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भारतीय रिज़र्व बैंक ने बेसिन कैथोलिक को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 28 मार्च 2024 के आदेश द्वारा बेसिन कैथोलिक को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक के 'यूसीबी में धोखाधड़ी: निगरानी और रिपोर्टिंग तंत्र में परिवर्तन', 'अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)', 'जमा खातों का रखरखाव' और 'अग्रिमों का प्रबंधन' संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹61,60,000/- (इकसठ लाख साठ हज़ार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46(4)(i) और 56 के साथ पठित धारा 47ए(1)(सी) के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का सांविधिक निरीक्षण किया गया। भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों के अननुपालन के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और इससे संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों और इसके द्वारा की गई अतिरिक्त प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक ने, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पाया कि निम्नलिखित आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है:

बैंक ने: (i) विलंब से धोखाधड़ी की सूचना दी, (ii) वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान खातों के जोखिम वर्गीकरण की आवधिक समीक्षा नहीं की, (iii) निष्क्रिय बचत बैंक और चालू जमा खातों में न्यूनतम शेष राशि बनाए न रखने के लिए दंडात्मक प्रभार लगाया, और (iv) वित्तीय व्यवहार्यता और उधारकर्ताओं द्वारा पुनर्भुगतान की उचित निश्चितता स्थापित किए बिना ऋण सुविधाओं की पुनर्रचना की।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है। इसके अलावा, इस मौद्रिक दंड को लगाने से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक के विरुद्ध की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

 

(योगेश दयाल)  
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2024-2025/36

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