भारतीय रिज़र्व बैंक ने चलनिधि को सुगम बनाने के उपायों को और अधिक लचीला बनाया - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक ने चलनिधि को सुगम बनाने के उपायों को और अधिक लचीला बनाया
29 नवंबर 2010 भारतीय रिज़र्व बैंक ने चलनिधि को सुगम बनाने के उपायों को और अधिक लचीला बनाया भारतीय रिज़र्व बैंक ने और अधिक चलनिधि सहायता उपलब्ध कराने के लिए निम्नलिखित निर्णय लिए: • 28 जनवरी 2011 तक दैनिक आधार पर अपराहन 4.15 बजे द्वितीय चलनिधि समायोजन सुविधा (एसएलएएफ) आयोजित करना। • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को दूसरे पूर्ववर्ती पखवाड़े के रिपोर्टिंग शुक्रवार को अपनी निवल माँग और मीयादी देयताओं (एनडीटीएल) के 2.0 प्रतिशत तक चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत अतिरिक्त चलनिधि सहायता प्राप्त करने की अनुमति देना। इस सुविधा को प्राप्त करने से 28 जनवरी 2011 तक सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) को बनाए रखने में किसी भी कमी के लिए बैंक स्पष्ट रूप से एक तदर्थ, अस्थायी उपाय के तौर पर पाक्षिक आधार पर दंड स्वरूप ब्याज से छूट प्राप्त कर सकते हैं। तथापि, इस सुविधा के अंतर्गत प्राप्त चलनिधि सहायता की जानकारी दैनिक आधार पर दी जानी चाहिए। आपको यह याद होगा कि 2 नवंबर 2010 को घोषित की गयी वर्ष 2010-11 की मौद्रिक नीति की दूसरी तिमाही समीक्षा (एसक्यूआर) में रिज़र्व बैंक ने यह सूचित किया था कि यद्यपि चलनिधि घाटा अ-मुद्रास्फाति रुझान के अुनरूप है फरि भी, चलनिधि में अत्यधिक घाटा दोनों वित्तीय बाज़ारों और बैंकिंग प्रणाली में ऋण वृद्धि के लिए बाधाकारक हो सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि चलनिधि की कमी से आर्थिक गतिविधि बाधित नहें होती है चलनिधि घाटे को एक उचित सीमा तक बनाए रखने की आवश्यकता है। मौद्रिक नीति की दूसरी तिमाही समीक्षा में दी गयी मौद्रिक नीति के रूझान के अनुरूप रिज़र्व बैंक ने खुले बाज़ार परिचालनों और 9 नवंबर 2010 को अस्थायी उपायों को पुन: लागू करना; दैनिक आधार पर अपराहन 4.15 बजे द्वितीय चलनिधि समायोजन सुविधा और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को 16 दिसंबर 2010 तक दूसरे पूर्ववर्ती पखवाड़े के रिपोर्टिंग शुक्रवार को अपनी निवल माँग और मीयादी देयताओं के 1.0 प्रतिशत तक चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत अतिरिक्त चलनिधि सहायता उपलब्ध कराने सहित कई उपाय किए। इन उपायों का प्रयोजन रिज़र्व बैंक के चलनिधि समायोजन सुविधा विंडो में दर्शाये गए अस्थायी चलनिधि दबावों से बचने के लिए चलनिधि उपलब्ध कराना था। फरि भी, चलनिधि दबाव जारी रहा। 8 नवंबर 2010 से रिज़र्व बैंक द्वारा अपने चलनिधि समायोजन सुविधा विंडो के माध्यम से डाली गयी चलनिधि की औसत ₹1,00,00 करोड़ तक हो गयी है। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2010-2011/753 |