सूक्ष्म, लघु और मघ्यम उद्यमों को भारतीय रिज़र्व बैंक ने चलनिधि सहायता प्रदान की - आरबीआई - Reserve Bank of India
सूक्ष्म, लघु और मघ्यम उद्यमों को भारतीय रिज़र्व बैंक ने चलनिधि सहायता प्रदान की
18 नवंबर 2013 सूक्ष्म, लघु और मघ्यम उद्यमों को भारतीय रिज़र्व बैंक ने चलनिधि सहायता प्रदान की एमएसई क्षेत्र में चलनिधि तनाव को कम करने के लिए सीडबी को पुनर्वित्त सूक्ष्म और मध्यम उद्यम (एमएसई) क्षेत्र जो रोज़गार व्यापी है और निर्यात में उल्लेखनीय योगदान करता है में चलनिधि दबाव में कमी की जरूरत की दृष्टि से यह निर्णय लिया गया है कि भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 17(4एच) के प्रावधानों के अंतर्गत भारत लघु उद्योग विकास बैंक (सीडबी) को 5,000 करोड़ की राशि का पुनर्वित्त उपलब्ध कराया जाए। यह पुनर्वित्त निर्यात पुन: प्राप्त करने योग्य निर्याल राशियों सहित सीडबी द्वारा एमएसई को प्राप्त करने योग्य वित्तीय सहायता के लिए अथवा चयनित मध्यवर्ती संस्थाओं जैसेकि बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और राज्य वित्त निगमों (एसएफसी) के माध्यम से एमएसई को चलनिधि सहायता के लिए सीधे चलनिधि सहायता उपलब्ध कराएगा। यह पुनर्वित्त प्राप्त करने योग्य निर्यात राशियों सहित 14 नवंबर 2013 के बाद से बकाया प्राप्त करने योग्य राशियों के बदले उपलब्ध होगा। यह सुविधा विद्यमान 14-दिवसीय मीयादी रिपो दर पर 90 दिनों की अवधि के लिए उपलब्ध होगी। इस 90 दिवसीय अवधि के दौरान इस राशि का आसानी से आहरण और चुकौती की जा सकेगी। 90 दिवसीय अवधि के समाप्ति पर आहरण का पुनरावर्तन भी किया जा सकेगा। यह पुनर्वित्त सुविधा 13 नवंबर 2014 तक एक वर्ष की अवधि के लिए उपलब्ध होगी। निधियों के उपयोग का नियंत्रण सीडबी के बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के द्वारा किया जाएगा। प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के रूप में अर्हता के लिए मध्यम उद्यमों को वृद्धिगत ऋण मध्यम क्षेत्र (लघु उद्योग मंत्रालय के दिनांक 5 अक्टूबर 2006 की अधिसूचना सं.एसओ 1722(ई) के अनुसार यथापारीभाषित) भी चलनिधि की कमी का सामना कर रहा है। मध्यम क्षेत्र को ऋण वितरण बढ़ाने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि पात्र प्राथमिकता क्षेत्र उधार के रूप में 13 नवंबर 2013 तक बकाया ऋण के अतिरिक्त अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) द्वारा मध्यम उद्यमों को प्रदान किए गए निर्यात ऋण सहित वृद्धिगत ऋण को शामिल किया जाए। यह सुविधा 31 मार्च 2014 तक उपलब्ध होगी और 40 प्रतिशत की समग्र सीमा के भीतर होगी। पृष्ठभूमि यह चलनिधि सहायता अर्थव्यवस्था में मंदी खासकर भारी कंपनियों, सार्वजनिक उद्यमों और सरकारी विभागों से प्राप्त करने योग्य राशियों के देरी से निपटान के कारण विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में भारी संख्या में सूक्ष्म और लघु उद्यमों में चलनिधि की कमी के रूप में परिलक्षित हुई है, के आलोक में उपलब्ध कराई जा रही है। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/1009 |