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भारतीय रिज़र्व बैंक ने रूपी को-आपरेटिव बैंक लि., पुणे पर जारी निदेशों की अवधि बढ़ाई

4 दिसंबर 2014

भारतीय रिज़र्व बैंक ने रूपी को-आपरेटिव बैंक लि., पुणे
पर जारी निदेशों की अवधि बढ़ाई

भारतीय रिज़र्व बैंक ने रूपी को-आपरेटिव बैंक लि., पुणे पर जारी निदेशों को समीक्षा के अधीन 22 नवंबर 2014 से 21 मई 2015 तक आगे छह माह की अवधि के लिए बढ़ा दिया है। यह बैंक 22 फरवरी 2013 से निदेशों के अधीन है।

निदेश के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक से लिखित रूप में पूर्वानुमति लिए बिना एवं भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 21 फरवरी 2013 को अधिसूचित निदेशों के अलावा रूपी को-आपरेटिव बैंक लि., पुणे 22 फरवरी 2013 को कार्य-समय की समाप्ति के बाद से किसी भी ऋण और अग्रिम को मंजूर या उसका नवीकरण नहीं करेगा, कोई निवेश नहीं करेगा, निधियां उधार लेने और नई जमाराशियां स्‍वीकार करने सहित अपने ऊपर कोई भी देयता नहीं लेगा, कोई भुगतान नहीं करेगा और न ही भुगतान करने के लिए सहमत होगा भले ही भुगतान उसकी देनदारियों और दायित्‍वों की चुकौती से या अन्‍यथा से संबंधित क्‍यों न हो, कोई समझौता या इस तरह की कोई व्‍यवस्‍था नहीं करेगा और अपनी किसी भी संपत्ति या आस्ति को न तो बेचेगा, न अंतरित करेगा या अन्‍य किसी रीति से उसका निपटान करेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों में उल्लिखित शर्तों के अधीन प्रत्‍येक बचत बैंक या चालू खाते में या किसी भी अन्‍य जमा खाते के कुल शेष में से प्रत्‍येक जमाकर्ता को 1,000/- (रुपये एक हज़ार मात्र) की अधिकतम राशि, एक ही अवसर पर आहरित करने की अनुमति दी जाएगी। इन निदेशों की अवधि इसके पहले 22 फरवरी 2013 से 21 अगस्‍त 2013 तक छह माह के लिए बढ़ा दी गई और उसके बाद से 21 फरवरी 2014 तक और उसके बाद से 21 अगस्‍त 2014 तक और उसके बाद से 21 नवंबर 2014 तक और उसके बाद से 21 मई 2015 तक बढ़ा दी गई है।

ये निदेश बैं‍ककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35क की उप धारा (1) के अंतर्गत प्रदत्‍त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए हैं। निदेश की प्रतिलिपि इच्‍छुक आम जनता के अवलोकनार्थ बैंक परिसर में प्रदर्शित की गई है।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उक्‍त निदेश जारी करने का यह अर्थ न लगाया जाए कि रिज़र्व बैंक ने बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है। बैंक अपनी वित्‍तीय स्थिति में सुधार होने तक प्रतिबंधों के साथ बैंकिंग कारोबार करना जारी रखेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक परिस्थितियों के आधार पर इन निदेशों में संशोधन करने पर विचार कर सकता है।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/1153

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