भारतीय रिज़र्व बैंक ने यूनाइटेड इण्डिया को-आपरेटिव बैंक लि., नगीना, बिजनौर, उत्तर प्रदेश पर जारी निदेशों की अवधि 14 अप्रैल 2016 तक बढ़ाई - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने यूनाइटेड इण्डिया को-आपरेटिव बैंक लि., नगीना, बिजनौर, उत्तर प्रदेश पर जारी निदेशों की अवधि 14 अप्रैल 2016 तक बढ़ाई
11 जनवरी 2016 भारतीय रिज़र्व बैंक ने यूनाइटेड इण्डिया को-आपरेटिव बैंक लि., नगीना, भारतीय रिज़र्व बैंक ने यूनाडटेड इण्डिया को-आपरेटिव बैंक लि., नगीना, बिजनौर, उत्तर प्रदेश पर जारी निदेशों को समीक्षा के अधीन 15 जनवरी 2016 से 14 अप्रैल 2016 तक आगे तीन माह की अवधि के लिए बढ़ा दिया है। यह बैंक 15 जुलाई 2015 से निदेशों के अधीन है। निदेश के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक से लिखित रूप में पूर्वानुमति लिए बिना एवं भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित निदेशों के अलावा यूनाडटेड इण्डिया को-आपरेटिव बैंक लि., किसी भी ऋण और अग्रिम को मंजूर या उसका नवीकरण नहीं करेगा, कोई निवेश नहीं करेगा, निधियां उधार लेने और नई जमाराशियां स्वीकार करने सहित अपने ऊपर कोई भी देयता नहीं लेगा, कोई भुगतान नहीं करेगा और न ही भुगतान करने के लिए सहमत होगा भले ही भुगतान उसकी देनदारियों और दायित्वों की चुकौती से या अन्यथा से संबंधित क्यों न हो, कोई समझौता या इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं करेगा और अपनी किसी भी संपत्ति या आस्ति को न तो बेचेगा, न अंतरित करेगा या अन्य किसी रीति से उसका निपटान करेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक निदेशों में उल्लिखित शर्तों के अधीन प्रत्येक बचत बैंक या चालू खाते में या किसी भी अन्य जमा खाते के कुल शेष में से प्रत्येक जमाकर्ता को ₹ 1,000/- (₹ एक हजार मात्र) की अधिकतम राशि, निदेश की संपूर्ण अवधि अर्थात 15 जुलाई 2015 से 14 अप्रैल 2016 के दौरान एक ही अवसर पर आहरित करने की अनुमति दी जाएगी। ये निदेश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35 क की उप धारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए हैं। निदेश की प्रतिलिपि इच्छुक आम जनता के अवलोकनार्थ बैंक परिसर में प्रदर्शित की गई है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उक्त निदेश जारी करने का यह अर्थ न लगाया जाए कि रिज़र्व बैंक ने बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है। भारतीय रिज़र्व बैंक परिस्थितियों के आधार पर इन निदेशों में संशोधन करने पर विचार कर सकता है। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी: 2015-2016/1625 |