रिज़र्व बैंक ने अपने बारहवें सांख्यिकी दिवस सम्मेलन में मैक्रो-इकोनॉमिक और वित्तीय क्षेत्र के जोखिमों के मापन और प्रबंधन पर चर्चा की - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक ने अपने बारहवें सांख्यिकी दिवस सम्मेलन में मैक्रो-इकोनॉमिक और वित्तीय क्षेत्र के जोखिमों के मापन और प्रबंधन पर चर्चा की
23 जुलाई 2018 रिज़र्व बैंक ने अपने बारहवें सांख्यिकी दिवस सम्मेलन में मैक्रो-इकोनॉमिक आज, रिजर्व बैंक ने स्वर्गीय प्रोफेसर प्रसांत चंद्र महालनोबिस की स्मृति और उपलब्धियों के सम्मान में अपना 12वां वार्षिक सांख्यिकी दिवस संगोष्ठी का आयोजन किया। इस वर्ष के संगोष्ठी में मैक्रो-इकोनॉमिक और वित्तीय क्षेत्र के जोखिमों के मापन और प्रबंधन विषय पर चर्चा की गई। इस संगोष्ठी का उद्घाटन डॉ.उर्जित आर. पटेल, गवर्नर ने किया, जिन्होंने सांख्यिकी के अकादमिक क्षेत्र के साथ-साथ भारत में आधिकारिक सांख्यिकी के विकास में प्रोफेसर महालनोबिस के महत्वपूर्ण योगदान के बारे में बताया। विषय पर अपनी बात में, डॉ. विरल वी.आचार्य, उप गवर्नर ने भारत में एक सार्वजनिक क्रेडिट रजिस्ट्री बनाने और जीएसटीएन इको-सिस्टम के संभावित उपयोग के मार्ग को रेखांकित किया, जिससे उधारकर्ताओं पर व्यापक, पारदर्शी और वास्तविक-समय डेटा के समीप पहुंच से बेहतर क्रेडिट आबंटन में सुविधा के माध्यम से अर्थव्यवस्था बदलने की उम्मीद है। प्रोफेसर रॉबर्ट एंगल, माइकल आर्मेलिनो, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस में वित्त के प्रोफेसर और 2003 में अर्थशास्त्र में संयुक्त नोबेल पुरस्कार विजेता, ने 'कितना प्रणालीगत जोखिम बहुत ज्यादा होता है' इस विषय पर मुख्य भाषण दिया। डॉ. विजयन नायर, मिशिगन विश्वविद्यालय के पूर्व संकाय, ऐन आर्बर और वर्तमान में वेल्स फार्गो में कॉर्पोरेट मॉडल जोखिम में सांख्यिकीय शिक्षण और उन्नत कंप्यूटिंग समूह के प्रमुख ने 'बैंकिंग में जोखिम प्रबंधन के लिए एप्लीकेशन के साथ मशीन लर्निंग' पर एक विशेष व्याख्यान दिया। डॉ. गोलक नाथ, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, भारतीय समाशोधन निगम लि. (सीसीआईएल) ने 'विकासशील कार्यक्षम वित्तीय बेंचमार्क: मुद्दे और चुनौतियां' पर एक प्रस्तुति दी। डॉ.जी.पी.सामंता, परामर्शदाता, सांख्यिकीय और सूचना प्रबंध विभाग (डीएसआईएम) ने 'जोखिम मूल्य : मापन और मॉडल सत्यापन के लिए नए दृष्टिकोण' पर और डॉ. आर.के.सिन्हा, निदेशक, डीएसआईएम ने 'भारत में मुद्रास्फीति के स्टॉकेस्टिक परिवर्तन काल को ट्रैक करना' पर प्रस्तुतियां दी। पूर्व संगोष्ठी वार्ता में, डॉ.ए.के. नाग, प्रसिद्ध सांख्यिकीविद् और इस क्षेत्र के एक अग्रणी प्रेक्टिशनर ने, 'जोखिम मापन - एल्गोरिदमिक दृष्टिकोण संभावनाओं' पर बात की। एन.षणमुगराम प्रेस प्रकाशनी: 2018-2019/202 |