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भारतीय रिज़र्व बैंक ने केनरा बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 6 फरवरी 2024 के आदेश द्वारा केनरा बैंक (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी साख सूचना कंपनियों को साख सूचना प्रस्तुत करने के लिए डाटा प्रारूप और अन्य विनियामक उपाय', ‘समाधान ढांचा - 2.0: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के कोविड -19 संबंधित दबाव का निराकरण' और समाधान ढांचा - 2.0: व्यक्तियों और छोटे व्यवसायों के कोविड-19 संबंधित दबाव का समाधान' संबंधी कतिपय निदेशों के अननुपालन के लिए 32.30 लाख (बत्तीस लाख तीस हजार रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 51(1) के साथ पठित धारा 47 (1) (सी) और प्रत्यय विषयक जानकारी कंपनी (विनियमन) अधिनयम, 2005 की धारा 23(4) के साथ पठित धारा 25(1)(iii) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक् बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2022 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंक का पर्यवेक्षी मूल्यांकन हेतु सांविधिक निरीक्षण (आईएसई 2022) किया गया। आईएसई 2022 से संबंधित जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट/ निरीक्षण रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, बैंक द्वारा उपरोक्त निदेशों के इस सीमा तक अननुपालन का पता चला कि उसने (i) सीआईसी से रिपोर्ट अस्वीकृति किए जाने संबंधी सूचना प्राप्त होने के सात दिनों के भीतर अस्वीकृत डेटा को सुधारने और साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) को अपलोड करने में विफल रहा और (ii) कुछ खातों का पुनर्गठन किया जो 31 मार्च 2021 को मौजूदा निदेशों के अंतर्गत मानक आस्ति नहीं थे। परिणामस्वरूप, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उससे यह पूछा गया कि वह कारण बताए कि उक्त निदेशों, जैसा कि उसमें उल्लिखित है, के अनुपालन में विफलता के लिए उस पर दंड क्यों लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान इसके द्वारा की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि भारतीय रिज़र्व बैंक के उपर्युक्त निदेशों के अननुपालन का आरोप सिद्ध हुआ है और बैंक पर मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।  

(योगेश दयाल)  
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/1939

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