भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने नए आईएसओ 20022 अनुकूल तत्काल सकल भुगतान प्रणाली की शुरूआत की - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने नए आईएसओ 20022 अनुकूल तत्काल सकल भुगतान प्रणाली की शुरूआत की
19 अक्टूबर 2013 भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने नए आईएसओ 20022 डॉ. रघुराम राजन, गवर्नर भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज भारतीय रिज़र्व बैंक की नई तत्काल सकल भुगतान (आरटीजीएस) प्रणाली की शुरूआत की। इस परियोजना को सफल ढ़ंग से पूरा करने के लिए समूची टीम की प्रशंसा करते हुए गवर्नर ने कहा “नई आरटीजीएस प्रणाली उस बात का एक महान उदाहरण है जिसके लिए हम तब समर्थ होते हैं जब हम अपनी सोच इसमें लगाते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि नलसाजी की तरह भुगतान प्रणाली को सक्षम बनाना होगा तथा वित्तीय बाजारों से आगे इसे वित्तीय बाजारों की भविष्य की गतिविधियों का ध्यान रखना होगा। अपनी उन्नत चलनिधि और भविष्य की संभावनाओं को संजोने के साथ नई आरटीजीएस प्रणाली से यह आशा की जाती है कि इससे वित्तीय बाजारों की क्षमता में सुधार होगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि नई आरटीजीएस प्रणाली भारत की वित्तीय प्रणाली के लिए ऐसा ही एक संचालक बनेगी। ज्ञात रूप से आईएसओ 20022 संदेश मानकों पर निर्मित की जाने वाली विश्व की पहली नई आरटीजीएस प्रणाली अत्यंत उन्नतशील है और इसमें कई नई कार्यप्रणालियां होंगी। इनमें ग्रिडलॉक समाधान व्यवस्था तथा मिश्रित निपटान सुविधा सहित उन्नत चलनिधि विशेषताएं, भविष्य के मूल्य दिनांकित लेनदेन स्वीकार करने की सुविधा, बहु-मुद्रा लेनदेन आदि को संसाधित करने के विकल्प शामिल हैं। ये कार्यप्रणालियां जब और जैसे उपयोग के लिए उपलब्ध होंगी उन्हें सहभागियों को अधिसूचित किया जाएगा। नई आईएसओ 20022 अनुकूल तत्काल सकल भुगतान प्रणाली सहभागियों को तीन एक्सेस विकल्प-महत्वपूर्ण ग्राहक, वेब-एपीआई (इनफिनिट अथवा किसी अन्य अनुमोदित नेटवर्क के माध्यम से) तथा भुगतान प्रवर्तक माड्यूल उपलब्ध कराती है। सहभागी लेनदेन की मात्रा तथा मूलभूत सुविधा के निर्माण की लागत के आधार पर प्रणाली में सहभागिता के स्वरूप पर निर्णय ले सकते हैं। तत्काल सकल भुगतान प्रणाली (आरटीजीएस) भारी मूल्य निधि अंतरण प्रणाली है जिसे बैंक अपने खाते के साथ-साथ ग्राहकों के खाते के लिए अंतर-बैंक अंतरणों के निपटान के लिए उपयोग में लाते हैं। इसे पहली बार भारत में एक प्रमुख प्रौद्योगिकी आधारित इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण प्रणाली के रूप में संपूर्ण देश के भीतर मार्च 2004 में कार्यान्वित किया गया था। यह प्रणाली ‘तत्काल’ समय और सकल आधार पर ग्राहकों को अंतर बैंक भुगतान की सुविधा प्रदान करती है। यह प्रणाली अन्य अनुषंगी भुगतान प्रणालियों से उत्पन्न बहु-पार्श्विक निवल निपटान बैच (एमएनएसबी) फाइलों के निपटान की भी सुविधा प्रदान करती है। तत्काल सकल निपटान भुगतान प्रणाली मूलभूत सुविधा भुगतान देयताओं के व्यवस्थित निपटान को सुविधा प्रदान करने में महत्वपूर्ण है। किसी केन्द्रीय बैंक की भूमिका भारी मूल्य भुगतान के परिचालकों के रूप में किसी राष्ट्र की वित्तीय प्रणाली में केन्द्रीय बैंक की व्यापक भूमिका के संदर्भ में तब तक महत्वपूर्ण है जब तक यह केन्द्रीय बैंक मुद्रा में अंतिम निपटान उपलब्ध कराने के द्वारा “सुरक्षा नेट” प्रस्तुत करने में योगदान करता है। तत्काल सकल भुगतान प्रणाली भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रचालित एक महत्वपूर्ण वित्तीय बाजार मूलभूत सुविधा (एमएफआई) है और इसका आकलन भुगतान और निपटान प्रणाली पर समिति तथा वित्तीय बाजार मूलभूत सुविधा के लिए लागू अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन (सीपीएसएस-आईओएससीओ) के “वित्तीय बाजार मूलभूत सुविधा के सिद्धांत” के समक्ष किया जाएगा। नई तत्काल सकल भुगतान प्रणाली के कार्यान्वयन के साथ विद्यमान सकल भुगतान प्रणाली का परिचालन बंद कर दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, “तत्काल सकल भुगतान प्रणाली विनियमावली 2013” तत्काल सकल भुगतान प्रणाली (सदस्यता) व्यापार परिचालन दिशानिर्देश, 2004 तथा तत्काल सकल भुगतान प्रणाली (सदस्यता) विनियमावली, 2004 के बदले लागू हो जाएगी। अल्पना किल्लावाला प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/819 |