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भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड को अर्हताप्राप्‍त केन्द्रीय काउंटरपार्टी का दर्जा प्रदान किया

1 जनवरी 2014

भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड को
अर्हताप्राप्‍त केन्द्रीय काउंटरपार्टी का दर्जा प्रदान किया

रिज़र्व बैंक ने आज भारतीय समाशोधन निगम लिमिटेड (सीसीआईएल) को भारतीय अधिकार क्षेत्र में अर्हताप्राप्‍त केन्द्रीय काउंटरपार्टी (क्यूसीसीपी) का दर्जा प्रदान किया है। सीसीआईएल ने इस तथ्य की दृष्टि से अर्हताप्राप्‍त केन्द्रीय काउंटरपार्टी के रूप में अधिकार प्राप्त किया है कि यह भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत प्राधिकृत और पर्यवेक्षित है। यह जारी आधार पर उन नियमों और विनियमों के अधीन भी है जो भुगतान और निपटान प्रणाली समिति (सीपीएसएस) और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन (आईओएससीओ) द्वारा जारी वित्तीय बाजार बुनियादी सुविधाओं (पीएफएमआई) के सिद्धांतों के अनुरूप हैं।

पृष्ठभूमि

यह स्मरण किया जाए कि सीसीआईएल को (i) सरकारी प्रतिभूतियों सहित प्रतिभूति खंड;  (ii) संपार्श्‍वीकृत उधार और ऋण देयताएं (सीबीएलओ); (iii) विदेशी मुद्रा निपटान खंड जिसके उप-खंड हैं – (ए) अमरीकी डॉलर-रुपया खंड, (बी) निरंतर सहबद्ध निपटान खंड (सीमापार मुद्रा सौदों का निपटान), (सी) विदेशी मुद्रा फारवर्ड खंड; (iv) रुपया डेरिवेटीव खंड - भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 7 के अंतर्गत ब्याज दर स्वैप (आईआरएस) और फारवर्ड दर करारों (एफआरए) में रुपया मूल्यवर्गांकित कारोबार के लिए भुगतान प्रणाली परिचालित करने के लिए वर्ष 2009 में प्राधिकृत किया गया था।

जुलाई 2013 में भारतीय रिज़र्व बैंक ने सीसीआईएल को वित्तीय बाजार में इसके प्रणालीबद्ध महत्व पर विचार करते हुए निगरानी के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय बाजार बुनियादी ढांचे (एफएमआई) के रूप में नियुक्त किया। इस प्रकार यह पीएफएमआई संरचना द्वारा उपयोग किए जाने वाले विनियमों और पर्यवेक्षण के अधीन था और पीएफएमआई अनिवार्यताओं के प्रति इसका पालन आवश्यक था। भुगतान और निपटान प्रणाली समिति (सीपीएसएस) और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन (आईओएससीओ) द्वारा अप्रैल 2012 में “वित्तीय बाजार मूलभूतसुविधा के सिद्धांत” जारी किए गए थे। इन्हें भुगतान, समाशोधन, निपटान और अभिलेखन व्यवस्था में सुरक्षा और सक्षमता के संवर्धन तथा अधिक महत्वपूर्ण रूप से प्रणालीगत जोखिम को कम करने और पारदर्शिता और वित्तीय स्थिरता बढ़ाने के लिए जारी किया गया था। भुगतान और निपटान प्रणाली समिति (सीपीएसएस) और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन (आईओएससीओ) के सदस्यों से अपेक्षित है कि वे जी20 अपेक्षाओं के अनुरूप अपने-अपने अधिकार क्षेत्रों में वित्तीय बाजार मूलभूत सुविधा के सिद्धांत अपनाने का  प्रयास करें। वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी) और भुगतान और निपटान प्रणाली समिति (सीपीएसएस) के सदस्य के रूप में रिज़र्व बैंक वित्तीय बाजार मूलभूत सुविधा के सिद्धांत अपनाने और इनके कार्यान्वयन के लिए प्रतिबद्ध है।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/1331

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