भारतीय रिज़र्व बैंक ने इंडियन मर्कंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लि., लखनऊ, उत्तर प्रदेश पर जारी निदेशों की अवधि 11 सितंबर 2015 तक बढ़ाई - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने इंडियन मर्कंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लि., लखनऊ, उत्तर प्रदेश पर जारी निदेशों की अवधि 11 सितंबर 2015 तक बढ़ाई
10 जून 2015 भारतीय रिज़र्व बैंक ने इंडियन मर्कंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लि., लखनऊ, उत्तर प्रदेश भारतीय रिज़र्व बैंक ने इंडियन मर्कंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लि., लखनऊ, उत्तर प्रदेश पर जारी निदेशों को समीक्षा के अधीन 12 जून 2015 से 11 सितंबर 2015 तक आगे तीन माह की अवधि के लिए बढ़ा दिया है। यह बैंक 12 जून 2014 से निदेशों के अधीन है। निदेश के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक से लिखित रूप में पूर्वानुमति लिए बिना एवं भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित निदेशों के अलावा इंडियन मर्कंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लि., किसी भी ऋण और अग्रिम को मंजूर या उसका नवीकरण नहीं करेगा, कोई निवेश नहीं करेगा, निधियां उधार लेने और नई जमाराशियां स्वीकार करने सहित अपने ऊपर कोई भी देयता नहीं लेगा, कोई भुगतान नहीं करेगा और न ही भुगतान करने के लिए सहमत होगा भले ही भुगतान उसकी देनदारियों और दायित्वों की चुकौती से या अन्यथा से संबंधित क्यों न हो, कोई समझौता या इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं करेगा और अपनी किसी भी संपत्ति या आस्ति को न तो बेचेगा, न अंतरित करेगा या अन्य किसी रीति से उसका निपटान करेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों में उल्लिखित शर्तों के अधीन प्रत्येक बचत बैंक या चालू खाते में या किसी भी अन्य जमा खाते के कुल शेष में से प्रत्येक जमाकर्ता को ₹ 1,00,000/- (एक लाख रुपए मात्र) की अधिकतम राशि, निदेश की संपूर्ण अवधि अर्थात 12 जून 2014 से 11 सितंबर 2015 के दौरान एक ही अवसर पर आहरित करने की अनुमति दी जाएगी। ये निदेश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35क की उप धारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए हैं। निदेश की प्रतिलिपि इच्छुक आम जनता के अवलोकनार्थ बैंक परिसर में प्रदर्शित की गई है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उक्त निदेश जारी करने का यह अर्थ न लगाया जाए कि रिज़र्व बैंक ने बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है। भारतीय रिज़र्व बैंक परिस्थितियों के आधार पर इन निदेशों में संशोधन करने पर विचार कर सकता है। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/2610 |