेत्र में संस्थाएं और गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियां (एनबीएफसी) पूर्ण अधिकार वाली गैर-परिचालनात्मक वित्तीय होल्डिंग कम्पनी (एनओएफएचसी) के माध्यम से बैंक स्थापित करने के लिए पात्र होंगी। (ii) ‘सही और उचित’ मापदंड: संस्थाओं/समूहों का तुलन पत्रों और सत्यनिष्ठा का पिछला रिकार्ड अच्छा होना चाहिए, 10 वर्षों का सफल ट्रैक रिकार्ड वित्तीय रूप से अच्छा हो। इस प्रयोजन के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक अन्य विनियामकों और प्रवर्तन तथा अन्वेषण एजेंसियों से प्रतिसूचना प्राप्त कर सकता है। (iii) एनओएफएचसी की कार्पोरेट संरचना: एनओएफएचसी प्रवर्तक/प्रवर्तक समूह द्वारा पूरी तरह से अधिकृत होनी चाहिए। एनओएफएचसी का बैंक और समूह की सभी अन्य वित्तीय सेवा संस्थाओं पर अधिकार होगा। (iv) बैंकों के लिए न्यूनतम वोटिंग इक्विटी पूंजी आवश्यकताएं और एनओएफएचसी की शेयरहोल्डिंग: बैंक के लिए प्रारम्भिक न्यूनतम चुकता वोटिंग इक्विटी पूंजी 5 बिलियन रुपये होगी। एनओएफएचसी का प्रारम्भ में बैंक की चुकता वोटिंग इक्विटी पूंजी के न्यूनतम 40 प्रतिशत पर अधिकार होगा जिसे पांच वर्षों की अवधि के लिए बंद कर दिया जाएगा और जिसे 12 वर्षों की अवधि के अन्दर 15 प्रतिशत तक कम किया जाएगा। बैंक अपने कारोबार शुरू करने के तीन वर्षों के अन्दर शेयर बाजारों में सूचीबद्ध शेयरों को प्राप्त करेगा। (v) विनियामक ढ़ांचा: बैंक को प्रासंगिक अधिनियमों के प्रावधानों, प्रासंगिक कानूनों और निदेशों, भारतीय रिज़र्व बैंक और अन्य विनियामकों द्वारा जारी विवेकपूर्ण विनियमों तथा अन्य दिशानिर्देशों/अनुदेशों द्वारा नियंत्रित किया जाएगा। एनओएफएचसी को भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनी (एनबीएफसी) के रूप में पंजीकृत किया जाएगा और इसे भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अलग सेट द्वारा नियंत्रित किया जाएगा। (vi) बैंक में विदेशी शेयरहोल्डिंग: नए बैंक में कुल अनिवासी शेयरहोल्डिंग पहले पांच वर्षों के लिए 49 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी और इसके बाद यह वर्तमान नीति के अनुसार होगी। (vii) एनओएफएचसी का कार्पोरेट अभिशासन: एनओएफएचसी के कम से कम 50 प्रतिशत निदेशक स्वतंत्र निदेशक होने चाहिए। कार्पोरेट संरचना से रिज़र्व बैंक द्वारा समेकित आधार पर किए जाने वाले बैंक और एनओएफएचसी के प्रभावी पर्यवेक्षण में बाधा नहीं पहुंचनी चाहिए। (viii) एनओएफएचसी के लिए विवेकपूर्ण मानदंड: विवेकपूर्ण मानदंड एनओएफएचसी पर एकल और समेकित दोनों आधारों पर लागू होंगे और ये मानदंड बैंक पर लागू मानदंडों की तरह होंगे। (ix) एक्सपोजर मानदंड: एनओएफएचसी और बैंक का प्रवर्तन समूह के लिए कोई एक्सपोजर नहीं होगा। बैंक एनओएफएचसी द्वारा धारित किसी भी वित्तीय संस्था की इक्विटी/ऋण पूंजी लिखतों में निवेश नहीं करेगा। (x) बैंक के लिए कारोबार योजना: कारोबार योजना यथार्थवादी और व्यवहार्य होनी चाहिए तथा इसके द्वारा वित्तीय समावेशन हासिल करने के बैंक के प्रस्तावों का समाधान होना चाहिए। (xi) बैंक के लिए अन्य शर्तें :
(xii) गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों को प्रवर्तित करने/बैंक के रूप मे परिवर्तित करने के लिए अतिरिक्त शर्तें: विद्यमान गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियां, यदि पात्र समझी जाएं, तो उन्हें एक नए बैंक को प्रवर्तित करने अथवा स्वयं को बैंकों के रूप में परिवर्तित करने की अनुमति दी जा सकती है। आवेदन की प्रक्रिया: बैंककारी विनियमन (कम्पनी) नियमावली, 1949 के नियम 11 के अनुसार, आवेदन पत्र निर्धारित फॉर्म (फॉर्म III) में प्रस्तुत किए जाएंगे। पात्र प्रवर्तक नए बैंकों की स्थापना के लिए अपने आवेदन पत्र अनुलग्नक I में निर्दिष्ट अन्य ब्यौरों के साथ प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केन्द्रीय कार्यालय, 12वीं मंजिल, केन्द्रीय कार्यालय भवन, मुम्बई – 400001 को 1 जुलाई 2013 को अथवा इससे पहले भेज सकते हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्णयों की प्रक्रिया:
पृष्ठभूमि यह स्मरण होगा कि वर्ष 2010-11 के अपने बजट भाषण में माननीय वित्त मंत्री द्वारा की गई घोषणा के बाद रिज़र्व बैंक ने प्रतिसूचना और अभिमत आमंत्रित करते हुए 11 अगस्त 2010 को अपनी वेबसाइट पर एक चर्चा पत्र जारी किया था। उसके पश्चात् विचार और अभिमत आमंत्रित करते हुए नए बैंकों को लाइसेंस प्रदान करने पर प्रारूप दिशानिर्देश 29 अगस्त 2011 को रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर जारी किए गए थे। प्रारूप दिशानिर्देशों पर प्राप्त अभिमत और सुझावों की जांच की गई और कुछ सुझावों को स्वीकार किया गया। दिसंबर 2012 में बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 में किए गए महत्वपूर्ण संशोधनों के बाद तथा भारत सरकार से परामर्श के बाद “निजी क्षेत्र में नए बैंकों को लाइसेंस प्रदान करने” के लिए दिशानिर्देशों को अब अंतिम रूप दे दिया गया है। आर.आर.सिन्हा प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/1421
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