रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने मुंबई में सीवीपीएस का उद्घाटन किया - आरबीआई - Reserve Bank of India
रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने मुंबई में सीवीपीएस का उद्घाटन किया
रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने मुंबई में सीवीपीएस का उद्घाटन किया
4 जनवरी 2003
डॉ. विमल जालान, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक के मुंबई कार्यालय में करेंसी वेरिफिकेशन एंड प्रोसेसिंग सिस्टम (सीवीपीएस) का उद्घाटन किया। करेंसी और वेरिफिकेशन सिस्टम रिज़र्व बैंक के कार्यालयों में गंदे करेंसी नोटों की तीव्र और सुरक्षित प्रोसेसिंग के लिए लगाये गये हैं। गंदे करेंसी नोटों को चलन से बाहर करना और उनके स्थान पर नये नोट चलन में डालना, ये कार्य भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा पिछले दो वर्ष के दौरान अपनायी जा रही स्वच्छ नोट नीति का एक हिस्सा हैं। अब तक रिज़र्व बैंक ने नोटों की हाथ से की जानेवाली प्रोसेसिंग के अनुपूरक के रूप में विभिन्न निर्गम कार्यालयों में 42 सीवीपीएस स्थापित किये हैं।
प्रत्येक सीवीपीएस एक घंटे में 50-60 हजार नोटों की प्रोसेसिंग की क्षमता रखती है। यह नोटों को ऑन-लाइन गिनती है, नोटों के असली होने की जांच करती है, नोटों को फिट और अनफिट के रूप में अलग-अलग करती है और अनफिट नोटों को ऑन-लाइन नष्ट कर देती है। छोटे छोटे टुकड़ों को ऑन-लाइन एक अलग ब्रिकेटिंग सिस्टम में ले जाया जाता है जहां उन्हें छोटे आकार की ईंटों में ढाल दिया जाता है। यह सिस्टम पर्यावरण हितैषी भी है क्योंकि इससे प्रदूषण पैदा नहीं होता जैसा कि अतीत में नोटों को जलाने से हुआ करता था। इन ईंटों को औद्योगिक भट्टियों में ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इन्हें जमीन की भराई के लिए तथा कार्यालयों तथा घरों में इस्तेमाल की जानेवाली चीज़ें बनाने या पेपर बोड़ बनाने के लिए भी प्रयोग में लाया जा सकता है।
चलन से गंदे नोटों को बाहर करने के अलावा रिज़र्व बैंक ने पर्याप्त मात्रा में नये नोटों की आपूर्ति करने के लिए तथा मौजूदा करेंसी नोटों को बहुत अधिक खराब होने से बचाने के लिए भी कई उपाय किये हैं।
उद्घाटन समारोह में बोलते हुए श्री वेपा कामेसम, उप गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों तथा जनता से आग्रह किया कि वे रिज़र्व बैंक की स्वच्छ नोट नीति को आगे बढ़ाने में मदद करें और करेंसी नोटों को स्टैपल न करें। इस बात की ओर संकेत करते हुए कि नोटों के खराब होने और कट-फट जाने के पीछे सबसे बड़ा कारण नोटों/नोट पैकेटों को बार-बार स्टैपल किया जाना है, उप गवर्नर ने कहा कि जनता भी नोटों के बार-बार स्टैपल किये जाने का विरोध करती आ रही थी। अतएव, भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक ने यह निर्णय लिया है कि नोटों को स्टैपल करने की परंपरा समाप्त कर दी जाए। उन्होंने आगे कहा कि नये नोटों को स्टैपल न किये जाने की प्रथा 1996 में शुरू की गयी थी और अब नोट मुद्रण नोट मुद्रणालयों से नये नोट बिना स्टैपल किये हुए ही प्राप्त होते हैं। इसके अलावा, नोटों को स्टैपल न किये जाने से नोटों को बैंक शाखाओं में टेबल-टॉप सॉर्टिंग मशीनों के ज़रिए और साथ ही साथ सीवीपीएस पर मशीनीकृत प्रोसेसिंग से अलग-अलग करने में सुविधा रहती है। नोट पैकेटों को कागज़/पोलिथिन बैंड के ज़रिए सुरक्षित बनाया जाता है और बैंकों तथा जनता दोनों को चाहिए कि वे अपनाये गये कागज़/पोलिथिन बैंड स्वीकार करें और स्टैपल पिनों को अलविदा कहें।
सीवीपीएस के साथ भारतीय रिज़र्व बैंक की गंदे नोटों के निपटान की क्षमता काफी बढ़ गयी है। इस बढ़ी हुई क्षमता से गंदे नोटों को तेज़ी से चलन से बाहर करने में मदद मिलेगी। साथ ही साथ, रिज़र्व बैंक की दो मुद्रा प्रेसों की अतिरिक्त क्षमता की मदद से चलन में नये नोट डाल कर यह अपेक्षा की जाती है कि जनता की नये नोटों की मांग काफी हद तक पूरी हो सकेगी।
आपको याद होगा कि डॉ. विमल जालान, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने जनवरी 1999 में स्वच्छ नोट नीति घोषित की थी। स्वच्छ नोट नीति को कारगर ढंग से लागू करने के लिए चलन से गंदे नोटों को हटाना उतना ही महत्त्वपूर्ण है जितना महत्त्वपूर्ण चलन में नये नोट डालना है। इस दोहरे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रिज़र्व बैंक ने पिछले दो वर्ष के दौरान करेंसी प्रबंधन से जुड़ी कई प्रणालियों और क्रियाविधियों में विभिन्न परिवर्तन लागू किये हैं। इन उपायों में मुद्रा सत्यापन तथा प्रोसेसिंग के कार्य का मशीनीकरण और साथ ही साथ गंदे और कटे-फटे नोटों को नष्ट करने के लिए श्रेडिंग तथा ब्रिकेटिंग आदि शामिल हैं।
स्वच्छ नोट नीति को लागू करने की दिशा में रिज़र्व बैंक ने सभी बैंकों को सार्वजनिक हित में अनुदेश देते हुए निम्नलिखित निदेश जारी किये हैं :
- बैंक नोटों को स्टैपल न करें
- गंदे नोट रिज़र्व बैंक को स्टैपल न की हुई हालत में लौटायें
- स्टैपल पिनों के स्थान पर बैंड इस्तेमाल करें
- पूरे देश में जनता को नोट बदलने की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए रविवारों को चुनिंदा करेंसी चेस्ट शाखाएं खुली रखें
- जनता को गंदे और कटे-फटे नोट बदलने के लिए असीमित सुविधा प्रदान करें
रिज़र्व बैंक ने जनता से आग्रह किया है कि वे करेंसी नोटों पर कुछ लिख कर उन्हें खराब न करें।
यह जानना रुचिकर होगा कि रिज़र्व बैंक अक्सर जनता से गंदे और कटे-फटे नोट जमा करने के लिए बाज़ारों में भी जाता है। समय-समय पर शहरों के विभिन्न हिस्सों में सिक्कों की आपूर्ति के लिए मोबाइल वैन भेजे जाते हैं। इसका परिणाम यह हुआ है कि चलन में गंदे नोटों के संबंध में जनता की शिकायतें बहुत कम हो गयी हैं और स्वच्छ नोटों की उपलब्धता में उल्लेखनीय रूप से सुधार हुआ है।
अजीत प्रसाद
प्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2002-2003/819