भारतीय रिज़र्व बैंक ने बेसिन कैथोलिक को-ऑपरेटिव बैंक लि., वसई पर मौद्रिक दंड लगाया
6 जून 2022 भारतीय रिज़र्व बैंक ने बेसिन कैथोलिक को-ऑपरेटिव बैंक लि., वसई भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने दिनांक 2 जून 2022 के आदेश द्वारा बेसिन कैथोलिक को-ऑपरेटिव बैंक लि., वसई (बैंक) पर आरबीआई द्वारा जारी ‘आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण, प्रावधानीकरण और अन्य संबंधित मामले’ (आईआरएसी मानदंड)’ संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए ₹49.00 लाख (उनचास लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड आरबीआई द्वारा जारी उपरोक्त निदेशों का पालन करने में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत आरबीआई को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है। यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है। पृष्ठभूमि 31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के आधार पर आरबीआई द्वारा किए गए इसके सांविधिक निरीक्षण, उससे संबंधित निरीक्षण रिपोर्ट और सभी संबंधित पत्राचारों की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला है कि आरबीआई द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का अननुपालन किया गया है, बैंक ने कुछ मामलों में (i) अतिदेय राशि की वसूली के बिना उधारकर्ताओं के ऋण खातों को अपग्रेड/ नियमित किया था और (ii) पुनर्संरचना के बाद उधारकर्ताओं के मौजूदा गैर-निष्पादित ऋण खातों को एनपीए के रूप में वर्गीकृत नहीं किया था। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि आरबीआई द्वारा जारी निदेशों, जैसा कि उसमें कहा गया है, का उल्लंघन करने के लिए उस पर दंड क्यों न लगाया जाए। नोटिस पर बैंक के उत्तर, व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करके और बैंक द्वारा किए गए अतिरिक्त प्रस्तुतियों की जांच के बाद आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि आरबीआई द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन के आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/317 |
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